................................power is key for development, let us save power,
23 अप्रैल, 2010
वायरलेस बिजली बनेगी हकीकत...with thanks from naidunia dt 24.04.10
वायरलेस बिजली बनेगी हकीकत?
कई कंपनियाँ वायरलेस बिजली को खोजने में जुट गई हैं। जो विकल्प उभरकर आए हैं, उनमें रेडियो तरंगों के जरिए बिजली को संप्रेषित करना सबसे प्रभावी समाधान दिखाई देता है।
मुकुल व्यास
कम्प्यूटर, टीवी और म्यूजिक प्लेयर जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण हर साल छोटे हो रहे हैं, पतले हो रहे हैं और देखने में खूबसूरत भी। इन उपकरणों का आकार भले ही घट रहा हो, लेकिन हमें अभी तक तारों के जंजाल से छुटकारा नहीं मिला है। क्या इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को इन तारों से निजात दिलाना मुमकिन है?
पिछले कुछ समय से वैज्ञानिक बिजली को तार के बिना ही संप्रेषित करने की कोशिश कर रहे हैं। बेतार संप्रेषण को प्रभावी बनाने में कुछ दिक्कतें आ रही हैं और ऐसे सिस्टम की सुरक्षा को लेकर भी सवाल खड़े किए गए हैं। इसके बावजूद सोनी और इंटेल जैसी बड़ी कंपनियाँ बेतार संप्रेषण को हकीकत में बदलने की कोशिश कर रही हैं।
वायरलेस बिजली का विचार नया नहीं है। निकोला तेस्ला ने २०वीं सदी के आरंभ में लोगों के घरों में तार के बगैर ही बिजली संप्रेषित करने का विचार रखा था। उन्होंने न्यूयॉर्क के लांग आईलैंड में वार्डन क्लिफ टावर का निर्माण भी शुरूकर दिया था। यह एक विशाल दूरसंचार टावर था, जिसके जरिए वह अपने वायरलेस पावर ट्रांसमिशन को परखना चाहते थे। निकोला की कोशिश नाकाम हो गई।
वायरलेस बिजली का विचार आकर्षक जरूर है, लेकिन इसे व्यावहारिक धरातल पर साकार करना मुश्किल है। लंबी दूरी के जमीनी वायरलेस पावर ट्रांसमिशन के लिए मूलभूत सुविधाएँ जुटाना बहुत महँगा पड़ेगा। इसके अलावा उष्ण ऊर्जा वाली माइक्रोवेव के जरिए बिजली के संप्रेषण की सेफ्टी को लेकर विशेषज्ञों ने चिंता प्रकट की है। निकट भविष्य में वायरलेस पावर सेट बनने की कोई संभावना नहीं है, लेकिन छोटे स्तर पर बिजली के वायरलेस संप्रेषण का विचार जोर पकड़ रहा है। अनेक कंपनियाँ इसके कारगर, किफायती और सुरक्षित तरीके खोजने में जुट गई हैं। जो विकल्प उभरकर आए हैं उनमें रेडियो तरंगों के जरिए बिजली को संप्रेषित करना सबसे प्रभावी समाधान दिखाई देता है।
पीट्सबर्ग, पेनसिल्वेनिया स्थित पावरकास्ट कंपनी ने अभी हाल ही में इस टेक्नोलॉजी के जरिए १५ मीटर की दूरी पर औद्योगिक सेंसरों को माइक्रोवाट और मिलीवाट बिजली संप्रेषित की थी। कंपनी का मानना है कि इस तकनीक से एक दिन अलार्म घड़ियों, सेलफोन और रिमोट कंट्रोल को रिचार्ज करना संभव हो जाएगा। इस तकनीक की कुशलता सिर्फ १५ से ३० प्रतिशत ही है। अभी वायरलेस लैंपों, स्पीकरों और इलेक्ट्रॉनिक फोटो फ्रेमों को ऊर्जा देने के लिए इस टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाता है।
वायरलेस पावर के लिए एक संभावना "मैगनेटिक इंडक्शन"भी है। इस तकनीक में एक छोर पर रखी काइल से निकलने वाला चुंबकीय क्षेत्र पास में रखी दूसरी काइल में करंट उत्पन्ना कर सकता है। अनेक बड़ी इलेक्ट्रॉनिक कंपनियाँ इस तकनीक में दिलचस्पी ले रही हैं। सोनी ने एक वायरलेस टीवी का परीक्षण किया है
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