26 जुलाई, 2008

वर्तमान बिजली संकट का एक मात्र समाधान परमाणु बिजली घर


वर्तमान बिजली संकट का एक मात्र समाधान परमाणु बिजली घर :
संदर्भ बरगी जलाषय पर चुटका परियोजना

विवेकरंजन श्रीवास्तव

रामपुर, जबलपुर
मोण्नंण् 9425484452


देष के व्यापी वर्तमान विद्युत संकट से निपटने का एक बड़ा कारगर तरीका परमाणु विद्युत का उत्पादन ही है। यह बिजली अपेक्षाकृत सस्ती होती है, एवं प्रचुर मात्रा में उत्पादित की जा सकती है। थोरियम आधारित, परमाणु बिजलीघर पूरी तरह आत्मनिर्भर टेक्नालॉजी एवं कच्चे माल वाले, बिजलीघर प्रमाणित हो सकते है । ये परमाणु शक्ति के शांतिपूर्ण उपयोग के, रचनात्मक, वैज्ञानिक वरदान बन सकते है। परमाणु बिजलीघरों में केवल प्रारंभिक लागत एवं निर्माण समय ही वह निवेष है, जो हमारे ऊर्जा नेटवर्क में, कोर खपत की बिजली न्यूनतम मेंटेनेंस पीरियड के साथ, निरंतर दे सकता है ।

वर्ष 1984 में केन्द्र शासन ने देष में परमाणु बिजलीघर की स्थापना हेतु वैचारिक स्वीकृति के साथ उपयुक्त स्थल का चयन करने हेतु सर्वेक्षण का कार्य राज्य सरकारों के सहयोग से किया। तब मैं विद्युत मडंल के सर्वेक्षण एवं अनुसंधान संकाय में कार्यरत था। परमाणु बिजलीघर की स्थापना हेतु कम आबादी का, समुचित सुरक्षित ऐसा स्थान आवष्यक था, जिसके निकट प्रचुर मात्रा में पानी हो, क्योंकि हैवी वाटर बनाने, बिजलीघर के टरबाइन को गति देने हेतु, परमाणु ऊर्जा से उत्पन्न उष्मा से वाष्प बनाने के लिये पानी ही वह कच्चा माल है, जो व्यापक रूप से खपत होता है। थोरियम या यूरेनियम आदि परमाणु रिएक्टेर में लगने वाला पदार्थ, जिसके विखण्डन से नाभिकीय ऊर्जा प्राप्त की जाती है, बहुत कम मात्रा में लगता है, एवं वह कहीं भी लाया जा सकता है। परमाणु बिजलीघर की सुरक्षित स्थापना हेतु राकी फाउन्डेषन वाला, खुला क्षेत्र आवष्यक होता है। उत्पादित विद्युत के वितरण हेतु हाईगि्रड पावर सिस्टम, इन दिनों प्रचलित है, जिससे देष के किसी भी भू-भाग पर उत्पादित बिजली, विभिन्न हाई टेंषन लाइन्स एवं सब स्टेषन्स के माध्यम से न्यूनतम संधारण व्यय में कहीं भी पहुंंचाई जा सकती है ।

ग्राउण्ड लेवल पर मेरे साथियों ने एवं मैने हैलीकाप्टर से साइट सेलेक्षन कमेटी के मुम्बई से आये विषेषज्ञों की टीम को, हमारे द्वारा मण्प्रण् में चयनित चार स्थलोंं का निरीक्षण करवाया था। ये स्थल क्रमष: षिवपुरी जिले में राजापुर, होषंगाबाद जिले में तवा बांध के निकट, राजघाट परियोजना के निकट किसलपुरी एवं मण्डला जिले में बरगी बांध के जलाषय के किनारे नारायणगंज के पास, पाठा, चुटका ग्राम में थे। मुझे समरण है, कि आवष्यक भूभाग के बराबर का कागज का टुकड़ा ´´टू द स्केल´´ काटकर, टोपोषीट पर रखकर मैने ही प्रारंभिक स्थल का चयन किया था, फिर उस स्थल का रेकी सर्वे, विस्तृत कंटूर सर्वे, ट्राइल पिट, पानी एवं जमीन की मिट्टी के नमूने, सेंसस के आंकड़े आदि एकत्रित कर अनेक रिपोट्Zस, दिये गये फार्मेट में तैयार की गई थी। चयन समिति की विजिट के समय मुझे उनके साथ भ्रमण करवाने का दायित्व दिया गया था, जिस कारण मैं समझ पाया था कि मण्प्रण् के चारों स्थ्लों मेें से चुटका का प्रस्तावित स्थल जो मण्डला जिले में स्थित है, ही सर्वश्रेष्ठ स्थल था, जो सारे मापदण्ड पूरे करता था।

