09 अक्टूबर, 2010

विद्युत बचत के संबंध में महत्वपूर्ण बातें

विद्युत बचत के संबंध में महत्वपूर्ण बातें


बिजली की बचत कैसे करें इस संबंध में अंतर्दृष्टि एवं समक्ष विकसित करें । इससे न केवल आपके बिजली का बिल कम आएगा, बल्कि आप अपने पर्यावरण के संरक्षण में भी योगदान देंगे ।



लाईटेंसीएफएल का प्रयोग करें । सीएफएल में स्तरीय बल्बों से कम से कम 66औ कम बिजली का प्रयोग होता है और इस प्रकार कुल मिलाकर 8 गुणा बिजली की बचत होती है ।

आप मात्र पांच पुराने बल्बों को हटाकर नये ऊर्जा दक्ष सीएफएल लगाकर 2500/-रु. प्रतिवर्ष तक की बचत कर सकते हैं ।

कंप्यूटरएक दिन में 12 घंटे अपने कंप्यूटर को बंद करके 3000/-रु. प्रतिवर्ष की बचत करें ।

स्क्रीन सेवर से विद्युत की बचत नहीं होती है ; वे केवल आपके स्क्रीन की सुरक्षा करते हैं । अतः इसके बजाए अपने कंप्यूटर पर स्लीप मोड या ऊर्जा बचत विशिष्टता का प्रयोग करें और इस प्रकार 900/-रु. प्रतिवर्ष की बचत करें ।

स्लीप मोड से औसत कंप्यूटर 200 किवा. प्रतिवर्ष कम विद्युत का प्रयोग करता है ।

जब आप 10 मिनट से अधिक समय तक अपने कंप्यूटर से दूर रहे तब अपने कंप्यूटर मॉनीटर को बंद करके विद्युत की बचत करें ।

डैस्कटॉप कंप्यूटर के स्थान पर लैपटॉप का प्रयोग करें । लैपटॉप में 90औ कम विद्युत का उपयोग होता है ।

आपका कंप्यूटर मॉनीटर जितना छोटा होगा उतनी ही कम बिजली का प्रयोग होगा ।

मानक मॉनीटरों की तुलना में फ्लैट स्क्रीन एलसीडी कंप्यूटर मॉनीटर 66औ कम बिजली का प्रयोग करते हैं ।

कंप्यूटर खोलने और बंद करने से अतिरिक्त बिजली खर्च नहीं होती और आपका कंप्यूटर भी खराब नहीं होगा । इसे बंद करने से कंप्यूटर पर टूट-फूट कम होगी और बिजली का प्रयोग कम होगा ।

रेफ्रिजरेटर15 वर्ष से अधिक पुराना फ्रिज चलाने में 5000/-रु. प्रतिवर्ष से अधिक खर्च आता है जबकि नया फ्रिज चलाने में 2500/-रु. प्रतिवर्ष से भी कम खर्च आता है ।

यदि पुराना फ्रिज खाली चल रहा हो तो फ्रिज का प्लग हटा दें और अपने बिजली के बिल में 5000/-रु. प्रतिवर्ष से अधिक की बचत करें ।

केवल कुछ खाने-पीने के चीजों को ठंडा रखने के लिए छोटे फ्रिज का प्रयोग करें । छोटे फ्रिज में लगभग 1500/-रु. प्रतिवर्ष बिजली का खर्च आता है ।

रेफ्रिजरेटर के तापमान को मध्यम रेंज (30सें. या 380 फा.) पर सैट करें । इससे आपके खाने-पीने की चीजों को ठंडा रखते हुए भी बिजली की बचत होगी ।

खाने-पीने की चीजों को फ्रिज या फ्रीजर में रखने से पहले ठंडा कर लें ।

रसोई घरपरंपरागत स्टोव के स्थान पर माइक्रोवेव का प्रयोग करें । इसमें बिजली का प्रयोग कम होता है, पकाने में कम समय लगता है और रसोई में ऊष्मा कम उत्पन्न होती है ।

विद्युत कैटल का प्रयोग करें और आपको जितने पानी की आवश्यकता हो उतना ही पानी गर्म करें । स्टोव -टॉप कैटल या माइक्रोवेव की तुलना में इलेक्ट्रिक कैटल अधिक दक्ष होती हैं ।

