देश का पहला संयंत्र, बायो गैस विद्युत प्लांट का पहला चरण शुरू अगले माह से उत्पादन होगा प्रारंभ, डाइजेस्टर में गोबर डालने की प्रक्रिया का पहला दिन |
jabalpur परियट क्षेत्र में स्थित गोबर से बिजली बनाने वाले संयंत्र की प्रक्रिया शुरू हुई गोबर की बिजली जल्द अगले माह से उत्पादन होगा प्रारंभ, डाइजेस्टर में गोबर डालने की प्रक्रिया का पहला दिन ङ"ख१८ऋ गोबर गैस से विद्युत उत्पादन करने वाले देश के पहले संयंत्र का पहला चरण बुधवार से प्रारंभ किया गया। अगले माह से विद्युत उत्पादन की शुरुआत होगी। जिसके बाद परियट इलाके में गोबर से फैलने वाले प्रदूषण से मुक्ति मिल सकेगी। बुधवार को पहली दफा संयंत्र में गोबर डालने की प्रक्रिया शुरू की गई। खास बात यह है कि इस विद्युत उत्पादन संयंत्र की स्थापना राज्य सरकार और ऊर्जा विकास निगम के सहयोग से की गई है। विदेशी तकनीक का इस्तेमाल प्लांट के बारे में कम्पनी के सीईओ मलिन्दर सिंह ने बताया कि प्लांट हालैण्ड की विकसित की गई तकनीक के आधार पर ही तैयार किया गया है। २० एक़ड़ के इलाके में फैले इस प्लांट को तैयार होने में लगभग १६ करो़ड़ की लागत आ रही है। जिसमें तीन डाइजेस्टर टैंक के जरिए बायो गैस से विद्युत उत्पादन किया जाएगा। हरेक टैंक में ४० लाख लीटर गोबर से १.२ मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा। फिलहाल ४ जेनसेट के जरिए १.२ मेगावाट यानी ३७६ किलो वाट बिजली मिलेगी। इसके बाद २ जेनसेट भी लगाए जाना बाकी हैं। मध्य प्रदेश राज्य विद्युत मण्डल के जरिए हुए करार में संयंत्र से होने वाले विद्युत उत्पादन में प्रति यूनिट बिजली की दर ३ रुपए ३३ पैसे तय की गई है। प्लांट को तैयार करने विदेशी इंजीनियरों का सहारा भी लिया जा रहा है। रोजाना खपेगा गोबर संयंत्र में लगे एक डाइजेस्टर टैंक को भरने में ही एक माह का समय लगना बताया जा रहा है। ऐसे तीन टैंक भरे जाने हैं जिसके लिए रोजाना गोबर भरा जाएगा। परियट इलाके के दूध उत्पादन करने वाले डेयरी मालिकों से यह गोबर प्राप्त किया जा रहा है जिसके लिए उनकी डेयरी से गोबर उठाकर संयंत्र तक लाने के लिए डेयरी मालिकों को एक ट्रॉली गोबर के लिए १२५ से १५० रुपए दिए जाना तय किया गया है। अपशिष्ट से बनेगी खाद खास बात यह है कि प्रदूषण को रोकने के लिए गोबर का उपयोग कर लेने के बाद उससे निकले अपशिष्ट का भी उपयोग किया जाएगा। इसके लिए भी प्लांट में गोबर की खाद तैयार करने के उपाय किए गए हैं। यह खाद किसानों को सस्ते दामों पर मुहैया कराई जाएगी। साथ ही मछली पालन और पौधरोपण भी किया जाएगा। गोबर के चलते होने वाली गदंगी से अब परियट नदी सहित पूरे इलाके को निजात मिल सकेगी। वहीं डेयरी मालिकों को गोबर पर राशि दी जाएगी। पहला चरण शुरू विद्युत उत्पादन के लिए बुधवार की दोपहर डेयरी मालिकों से गोबर संयंत्र में डाले जाने का पहला चरण शुरू किया गया। इस दौरान कम्पनी के अधिकारी और डेयरी मालिक मौजूद रहे। |
................................power is key for development, let us save power,
19 जनवरी, 2011
गोबर की बिजली जल्द
25 दिसंबर, 2010
ए टी पी से करें कभी भी कहीं भी , अपनी देनदारियों का भुगतान .
ए टी पी से करें कभी भी कहीं भी , अपनी देनदारियों का भुगतान ...
