26 मार्च, 2012

सौर, परमाणु ऊर्जा में कोरियाई निवेश का न्योता

प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह की कोरियाई सीईओ से चर्चा
सौर, परमाणु ऊर्जा में निवेश का न्योता

उत्तर कोरिया को लेकर अमेरिका और दक्षिण कोरिया की ओर से निरंतर आ रहे चेतावनी भरे बयानों के बीच चीन के राष्ट्रपति हू जिन्ताओ ने सोमवार को कहा कि कोरियाई प्रायद्वीप की शांति व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सब पक्षों को सहयोग करना चाहिए। शिन्हुआ संवाद समिति के मुताबिक श्री हू ने कहा कि मौजूद समय में कोरियाई प्रायद्वीप की स्थिति बहुत पेचीदा बनी हुई है। बहुत मुश्किल से हासिल हुई शांति व्यवस्था को हम यूं ही गंवा देना नहीं चाहेंगे। इस बीच उन्होंने सभी पक्षों से तनाव को ब़ढ़ावा नहीं देने के लिए संयम से काम लेने की सलाह दी।

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि वह परमाणु हथियार मुक्त विश्व का निर्माण करना चाहते हैं और परमाणु प्रसार रोकने के लिए प्रतिबद्ध हैं। दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल में ५३ देशों की १२वीं परमाणु शिखर वार्ता शुरू होने से पहले श्री ओबामा ने कहा कि परमाणु आतंकवाद का खतरा अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अब भी काफी बड़ी चुनौती है। लिहाजा सोल में हमें इस मुद्दे पर अपने रुख पर कायम रहने की जरूरत है। श्री ओबामा ने यह आश्वासन भी दिया कि अमेरिका अपनी सामरिक और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं पर कायम रहते हुए अपने परमाणु हथियारों के जखीरे को सीमित कर सकता है।

उत्तर कोरिया को लेकर अमेरिका और दक्षिण कोरिया की ओर से निरंतर आ रहे चेतावनी भरे बयानों के बीच चीन के राष्ट्रपति हू जिन्ताओ ने सोमवार को कहा कि कोरियाई प्रायद्वीप की शांति व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सब पक्षों को सहयोग करना चाहिए। शिन्हुआ संवाद समिति के मुताबिक श्री हू ने कहा कि मौजूद समय में कोरियाई प्रायद्वीप की स्थिति बहुत पेचीदा बनी हुई है। बहुत मुश्किल से हासिल हुई शांति व्यवस्था को हम यूं ही गंवा देना नहीं चाहेंगे। इस बीच उन्होंने सभी पक्षों से तनाव को ब़ढ़ावा नहीं देने के लिए संयम से काम लेने की सलाह दी।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि वह परमाणु हथियार मुक्त विश्व का निर्माण करना चाहते हैं और परमाणु प्रसार रोकने के लिए प्रतिबद्ध हैं। दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल में ५३ देशों की १२वीं परमाणु शिखर वार्ता शुरू होने से पहले श्री ओबामा ने कहा कि परमाणु आतंकवाद का खतरा अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अब भी काफी बड़ी चुनौती है। लिहाजा सोल में हमें इस मुद्दे पर अपने रुख पर कायम रहने की जरूरत है। श्री ओबामा ने यह आश्वासन भी दिया कि अमेरिका अपनी सामरिक और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं पर कायम रहते हुए अपने परमाणु हथियारों के जखीरे को सीमित कर सकता है।


डॉ. सिंह ने दक्षिण कोरिया के वरिष्ठ सीईओ के एक समूह को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ऊर्जा क्षमता बढ़ाने के प्रति दृढ़-संकल्पित है और इसमें वह सौर और परमाणु बिजली जैसे कभी न खत्म होने वाले स्रोतों को भी हिस्सा बनाना चाहता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वे पर्यावरण हितैषी तकनीक के मामले में कोरिया की क्षमता को जानते हैं। प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति ली म्यूंग-बाक के अनुरोध के बाद आई है कि भारत सरकार देश में कोरियाई परमाणु रिएक्टर स्थापित करने के लिए जमीन दे।

डॉ. सिंह के साथ बैठक में कोरिया इलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन के किम जून-क्यूम भी उपस्थित थे, जिनकी परमाणु बिजली में रुचि है। कोरिया की ४५ प्रतिशत बिजली जरूरत परमाणु रिएक्टरों से पूरी होती है।

पोस्को परियोजना आगे बढ़ेगी

भारत ने दक्षिण कोरिया को आश्वस्त किया है कि वह ओडिशा में प्रस्तावित ५२ हजार करोड़ रु. की पोस्को परियोजना को आगे बढ़ाएगा। स्थानीय विरोध के कारण यह परियोजना अभी तक शुरू नहीं हो सकी है। सीईओ की बैठक में डॉ. सिंह ने कहा कि प्रक्रिया धीमी हो सकती है, लेकिन समस्याओं और मतभेदों के समाधान के लिए प्रभावी तंत्र और मजबूत कानून व्यवस्था भी देश में है। सरकार पोस्को परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है और इस दिशा में कुछ प्रगति भी हुई है।