फ्रीजरअपने 15 वर्ष पुराने फ्रीजर को बदलकर नया डीप फ्रीजर ले आएं । आपका नया फ्रीजर अपने पूरे कार्यकाल में आपके लिए विद्युत में बचत करके अपनी पूरी कीमत चुका देगा ।

डिशवॉशरअपने डिशवॉशर का प्रयोग केवल तभी करें जब यह पूरा भरा हो । आधे भरे डिशवॉशर को दो बार चलाने के बजाए पूरे भरे डिशवॉशर को चलाकर आप 12,500/-रु. प्रतिवर्ष की बचत करेंगे ।

विनिर्माता के अनुदेश के अनुसार ही डिश प्लेटें डालें जिससे पानी का परिचालन अच्छी तरह हो सकें ।

डिशवॉशर में डिश प्लेटें डालने से पहले उन्हें न धोंएं । इस प्रकार आप पानी गर्म करने का खर्च बचा सकेंगे ।

डिशवॉशर के निकास एवं फिल्टर को साफ रखना उसके दक्ष प्रचालन में सहायक होगा ।

स्टोवअपने स्टोव के स्थान पर माइक्रोवेव का प्रयोग करें । माइक्रोवेव में किसी भोजन को पकाने पर स्टोव की तुलना में 84औ कम बिजली का प्रयोग होता है ।

संभव हो तो अपने स्टोव या ओवन के बजाए छोटे-छोटे कूकिंग उपकरणों का प्रयोग करें ।

जब आवश्यक हो तभी ओवन को पहले से गर्म करें ।

वॉशर एवं ड्रायरअपने कपड़े ठंडे पानी में धोएं और इस प्रकार 3000/- रु. प्रतिवर्ष की बचत करें । वाशिंग मशीन में पानी गर्म करने से लगभग 85-90औ ऊर्जा का प्रयोग होता है ।

टेलीविजनआपके पुराने टी.वी. की तुलना में उसी साइज के प्लाज्मा टी.वी. में दुगुनी ऊर्जा का प्रयोग होता है । और आपका टी.वी. जितना बड़ा होगा उतना ही ऊर्जा का अधिक प्रयोग होगा ।

सामान्यअपने इलेक्ट्रोनिक मनोरंजन साधनों को उस समय बंद कर दें जब आप उनका प्रयोग न कर रहे हों और इस प्रकार बचत में वृद्धि करें ।

कंप्यूटर, टीवी, वीसीआर, सीडी और डीवीडी प्लेयर तथा अन्य घरेलू इलेक्ट्रोनिक उपस्करों को बंद करने के बाद भी ऊर्जा की खपत होती है इसलिए जब आप उन्हें बंद करें तो पावर प्लग को उपस्कर से अलग कर दें ।

अपने उपस्करों को साफ और भलीभांति अनुरक्षित रखें जिससे वे दक्षतापूर्वक कार्य कर सकें

07 अक्टूबर, 2010

धार्मिक उत्सव समितियों और बिजली उपभोक्ताओं से त्योहारों के दौरान अस्थायी कनेक्शन लेने की अपील

 विद्युत वितरण कम्पनी ने धार्मिक उत्सव समितियों और बिजली उपभोक्ताओं से त्योहारों के दौरान अस्थायी कनेक्शन लेने की अपील की है। प्रदेश में विद्युत की बचत तथा विद्युत अपव्यय का रोकने के उद्देश्य से राज्य की सभी धर्म की धार्मिक उत्सव समितियों से अपील की गई है कि वे आवश्यकतानुसार अस्थाई विद्युत कनेक्शन लेकर अपने धार्मिक आयोजन पूरे उल्लास, तनमयता और परम्परा अनुसार मनाये। साथ ही ऊर्जा संरक्षण बिजली बचत में अपना योगदान प्रदान करें।

  रामलीला, दुर्गोत्सव, गरबा तथा डांडिया उत्सव के दौरान धार्मिक पंडालों एवं झांकियों में बिजली साज-सज्जा कम्पनी से नियमानुसार अस्थायी कनेक्शन लेकर करने को कहा है।




 विद्युत प्रदाय मीटरीकृत होगा। विद्युत देयक की बिलिंग नियमानुसार अस्थायी कनेक्शनों के लिये लागू घरेलू दर पर की जायेगी तथा तद्नुसार कम्पनी में राशि जमा करनी होगी। इसके लिये आवेदन में दर्शाये अनुसार विद्युत भार के अनुरूप सुरक्षा निधि एवं अनुमानित विद्युत उपभोग की राशि अग्रिम जमा कराकर पक्की रसीद प्राप्त की जाना चाहिये।