विवेक रंजन श्रीवास्तव
अतिरिक्त अधीक्षण इंजीनियर
ओ बी ११ , विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
म.प्र.पूर्वी क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी , जबलपुर
vivek1959@yahoo.co.in
आज के समय में भौतिक संसाधनो ने हमें सुविधा भोगी बना दिया है . हर आदमी जल्दी में है . हमारे पास सब कुछ है , जो नही है वह जुटाने में हम सब व्यस्त हैं , किन्तु इस आपाधापी में समय की कमी है.दिन रात के चौबीस घंटो को बढ़ा सकने की , या समय बचा सकने की कला ढ़ूंढ़ने में हम लगे हैं . बैंक में लम्बी कतार में लगकर रुपये निकालने के दिन अब पुराने हो चुके हैं , जगह जगह ए टी एम मशीन लग चुकी हैं , अपना कार्ड डालिये , पासवर्ड दबाइये और रुपये निकाल लीजीये .. कितना सुविधाजनक है .
रुपये निकालना तो सरल हो गया है पर जब बिजली का बिल ,नल के पानी का बिल ,टेलीफोन या मोबाइल का बिल , गाड़ियो का टैक्स ,बच्चो के स्कूल की फीस , इंश्योरेंस का प्रिमियम भरना हो और लाइन लम्बी हो , या कलेक्शन विंडो बंद हो अथवा काउंटर क्लर्क चाय पीने सीट छोड़कर कहीं चला गया हो तो हम अधीर हो उठते हैं , हमें गुस्सा भी आता है और हम लाइन में लगे हुये अन्य लोगों के साथ व्यवस्था पर दोषारोपण के भाषण देने से बाज नहीं आते . अब समय व सुविधा हमारे लिये महत्वपूर्ण हो चुकी है . यही कारण है कि दलाल , ब्रोकर , व एजेंट फल फूल रहे हैं . आर टी ओ , पासपोर्ट , वीसा आदि अनेक व्यवस्थाओ में तो एजेंट के बिना काम ही नही होता .
पाया गया है कि उपभोक्ता सुविधाओ के विस्तार में मानवीय व्यवस्थाओ की अपेक्षा इलेक्ट्रानिक , या मशिनी व्यवस्थायें अधिक कारगर साबित हुई हैं .फैक्ट्री में कर्मियो के आने जाने पर निगरानी व रिकार्ड रखने वाली मशीन हो , रेल्वे स्टेशन पर वजन लेने की आटोमेटिक मशीन हो , कागज के नोट को चिल्हर में बदलने वाली मशीन हो , मंदिरों में नारियल फोड़ने वाली मशिन हो ,न्यूज पेपर , या कंडोम वेंडिग मशीनें हों जहाँ भी संभव हुआ हैं , मशीनो ने अधिक विश्वसनीय , व निरापद सुविधायें बढ़ाई हैं .
इसी क्रम में विगत कुछ ही समय से ए टी पी मशीन से कभी भी कहीं भी , अपनी देनदारियों का भुगतान करने की सुविधा अनेक कंपनियो के द्वारा उपलब्ध कराई जा रही है . म.प्र.पूर्वी क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी , जबलपुर ने म.प्र. में सर्वप्रथम यह उपभोक्ता सुविधा जुटाकर महत्वपूर्ण कार्य किया . कंपनी के सी एम डी श्री पंकज अग्रवाल आई ए एस महोदय ने स्पष्ट सोच सामने रखी .उनके अनुसार जब उपभोक्ता बिजली बिल जमा करना चाहता है , तो उसे सम्मान पूर्वक , साफसुथरे वातावरण में बिना लम्बी लाइन में लगे अपने बिल जमा करने का अवसर दिया जाना जरूरी है इससे कंपनी के राजस्व में वृद्धि होगी . पहले बिजली बिल जमा करने की अंतिम तिथि के दिनो में समय से पहले बिजली बिल जमा करने के लिये लम्बी लाइनें लगती थीं ,क्योकि बिल जमा होने में नियत तारीख से देर हो जाने पर उपभोक्ता को पेनाल्टी देनी पड़ती है , अतः भीड़ व पेनाल्टी से बचने के लिये लोग अलग से कुछ सेवाशुल्क देकर एजेंटो या बिजली कर्मचारियो के माध्यम से बिल जमा करवाते थे . बिल जमा करने के काउंटर पर भीड़ नियंत्रित करने के लिये गार्डस की व्यवस्था तक करनी पड़ती थी . ज्यादा काम होने से बिल जमा करने वाले व्यक्ति से मानवीय त्रुटि होना स्वाभाविक है , अनेक प्रकरण सामने आये जिनमें जानबूझकर या त्रुटिवश फाइनेंशियल डिफाल्केशन हुआ .