सीमेंट प्लांट की गर्म गैस से बनेगी बिजली, कारखाने में लगेगा कोजनरेशन बिजली संयत्र
इसमें कोयले का इस्तेमाल नहीं होने से हर साल हजारों टन कार्बन गैसें वायुमंडल में जाने से बच सकेंगी। साथ ही गर्म गैसों से तो पर्यावरण बचेगा ही।
कोयला नहीं लगने से लागत चार पांच साल में वसूल हो जाएगी। उसके बाद कारखाने को १९.५ मेगावाट बिजली लगभग निःशुल्क मिल सकेगी।
१९.५ मेगावाट बिजली के लिए हर माह पांच हजार टन कोयले की जरूरत होती है।
म.प्र. का एक सीमेंट प्लांट अपने यहां उत्पन्न होने वाली गर्म गैस से बिजली बनाएगा। इसके लिए वहां दो संयंत्र लगाए जा रहे हैं जिनसे कुल १९.५ मेगावाट बिजली पैदा की जाएगी। ऐसा करने वाला सतना सीमेंट प्रदेश का पहला कारखाना बन जाएगा।
सतना सीमेंट की दो इकाइयों में हर दिन हजारों टन गर्म गैसें पैदा होती हैं जिन्हें चिमनी के जरिये वातावरण में छोड़ा जाता है। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सुझाव पर सीमेंट कंपनी ने दोनों इकाइयों (सतना सीमेंट और बिड़ला विकास सीमेंट) में पैदा होने वाली गर्म गैसों से बिजली बनाने का फैसला लिया।
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