19 जून, 2011

.लोकतंत्र की सबसे बडी कमजोरी विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र

केवल पक्ष , विपक्ष का होना ...लोकतंत्र की सबसे बडी कमजोरी

विवेक रंजन  श्रीवास्तव ‘विनम्र

ओ.बी. 11, एमपीईबी कालोनी
रामपुर, जबलपुर (मप्र)  मो. 9425806252

                कोई भी सभ्य समाज नियमों से ही चल सकता है। जनहितकारी नियमों को बनाने और उनके परिपालन को सुनिश्चित करने के लिए शासन की आवश्यकता होती है। राजतंत्र, तानाशाही, धार्मिक सत्ता या लोकतंत्र, नामांकित जनप्रतिनिधियों जैसी विभिन्न शासन प्रणालियों में लोकतंत्र ही सर्वश्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि लोकतंत्र में आम आदमी की सत्ता में भागीदारी सुनिश्चित होती है एवं उसे भी जन नेतृत्व करने का अधिकार होता है। भारत में हमने लिखित संविधान अपनाया है। शासन तंत्र को विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका के उपखंडो में विभाजित कर एक सुदृढ लोकतंत्र की परिकल्पना की है। विधायिका लोकहितकारी नियमों को कानून का रूप देती है। कार्यपालिका उसका अनुपालन कराती है एवं कानून उल्लंघन करने  पर न्यायपालिका द्वारा दंड का प्रावधान है। विधायिका के जनप्रतिनिधियों का चुनाव आम नागरिको के सीधे मतदान के द्वारा किया जाता है किंतु हमारे देश में आजादी के बाद के अनुभव के आधार पर , मेरे मत में इस चुनाव के लिए पार्टीवाद तथा चुनावी जीत के बाद संसद एवं विधानसभाओं में पक्ष विपक्ष की राजनीति ही लोकतंत्र की सबसे बडी कमजोरी के रूप में सामने आई है।
                सत्तापक्ष कितना भी अच्छा बजट बनाये या कोई अच्छे से अच्छा जनहितकारी कानून बनाये विपक्ष उसका विरोध करता ही है। उसे जनविरोधी निरूपित करने के लिए तर्क कुतर्क करने में जरा भी पीछे नहीं रहता। ऐसा केवल इसलिए हो रहा है क्योंकि वह विपक्ष में है। हमने देखा है कि वही विपक्षी दल जो विरोधी पार्टी के रूप में जिन बातो का सार्वजनिक विरोध करते नहीं थकता था , जब सत्ता में आया तो उन्होनें भी वही सब किया और इस बार पूर्व के सत्ताधारी दलो ने उन्हीं तथ्यों का पुरजोर विरोध किया जिनके कभी वे खुले समर्थन में थे। इसके लिये लच्छेदार शब्दो का मायाजाल फैलाया जाता है। ऐसा बार-बार लगातार हो रहा है। अर्थात हमारे लोकतंत्र में यह धारणा बन चुकी है कि विपक्षी दल को सत्ता पक्ष का विरोध करना ही चाहिये . शायद इसके लिये स्कूलो से ही ,  वादविवाद प्रतियोगिता की जो अवधारणा बच्चो के मन में अधिरोपित की जाती है वही जिम्मेदार हो .  वास्तविकता यह होती है कि कोई भी सत्तारूढ दल सब कुछ सही या सब कुछ गलत नहीं करता । सच्चा  लोकतंत्र तो यह होता कि मुद्दे के आधार पर पार्टी निरपेक्ष वोटिंग होती, विषय की गुणवत्ता के आधार पर बहुमत से निर्णय लिया जाता , पर ऐसा हो नही रहा है ।
                अन्ना हजारे या बाबा रामदेव किसी पार्टी या किसी लोकतांत्रिक संस्था के निर्वाचित जनप्रतिनिधी नहीं है किंतु इन जैसे तटस्थ मनिषियों को जनहित एवं राष्ट्रहित के मुद्दो पर अनशन तथा भूख हडताल जैसे आंदोलन करने पड रहे है एवं समूचा शासनतंत्र तथा गुप्तचर संस्थायें इन आंदोलनों को असफल बनाने में सक्रिय है। यह लोकतंत्र की बहुत बडी विफलता है। अन्ना हजारे या बाबा रामदेव को तो देश व्यापी जनसमर्थन भी मिल रहा है । मेरा मानना  यह है कि आदर्श लोकतंत्र तो यह होता कि मेरे जैसा कोई साधारण एक व्यक्ति भी यदि देशहित का एक सुविचार रखता तो उसे सत्ता एवं विपक्ष का खुला समर्थन मिल सकता।
                इन अनुभवो से यह स्पष्ट होता है कि हमारी संवैधानिक व्यवस्था में सुधार की व्यापक संभावना है। दलगत राजनैतिक धु्व्रीकरण एवं पक्ष विपक्ष से उपर उठकर मुद्दों पर आम सहमति या बहुमत पर आधारित निर्णय ही विधायिका के निर्णय हो ऐसी सत्ताप्रणाली के विकास की जरूरत है। इसके लिए जनशिक्षा को बढावा देना तथा आम आदमी की राजनैतिक उदासीनता को तोडने की आवश्यकता दिखती है। जब ऐसी व्यवस्था लागू होगी तब किसी मुद्दे पर कोई 51 प्रतिशत या अधिक जनप्रतिनिधि एक साथ होगें तथा किसी अन्य मुद्दे पर कोई अन्य दूसरे 51 प्रतिशत से ज्यादा जनप्रतिनिधि , जिनमें से कुछ पिछले मुद्दे पर भले ही विरोधी रहे हो साथ होगें तथा दोनों ही मुद्दे बहुमत के कारण प्रभावी रूप से कानून बनेगें।
क्या हम निहित स्वार्थो से उपर उठकर ऐसी आदर्श व्यवस्था की दिशा में बढ सकते है एवं संविधान में इस तरह के संशोधन कर सकते है। यह खुली बहस का एवं व्यापक जनचर्चा का विषय है जिस पर अखबारो , स्कूल, कालेज, बार एसोसियेशन, व्यापारिक संघ, महिला मोर्चे, मजदूर संगठन आदि विभिन्न विभिन्न मंचो पर खुलकर बाते होने की जरूरत हैं।