बढ़ती आबादी के चलते उपभोक्ताओ की संख्या में निरंतर वृद्धि और दूसरी ओर कर्मचारियो की संख्या में लगातार कमी से दबाव बढ़ता जा रहा था . नई नीति के अनुसार उपभोक्ता सेवा केंद्रो का विस्तार व निर्माण का महत्वपूर्ण कार्य किया गया .एम पी आनलाइन के माध्यम से भी बिल जमा करने की सेवा प्ररंभ की गई . पर सबसे प्रभावी व क्रांतिकारी कदम के रूप में ए टी पी मशीनो की स्थापना की गई . ए टी पी मशीन लगाने वाली कुछ कंपनियो में से एक एस पी एम एल टैक्नालाजी बैंगलोर के साथ करार किया गया व उक्त संस्था ने एटीएम मशीनो की ही तरह जगह जगह एटीपी मशीनें स्थापित की हैं जिनमें कंप्यूटर साफ्टवेयर के माध्यम से टच स्क्रीन विंडो के द्वारा २४ घंटे , ३६५ दिन नगद , चैक , ड्राफ्ट , क्रैडिट कार्ड , या डेबिट कार्ड के जरिये बिल भुगतान की सहज सुविधा सुलभ कराई गई है .एटीपी मशीन का उपयोग बिना पढ़े लिखे उपभोक्ता भी कर सकें इसके लिये प्रत्येक एटीपी पर एक सहायक रखा गया है , जो मशीन से बिल जमाकर रसीद देने में उपभोक्ता की सहायता करता है व मशीन की सुरक्षा की जबाबदारी भी उठाता है . इस तरह ए टी पी से नये रोजगार भी सृजित हुये . इसके लिये आर एम एस सिस्टम भी केंद्रीकृत किया गया व इस तरह जहाँ एक ओर किसी भी एटीपी से किसी भी क्षेत्र के बिल के भुगतान की सुविधा उपभोक्ता को मिल सकी तो दूसरी ओर कंपनी के हित में राजस्व की जानकारी एक क्लिक पर मिलने लगी तथा इस पद्धति से भ्रष्टाचार पर नियंत्रण भी हुआ . वर्तमान में म.प्र. में एटीपी मशीनो से केवल बिजली बिलो का ही भुगतान हो रहा है , पर इन मशीनो के द्वारा पानी का बिल ,टेलीफोन या मोबाइल का बिल , गाड़ियो का टैक्स ,बच्चो के स्कूल की फीस , इंश्योरेंस का प्रिमियम आदि का भी भुगतान करने की व्यवस्था की जा सकती है , जरुरत केवल तकनीक के जन सामान्य के हित में समुचित दोहन की है .
.
विवेक रंजन श्रीवास्तव
अतिरिक्त अधीक्षण इंजीनियर
ओ बी ११ , विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
म.प्र.पूर्वी क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी , जबलपुर
vivek1959@yahoo.co.in
आज के समय में भौतिक संसाधनो ने हमें सुविधा भोगी बना दिया है . हर आदमी जल्दी में है . हमारे पास सब कुछ है , जो नही है वह जुटाने में हम सब व्यस्त हैं , किन्तु इस आपाधापी में समय की कमी है.दिन रात के चौबीस घंटो को बढ़ा सकने की , या समय बचा सकने की कला ढ़ूंढ़ने में हम लगे हैं . बैंक में लम्बी कतार में लगकर रुपये निकालने के दिन अब पुराने हो चुके हैं , जगह जगह ए टी एम मशीन लग चुकी हैं , अपना कार्ड डालिये , पासवर्ड दबाइये और रुपये निकाल लीजीये .. कितना सुविधाजनक है .
रुपये निकालना तो सरल हो गया है पर जब बिजली का बिल ,नल के पानी का बिल ,टेलीफोन या मोबाइल का बिल , गाड़ियो का टैक्स ,बच्चो के स्कूल की फीस , इंश्योरेंस का प्रिमियम भरना हो और लाइन लम्बी हो , या कलेक्शन विंडो बंद हो अथवा काउंटर क्लर्क चाय पीने सीट छोड़कर कहीं चला गया हो तो हम अधीर हो उठते हैं , हमें गुस्सा भी आता है और हम लाइन में लगे हुये अन्य लोगों के साथ व्यवस्था पर दोषारोपण के भाषण देने से बाज नहीं आते . अब समय व सुविधा हमारे लिये महत्वपूर्ण हो चुकी है . यही कारण है कि दलाल , ब्रोकर , व एजेंट फल फूल रहे हैं . आर टी ओ , पासपोर्ट , वीसा आदि अनेक व्यवस्थाओ में तो एजेंट के बिना काम ही नही होता .