 विद्युत वितरण कम्पनी ने आग्रह किया है कि उपभोक्ता द्वारा आवेदित विद्युत भार से अधिक भार का उपयोग विद्युत साज-सज्जा के लिये नहीं करें। साथ ही अनाधिकृत तरीके से विद्युत का उपयोग नहीं किया जाये।  कम्पनी ने सचेत किया है कि अधिक भार से ट्रांसफार्मर के जलने की संभावना तथा दुर्घटना की आशंका रहती है। इसी प्रकार पारेषण एवं वितरण प्रणाली पर विपरीत असर होने से अंधेरे की संभावना का खतरा रहता है।



त्यौहार समितियों से कहा गया है कि अनाधिकृत विद्युत उपयोग करने पर इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के तहत उपयोगकर्ता एवं जिस विद्युत ठेकेदार से कार्य कराया गया है, उनके विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही की जायेगी। इसी प्रकार अनाधिकृत विद्युत उपयोग की दशा में संबंधित विद्युत ठेकेदार का लायसेंस भी निरस्त हो सकता है। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी के भोपाल क्षेत्र एवं ग्वालियर क्षेत्र के बिजली उपभोक्ताओं से आग्रह है कि वे झांकियों के निर्माण एवं विद्युत साज-सज्जा में विद्युत सुरक्षा नियमों का अनिवार्य रूप से पालन करें।

06 अक्टूबर, 2010

मप्र में निजी कम्पनियों से खरीदी जाएगी बिजली

मप्र में निजी कम्पनियों से खरीदी जाएगी बिजली

भोपाल। मध्य प्रदेश में बढ़ती बिजली की मांग की पूर्ति के लिए निजी कंपनियों से 1391 मेगावाट बिजली खरीदी जाएगी। यह निर्णय मंगलवार को हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में लिया गया।


मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में तय किया गया है कि रिलायंस पावर लिमिटेड से 1241 मेगावाट और एस्सार पावर लिमिटेड से 150 मेगावाट बिजली खरीदी जाएगी। इसकी दर दो रूपये 45 पैसे प्रति यूनिट होगी। इन कंपनियों से 25 वर्ष के लिए करार किया जाएगा।

05 अक्टूबर, 2010

सिर्फ सीएफएल लैंप

कर्नाटक में जलेंगे सिर्फ सीएफएल लैंप



ऊर्जा बचाने के लिए भारत के दक्षिणी राज्य कर्नाटक में प्रतिबंध का कदम उठाया गया. प्रतिबंध लगेगा ऊर्जा खाने वाले बल्ब पर. इसकी जगह पर आएंगे सीएफएल लैंप. कर्नाटक में भारी ऊर्जा संकट है.



कर्नाटक सरकार ने फैसला लिया है कि वह बिजली खाने वाले बल्ब पर पूरे राज्य में पहली जनवरी से प्रतिबंध लगा देगी और इसकी जगह सिर्फ सीएफएल लैंप इस्तेमाल करने की अनुमति होगी.



आईटी हब कहे जाने वाले कर्नाटक में कई दूसरी बड़ी औद्योगिक इकाइयां भी हैं और भारी बिजली की खपत के कारण राज्य में ऊर्जा संकट पैदा हो गया है. ऊर्जा बचाने के लिए अब सीएफएल लैंप का रास्ता अपनाने की सोची गई है. बल्ब की तुलना में सीएफएल लैंपों को बहुत कम ऊर्जा की जरूरत होती है और रोशनी में कोई कमी भी नहीं होती.





राज्य में बिजली की भारी कमी है. सरकारी आकड़ों के मुताबिक राज्य को जरूरत को साढ़े बारह करोड़ यूनिट बिजली की है लेकिन उसे मिलती सिर्फ 9 करोड़ 90 लाख यूनिट ही है.



हर घर में सीएफएल के इस्तेमाल से रोजाना कम से कम 400 मेगावाट बिजली की बचत होगी. योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए जनवरी से सीएफएल लैंप अनिवार्य कर दिए जाएंगे.



राज्य की ऊर्जा मंत्री शोभा करंदलजे ने कहा कि सभी सरकारी कार्यालयों, स्थानीय ऑफिस और अस्पतालों में तीन महीने के भीतर सिर्फ सीएफएल बल्ब लगाए जाएं.



