30 जनवरी, 2011

प्रायः हमें देश विदेश की यात्राओ पर जाना पड़ता है , विभिन्न देशो के सप्लाई वोल्टेज व , प्लग प्रणालियां अलग अलग तरह की हैं , अतः लैपटाप या अन्य उपकरणो को प्लग इन करने में कठिनाई आती है , कनेक्टर इत्यादि की जरूरतें होती हैं , तो यहां वहां से बटोरकर अपने ब्लाग पाठको के लिये अलग अलग देशो की विद्युत प्रणालियो की प्रारंभिक जानकारियां क्रमशः प्रस्तुत कर रहा हूं ...


दुनिया आज एक गांव हो चुकी है , प्रायः हमें देश विदेश की यात्राओ पर जाना पड़ता है , विभिन्न देशो के सप्लाई वोल्टेज व , प्लग प्रणालियां अलग अलग तरह की हैं , अतः लैपटाप या अन्य उपकरणो को प्लग इन करने में कठिनाई आती है , कनेक्टर इत्यादि की जरूरतें होती हैं , तो यहां वहां से बटोरकर अपने ब्लाग पाठको के लिये अलग अलग देशो की विद्युत प्रणालियो की प्रारंभिक जानकारियां क्रमशः प्रस्तुत कर रहा हूं ...

पहली कड़ी में स्विटजरलैंड ...
 information on the domestic power available, wall socket plugs and voltage of kitchen and living room (fridges, TVs) appliances in Switzerland.
Switzerland's standard electricity supply is 220 volts, 10 amps maximum with a frequency of 50 hertz.
Note: A country's available voltage is printed on the glass of a light bulb, or the light bulb packet.

Utility services are managed at a cantonal level, with one organisation in each area supplying all the utility services - electricity, gas and water. This organisation is the Städtische werke-elektrizität, Gaz und Wasser, or Centrale services techniques: électricité, gaz et eau.

To request services, contact the appropriate company in the canton (or commune). Most of the supply companies have online facilities for application or cancellation of services.

Geneva: The SIG company (comprehensive website in English)
Zürich: EWZ (in German)
Zug: WWZ (in German)
Note: A low tariff electricity rate is generally available overnight (from 20:00 to 06:00). Times may vary depending on the canton and the time of the year.

Plugs & Adaptors
Sockets generally take standard two pin, non fused plugs. Newer buildings in Switzerland have a different plug: three round prongs in a triangular pattern (adapters are available to convert the standard European safety plug or US plug to the Swiss socket). All domestic appliances bought in Switzerland will have a compatible two or three pin plug attached.

Home Appliances from the US
It is not recommended to bring electrical appliances with a motor from the US (such as refrigerators, electric can openers, stereos). The voltage in the US is 110 and 60 hertz, while in Switzerland it is 220 volts and 50 hertz. The appliances would need a transformer.

Television and Radio
The transmission standard in Switzerland is PAL.

29 जनवरी, 2011

विद्युत अधिनियम २००३ की धारा १३२ में स्पष्ट प्रावधान है कि बिजली बोर्ड की परिसंपत्तियों को निजी हाथों में बेचे जाने अथवा हस्तांतरित करने से जो भी राजस्व मिलेगा उससे सबसे पहले पेंशन फंड की प्रतिपूर्ति की जाएगी


म.प्र. राज्य विद्युत मण्डल के निजी करण , पुरानी संपत्तियो की बिक्री से जुड़े अनुत्तरित सवाल....

मंडल प्रबंधन से जु़ड़े रहे पूर्व अधिकारी ने कहा कि विद्युत अधिनियम २००३ की धारा १३२ में स्पष्ट प्रावधान है कि बिजली बोर्ड की परिसंपत्तियों को निजी हाथों में बेचे जाने अथवा हस्तांतरित करने से जो भी राजस्व मिलेगा उससे सबसे पहले पेंशन फंड की प्रतिपूर्ति की जाएगी। इस लिहाज से यदि पेंच पावर को अडानी पावर ने ४८ करो़ड़ रुपए में लिया है तो ये ४८ करो़ड़ रुपए की राशि पेंशन फंड में दी जानी थी।

आज पेंच कल कुछ और.... आरोप है कि आज विद्युत मंडल गुपचुप पेंच पावर को बेचने में सहभागी बना है तो कल बिजली कंपनियां भी अपनी परिसंपत्ति बेच देंगी। जब मंडल ने राशि पेंशन फंड में जमा नहीं कराई तो कंपनियां क्यों कर परिसंपत्तियों को बेचे जाने से प्राप्त राशि पेंशन फंड में जमा करेंगी? आज पेंच बेचकर आला अधिकारी किनारे हो गए हैं कल और भी कुछ बिकेगा।

28 जनवरी, 2011

बीबीसी हिन्दी रेडियो सेवा बंद की जा रही है , जानकर हतप्रभ हूं ...