पाया गया है कि उपभोक्ता सुविधाओ के विस्तार में मानवीय व्यवस्थाओ की अपेक्षा इलेक्ट्रानिक , या मशिनी व्यवस्थायें अधिक कारगर साबित हुई हैं .फैक्ट्री में कर्मियो के आने जाने पर निगरानी व रिकार्ड रखने वाली मशीन हो , रेल्वे स्टेशन पर वजन लेने की आटोमेटिक मशीन हो , कागज के नोट को चिल्हर में बदलने वाली मशीन हो , मंदिरों में नारियल फोड़ने वाली मशिन हो ,न्यूज पेपर , या कंडोम वेंडिग मशीनें हों जहाँ भी संभव हुआ हैं , मशीनो ने अधिक विश्वसनीय , व निरापद सुविधायें बढ़ाई हैं .
इसी क्रम में विगत कुछ ही समय से ए टी पी मशीन से कभी भी कहीं भी , अपनी देनदारियों का भुगतान करने की सुविधा अनेक कंपनियो के द्वारा उपलब्ध कराई जा रही है . म.प्र.पूर्वी क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी , जबलपुर ने म.प्र. में सर्वप्रथम यह उपभोक्ता सुविधा जुटाकर महत्वपूर्ण कार्य किया . कंपनी के सी एम डी श्री पंकज अग्रवाल आई ए एस महोदय ने स्पष्ट सोच सामने रखी .उनके अनुसार जब उपभोक्ता बिजली बिल जमा करना चाहता है , तो उसे सम्मान पूर्वक , साफसुथरे वातावरण में बिना लम्बी लाइन में लगे अपने बिल जमा करने का अवसर दिया जाना जरूरी है इससे कंपनी के राजस्व में वृद्धि होगी . पहले बिजली बिल जमा करने की अंतिम तिथि के दिनो में समय से पहले बिजली बिल जमा करने के लिये लम्बी लाइनें लगती थीं ,क्योकि बिल जमा होने में नियत तारीख से देर हो जाने पर उपभोक्ता को पेनाल्टी देनी पड़ती है , अतः भीड़ व पेनाल्टी से बचने के लिये लोग अलग से कुछ सेवाशुल्क देकर एजेंटो या बिजली कर्मचारियो के माध्यम से बिल जमा करवाते थे . बिल जमा करने के काउंटर पर भीड़ नियंत्रित करने के लिये गार्डस की व्यवस्था तक करनी पड़ती थी . ज्यादा काम होने से बिल जमा करने वाले व्यक्ति से मानवीय त्रुटि होना स्वाभाविक है , अनेक प्रकरण सामने आये जिनमें जानबूझकर या त्रुटिवश फाइनेंशियल डिफाल्केशन हुआ .बढ़ती आबादी के चलते उपभोक्ताओ की संख्या में निरंतर वृद्धि और दूसरी ओर कर्मचारियो की संख्या में लगातार कमी से दबाव बढ़ता जा रहा था . नई नीति के अनुसार उपभोक्ता सेवा केंद्रो का विस्तार व निर्माण का महत्वपूर्ण कार्य किया गया .एम पी आनलाइन के माध्यम से भी बिल जमा करने की सेवा प्ररंभ की गई . पर सबसे प्रभावी व क्रांतिकारी कदम के रूप में ए टी पी मशीनो की स्थापना की गई . ए टी पी मशीन लगाने वाली कुछ कंपनियो में से एक एस पी एम एल टैक्नालाजी बैंगलोर के साथ करार किया गया व उक्त संस्था ने एटीएम मशीनो की ही तरह जगह जगह एटीपी मशीनें स्थापित की हैं जिनमें कंप्यूटर साफ्टवेयर के माध्यम से टच स्क्रीन विंडो के द्वारा २४ घंटे , ३६५ दिन नगद , चैक , ड्राफ्ट , क्रैडिट कार्ड , या डेबिट कार्ड के जरिये बिल भुगतान की सहज सुविधा सुलभ कराई गई है .एटीपी मशीन का उपयोग बिना पढ़े लिखे उपभोक्ता भी कर सकें इसके लिये प्रत्येक एटीपी पर एक सहायक रखा गया है , जो मशीन से बिल जमाकर रसीद देने में उपभोक्ता की सहायता करता है व मशीन की सुरक्षा की जबाबदारी भी उठाता है . इस तरह ए टी पी से नये रोजगार भी सृजित हुये . इसके लिये आर एम एस सिस्टम भी केंद्रीकृत किया गया व इस तरह जहाँ एक ओर किसी भी एटीपी से किसी भी क्षेत्र के बिल के भुगतान की सुविधा उपभोक्ता को मिल सकी तो दूसरी ओर कंपनी के हित में राजस्व की जानकारी एक क्लिक पर मिलने लगी तथा इस पद्धति से भ्रष्टाचार पर नियंत्रण भी हुआ . वर्तमान में म.प्र. में एटीपी मशीनो से केवल बिजली बिलो का ही भुगतान हो रहा है , पर इन मशीनो के द्वारा पानी का बिल ,टेलीफोन या मोबाइल का बिल , गाड़ियो का टैक्स ,बच्चो के स्कूल की फीस , इंश्योरेंस का प्रिमियम आदि का भी भुगतान करने की व्यवस्था की जा सकती है , जरुरत केवल तकनीक के जन सामान्य के हित में समुचित दोहन की है .