सोमवार को मुख्यमंत्री गुलबर्गा के गरीब इलाके में बेलाकू अभियान लॉन्च करेंगे. राज्य के ऊर्जा विभाग ने तय किया है कि वह मार्च तक ऊर्जा की खपत और उत्पादन में अंतर दो फीसदी कम कर देगा.



रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

09 अगस्त, 2010

बिजली क्षेत्र में कम्प्यूटरीकरण से पारदर्शिता एवं भ्रष्टाचार नियंत्रण

बिजली क्षेत्र में कम्प्यूटरीकरण से पारदर्शिता एवं भ्रष्टाचार नियंत्रण



विवेक रंजन श्रीवास्तव

ओ.बी. ११ विद्युत मंडल कालोनी

रामपुर, जबलपुर



आज के समय में समाज का जो नैतिक एवं चारित्रीक अद्योपतन हो रहा है एवं जिस तेजी से रूपये का महत्व बढ रहा है उसके चलते भ्रष्टचार को शिष्टाचार माना जाने लगा है। थोडी से अतिरिक्त सुविधा तथा नियम से चलने पर होने वाली कठिनाई से बचने के लिये लोग रूपये खर्च करने से कतराते नहीं है। इससे भ्रष्टचार को बढावा मिल रहा हैं। वे सभी क्षेत्र जिनमें आम नागरिक जुडे हुये है, बढती आबादी के कारण एवं शासकीय कार्यप्रणाली की लालफीताद्गााही तथा संसाधनों की कमी के कारण भ्रष्टचार के द्गिाकार है।

बिजली वितरण के क्षेत्र में भी बिजली की कमी, कर्मचारियों एवं संसाधनों की कमी, नये बिजली उपयोगकर्ताओं की संखया में बेतहाद्गाा वृद्धि, वैद्युत उपकरणों से सुख-सुविधाओं में हो रहे नित नये परिवर्तनों के कारण नये बिजली कनेक्द्गान प्राप्त करना टेढी खीर है। जिन लोगों के पास बिजली कनेक्शन है उन्हें सुधार कार्य हेतु एवं भारवृद्धि आदि कार्यो हेतु व्यापक कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।

नियामक आयोग का गठन, अम्बड्‌समैन की संस्थापना, जनसुनवाई कार्यक्रम, उपभोक्ता फोरम आदि आदि भ्रष्टचार नियत्रंक सुविधायें प्रारंभ की जा रही है। पर इस सबके बाद भी विद्युत क्षेत्र में भ्रष्टचार में कमी नहीं हो पा रही है।

यदि नियमानुसार अस्थाई कनेक्द्गान के लिये आवेदन करके आवेदक घर पर बैठा रहे तो शादी आदि का वह कार्यक्रम जिसके लिये अस्थाई कनेक्द्गान चाहा गया हो संपन्न भी हो जायेगा पर शायद अस्थाई कनेक्द्गान का आवेदन, आवेदन ही बना रह जायेगा। इसके विपरीत विद्गिाष्ट शैेली में संबंधित कार्यालय से संपर्क हो तो घर बैठे फॉर्म भरने से रूपये जमा करने तक के सारे कार्य सरलता से हो जाते है। ऐसी स्थिति लगभग पूरे देद्गा में ही हेै। केवल नियमों के आधार पर जमा राशि में से शेष बची राशि को वापस प्राप्त करना दुष्कर कार्य है। ऐसी स्थितियों के लिये जितने जिम्मेदार संबंधित कर्मचारी है उससे कहीं ज्यादा जवाबदार ढेर सारे नियम कायदों की पेचिदगियॉं एवं वे लोग है जिन्हें सब्र नहीं है।