(लेखक को विभिन्न सामाजिक विषयों पर लेखन के लिए राष्ट्रीय स्तर के अनेक पुरस्कार मिल चुके है)

18 जून, 2011

बिजली तंत्र पर...जबलपुर .में उर्जा मंत्री राजेंद्र शुक्ल

बिजली तंत्र पर २००० करोड़ का अतिरिक्त भार

साभार नई दुनिया , जबलपुर .

७०० करो़ड़ रुपए विद्युत वितरण कंपनियों के पास अतिरिक्त रूप से आएंगे। इसे लेकर लोग महंगाई का हो-हल्ला मचा रहे हैं लेकिन केन्द्र जो दो हजार करो़ड़ रुपए का बोझ डाल रही है उसके लिए कोई विरोध नहीं कर रहा। श्री शुक्ल ने माना कि केन्द्र के रवैये से बिजली तंत्र का संचालन मुश्किल होगा लेकिन उसे बेहतर ढंग से काम करने के लिए प्रदेश सरकार मदद करेगी। उन्होंने कहा कि बिजली कंपनियों के पास ज्यादा पैसा आए इसके लिए उन्हें हर हाल में वितरण हानि १५ प्रतिशत से कम पर लाने हिदायत दी गई है। इसके साथ बकाया राशि को भी तेजी से वसूलने कहा गया है। उन्होंने कहा कि जल्द ही हम प्रदेश का बिजली उत्पादन ५००० मेगावाट ब़ढ़ाने जा रहे हैं। फ्रेंचाइजी के मुद्दे पर उनका कहना था कि काफी सोच विचार के बाद जनकल्याणकारी मॉडल पेश किया गया है। इसमें जनता के हित सभी प्रकार से सुरक्षित रहेंगे।