.
17 दिसंबर, 2010
विवाह समारोहो में बिजली चोरी के खिलाफ संदेशा .. बैंड बाजा बारात में
विवाह समारोहो में बिजली चोरी के खिलाफ संदेशा .. बैंड बाजा बारात में ...
कल मुहर्रम की छुट्टी थी , दायीत्व बोध से ही सही सोचा चलो कुछ समय श्रीमती जी को भी दिया जावे , और मूवी मैजिक में बैंड बाजा बारात देखने का कार्यक्रम बना डाला ... अच्छी फिल्म है ...शादी विवाह , अन्य सार्वजनिक , धार्मिक समारोहो में बिना बिजली का नियमित कनेक्शन लिये हुये खंभे से सीधे तार जोड़कर बिजली ले लेना जैसे हमारे यहाँ अधिकार ही माना जाने लगा है ... मैं नियमित रूप से इस संबंध में लिखता रहा हूं . इस बिजली चोरी के विरुद्ध बैंड बाजा बारात में फिल्म की हीरोइन अनुष्का शर्मा एक डायलाग में संदेश भी देती हैं इस फिल्म में ... भई वाह ! लेखक , निर्देशक को भी बधाई !
अनुष्का शर्मा की पिछली फिल्म "रब ने बना दी जोडी" में भी शाहरूख खान का " पंजाब पावर लाइटनिंग योर लाइफ्स " वाला डायलाग भी बिजली सैक्टर के लोगो के लिये इंस्पायरिंग था ...
कल मुहर्रम की छुट्टी थी , दायीत्व बोध से ही सही सोचा चलो कुछ समय श्रीमती जी को भी दिया जावे , और मूवी मैजिक में बैंड बाजा बारात देखने का कार्यक्रम बना डाला ... अच्छी फिल्म है ...शादी विवाह , अन्य सार्वजनिक , धार्मिक समारोहो में बिना बिजली का नियमित कनेक्शन लिये हुये खंभे से सीधे तार जोड़कर बिजली ले लेना जैसे हमारे यहाँ अधिकार ही माना जाने लगा है ... मैं नियमित रूप से इस संबंध में लिखता रहा हूं . इस बिजली चोरी के विरुद्ध बैंड बाजा बारात में फिल्म की हीरोइन अनुष्का शर्मा एक डायलाग में संदेश भी देती हैं इस फिल्म में ... भई वाह ! लेखक , निर्देशक को भी बधाई !
अनुष्का शर्मा की पिछली फिल्म "रब ने बना दी जोडी" में भी शाहरूख खान का " पंजाब पावर लाइटनिंग योर लाइफ्स " वाला डायलाग भी बिजली सैक्टर के लोगो के लिये इंस्पायरिंग था ...
13 दिसंबर, 2010
1st India International energy summit 28th to 30th Jan 2011
Society of Energy Engineers and Managers
organizing
1st India International energy summit 28th to 30th Jan 2011
Details are at www.iies.in
Or
10 दिसंबर, 2010
बिजली चोरी कम होने से बैतूल में २४ घंटे अनवरत बिजली प्रदाय करने के आदेश....
बैतूल मध्य प्रदेश का पहला जिला बन गया है जहाँ बिजली चोरी कम होने से लाइनलास न्यूनतम रिकार्ड किया गया है और इससे प्रभावित होकर वहां २४ घंटे अनवरत बिजली प्रदाय करने के आदेश मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने जारी कर दिये हैं ...
रिलायंस का पक्ष .....बिजली चोरी का मामला सासन प्रोजेक्ट
रिलायंस का पक्ष
सासन प्रोजेक्ट में नवंबर ०९ में बिजली कनेक्शन लगा था। इसके बाद जब पहली रीडिंग का बिल आया तो बेहद काम राशि का बिल होने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए हमने पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारियों को लिखित में सूचना दी। संबंधित पत्र की रिसीविंग भी हमारे पास में हैं। इसके बाद भी बिजली अधिकारियों के हम संपर्क में रहे। ऐसी स्थिति में बिजली चोरी का मामला हम पर कैसे बनाया जा सकता है?