24 मार्च, 2012

सौर तापीय ऊर्जा

सौर तापीय ऊर्जा

डॉ. चेतनसिंह सोलंकी

वह ऊर्जा जो हम अपनी दैनिक जीवन में उपयोग करते हैं, कई रूपों में हम तक पहुँचती है जैसे विद्युतीय ऊर्जा, तापीय ऊर्जा, यांत्रिक ऊर्जा, सौर ऊर्जा आदि। तापीय ऊर्जा, ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण रूप है। व्यावहारिक रूप से हम तापीय ऊर्जा को तापमान से जोड़ते हैं। विज्ञान में, किसी वस्तु का गर्म व ठंडा होना तापीय ऊर्जा के स्थानांतरण से संबंधित है। हमारे दैनिक जीवन में हम अनेक अनुप्रयोगों में तापीय ऊर्जा का उपयोग करते हैं, उदाहरण के लिए हमें पानी गर्म करने के लिए तापीय ऊर्जा की आवश्यकता होती है, हमारा खाना पकाने के लिए तापीय ऊर्जा की आवश्यकता होती है आदि। उद्योगों में विभिन्ना सामग्रियों, रसायनों आदि को गर्म करने हेतु तापीय ऊर्जा की आवश्यकता होती है। पारंपरिक कोयला एवं नाभिकीय पावर प्लांट्स में हमें भाप उत्पादित करने हेतु तापीय ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जिसका बाद में विद्युत उत्पादन हेतु उपयोग होता है।

सामान्यतः हम विभिन्ना प्रकार के ईंधन जलाकर तापीय ऊर्जा प्राप्त करते हैं। गाँवों में लोग खाना पकाने हेतु तापीय ऊर्जा प्राप्त करने के लिए लकड़ी जलाते हैं। शहरी क्षेत्रों में खाना पकाने के लिए लोग एलपीजी का उपयोग करते हैं। थर्मल पावर प्लांट्स में तापीय ऊर्जा प्राप्त करने के लिए हम कोयला जलाते हैं, जिसका बाद में भाप के उत्पादन एवं तत्पश्चात विद्युत के उत्पादन में उपयोग होता है। नाभिकीय पावर प्लांट्स में हम तापीय ऊर्जा प्राप्त करने हेतु नाभिकीय ईंधन का उपयोग करते हैं। तापीय ऊर्जा के लिए ये सभी ईंधन स्रोत प्रकृति में सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं एवं, तब जब कि हम विद्युत उत्पादन हेतु वैकल्पिक स्रोत तलाश रहे हैं, हमें तापीय ऊर्जा उत्पादन के लिए भी वैकल्पिक तरीके तलाशने चाहिए।

सौर ऊर्जा प्रचुर मात्रा में है एवं यह कभी न समाप्त होने वाला ऊर्जा का स्रोत है। सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा एवं साथ ही साथ तापीय ऊर्जा में भी रूपांतरित किया जा सकता है। सौर ऊर्जा का तापीय ऊर्जा में रूपांतरण बहुत सरल है। उदाहरण के लिए हम महसूस करते हैं कि सूर्य प्रकाश में रखी हुई वस्तु गर्म हो जाती है, वस्तु का इस तरह सूर्य प्रकाश में गर्म होना और कुछ नहीं बल्कि सौर ऊर्जा का तापीय ऊर्जा में रूपांतरण है। हमारे कपड़ों का सूर्य प्रकाश में सूखना सौर ऊर्जा से तापीय ऊर्जा में रूपांतरण का एक अन्य उदाहरण है। सूर्य प्रकाश में गीले कपड़ों का पानी गर्म हो जाता है, वह वाष्पीकृत होता है एवं कपड़े सूख जाते हैं।

तथापि, सौर ऊर्जा से उपयोगी तापीय ऊर्जा प्राप्त करने के लिए, विशेषतः उच्च तापमान पर, हमें विशेष रूप से डिजाइन किए हुए सौर तापीय युक्तियों की आवश्यकता होगी। आजकल लोग सौर तापीय ऊर्जा का उपयोग पानी गर्म करने, खाना पकाने, रसायनों को गर्म करने, भाप के उत्पादन आदि में करते हैं। सौर ऊर्जा को तापीय ऊर्जा में रूपांतरित किया जा सकता है एवं तापमान की एक बड़ी रेंज प्राप्त की जा सकती है। सौर ऊर्जा का उपयोग कर, हम १००० डि.सें. तक का उच्च तापमान प्राप्त कर सकते हैं। सौर वाटर हीटर में, पानी ६० से ८० डि.सें. तक गर्म किया जा सकता है। सौर कुकिंग में, तापमान ७० से ३०० डि.सें. तक प्राप्त किया जा सकता है। बल्कि सौर तापीय ऊर्जा के उपयोग से और अधिक उच्च तापमान भी प्राप्त किया जा सकता है, जिस पर धातु व लवण भी पिघल सकते हैं। सौर तापमान का उपयोग कर उच्च तापमान प्राप्त करने के लिए, प्रकाश का संकेन्द्रण, जैसा कि हम दूरदर्शी काँचों में करते हैं, किया जाता है।