संभवत: बाद में चेरनेविल परमाणु बिजलीघर, रूस में हुई दुघZटना के चलते, राजनीति के चलते या अन्य कारणो से केन्द्र सरकार के पास यह प्रस्ताव लगातार लबिंत रहा। बीच बीच में स्थानीय विकास की भावना से क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि विधानसभा एवं संसद में इस संबंध में प्रष्न उठाते रहे। अखबारों में बार बार मॉंग उठती रही चुटका परमाणु बिजलीघर के मामले में भी तत्कालीन विधायक दयाल सिंग तुमरांची, मोहन लाल िझकराम, फिर वर्तमान सांसद फंग्गन सिंग कुलस्ते आदि जन प्रतिनिधि व्यापक रूप से आवाज उठाते रहे है। जो नेता, पत्रकार आदि इस परियोजना से मेरे जुड़ाव को जानते थे, वे बार बार मुझसे जानकारी लेने के प्रयास भी करते रहे। किंतु कोई नये डेवलपमेंट नहीं हुये। केन्द्र सरकार के निर्णय हेतु ही प्रस्ताव लंबित रहा।

मण्प्रण् ने छत्तीसगढ़ के विघटन के साथ पावर हाउसों के बंटवारे का जो क्षेत्रीय दर्द, कोरबा पावर हाउस के छत्तीसगढ़ के हिस्से में आने से भोगा है, उसकी पूर्ति असंभव है। संयुक्त निवेष से कोरबा का पावर हाउस बना था, पर छत्तीसगढ़ बनने पर उसकी स्थिति के कारण सारा लाभ केवल छत्तीसगढ़ को मिला। मण्प्रण् विद्युत संकट से जूझने को मजबूर है। मंडला जिले को बरगी जलाषय की डूब के सिवा अब तक, बरगी बांध से कुछ नहीं मिला है। जिले की जनता को आषा थी, कि यदि चुटका परमाणु बिजली घर यहॉं बनता है, तो अरबों रूपयों का निवेष, रेल लाइन, हवाई अड्डा, क्षेत्र का विकास, विद्युत की प्रचुरता से विद्युत आधारित औद्योगिक विकास से पिछड़े हुये मडंला जिले का विकास होगा ।

वर्तमान युग पारदर्षिता के उच्च आदषZ का युग है। जनता से जुड़े ऐसे अहं, मसलो पर जनता को विष्वास में लेना जरूरी है। जनता को यह समझने का अधिकार है कि ´चुटका´ किन बिन्दुओ पर पिछड़ गया है। क्या ये रानैतिक कारण है ? क्या षुद्ध तकनीकी कारण है ? तकनीकी पहलुओं को समझने में मेरी विषेष अभिरूचि है । क्या यह अवसर सुलभ होगा ? भविष्य में क्या चुटका परमाणु बिजली घर भी स्वीकृत होगा ?

जो भी हो परमाणु विद्युत ग्रहो की स्थापना का प्रयास स्वागत योग्य है, क्योंकि देष इस समय अभूतपूर्व बिजली संकट से गुजर रहा है । विदेषी बैंक बिजली प्रणाली के विकास हेतु तो उधार दे रहे है, पर बिजली उत्पादन हेतु मौन है । बिजली विकास के लिये अनिवार्य आवष्यकता है । वर्ष 2012 तक सबके लिये पर्याप्त बिजली का नारा केन्द्र ने दिया है, इसकी पूर्ति तभी संभव है, तब बिजली उत्पादन को बढ़ावा दिया जावेगा । बिजली बनेगी, तो उसके बिकने की गारंटी है । बिजली घरों की स्थापना हेतु किये गये आज के प्रयास 5-10 बरसो बाद परिणाम देगेंं, अत: समय रहते उचित कदम उठाना, समय की आवष्यकता है । हम तकनीकी रूप से सक्षम हैं, केवल दृढ़ राजनैतिक इच्छाषक्ति की आवष्यकता है ।