रिलायंस के साथ मीटरिंग का मामला था यानि रीडिंग को लेकर त्रुटी हो रही थी न कि बिजली चोरी। धारा १३५ तभी लगती है जब मीटर से छे़ड़छा़ड़ या सीधे तार से बिजली चोरी हो रही हो।
सासन प्रोजेक्ट में नवंबर ०९ में बिजली कनेक्शन लगा था। इसके बाद जब पहली रीडिंग का बिल आया तो बेहद काम राशि का बिल होने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए हमने पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारियों को लिखित में सूचना दी। संबंधित पत्र की रिसीविंग भी हमारे पास में हैं। इसके बाद भी बिजली अधिकारियों के हम संपर्क में रहे। ऐसी स्थिति में बिजली चोरी का मामला हम पर कैसे बनाया जा सकता है?
रिलायंस के साथ मीटरिंग का मामला था यानि रीडिंग को लेकर त्रुटी हो रही थी न कि बिजली चोरी। धारा १३५ तभी लगती है जब मीटर से छे़ड़छा़ड़ या सीधे तार से बिजली चोरी हो रही हो।
09 दिसंबर, 2010
बिजली का उत्पादन संयत्र स्थापित करने वाली कंपनी पर ही बिजली चोरी का आरोप ..
सिंगरौली में हो रही थी बिजली चोरी
.रिलायंस को ८ करोड़ का बि...ल
२९ सितंबर को पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के विजलेंस हेड एके कुलश्रेष्ठ ने सिंगरौली के सासन नामक स्थान में रिलायंस के स्थापित हो रहे ४००० मेगावाट के अल्ट्रा पावर प्लांट की साइट पर छापा मारा था।उनके अनुसार यहां सीटी को बायपास कर सीधे ३३ केवी लाइन से बिजली चोरी हो रही थी।
इस आधार पर जब श्री कुलश्रेष्ठ की टीम ने कार्रवाई की, तो मैदानी अधिकारियों ने इसका विरोध किया और कहा कि सीटी मीटर यानि करंट ट्रांसफार्मर का मीटर खराब था, जिसके कारण उपभोक्ता की बिजली खपत दर्ज नहीं हो पा रही थी। श्री कुलश्रेष्ठ के विरोध के बाद मीटर को भोपाल भेजकर चेक कराया गया, तो वो सही पाया गया। इस आधार पर कुलश्रेष्ठ ने आरोपी के खिलाफ बिलिंग के साथ ही प्रथम दृष्टया दोषी अधिकारियों के खिलाफ क़ड़ी कार्रवाई करने कंपनी प्रबंधन को प्रस्ताव दिया है। उल्लेखनीय है कि रिलायंस ने नवंबर २००९ में सासन में बिजली कनेक्शन लिया था, तब से यहां छापे की कार्रवाई तक मीटर में बिजली खपत दर्ज ही नहीं हो रही थी।
कार्यपालन अभियंता मीटर टेस्टिंग लैब रीवा कुलदीप कुमार दुबे, एई नीरज गुलातिया सहित दो अन्य कर्मी शमीम अहमद और खान के खिलाफ धारा ४२०, १५०, १६७, १८९, १९२, १८०, ४६४, ४७० और १२० के तहत आपराधिक मामला दर्ज कराए जाने का सुझाव दिया है।
धारा १३५ का प्रकरण
कंपनी के विजलेंस हेड ए के कुलश्रेष्ठ ने बताया कि ३० नवंबर को मीटर टेस्टिंग में मीटर रिपोर्ट ओ के आने पर सासन पावर रिलायंस के खिलाफ विद्युत अधिनियम २००३ की धारा १३५ के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। उन्हें ९० हजार की कंपाउंडिंग राशि सहित ७ करो़ड़ ६१ लाख रुपये का बिल थमाया जा रहा है।
.रिलायंस को ८ करोड़ का बि...ल
२९ सितंबर को पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के विजलेंस हेड एके कुलश्रेष्ठ ने सिंगरौली के सासन नामक स्थान में रिलायंस के स्थापित हो रहे ४००० मेगावाट के अल्ट्रा पावर प्लांट की साइट पर छापा मारा था।उनके अनुसार यहां सीटी को बायपास कर सीधे ३३ केवी लाइन से बिजली चोरी हो रही थी।