आराम की नौकरी नहीं- श्री शुक्ल ने कहा कि बिजली अधिकारियों, कर्मचारियों को भी बिजली कंपनियों की वित्तीय हालत देखते हुए पूरे समर्पण से काम करना होगा। वे अपनी नौकरी को आराम की नौकरी न समझें। यदि ४० से ६० प्रतिशत वितरण हानि रही तो न कंपनियों का भविष्य सुरक्षित रह पाएगा और न कर्मियों का। अत्यधिक घाटे में किसी भी संस्थान को बहुत ज्यादा दिन नहीं चलाया जा सकता।

फीडर सेपरेशन सुस्त- एक सवाल के जवाब में श्री शुक्ल ने बेबाकी से कहा कि फीडर विभक्तिरण परियोजना का काम बेहद सुस्त गति से चल रहा है। इसके लिए हमने अधिकारियों को क़ड़े शब्दों में चेता दिया है। इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के लिए फंड उपलब्ध करा दिया गया है। बिडिंग हो चुकी है और काम करने वाली एजेंसियां भी आ चुकी हैं। ऐसे में अब हम और विलंब नहीं चाहते।

ट्रेडको रहेगी होल्डिंग कंपनी- श्री शुक्ल ने माना कि विद्युत मंडल के समाप्त होने के बाद पावर ट्रेडिंग कंपनी ट्रेडको को होल्डिंग कंपनी बनाने के लिए सभी एकमत हैं। इस पर निर्णय जल्द लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के कंपनियों में हस्तांतरण और अन्य औपचारिकताओं को पूरा करने में लगभग तीन माह का समय लगेगा।

पेंशन फंड पर निर्णय जल्द- ऊर्जामंत्री ने माना कि प्रदेश सरकार बिजली कर्मचारियों का पेंशन फंड बनाने पर गंभीरता से विचार कर रही है। नियामक आयोग से भी हमारी बातचीत हो चुकी है। अब हम इस निर्णय पर विचार कर रहे हैं कि प्रारंभिक तौर पर इसमें कितनी राशि डाली जाए और कैसे इसमें प्रतिवर्ष राशि आएगी? उन्होंने कहा कि मंडल समाप्त होने के बाद कर्मचारियों की सेवाशर्तें प्रभावित नहीं होंगी। कंपनियों में कर्मचारियों की जल्द पदोन्नति के रास्ते खुलेंगे।

10 जून, 2011

विद्युत वितरण कम्पनी की जन कल्याणकारी योजनायें

म.प्र.पूर्वी क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी की जन कल्याणकारी योजनायें

विवेक रंजन श्रीवास्तव
जनसंपर्क अधिकारी, म.प्र.पूर्वी क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी
ओ बी ११ , विद्युत मन्डल कालोनी , रामपुर , जबलपुर ४८२००८
मो ०९४२५८०६२५२
email vivek1959@yahoo.co.in


                 बिजली की अद्भुत आसमानी शक्ति को मनुष्य ने आकाश से धरती पर क्या उतारा , बिजली ने इंसान की समूची जीवन शैली ही बदल दी है .अब बिना बिजली के जीवन पंगु सा हो जाता है .भारत में विद्युत का इतिहास १९ वीं सदी से ही है , हमारे देश में कलकत्ता में पहली बार बिजली का सार्वजनिक उपयोग प्रकाश हेतु किया गया था .