कम्प्यूटरीकरण के माध्यम से रेल्वे रिजर्वेद्गान से भ्रष्टचार की समाप्ति में एक बहुत एवं सफल प्रयोग हम सबने देखा एवं अनुभव किया है। बिजली वितरण के क्षेत्र में भी कम्प्यूटरीकरण एवं नेटवर्किंग व्यापक पारदद्गर्िाता एवं भ्रष्टचार में नियंत्रण ला सकता है। आवद्गयक है कि इसके लिये फ्‌यूज आफ कॉल सेंटर, वितरण कार्यालय, बिल जमा करने की प्रणाली के स्तर पर कम्प्यूटर सुविधायें प्रदान कर उन्हें नेटवर्क के माध्यम से जोड दिया जावे। जितना पैसा उपभोक्ता भ्रष्टाचार के रूप में व्यय करता है उसका थोडा सा हिस्सा भी इस व्यवस्था हेतु उपभोक्ताओं से रसीद के माध्यम से लिया जावे तो इस कम्प्यूटरीकरण का सारा व्यय सहज ही पूरा किया जा सकता है। इस तरह के कम्प्यूटरीकरण से सबके साथ समान व्यवहार, नियमानुसार खर्च, सुरक्षानिधि की लोड के समानुपातिक निद्गिचत राद्गिा, कनेक्द्गान में लगने वाला समय, बिलिंग आदि में पूर्ण पारदद्गर्िाता अर्जित की जा सकती है।

विद्युत क्षेत्र में सुधार हेतु राष्ट्रीय स्तर पर ढेर सारा व्यय एवं नित नये प्रयोग हो रहे है। ऐसे समय में विद्युत वितरण प्रणाली में कम्प्यूटरीकरण समय की अनिवार्य आवश्यकता है।





विवेक रंजन श्रीवास्तव

24 मई, 2010

सीमेंट प्लांट की गर्म गैस से बनेगी बिजली, कारखाने में लगेगा कोजनरेशन बिजली संयत्र

सीमेंट प्लांट की गर्म गैस से बनेगी बिजली, कारखाने में लगेगा कोजनरेशन बिजली संयत्र




इसमें कोयले का इस्तेमाल नहीं होने से हर साल हजारों टन कार्बन गैसें वायुमंडल में जाने से बच सकेंगी। साथ ही गर्म गैसों से तो पर्यावरण बचेगा ही।

कोयला नहीं लगने से लागत चार पांच साल में वसूल हो जाएगी। उसके बाद कारखाने को १९.५ मेगावाट बिजली लगभग निःशुल्क मिल सकेगी।

१९.५ मेगावाट बिजली के लिए हर माह पांच हजार टन कोयले की जरूरत होती है।

म.प्र. का एक सीमेंट प्लांट अपने यहां उत्पन्न होने वाली गर्म गैस से बिजली बनाएगा। इसके लिए वहां दो संयंत्र लगाए जा रहे हैं जिनसे कुल १९.५ मेगावाट बिजली पैदा की जाएगी। ऐसा करने वाला सतना सीमेंट प्रदेश का पहला कारखाना बन जाएगा।

सतना सीमेंट की दो इकाइयों में हर दिन हजारों टन गर्म गैसें पैदा होती हैं जिन्हें चिमनी के जरिये वातावरण में छोड़ा जाता है। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सुझाव पर सीमेंट कंपनी ने दोनों इकाइयों (सतना सीमेंट और बिड़ला विकास सीमेंट) में पैदा होने वाली गर्म गैसों से बिजली बनाने का फैसला लिया।

16 मई, 2010

बस बनी इलेक्ट्रिक शवदाह गृह

बिजली ने मचाया मृत्यु का तांडव बस बनी इलेक्ट्रिक शवदाह गृह




रिपोर्ट .. विवेक रंजन श्रीवास्तव

००९४२५८०६२५२

vivekranjan.vinamra@gmail.com

जिला मण्डला ,म.प्र. ,भारत . सुभरिया गांव में रूपसिंह आदिवासी के बेटे रमेश की बारात दो बस तथा एक जीप से गुरूवार को दोनी गांव आई थी। शादी के बाद शुक्रवार १४ मई २०१० को सुबह ८.४५ बजे बारात वापस सुभरिया गांव की ओर रवाना हुईं। दोनी से २ किलोमीटर सूरजपुर गांव के पास कच्ची सड़क पर सबसे आगे चल रही बस क्रमांक एमपी २० जी ५१७६ के ऊपर रखी दहेज में उपहार स्वरूप मिली लोहे की अलमारी ११ किलोवोल्ट के बिजली तारों से टकरा गई। बस के बिजली तार से टकराते ही करंट फैलने लगा और बाराती महिलाएं चीख पुकार मचाने लगी। करंट फैलते ही बस के गेट पर खड़े ६ लोग तथा ड्रायवर -कंडक्टर बस से कूद गए और देखते ही देखते करंट से बस में सवार २८ लोगों की मौत हो गई। घटना इतनी वीभत्स थी कि कई लोगों के शरीर फट गए थे।प्रदेश सरकार ने मृतको के परिवार जनो को प्रति व्यक्ति एक लाख रुपयो के अनुदान की घोषणा की है .