सोलर या सौर वाटर हीटर एवं सौर कुकर बहुत ही साधारण युक्तियाँ हैं जिनमें सौर ऊर्जा सौर तापीय ऊर्जा में रूपांतरित की जाती है। भारत में पानी गर्म करने के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग बहुत ही सफल है। सौर कुकिंग सरल एवं सस्ता है परंतु आमतौर पर उपयोग नहीं किया जाता, असुविधा की वजह से। भारत में, विद्युत उत्पादन के लिए सोलर थर्मल या सौर तापीय पावर "प्लांट्स स्थापित लिए गए हैं। भारत में तापीय ऊर्जा के अनुप्रयोगों के लिए सौर ऊर्जा के उपयोग में भविष्य बहुत उजला है। सौर तापीय ऊर्जा आर्थिक रूप से व्यावहारिक है एवं पारंपरिक जीवाश्म ईंधनों से होने वाले प्रदूषण से भी बचाता है। यह हमारे अपने ऊर्जा स्रोतों की सुरक्षा में भी हमें स्वतंत्रता प्रदान करता है।

(लेखक आईआईटी, मुंबई में एसोसिएट प्रोफेसर हैं और सौर ऊर्जा पर शोध कर रहे हैं।)sabhar ..naidunia

10 मार्च, 2012

प्रदेश की पहली निजी ताप बिजली ७ मार्च को विद्युत मंडल के तंत्र में .....

प्रदेश की पहली निजी ताप बिजली ७ मार्च को विद्युत मंडल के तंत्र में .....

गाडरवारा में बीएलए ग्रुप द्वारा ४५ मेगावाट क्षमता वाली दो यूनिटो की स्थापना की जा रही है। इसमें से एक यूनिट ने बिजली उत्पादन प्रारंभ कर दिया है। ७ मार्च को इस यूनिट से उत्पादित बिजली विद्युत मंडल के पारेषण सिस्टम के जरिये वितरणके लिये उपलब्ध की गई . बीएलए ने अपने पावर प्लांट से उत्पादित बिजली में ३३ फीसदी बिजली प्रदेश को देने का करार किया है। विद्युत मंडल के सचिव और पावर ट्रेडिंग कंपनी के एमडी पीके वैश्य ने इस बात की पुष्टि की कि गाडरवारा निजी प्लांट से उत्पादित बिजली हमारे सिस्टम में दी गई . उन्होंने बताया कि अभी बिजली उत्पादन की टेस्टिंग चल रही है। पूर्ण रूप से बिजली मिलने में लगभग एक माह का समय लगेगा।

ओबामा ने 30 साल बाद पहली बार नया रिएक्टर बनाने की अनुमति दी

जापान में परमाणु हादसे के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 30 साल बाद पहली बार नया रिएक्टर बनाने की अनुमति दी है. जॉर्जिया राज्य में 14 अरब डॉलर के दो नए रिएक्टर बनेंगे. लेकिन फिर भी परमाणु ऊर्जा पर आशंका बढ़ी है.

अमेरिका में ही नहीं, भारत सहित एशिया के दूसरे बड़े देश भी परमाणु तकनीक में बड़ी दिलचस्पी ले रहे हैं. ऊर्जा की तेजी से बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए भारत और चीन अगले सालों में दर्जनों परमाणु रिएक्टर बनाएंगे. जापान में परमाणु हादसे के बावजूद इन सरकारों की सोच में कोई बदलाव नहीं आया है. कई देश जिन्होंने पहले कभी परमाणु ऊर्जा के बारे में नहीं सोचा था, अब धीरे धीरे उसकी तरफ बढ़ रहे हैं.

बिजली के लिए पोलैंड अब तक कोयले पर निर्भर था, लेकिन अब परमाणु ऊर्जा उसे आकर्षक लग रही है. जब जर्मनी ने 2028 तक परमाणु ऊर्जा पर निर्भरता खत्म करने का फैसला लिया, तो पोलैंड के प्रधानमंत्री ने कहा, "जिसे परमाणु रिएक्टर नहीं बनाना है, वह उसकी समस्या है. हम इस बीच पूरा विश्वास करते हैं कि परमाणु ऊर्जा एक अच्छा विकल्प है, जहां तक ऊर्जा पैदा करने का सवाल है."