आज बिजली के प्रकाश में रातें भी दिन में परिर्वतित सी हो गई . सोते जागते , रात दिन , प्रत्यक्ष या परोक्ष , हम सब आज बिजली पर आश्रित हैं . प्रकाश , ऊर्जा ,पीने के लिये व सिंचाई के लिये पानी ,जल शोधन हेतु , शीतलीकरण, या वातानुकूलन के लिये ,स्वास्थ्य सेवाओ हेतु , कम्प्यूटर व दूरसंचार सेवाओ हेतु , गति, मशीनों के लिये ईंधन ,प्रत्येक कार्य के लिये एक बटन दबाते ही ,बिजली अपना रूप बदलकर तुरंत हमारी सेवा में हाजिर हो जाती है .
रोटी ,कपडा व मकान जिस तरह जीवन के लिये आधारभूत आवश्यकतायें हैं , उसी तरह बिजली , पानी व संचार अर्थात सडक व कम्युनिकेशन देश के औद्योगिक विकास की मूलभूत इंफ्रास्ट्रक्चरल जरूरतें है . इन तीनों में भी बिजली की उपलब्धता आज सबसे महत्व पूर्ण है .क्योकि संचार व अन्य इंफ्रास्ट्रक्चरल सुविधायें भी अपरोक्ष रूप से बिजली पर ही आधारित हैं .
         बिजली बिल जमा करने मात्र से हम इसके दुरुपयोग करने के अधिकारी नहीं बन जाते , क्योंकि अब तक बिजली की दरें सब्सिडी आधारित हैं, न केवल सब्सिडाइज्ड दरों के कारण , वरन इसलिये भी क्योंकि ताप बिजली बनाने के लिये जो कोयला लगता है , उसके भंडार सीमित हैं , ताप विद्युत उत्पादन से जो प्रदूषण फैलता है वह पर्यावरण के लिये हानिकारक है , इसलिये बिजली बचाने का मतलब प्रकृति को बचाना भी है .
        वर्तमान परिदृश्य में , शहरों में अपेक्षाकृत घनी आबादी होने के कारण गांवो की अपेक्षा शहरों में अधिक विद्युत आपूर्ति बिजली कंपनियो द्वारा की जाने की विवशता होती है .पर इसके दुष्परिणाम स्वरूप गांवो से शहरो की ओर पलायन बढ़ रहा है . है अपना हिंदुस्तान कहाँ ? वह बसा हमारे गांवों में ....विकास का प्रकाश बिजली के तारो से होकर ही आता है . स्वर्णिम भारत की महत्वाकांक्षी परिकल्पना को मूर्त रूप देने के लिये गांवो में भी शहरो की ही तरह ग्रामीण क्षेत्रों के घरेलू उपभोक्ताओं को भी विद्युत प्रदाय सुनिश्चित करने के उद्देश्य से प्रदेश में फीडर विभक्तिकरण की महत्वाकांक्षी समयबद्ध योजना लागू की गई है,  रिमोट मीटरिंग के लिये कंपनी को ई गवर्नेंस का राष्ट्रीय पुरुस्कार भी मिल चुका है , अन्य अनेको लोकहितकारी योजनायें कंपनी के द्वारा चलाई जा रही हैं ,ऐसी ही कुछ योजनाओ का संक्षिप्त विवरण आम उपभोक्ताओ की जानकारी हेतु प्रस्तुत है .

    राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजनाः-
         केन्द्र सरकार द्वारा प्रवर्तित राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना माह अप्रैल 2005 से मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी लिमिटेड क्षेत्रान्तर्गत  लागू की गई है ।  पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी अपने कार्य क्षेत्रान्तर्गत समस्त 20 जिलों हेतु रु. 969.394 करोड की उक्त योजना तेजी से क्रियान्वित कर रही है  .
        इस योजना में  केन्द्र सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युतीकरण कार्य हेतु, स्वीकृत लागत राशि का 90 प्रतिशत अनुदान एवं 10 प्रतिशत राशि ऋण के रुप में राज्य शासन को उपलब्ध कराये जाने का प्रावधान है । दसवीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत  जबलपुर, सिवनी, दमोह, छिंदवाड़ा जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य योग्य 43 अविद्युतीकृत ग्रामों एवं 5945 विद्युतीकृत ग्रामों के 300 से अधिक आबादी वाले अविद्युतीकृत क्षेत्र एवं मजरे/टोलों के विद्युतीकरण एवं 11 वीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत जिला कटनी, नरसिंहपुर, मण्डला, डिण्डौरी, बालाघाट, रीवा, सतना, सीधी (सिंगरौली सहित), शहडोल, अनूपपुर, उमरिया, सागर, छतरपुर, टीकमगढ़ एवं पन्ना के ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य योग्य 436 अविद्युतीकृत ग्रामों, 15971 विद्युतीकृत ग्रामों के 100 से अधिक आबादी वाले अविद्युतीकृत क्षेत्र/मजरे/टोलों के विद्युतीकरण के कार्य किये जाने एवं गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले 985068 सभी श्रेणी के हितग्राहियों को निःशुल्क एकबत्ती कनेक्शन प्रदान किये जाने का प्रावधान  है .इस तरह सब के लिये सतत बिजली आपूर्ती के अंतिम लक्ष्य को न्यूनतम संचारण हानि के साथ प्राप्त करने हेतु इस योजना को तकनीकी विशेषज्ञता के साथ लागू करने का महत्वपूर्ण कार्य कंपनी द्वारा किया जा रहा है .
        गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले उपभोक्ता संबंधित वितरण केन्द्र कार्याल्य में सम्पर्क कर योजना के अंतर्गत निशुल्क कनेक्शन प्राप्त कर सकते हैं ।

    स्थाई पम्प कनेक्शन योजना:-
        कृषि को लाभ का धंधा बनाने के राज्य शासन के संकल्प के दृष्टिगत तथा वितरण प्रणाली को सुव्यवस्थित रखने हेतु कृषि के लिए स्थायी विद्युत पम्प कनेक्शन दिया जाना महत्वपूर्ण है . प्रत्येक फसल में  सिंचाई के समय अस्थाई विद्युत कनेक्शन लेने की कठिनाई से किसानो को हमेशा के लिये  मुक्त करने के उद्देश्य से , शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों हेतु मध्यप्रदेश शासन द्वारा दिनांक 1.4.11 से  ‘‘कृषकों को स्थायी विद्युत पम्प कनेक्शन प्रदान करने हेतु अनुदान योजना‘‘ नाम से यह योजना लागू की गई है । इस योजना के द्वारा कृषकों को  स्थायी पम्प कनेक्शन लेने की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है तथा इस कार्य में लगने वाली कुल राशि का एक बड़ा अंशदान राज्य शासन द्वारा अनुदान के रुप में दिया जाना प्रस्तावित  है।
        यह योजना सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में 1 अप्रैल 2011 से वर्ष 2011-2012 के लिए लागू है । राज्य शासन आवश्यकतानुसार योजना की अवधि में वृद्धि कर   सकेगा । योजनांतर्गत लघु एवं सीमान्त किसानों को रु. 5000/- प्रति हार्स पावर तथा अन्य  किसानों को रु. 8000/- प्रति हार्स पावर की दर से भुगतान करना  होगा । प्रत्येक उपभोक्ता के लिए अधिकतम लागत राशि 1.50 लाख की शेष लागत राशि शासन द्वारा अनुदान स्वरूप प्रदान की जाएगी । योजनांतर्गत किसान संबंधित वितरण केन्द्र में आवेदन कर तथा उपरोक्तानुसार राशि जमा करके , वांछित हार्सपावर के स्थायी पम्प कनेक्शन प्राप्त कर सकते हैं ।
                      

 स्वयं का नया ट्रांसफार्मर योजना:-
        कम्पनी द्वारा पूर्व में लागू स्वयं के ट्रांसफार्मर योजना के स्वरुप में ऊर्जा विभाग, मध्यप्रदेश शासन द्वारा दिये गये निर्देशानुसार संशोधन कर नवीन स्वयं का ट्रांसफार्मर योजना लागू की गई है । योजनांतर्गत कृषक स्वयं कृषि कार्य हेतु अपना ट्रांसफार्मर लगा सकते हैं । कृषक संबंधित वितरण केन्द्र में आवेदन देकर योजना का लाभ उठा सकते हैं ।इस तरह किसान उपभोक्ता व्यक्तिगत या समूह के रूप में स्वयं के वितरण ट्रांस्फारमर स्थापित करवा कर अपेक्षाकृत निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित कर सकते हैं .
      