इस आधार पर जब श्री कुलश्रेष्ठ की टीम ने कार्रवाई की, तो मैदानी अधिकारियों ने इसका विरोध किया और कहा कि सीटी मीटर यानि करंट ट्रांसफार्मर का मीटर खराब था, जिसके कारण उपभोक्ता की बिजली खपत दर्ज नहीं हो पा रही थी। श्री कुलश्रेष्ठ के विरोध के बाद मीटर को भोपाल भेजकर चेक कराया गया, तो वो सही पाया गया। इस आधार पर कुलश्रेष्ठ ने आरोपी के खिलाफ बिलिंग के साथ ही प्रथम दृष्टया दोषी अधिकारियों के खिलाफ क़ड़ी कार्रवाई करने कंपनी प्रबंधन को प्रस्ताव दिया है। उल्लेखनीय है कि रिलायंस ने नवंबर २००९ में सासन में बिजली कनेक्शन लिया था, तब से यहां छापे की कार्रवाई तक मीटर में बिजली खपत दर्ज ही नहीं हो रही थी।
कार्यपालन अभियंता मीटर टेस्टिंग लैब रीवा कुलदीप कुमार दुबे, एई नीरज गुलातिया सहित दो अन्य कर्मी शमीम अहमद और खान के खिलाफ धारा ४२०, १५०, १६७, १८९, १९२, १८०, ४६४, ४७० और १२० के तहत आपराधिक मामला दर्ज कराए जाने का सुझाव दिया है।
धारा १३५ का प्रकरण
कंपनी के विजलेंस हेड ए के कुलश्रेष्ठ ने बताया कि ३० नवंबर को मीटर टेस्टिंग में मीटर रिपोर्ट ओ के आने पर सासन पावर रिलायंस के खिलाफ विद्युत अधिनियम २००३ की धारा १३५ के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। उन्हें ९० हजार की कंपाउंडिंग राशि सहित ७ करो़ड़ ६१ लाख रुपये का बिल थमाया जा रहा है।
नई दुनिया में प्रकाशित समाचार के आधार पर ..साभार
वितरण कंपनियों का बेहतर संचालन कुछ ऐसी चुनौतियाँ हैं जिसका समाधान किया जाना जरूरी है...बिजली सचिव
१२वीं पंचवर्षीय योजना के बारे में सरकार का नजरिया
वितरण कंपनियों का बेहतर संचालन कुछ ऐसी चुनौतियाँ हैं जिसका समाधान किया जाना जरूरी है...बिजली सचिव
बिजली क्षेत्र में ४०० अरब डॉलर निवेश की जरूरत
बिजली क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी की जरूरत पर बल देते हुए सरकार ने आज कहा कि देश में सबको वाजिब दाम पर समुचित बिजली की आपूर्ति की व्यवस्था करने के लिए १२वीं योजना (२०१२-१७) में इस क्षेत्र में ३०० से ४०० अरब डॉलर ( १३,५००-१८,००० अरब रुपये) के निवेश की जरूरत होगी।
सरकार ने तीव्र आर्थिक वृद्घि के लिए बुनियादी ढाँचा क्षेत्र में १२वीं योजना के दौरान १,००० अरब डॉलर के निवेश का लक्ष्य रखा है। उद्योग मंडल फिक्की द्वारा "भारतीय बिजली क्षेत्र : समन्वित योजना और क्रियान्वयन-१२वीं योजना और उसके बाद" विषय पर आयोजित सम्मेलन में बिजली सचिव पी उमाशंकर ने कहा कि समाज के सभी तबकों को वाजिब दाम पर बिजली आपूर्ति करने के लिए १२वीं योजना में इस क्षेत्र में ३०० से ४०० अरब डॉलर की जरूरत होगी।
इतना बड़ा निवेश करना अकेले सार्वजनिक क्षेत्र के वश में नहीं है। ऐसे में निजी क्षेत्र को इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में अहम भूमिका निभानी होगी।
कंपनियों को आकर्षित करेंगेः उमाशंकर ने कहा कि सरकार ने निजी घरेलू और विदेशी कंपनियों को इस क्षेत्र में धन लगाने के लिए आकर्षित करने के लिए अनुकूल कानूनी और विनियामकीय नीतिगत व्यवस्था की है। बिजली क्षेत्र में निजी क्षेत्र का योगदान वर्ष २०१० में १९ फीसद हो गया है जो १९९० में ४ फीसद था। ११वीं योजना के अंत में निजी क्षेत्र का योगदान ३० फीसद के करीब पहुँचने की उम्मीद है। निजी क्षेत्र में मित्सुबिसी, अल्सतोम, सीमेंस जैसी अग्रणी कंपनियाँ बिजली क्षेत्र में निवेश कर रही हैं।