इस दुर्घटना से ११ किलोवोल्ट की लाइन की सड़क क्रासिंग पर गार्डिग न होना , मानक ग्राउंड क्लियरेंस न होना , गर्मी के कारण तारों का सैग होना , व ट्रांस्पोर्टेशन में ओवर लोडिंग , बस की छत पर बेहिसाब सामान रखना जैसे कई बिन्दु प्रश्न चिन्ह बनकर उठ खड़े हुये हैं , जिनके उत्तर बेहतर है कि हम अगली ऐसी ही कोई दुर्गटना होने से पहले ले दें लें तो ठीक होगा .

04 मई, 2010

ई मेल एड्रेस का पंजीकरण कानूनी रूप से जरूरी हो

नव विचार




ई मेल एड्रेस का पंजीकरण कानूनी रूप से जरूरी हो



इंजी विवेक रंजन श्रीवास्तव

ओ बी ११ विद्युत मण्डल कालोनी रामपुर जबलपुर

vivekranjan.vinamra@gmail.com

मो 9425806252





इंटरनेट से जुड़ी आज की दुनिया में प्रत्येक व्यक्ति का ई मेल एड्रेस होना एक अनिवार्यता बन चुका है ! ई गवर्नेंस पेपर लैस बैंकिंग तथा रोजमर्रा के विभिन्न कार्यो हेतु कम्प्यूटर व इंटरनेट का उपयोग बढ़ता जा रहा है ! मोबाइल के द्वारा इंटरनेट सुविधा ब्राडबैंड , ३जी सेवाओ आदि की बढ़ती देशव्यापी पहुंच से एवं इनके माध्यम से त्वरित वैश्विक संपर्क सुविधा के कारण अब हर व्यक्ति के लिये ईमेल पता बनाना जरूरी सा हो चला है . नई पीढ़ी की कम्प्यूटर साक्षरता स्कूलो के पाठ्यक्रम के माध्यम से सुनिश्चित हो चली है . समय के साथ अद्यतन रहने के लिये बुजुर्ग पीढ़ी की कम्प्यूटर के प्रति अभिरुचि भी तेजी से बढ़ी है . ई मेल के माध्यम से न केवल टैक्सट वरन , फोटो , ध्वनि , वीडियो इत्यादि भी उतनी ही आसानी से भेजे जाने की तकनीकी सुविधा के चलते ई मेल का महत्व बढ़ता ही जा रहा है .हिन्दी व अन्य क्षेत्रीय भाषाओ में साफ्टवेयर की उपलब्धता तथा एक ही मशीन से किसी भी भाषा में काम करने की सुगमता के कारण जैसे जैसे कम्प्यूटर का प्रयोग व उपयोगकर्ताओ की संख्या बढ़ रही है , ई मेल और भी प्रासंगिक होता जा रहा है .ई मेल के माध्यम से सारी दुनियां में किसी भी इंटरनेट से जुड़े हुये कम्प्यूटर पर बैठकर केवल अपने पासवर्ड से ईमेल के द्वारा आप अपनी डाक देख सकते हैं व बिना कोई सामग्री साथ लिये अपने ई मेल एकाउंट में सुरक्षित सामग्री का उपयोग कर पत्राचार कर सकते हैं . यह असाधारण सुविधा तकनीक का , युग को एक वरदान है .



आज लगभग हर संस्थान अपनी वेब साइट स्थापित करता जा रहा है . विजिटंग कार्ड में ई मेल पता , वेब एड्रेस , ब्लाग का पता होना अनिवार्य सा हो चला है .किसी संस्थान का कोई फार्म भरना हो , आपसे आपका ई मेल पता पूछा ही जाता है .हार्ड कापी में जानकारी तभी आवश्यक हो जाती है , जब उसका कोई कानूनी महत्व हो , अन्यथा वेब की वर्चुएल दुनियां में ई मेल के जरिये ही ढ़ेरो जानकारी ली दी जा रही हैं . मीडिया का तो लगभग अधिकांश कार्य ही ई मेल के माध्यम से हो रहा है .