लेकिन पोलैंड की योजना कब तक और कैसे पूरी होगी, यह पता नहीं चला है. बर्लिन में पर्यावरण वैज्ञानिक लुत्स मेत्स कहते हैं कि पोलैंड को इस दिशा में बहुत तैयारी करनी है. क्योंकि देश में परमाणु ऊर्जा के लिए विश्लेषक नहीं है जो रिक्टर चला सकें. साथ ही सरकारी लाइसेंस और नियंत्रण के लिए भी लोग मौजूद नहीं है. वे कहते हैं कि इस तरह की संस्था बनाने में ही 15 साल लग जाते हैं और योजना और उम्मीद का मतलब नहीं है कि प्रॉजेक्ट सच में चलने लगेगा.


पहले की तरह अब भी ऐसे देश हैं जो भविष्य में बिजली के लिए परमाणु ऊर्जा पर निर्भर होंगे. लेकिन यूरोपीय संसद में परमाणु राजनीतिज्ञ रेबेका हार्म्स का मानना है कि परमाणु रिएक्टरों की संख्या में औसतन कमी आएगी. डॉयचे वेले से इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि लोग इससे पीछे हट रहे हैं. अगले दशकों में नए रिएक्टर बनेंगे, लेकिन 2030 से 2035 तक इनमें कमी आएगी.

लुत्स मेत्स का भी यही मानना है. फ्रांस में यूरोप के सबसे ज्यादा परमाणु रिएक्टर हैं, लेकिन वहां भी सोच बदल रही है. खास कर इसलिए कि ऊर्जा की जरूरत चढ़ती और गिरती रहती है जिसकी वजह से ऐसे रिएक्टरों की जरूरत है जिन्हें चलाया और फिर आसानी से बंद किया जा सके. परमाणु रिएक्टरों में ऐसा करना संभव नहीं है. लुत्स कहते हैं, "मिसाल के तौर पर, काम खत्म होने के बाद जब लोग घर जाते हैं तो बिजली का इस्तेमाल ज्यादा होता है. यह आप नहीं रोक सकते."

अगले कुछ हफ्तों में फ्रांस में नए राष्ट्रपति का चुनाव हो रहा है. निकोला सारकोजी को चुनौती दे रहे फ्रांसोआ ओलांद चाहते हैं कि देश में बिजली की खपत 75 से 50 प्रतिशत कम होगी. चुनाव कार्यक्रम के मुताबिक जर्मनी की सरहद पर फेसेनहाइम के रिएक्टर को बंद करने की बात कही जा रही है.


विकासशील देशों की हालांकि परेशानी कुछ और ही है. हर साल चीन को 60,000 मेगावॉट बिजली के लिए नए रिएक्टर बनाने पड़ते हैं ताकि वह अपने विकास को बनाए रखे. लुत्स मानते हैं कि इन हालात में परमाणु ऊर्जा की भूमिका कम है. चीन हर साल 500 मेगावॉट का कोयला वाला रिएक्टर बनाता है और पिछले कुछ सालों में नवीनीकृत ऊर्जा का भी इस्तेमाल कर रहा है. चीन में परमाणु ऊर्जा देश की केवल दो प्रतिशत जरूरतों को पूरा करता है. भारत में भी यही हालत है. फ्रांस में बिजली की ज्यादा खपत है क्योंकि देश भर में सर्दी से बचने के लिए चल रहे हीटर बिजली से चलते हैं.

परमाणु रिएक्टरों की सुरक्षा तो एक बात है, लेकिन इससे बड़ी परेशानी इन्हें बनाने के लिए पैसा लाना है. एक गैस रिएक्टर में परमाणु रिएक्टर के मुकाबले दस गुना कम पैसा लगता है. एक परमाणु रिएक्टर बनाने का दाम, रिबेका हार्म्स के मुताबिक सात अरब यूरो यानि 450 अरब रुपए है. जर्मनी के लोअर सेक्सनी राज्य में आसे परमाणु रिएक्टर से निकला कचरा जमीन में घुसकर वहां पानी को खराब कर रहा है. इसे साफ करने में हजारों साल लगेंगे. मेत्स कहते हैं कि इस तरह का निवेश करने का मतलब है कि सालों साल इसमें पैसे लगते रहेंगे. अब भी परमाणु कचरे को सुरक्षित रखने का कोई तरीका नहीं मिल पाया है और पुराने रिएक्टरों को खत्म करने की तकनीक भी विकसित नहीं की गई है.

1974 में ही अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसी ने कहा था कि 2000 तक परमाणु रिएक्टरों से 4,500 गीगावॉट बिजली निकलेगी. 2010 तक यह संख्या हालांकि केवल 375 गीगावॉट रही और भविष्य में इसके और कम होने की संभावना है.