विवेकरंजन श्रीवास्तव

रामपुर, जबलपुर
मोण्नंण् 9425484452

इस्लामिक कानून में चोरी की सजा हाथ काट देना है


इस्लामिक कानून में चोरी की सजा हाथ काट देना है , बिजली की चोरी करने वालों को क्या सजा दी जानी चाहिये ,बिजली चोरी रोकने में सहयोग कीजिये । टॉल ्रफी नंबर 12660 ण्पर विुत चोरी की सूचना दीजिये । हम सब एक hai. बिजली प्रगति चक्र की धुरी है .विुत तंत्र को मजबूत बनाने में सहभागी बनिये । बिजली सेवाओं को ` सेल्फ सर्विस - बुफे डिनर ` सा न समझें । विुत तंत्र में स्वयं सेवा दुघZटना को आमंत्रण है । नियमानुसार पारंगत, प्रमाणित इलेक्ट्रीषियन से फिटिंग करवायें एवं विधिवत कनेक्षन प्राप्त करें । समय से पूरा बिजली बिल चुकायें एवं बिजली सेवाओं में सुधार के भागीदार बनें । विुत चोरी की सूचना दीजिये । क्या आप चोरी का भोजन करते हैं ? क्या आप चोरी के वस्त्र पहनते हैं ? तो फिर , चोरी की बिजली का उपयोग क्यों ? ईमानदारी से, अपने बिजली बिल का समय पर पूरा भुगतान करें । विुत तंत्र राश्ट्र के सुदृड विकास हेतु अनिवार्य है । आइये इसके विकास में सहयोगी बनें । विुत चोरी की सूचना दीजिये । क्या आप अपने मोबाईल का, टेलीफोन का बिल जमा नहीं करते ? क्या आप नल के पानी का बिल जमा नहीं करते ? क्या आपको केबिल टीण्वीण् का बिल नहीं भरना पडता ? तो फिर बिजली का बिल भरने में कोताही क्यों ? ईमानदारी से अपना बिजली बिल समय पर जमा कीजिये । विुत विकास की आधार भूत उर्जा है । विुत तंत्र के सषक्तिकरण में हिस्सेदार बनिये। विुत चोरी की सूचना दीजिये । बिजली की चोरी करने वालों को क्या सजा दी जानी चाहिये , विुत चोरी की सूचना दीजिये । बनिये बिजली सेवाओं को ` सेल्फ सर्विस - बुफे डिनर ` सा न समझें । विुत तंत्र में स्वयं सेवा दुघZटना को आमंत्रण है । नियमानुसार पारंगत, प्रमाणित इलेक्ट्रीषियन से फिटिंग करवायें एवं विधिवत कनेक्षन प्राप्त करें । समय से पूरा बिजली बिल चुकायें एवं बिजली सेवाओं में सुधार के भागीदार बनें । विुत चोरी की सूचना दीजिये । क्या आप चोरी का भोजन करते हैं ? क्या आप चोरी के वस्त्र पहनते हैं ? तो फिर , चोरी की बिजली का उपयोग क्यों ? ईमानदारी से, अपने बिजली बिल का समय पर पूरा भुगतान करें । विुत तंत्र राश्ट्र के सुदृड विकास हेतु अनिवार्य है । आइये इसके विकास में सहयोगी बनें । विुत चोरी की सूचना दीजिये । क्या आप अपने मोबाईल का, टेलीफोन का बिल जमा नहीं करते ? क्या आप नल के पानी का बिल जमा नहीं करते ? क्या आपको केबिल टीण्वीण् का बिल नहीं भरना पडता ? तो फिर बिजली का बिल भरने में कोताही क्यों ? ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण् ईमानदारी से अपना बिजली बिल समय पर जमा कीजिये । विुत विकास की आधार भूत उर्जा है । विुत तंत्र के सषक्तिकरण में हिस्सेदार बनिये। विुत चोरी की सूचना दीजिये ।