विभिन्न कंपनियां जैसे गूगल , याहू , हाटमेल , रैडिफ , आदि मुफ्त में अपने सर्वर के माध्यम से ई मेल पता बनाने व उसके उपयोग की सुविधा सभी को दे रही हैं .ये कंपनियां आपको वेब पर फ्री स्पेस भी उपलब्ध करवाती हैं , जिसमें आप अपने डाटा स्टोर कर सकते हैं . क्लिक हिट्स के द्वारा इन कंपनियों की साइट की लोकप्रियता तय की जाती है , व तदनुसार ही साइट पर विज्ञापनो की दर निर्धारित होती है जिसके माध्यम से इन कंपनियो को धनार्जन होता हैं .



ई मेल की इस सुविधा के विस्तार के साथ ही इसकी कुछ सीमायें व कमियां भी स्पष्ट हो रही हैं .मुफ्त सेवा होने के कारण हर व्यक्ति लगभग हर प्रोवाइडर के पास मामूली सी जानकारियां भरकर , जिनका कोई सत्यापन नही किया जाता , अपना ई मेल एकाउंट बना लेता है . ढ़ेरो फर्जी ई मेल एकाउंट से साइबर क्राइम बढ़ता ही जा रहा है .वेब पर पोर्नसाइट्स की बाढ़ सी आ गई है . आतंकी गतिविधियों में पिछले दिनो हमने देखा कि ई मेल के ही माध्यम से धमकी दी जाती है या किसी घटना की जबाबदारी मीडिया को मेल भेजकर ही ली गई . यद्यपि वेब आई पी एड्रेस के जरिये आई टी विशेषज्ञो की मदद से पोलिस उस कम्प्यूटर तक पहुंच गई जहां से ऐसे मेल भेजे गये थे , पर इस सब में ढ़ेर सा श्रम , समय व धन नष्ट होता है .चूंकि एक ही कम्प्यूटर अनेक प्रयोक्ताओ के द्वारा उपयोग किया जा सकता है , विशेष रूप से इंटरनेट कैफे , या कार्यालयों में इस कारण इस तरह के साइबर अपराध होने पर व्यक्ति विशेष की जबाबदारी तय करने में बहुत कठिनाई होती है .



अब समय आ गया है कि ई मेल एड्रेस का पंजीकरण कानूनी रूप से जरूरी किया जावे . जब जन्म , मृत्यु , विवाह , ड्राइविंग लाईसेंस ,पैन कार्ड , पासपोर्ट , राशन कार्ड , जैसे ढ़ेरो कार्य समुचित कार्यालयो के द्वारा निर्धारित पंजियन के बाद ही होते हैं तो इंटरनेट पर यह अराजकता क्यो ? ईमेल एकाउंट के पंजियन से धारक का डाक्यूमेंटेड सत्यापन हो सकेगा तथा इसके लिये निर्धारित शुल्क से शासन की अच्छी खासी आय हो सकेगी . पंजियन आवश्यक हो जाने पर लोग नये नये व्यर्थ ईमेल एकाउंट नही बनायेंगे , जिससे वेब स्पेस बचेगी , वेब स्पेस बनाने के लिये जो हार्डवेयर लगता है , उसके उत्पादन से जो पर्यावरण ह्रास हो रहा है वह बचेगा , इस तरह इसके दीर्घकालिक , बहुकोणीय लाभ होंगे . जब ईमेल उपयोगकर्ता वास्तविक हो जायेगा तो उसके द्वारा नेट पर किये गये कार्यो हेतु उसकी जबाबदारी तय की जा सकेगी . हैकिंग से किसी सीमा तक छुटकारा मिल सकेगा . वेब से पोर्नसाइट्स गायब होने लगेंगी , व इससे जुड़े अपराध स्वयमेव नियंत्रित होंगे तथा सैक्स को लेकर बच्चो के चारित्रिक पतन पर कुछ नियंत्रण हो सकेगा .

चूंकि इंटरनेट वैश्विक गतिविधियो का सरल , सस्ता व सुगम संसाधन है , यदि जरूरी हो तो ईमेल पंजियन की आवश्यकता को भारत को विश्व मंच पर उठाना चाहिये , मेरा अनुमान है कि इसे सहज ही विश्व की सभी सरकारो का समर्थन मिलेगा क्योंकि वैश्विक स्तर पर माफिया आतंकी अपराधो के उन्मूलन में भी इससे सहयोग ही मिलेगा .