हिन्दी के प्रति वैश्विक षडयंत्र तो नही ?
बीबीसी हिन्दी रेडियो सेवा बंद की जा रही है , जानकर हतप्रभ हूं ... ! हिन्दी का तो दुनिया भर में विस्तार हो रहा है और बीबीसी हिन्दी के प्रसारण बंद करने की बात कर रहे हैं ..  इस पर पुनर्विचार करने की जरूरत है  , किसी भी तरह बीबीसी हिन्दी के प्रसारण जारी रखे . यदि रेडियो प्रसारण बंद किये ही जाते हैं तो बीबीसी टीवी पर हिन्दी चैनल शुरू करे .. . बीबीसी एक सर्विस मात्र नही है यह एक मिशन है सच के पक्ष में ..जिसे करोड़ो श्रोता जुरे हुये हैं . इस तरह अचानक प्रसारण बंद करने का एक पक्षीय निर्णय  लिया जाना गलत है  .जर्मन  रेडियो डायचेवेली पहले ही हिन्दी प्रसारण बंद कर चुका है .. यह सब क्यो ..हिन्दी के दुनिया भर में बढ़ते प्रभाव के कारण  कोई साजिश तो नही  ?

19 जनवरी, 2011

गोबर की बिजली जल्द

देश का पहला संयंत्र, बायो गैस विद्युत प्लांट का पहला चरण शुरू
अगले माह से उत्पादन होगा प्रारंभ, डाइजेस्टर में गोबर डालने की प्रक्रिया का पहला दिन

jabalpur परियट क्षेत्र में स्थित गोबर से बिजली बनाने वाले संयंत्र की प्रक्रिया शुरू हुई

गोबर की बिजली जल्द

अगले माह से उत्पादन होगा प्रारंभ, डाइजेस्टर में गोबर डालने की प्रक्रिया का पहला दिन ङ"ख१८ऋ

 गोबर गैस से विद्युत उत्पादन करने वाले देश के पहले संयंत्र का पहला चरण बुधवार से प्रारंभ किया गया। अगले माह से विद्युत उत्पादन की शुरुआत होगी। जिसके बाद परियट इलाके में गोबर से फैलने वाले प्रदूषण से मुक्ति मिल सकेगी। बुधवार को पहली दफा संयंत्र में गोबर डालने की प्रक्रिया शुरू की गई। खास बात यह है कि इस विद्युत उत्पादन संयंत्र की स्थापना राज्य सरकार और ऊर्जा विकास निगम के सहयोग से की गई है।

विदेशी तकनीक का इस्तेमाल

प्लांट के बारे में कम्पनी के सीईओ मलिन्दर सिंह ने बताया कि प्लांट हालैण्ड की विकसित की गई तकनीक के आधार पर ही तैयार किया गया है। २० एक़ड़ के इलाके में फैले इस प्लांट को तैयार होने में लगभग १६ करो़ड़ की लागत आ रही है। जिसमें तीन डाइजेस्टर टैंक के जरिए बायो गैस से विद्युत उत्पादन किया जाएगा। हरेक टैंक में ४० लाख लीटर गोबर से १.२ मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा। फिलहाल ४ जेनसेट के जरिए १.२ मेगावाट यानी ३७६ किलो वाट बिजली मिलेगी। इसके बाद २ जेनसेट भी लगाए जाना बाकी हैं। मध्य प्रदेश राज्य विद्युत मण्डल के जरिए हुए करार में संयंत्र से होने वाले विद्युत उत्पादन में प्रति यूनिट बिजली की दर ३ रुपए ३३ पैसे तय की गई है। प्लांट को तैयार करने विदेशी इंजीनियरों का सहारा भी लिया जा रहा है।

रोजाना खपेगा गोबर

संयंत्र में लगे एक डाइजेस्टर टैंक को भरने में ही एक माह का समय लगना बताया जा रहा है। ऐसे तीन टैंक भरे जाने हैं जिसके लिए रोजाना गोबर भरा जाएगा। परियट इलाके के दूध उत्पादन करने वाले डेयरी मालिकों से यह गोबर प्राप्त किया जा रहा है जिसके लिए उनकी डेयरी से गोबर उठाकर संयंत्र तक लाने के लिए डेयरी मालिकों को एक ट्रॉली गोबर के लिए १२५ से १५० रुपए दिए जाना तय किया गया है।

अपशिष्ट से बनेगी खाद

खास बात यह है कि प्रदूषण को रोकने के लिए गोबर का उपयोग कर लेने के बाद उससे निकले अपशिष्ट का भी उपयोग किया जाएगा। इसके लिए भी प्लांट में गोबर की खाद तैयार करने के उपाय किए गए हैं। यह खाद किसानों को सस्ते दामों पर मुहैया कराई जाएगी। साथ ही मछली पालन और पौधरोपण भी किया जाएगा। गोबर के चलते होने वाली गदंगी से अब परियट नदी सहित पूरे इलाके को निजात मिल सकेगी। वहीं डेयरी मालिकों को गोबर पर राशि दी जाएगी।

पहला चरण शुरू

विद्युत उत्पादन के लिए बुधवार की दोपहर डेयरी मालिकों से गोबर संयंत्र में डाले जाने का पहला चरण शुरू किया गया। इस दौरान कम्पनी के अधिकारी और डेयरी मालिक मौजूद रहे।