                                      
आदिवासी उपयोजना एवं विशेष घटक योजना:-
        राज्य शासन द्वारा  आदिवासी उपयोजना तथा विशेष घटक योजना के अंतर्गत प्रतिवर्ष गांवो के मजरे/टोलों/अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के कृषकों को उक्त योजना में पम्प कनेक्शन के विद्युतीकरण/एकबत्ती कनेक्शन हेतु जिला स्तर पर राशि उपलब्ध कराई जाती है । इन योजनाओं का क्रियान्वयन जिला स्तर पर गठित जिला क्रय समिति द्वारा कराया जाता है .जिला क्रय समितियो के  अध्यक्ष जिले के कलेक्टर होते हैं ,एवं जनप्रतिनिधि उसके सदस्य होते हैं ,  इस तरह विद्युतीकरण के द्वारा पिछड़े हुये लोगो के विकास के  राष्ट्रीय महायज्ञ में स्थानीय प्रतिनिधियो की भागीदारी तथा जन आवश्यकताओ की पूर्ति इस योजना द्वारा सुनिश्चित हो पाती है .



स्वैच्छिक संबद्ध भार घोषणा योजना

        दिन प्रतिदिन विद्युत उपकरणो से बढ़ती सुविधाओ के कारण लगभग प्रायः  उपभोक्ताओ द्वारा समय के साथ अपने कनेक्शन लेते समय स्वीकृत कराये गये भार या लोड से अधिक के विद्युत उपकरण  स्वतः जोड़ लिये जाते हैं . इस तरह अनजाने में ही उपभोक्ता न केवल विद्युत वितरण प्रणाली पर अतिरिक्त भार डालता है एवं वितरण ट्रांस्फारमर के ओवरलोड होने का कारण बनता है .यह कृत्य विद्युत अधिनियम की धारा १२६ के अंतर्गत अपराध की श्रेणि में आता है . अतः उपभोक्ता जागरूखता की दिशा में पहल करते हुये कंपनी ने ३० सितंबर २०११ तक उपभोक्ता द्वारा स्वयं संबद्ध भार की घोषणा करने पर कोई पेनाल्टी न लगाने की यह योजना लागू की है , जिसका व्यापक प्रचार प्रसार किया जा रहा है .

म.प्र.लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी अधिनियम 2010 -
        इस नियम के अंतर्गत ऊर्जा विभाग से संबंधित 6 सेवाओं यथा निम्नदाब के व्यक्तिगत नवीन कनेक्शन के लिये मांग पत्र प्रदान करना , जहां ऐसा कनेक्शन वर्तमान नेटवर्क से संभव है, मांग पत्र अनुसार राशि जमा करने के बाद वर्तमान नेटवर्क से निम्नदाब नवीन कनेक्शन प्रदान करना, जहॉ वर्तमान अधोसंरचना में विस्तार की आवश्यकता न हो वहॉ 10 कि.वा. तक अस्थाई कनेक्शन प्रदान करना, जहॉ वर्तमान अधोसरंचना में विस्तार की आवश्यकता न हो वहॉ भारवृद्धि के प्रकरणों में मांग पत्र जारी करना, जहॉ वर्तमान अधोसंरचना में विस्तार की आवश्यकता न हो वहॉ मांगपत्र अनुसार राशि जमा करने के उपरांत भारवृद्धि करना तथा निम्नदाब उपभोक्ताओं के मीटर बंद होने या तेज चलने की शिकायत पर जॉच कराना एवं मीटर खराब पाये जाने पर सुधारना या बदलना इत्यादि की निश्चित समय-सीमा निर्धारित कर सेवायें प्रदान की जा रही है.