विद्युत सुरक्षा हेतु सावधानियॉं


विद्युत सुरक्षा हेतु सावधानियॉं
विवेकरंजन श्रीवास्तव

रामपुर, जबलपुर
मोण्नंण् 9425484452

बिजली आज लक्जरी नहीं वरन् अनिवार्य आवष्यकता बन चुकी है । विद्युत लाइनों, विद्युत उत्पादन, पारेषण या वितरण कम्पनियों के सार्वजनिक उपकरणों, बिजली के खम्बों से छेड़छाड़ करना भारतीय विद्युत अधिनियम के अंतर्गत दण्डनीय अपराध हेै । बिजली लाईनों, से छोटी सी छेड़खानी आपके एवं आपके परिवेष के लिये मृत्यु जैसी बड़ी दुघZटनाओं का कारण बन सकती है । चूंकि बिजली गांव गांव तक पहुंंचाई जा चुकी है, बिजली कर्मचारियों की कमी है, अत: लोगों का बिजली के प्रति डर हट गया है, और नासमझी से या अपने स्वाथोZ हेतु, बिना ध्ौर्य के लोग बिजली का मन माफिक, बिना उचित मापदण्डों के उपयोग करने लगे हैं, और आगजनी, करेंट लगने, लाइट गुल होने, ट्रांस्फारमर फेल होने, लाईन शार्ट होने, जैसी अनेक दुघZटनाओं को खुला आमंत्रण दे रहे है । विद्युत दुघZटनाओं को रोकने हेतु निम्न प्रयास अति आवष्यक हैं । विषेष रूप से गांवो में -

 बिजली के खंबो, स्टे वायर से अपने जानवर न बांधे ।

 बिजली के खंबो पर तार बांधकर कपड़े न सुखायें ।

 पतंग आदि फंस जाने पर बच्चों को खम्बे पर चढ़कर पतंग निकालने से रोकें ।

 बिजली के तारो पर लंगर आदि न डाले ।

 अनेक बार ग्रामीण जन अपनी बिड़ी सुलगाने तक के लिये बिजली की उच्च दाब लाइनों पर सूखी लकड़ी, साइकिल की चेन आदि फेंककर आग उत्पन्न करने से नहीं चूकते, यह गंभीर अपराध है ।

 अनेक ग्रामीण अपनी बाड़ी की सुरक्षा हेतु नंगे तारो में करेंट प्रवाहित कर देते है, जो दण्डनीय अपराध एवं जन-धन हानि को स्पष्ट निमंत्रण है ।

 बिजली लाइनो के नीचे होलिका दहन न करें ।

 बिजली लाइनों के नीचे खलिहान या सूखा पेैरा आदि न एकत्रित करें ।

 लंगर या हुकिंग करके बिजली कनेक्षन न लेवें । इस तरह आपके विद्युत उपकरण तो फ्लक्चुएटिंग वोल्टेज से खराब होगें ही, आप समूचे विद्युत तंत्र को गंभीर नुकसान पहुंंचायेगंंें । बिजली चोरी दण्डनीय अपराध है ।

 मकान बनाते समय बिजली लाइनों से हटकर निर्माण करें ।

 यदि आंधी तूफान से कोई बिजली का खम्बा, लाइन गिर जावे तो तार को छूने से बचें । तुरंत इसकी सूचना अपने बिजली बिल में छपे अधिकारी के फोन पर देवें ।

 मछली मारने के लिये कभी पोखर या तालाब में बिजली का इस्तेमाल न करें ।

 ट्रांस्फारमर के निकट लगे फ्यूज उड़ जाने पर स्वंय सेवा कर खुद हीे कट आउट खोलकर मन माफिक मोटे तार लगाकर विद्युत प्रवाह शुरू न करें । लाइनमैन निर्धारित मापदण्डों का फ्यूज नायर लगायेगा, उससे ही लाइन सुधरवायें ।

 अनेक दुघZटनाये केवल इसलिये हुई है, कि ग्रामीण क्षेत्रों में जहां बिजली कर्मचारी कम हैं, लाइनमैन एण्बीण्स्विच काटकर, आगे लाइन पर काम कर रहा होता है, पर विद्युत व्यवधान के समाधान हेतु कोई अर्धज्ञानी नवयुवक बिना पूछे ताछें उस एण्बीण्स्विच को चालू कर देता है । विद्युत तंत्र से छेड़छाड़ किसी की जान का सौदा है ।