इंजी विवेक रंजन श्रीवास्तव

ओ बी ११ विद्युत मण्डल कालोनी रामपुर जबलपुर

vivekranjan.vinamra@gmail.com

मो 9425806252



लेखक को नवाचार व रचनात्मक साहित्यिक गतिविधियो के लिये रेड एण्ड व्हाइट पुरुस्कार मिल चुका है .

25 अप्रैल, 2010

५७ करोड़ के बांड्स का भुगतान नहीं करने पर कार्रवाई विमं के खाते सीज



एक पैसा नहीं खाते में

हालात चिंताजनक 


५७ करोड़ के बांड्स का भुगतान नहीं करने पर कार्रवाई
विमं के खाते सीज

मंडल के पास शुक्रवार को खाते में एक पैसा भी नहीं था। जानकारों के अनुसार, माइनस एक करो़ड़ रुपए का एकाउंट था यानि मंडल से बैंक को एक करो़ड़ रुपए की लेनदारी निकलती है। ऐसा ओवरड्राफ्ट के कारण हुआ।

मंडल ने एसएलआर बांड जारी किए थे। ये ऐसे बांड होते हैं जिनके रि-पेमेंट की पूरी गारंटी होती है। बांड्स को जारी करते वक्त राज्य और केन्द्र से भी अनुमति ली गई थी। ये देश का पहला मामला होगा जहां एसएलआर बांड्स का भुगतान नहीं किया गया।गोपाल अवस्थी

जबलपुर। वित्तीय संकट में फंसे विद्युत मंडल पर से मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। कर्मचारियों का वेतन देने प्रदेश सरकार का मुंह ताकने वाले मंडल के सामने अब पंजाब एंड सिंध बैंक ने आफत ख़ड़ी कर दी है। बैंक की याचिका पर डीआरटी दिल्ली ने मंडल के खातों को सीज कर दिया है।

उल्लेखनीय है कि विद्युत मंडल ने वर्ष २००० के आस-पास बांड जारी किए थे। इन बांड्स को पंजाब एंड सिंध बैंक ने भी लिया था। कुछ साल बाद इन बांड्स की री-पेमेंट के लिए बैंक ने जब पहल की तो मंडल ने असमर्थता जताई। मंडल द्वारा राशि देने से इंकार करने के कारण बैंक ने डेबिट रिकव्हरी ट्रिब्यूनल (डीआरटी) दिल्ली की शरण ली। बैंक का पक्ष सुनने के पश्चात डीआरटी ने उसकी ५७ करो़ड़ राशि के भुगतान हेतु मंडल के खाते अटैच करने का निर्देश जारी कर दिया।

घर तो सज गया पर बिजली हो सकती है गुल ..... सानिया अपनी पाकिस्तानी ससुराल में


घर तो सज गया पर बिजली हो सकती है गुल ..... सानिया अपनी पाकिस्तानी ससुराल में 

आज के दावत -ए -वलीमा के लिए पाक क्रिकेटर शोएब मलिक के घर को सजा दिया गया है। इलेक्ट्रिक लाइटों से भी घर को इस तरह से सजाया गया है कि रात को रोशनी की महफिल से शमां बेहद खूबसूरत लगे और दावत- ए- वलीमा में आए मेहमानों का शानदार स्वागत किया जा सके। लेकिन शोएब का परिवार सरकार के बिजली अधिकारियों से नाराज चल रहा है और सभी लाइट्स को घर से उतार लिया गया है और कहा गया है कि अगर सरकार चाहती है कि हम अपना दावत ए वलीमा अंधेरे में मनाए तो हम ऐसा ही करेंगे।

पाक मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार पंजाब प्रांत की संघीय सरकार इन दिनों बिजली बचाने के लिए सप्ताह में दो दिन बिजली बचाने के लिए लाइट्स ऑफ रखने का आदेश दे रखा है। इसी को देखते हुए बिजली अधिकारियों ने शोएब के परिवार को भी बिजली बचाने के लिए स्विच ऑफ रखने के आदेश दिए हैं। हालांकि परिवार ने इस संबंध में बड़े अधिकारियों से संपर्क कर अपना विरोध जताया है लेकिन अधिकारियों का कहना है कि सरकार बिजली बचाने को लेकर बेहद सख्त रूख अपनाई हुई है इसलिए हम कुछ नहीं कर सकते।



क्या हमारे लिये भी सोचने और कानून बनाने का समय आ गया है कि शादी में बिजली की फिजूल खर्ची रोकी जावे