ए टी पी से करें कभी भी कहीं भी , अपनी विद्युत देनदारियों का भुगतान
            म.प्र.पूर्वी क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी , जबलपुर ने म.प्र. में सर्वप्रथम यह उपभोक्ता सुविधा जुटाकर महत्वपूर्ण कार्य किया है . कंपनी के सी एम डी श्री पंकज अग्रवाल आई ए एस महोदय ने स्पष्ट सोच सामने रखी .उनके अनुसार "जब उपभोक्ता बिजली बिल जमा करना चाहता है , तो उसे सम्मान पूर्वक , साफसुथरे वातावरण में बिना लम्बी लाइन में लगे अपने बिल जमा करने का अवसर दिया जाना जरूरी है इससे  कंपनी के राजस्व में वृद्धि होगी ."  एम पी आनलाइन के माध्यम से भी बिल जमा करने की सेवा प्रारंभ की गई . पर सबसे प्रभावी व क्रांतिकारी कदम के रूप में  ए टी पी मशीनो की स्थापना की गई .  ए टी पी मशीन लगाने वाली कुछ कंपनियो में से एक एस पी एम एल टैक्नालाजी बैंगलोर के साथ करार किया गया व उक्त संस्था ने बैंको की एटीएम मशीनो की ही तरह जगह जगह एटीपी मशीनें स्थापित की हैं जिनमें कंप्यूटर साफ्टवेयर के माध्यम से टच स्क्रीन विंडो के द्वारा २४ घंटे , ३६५ दिन नगद , चैक , ड्राफ्ट , क्रैडिट कार्ड , या डेबिट कार्ड के जरिये बिजली बिल भुगतान की सहज सुविधा सुलभ कराई गई है .एटीपी मशीन का उपयोग बिना पढ़े लिखे उपभोक्ता भी कर सकें  इसके लिये प्रत्येक एटीपी पर एक सहायक रखा गया है , जो मशीन से बिल जमाकर रसीद देने में उपभोक्ता की सहायता करता है व मशीन की सुरक्षा की जबाबदारी भी उठाता है . ए टी पी मशीनो की सफलता देखते हुये नगर नगर में इनका सतत विस्तार किया जा रहा है .

        उक्त विभिन्न  योजनाओं का लाभ  प्राप्त किये जाने हेतु विस्तृत जानकारी प्रत्येक जिला स्तर/तहसील स्तर/विकासखण्ड स्तर/ग्रामीण क्षेत्र में विद्यमान विद्युत वितरण केन्द्रों के कार्यालयों के संबंधित अधिकारियों से प्राप्त कर लाभ प्राप्त किया जा सकता है , प्रत्येक बिजली के बिल में क्षेत्रीय विद्युत प्रभारी के संपर्क टेलिफोन व मोबाइल नम्बर प्रकाशित करने की पारदर्शी प्रणाली कंपनी में लागू की गई है . विद्युत कर्मचारी व अधिकारी आम उपभोक्ता की सेवा हेतु फ्यूजआफ काल सेंटर्स पर सप्ताह के सातो दिन चौबीसो घंटे सुलभ रहते हैं , तथा किसी भी आकस्मिकता पर रात या दिन छुट्टी या कार्यदिवस की सीमाओ से परे उठकर निरंतर विद्युत आपूर्ति हेतु सक्रिय रहते हैं . जिन फीडर्स पर लगातार लाइनलास १५ प्रतिशत से कम रिकार्ड किया जावेगा वहां निर्बाध २४ घंटे विद्युत आपुर्ति किये जाने हेतु कंपनी तत्पर है . अतः अब समय आ गया है कि उपभोक्ता भी जागरुखता दिखायें और कंपनी के साथ कदम से कदम मिलाकर न केवल कल्याणकारी योजनाओ का लाभ उठावें वरन बिजली बिलो का सुनिश्चित समय पर भुगतान करके अपने उपभोक्ता दायित्वो का निर्वहन करते हुये सबके लिये सतत बिजली की परिकल्पना को साकार करने में शासन का सहयोग करें .