 पैसो की बचत के लिये ग्रामीण जन कटे-जोड़ वाले तारों से अपने थ्रेषर, पंप चलाते पाये जाते हैं । ये गलत है ।

 लोग लंबे सर्विस तार के व्यय से बचने के लिये फेज तो विद्युत लाइन से ले लेते हैं, और अर्थ स्वंय सब्बल गाड़कर बना लेते हैं, यह मौत का सामान है ।


विद्युत तंत्र हमारी सुख सुविधा का साधन है, उसका विवेकपूर्ण इस्तेमाल जरूरी हैं । उसे घर की खेती न बनावे । नियमों का पालन जरूरी हैं, क्योंकि यह सार्वजनिक हित का साझा संसाधन है ।



विवेकरंजन श्रीवास्तव

रामपुर, जबलपुर

24 जुलाई, 2008

ऊर्जा की बचत और हमारा दायित्व


ऊर्जा की बचत और हमारा दायित्व

विवेकरंजन श्रीवास्तव

रामपुर, जबलपुर
मो 9425484452

हवा, पानी और ऊर्जा जीवन की प्राथमिक अनिवार्य आवष्यकतायें है । प्रागैतिहासिक युग में जब घर्षण के द्वारा अग्नि उत्पन्न हुई और आदि मानव ने ताप ऊर्जा का उपयोग प्रारंभ किया, तो इस ऊष्मा ने मानवीय सभ्यता की ओर पहला सोपान स्थापित किया । मनुष्य भोजन को पकाकर खाने लगा । प्रकाष के लिये और ठंड से बचने के लिये वह ताप ऊर्जा का उपयोग करने लगा । ऊर्जा अविनाषी है । उसे एक से दूसरे रूप में बदला जा सकता है । यही ऊर्जा की खपत और बचत के प्रष्न उठ खड़े होते है । पिछली दो सदियों में ही, विज्ञान ने चमत्कारिक रूप से यांत्रिक सुविधायें सुलभ कराकर ऊर्जा की खपत में सतत् वृिद्ध की है । प्रकृति ने हमें पेट्रोलियम पदार्थ के भूगभीZय
भंडार व खनिज कोयला, ऊर्जा के स्तोत्र के रूप में उपहार स्वरूप प्रदान किये है । इन्ही मूल स्तोत्रों से आज हमारे करोड़ो एंजिन चल रहे है और पेट्रोलियमफ्यूल व फासिल्स फ्यूल के ये भंडार दिन पर दिन खाली हो रहे है । कोयले से ही ताप विद्युत को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करके हमने प्रचुर मात्रा में विद्युत उत्पादन संयंत्र स्थापित किये है । अक्षय ऊर्जा स्तोत्र के रूप में प्रकृति ने हमें सौर ऊर्जा की ऊष्मा और प्रकाष का वरदान दिया है । ऊंचाई से नीचे की ओर जल का निरन्तर प्रवाह, स्थितिज ऊर्जा का गतिज ऊर्जा में परिवर्तन करता है । प्ृथ्वी की इसी गुरूत्वाकर्षण शक्ति का उपयोग कर हम जल विद्युत का प्रचुर उत्पादन कर रहे है । वैकल्पिक ऊर्जा के नवीनतम स्त्रोतों के अन्तर्गत पवन ऊर्जा एवं समुद्र की लहरों से भी विद्युत उत्पादन के संयंत्र लगाये जा रहे है ।

विद्युत ऊर्जा ही, ऊर्जा का सबसे सुगम स्वरूप है जो त्वरित क्रियाषील होकर हमारे उपकरण क्रियािन्वत कर देता है, यही कारण है कि विद्युत उपकरणों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है । कल-कारखानों में बिजली की खपत बढ़ रही है । प्रकाष, मनोरंजन, ताप, ध्वनि, शीतलीकरण जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विद्युत का महत्व लगातार बढ़ रहा है । बिजली की मांग और आपूर्ति में व्यापक अंतर आ गया है, और ऊर्जा सरंक्षण की आवष्यकता अनुभव की जा रही है ।

सामान्य रूप से जब हम ऊर्जा की बचत की बात करते हैं, तो हमारा अभिप्राय मूलत: बिजली, पेट्रोलियम पदाथोZ एवं खनिज कोयले की बचत से ही होता है । भू-गभीZय पेट्रोलियम पदार्थ एवं कोयला, करोड़ो वर्षो की नैसगिZक प्रक्रिया से बने है । इनके भंडार सीमित है । भावी पीढ़ी के प्रति हमारा दायित्व है कि हम निहित वर्तमान के स्वार्थ हेतु, प्रकृति के इन अनमोल भंंडारो का हृास न कर डालें । ये प्राकृतिक वरदान भविष्य के लिये संरक्षित रखना भी हमारा दायित्व है । ऐसा तभी संभव है, जब हम बहुत मितव्ययिता से, आवष्यकता के अनुरूप, ऊर्जा का उपयोग करें । ऊर्जा का अपव्यय अपने पैरों पर ही कुल्हाड़ी मारने जैसा मूर्खतापूर्ण कार्य है। माचिस की एक तीली, तेल के कुंए में आग लगा सकती है । ज्वलनषील प्राकृतिक गैस के भंडार, ऊर्जा के प्रति हमारे दायित्व बोध के अभाव में, बेकार हो सकते, एवं प्रदूषण का कारण बन सकते है, जबकि इनके न्यायिक उपयोग हेतु धरती मां ने अब तक इन भंडारों को हमारे लिये, करोड़ों वर्षो से कई किलोमीटर नीचे अपने गर्भ में बड़े जतन से संजो कर रखा है ।

पेट्रोलियम पदार्थ की, विद्युत की बढ़ती कीमतों के बाद भी इनकी मांग बढ़ती जा रही है, उसका कारण यही है कि आज ऊर्जा के ये संसाधन जीवन की प्राथमिक अनिवार्यता बन चुके है, किंतु केवल इनका मूल्य भर चुका देने से, हम इनके दुरूपयोग के अधिकारी नहीं बन जाते, क्योंकि ये प्रकृति प्रदत्त उपहार भविष्य की धरोहर है । भारतीय परिवेष में तो इन ऊर्जा स्त्रोतों पर शासन बड़ी मात्रा में सिब्सडी भी दे रहा है, अथाZत् बिजली, पेट्रोल, गैस का जो मूल्य हम चुकाते हैं, उसका वास्तविक मूल्य उससे कहीं ज्यादा है ।

ऊर्जा की बचत करके न केवल हम अपने बिलों में कमी करके आर्थिक बचत कर सकते है, वरन् बिजली की कमी पूरी करने में भी अपना सामाजिक दायित्व निभा सकते है । इसी चेतना को जगाने के लिये प्रतिवर्ष 14 दिसम्बर को ऊर्जा संरक्षण दिवस के रूप में मनाया जाता है । सुबह और शाम जब लगभग एक साथ ही सारे कारखाने, कार्यालय आदि प्रारंभ होते हैं, एंव शाम को सारे प्रकाष स्त्रोत एक साथ जलाये जाते हैं, बिजली की मांग एकाएक अपने शीर्ष पर पहुंच जाती है । इस समय में मांग एवं आपूर्ति में अधिकतम अन्तर होता है । इससे निपटने के लिये जल विद्युत उत्पादन का सहारा लिया जाता हैं, क्योंकि उससे ही त्वरित रूप से विद्युत उत्पादन बढ़ाया या घटाया जा सकता है । आम नागरिक का दायित्व है कि हम सब जिनके पास इन्वर्टर, जनरेटर आदि विद्युत उत्पादक उपकरण है, हम उनका उपयोग, पीकिंग आवर्स में अवष्य करें, इससे हमारे ये उपकरण रोज चलते रहने से, चार्ज-डिस्चार्ज होते रहने से, खराब भी नहीं होगें और ऊर्जा समस्या के समाधान यज्ञ में हम भी अपनी एक आहूति डाल कर ऊर्जा योग कर सकेगें । बूंद-बूंद से ही घट भरता है । पीकिंग अवर्स में हम सब का कत्र्तव्य है कि हम बिजली का कम से कम उपयोग करें । केवल अति आवष्यक उपकरण ही चलायें । हम सबके सामूहिक सहयोग से ही ऊर्जा समस्या का निदान संभव है ।

भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय ने वर्ष 2012 तक सबके लिये पर्याप्त बिजली आपूर्ति का लक्ष्य रखा है । इसके लिये नये विद्युत अनुप्रसारण केन्द्र बनाये जा रहे हैं । बिना पारेषण हानि के विद्युत के सुचारू संचरण के लिये उच्च दाव की लाइनों का जाल बिछाया जा रहा है । विद्युत उत्पादन हेतु नई परियोजनायें स्थापित की जा रही हैं । तर्कसंगत बिलिंग के लिये नये मीटर लगाये जा रहे है । विद्युत संस्थानों के द्वारा विद्युत नियामक आयोग के निर्देषों के अनुरूप विद्युत आपूर्ति की समूची व्यवस्था की समीक्षा की जा रही है । पर इन सारे प्रयासों के परिणाम परिलक्षित होने में समय लगेगा । तब तक ऊर्जा संरक्षण के हमारे प्रयास ही कुछ राहत पहुंचा सकते है । ब्यूरो आफ इनजीZ एफीषियेंसी नामक संस्था का गठन किया गया है जो बड़े उपभोक्ताओं का इनजीZ आडिट करने हेतु इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रही है । इनजीZ आडिट एवं मैनेजमेंट से बिजली के दुरूपयोग पर अंकुष लगेगा । किंतु न्याय संगत तो यही है कि क्यों न हम स्वत: ही अपना दायित्व समझते हुए पंप आदि बड़े उपकरणों के साथ कैपेसिटरर्स स्वंय ही लगायें, जिससे इन उपकरणों के चलाने पर वोल्टेज हानि न हो । मषीनों के मैकेनिकल हिस्सों पर तेल, ग्रीज आदि का नियमित उपयोग करें जिससे घर्षण से ऊर्जा की हानि न हो । घरेलू उपयोग में हमारा दायित्व है कि हम कमरे की दीवारे हल्के रंगो से पुताई करावें जिससे प्रकाष हेतु इनजीZ एफीषियेंट कम खपत वाले उपकरणों का उपयोग किया जा सकें । दिन में प्राकृतिक प्रकाष का उपयोग किया जावे । परिवार के प्रत्येक सदस्य की आदत डालें कि कमरे से बाहर जाते समय सारे सिवच बंद करके ही निकलें । वाषिंग मषीन का उपयोग उसकी क्षमतानुसार पर्याप्त कपड़े एकत्रित होने के बाद ही करें । बिजली के सारे उपकरण आईएसआई मार्क ही उपयोग करें, यह सुरक्षा की दृष्टि से भी आवष्यक है । इसी तरह पेट्रोलियम पदाथोZ के मामले में एक ही ओर आने जाने हेतु वाहन पूल करें । टायरों में समुचित एयर प्रेषर रखें । एंजिन ट्यून करावें । आइल गं्रीज का उपयोग करें, तो ऊर्जा की पर्याप्त बचत संभव है। पेट्रोलियम गैस खाना बनाने हेतु उपयोग की जाती है । गेैस बर्नर की समुचित सफाई, तांबे की तली वाले, चपटे सतह के बर्तन उपयोग से ऊर्जा बचती है । प्रेषर कुकर में भोजन कम समय एवं कम ऊर्जा में पक जाता है ।

इस तरह ये छोटी छोटी बातें ऊर्जा की बचत हेतु हमारा दायित्व बोध कराती हैं । सौर ऊर्जा एवं वैकल्पिक ऊर्जा का अधिकाधिक उपयोग किया जाना चाहिये । सोलर कुकर एवं सोलर वाटर हीटर हम सबके लिये सुलभ है । यदि हम ऊर्जा क्षेत्र में अपने दायित्वों को समझकर उनका निर्वहन करें तो ऊर्जा समस्या का निदान कर सकते है ।


विवेकरंजन श्रीवास्तव

रामपुर, जबलपुर
मो 9425484452