मौजूदा पंचवर्षीय योजना (२००७-१२) में संशोधित ६२,३७४ मेगावॉट बिजली उत्पादन लक्ष्य में से २९,३०० मेगावॉट हासिल कर लिया गया है। हालाँकि उन्होंने कहा कि पनबिजली परियोजना के क्रियान्वयन में देरी से हमारा कुल उत्पादन ४,००० मेगावॉट तक कम हो सकता है। उमाशंकर ने कहा कि समय बिजली उपकरणों की आपूर्ति, ईंधन उपलब्धता, पर्यावरण एवं वन संबंधी मंजूरी में देरी और वितरण कंपनियों का बेहतर संचालन कुछ ऐसी चुनौतियाँ हैं जिसका समाधान किया जाना जरूरी है और सरकार इस दिशा में कदम उठा रही है।
वितरण कंपनियों का बेहतर संचालन कुछ ऐसी चुनौतियाँ हैं जिसका समाधान किया जाना जरूरी है...बिजली सचिव
बिजली क्षेत्र में ४०० अरब डॉलर निवेश की जरूरत
बिजली क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी की जरूरत पर बल देते हुए सरकार ने आज कहा कि देश में सबको वाजिब दाम पर समुचित बिजली की आपूर्ति की व्यवस्था करने के लिए १२वीं योजना (२०१२-१७) में इस क्षेत्र में ३०० से ४०० अरब डॉलर ( १३,५००-१८,००० अरब रुपये) के निवेश की जरूरत होगी।
सरकार ने तीव्र आर्थिक वृद्घि के लिए बुनियादी ढाँचा क्षेत्र में १२वीं योजना के दौरान १,००० अरब डॉलर के निवेश का लक्ष्य रखा है। उद्योग मंडल फिक्की द्वारा "भारतीय बिजली क्षेत्र : समन्वित योजना और क्रियान्वयन-१२वीं योजना और उसके बाद" विषय पर आयोजित सम्मेलन में बिजली सचिव पी उमाशंकर ने कहा कि समाज के सभी तबकों को वाजिब दाम पर बिजली आपूर्ति करने के लिए १२वीं योजना में इस क्षेत्र में ३०० से ४०० अरब डॉलर की जरूरत होगी।
इतना बड़ा निवेश करना अकेले सार्वजनिक क्षेत्र के वश में नहीं है। ऐसे में निजी क्षेत्र को इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में अहम भूमिका निभानी होगी।
कंपनियों को आकर्षित करेंगेः उमाशंकर ने कहा कि सरकार ने निजी घरेलू और विदेशी कंपनियों को इस क्षेत्र में धन लगाने के लिए आकर्षित करने के लिए अनुकूल कानूनी और विनियामकीय नीतिगत व्यवस्था की है। बिजली क्षेत्र में निजी क्षेत्र का योगदान वर्ष २०१० में १९ फीसद हो गया है जो १९९० में ४ फीसद था। ११वीं योजना के अंत में निजी क्षेत्र का योगदान ३० फीसद के करीब पहुँचने की उम्मीद है। निजी क्षेत्र में मित्सुबिसी, अल्सतोम, सीमेंस जैसी अग्रणी कंपनियाँ बिजली क्षेत्र में निवेश कर रही हैं।
मौजूदा पंचवर्षीय योजना (२००७-१२) में संशोधित ६२,३७४ मेगावॉट बिजली उत्पादन लक्ष्य में से २९,३०० मेगावॉट हासिल कर लिया गया है। हालाँकि उन्होंने कहा कि पनबिजली परियोजना के क्रियान्वयन में देरी से हमारा कुल उत्पादन ४,००० मेगावॉट तक कम हो सकता है। उमाशंकर ने कहा कि समय बिजली उपकरणों की आपूर्ति, ईंधन उपलब्धता, पर्यावरण एवं वन संबंधी मंजूरी में देरी और वितरण कंपनियों का बेहतर संचालन कुछ ऐसी चुनौतियाँ हैं जिसका समाधान किया जाना जरूरी है और सरकार इस दिशा में कदम उठा रही है।
07 दिसंबर, 2010
बिल भुगतान सुविधाजनक .....
बिल भुगतान सुविधाजनक ...
विद्युत बिलो के भुगतान के लिये लाइन में लगने की बातें अब पुरानी हो गई हैं . प्रायः सभी विद्युत वितरण कंपनियां बिलो के भुगतान हेतु इंटरनेट आनलाइन प्रणाली , A T P मशीन , के अत्याधुनिक प्रयोग कर रही हैं . बंगलोर की S P M L एसी मशीनें लगाने में हमारी सहयोगी है ...लिंक देखें ..... http://www.sums.in/home.htm
विद्युत बिलो के भुगतान के लिये लाइन में लगने की बातें अब पुरानी हो गई हैं . प्रायः सभी विद्युत वितरण कंपनियां बिलो के भुगतान हेतु इंटरनेट आनलाइन प्रणाली , A T P मशीन , के अत्याधुनिक प्रयोग कर रही हैं . बंगलोर की S P M L एसी मशीनें लगाने में हमारी सहयोगी है ...लिंक देखें ..... http://www.sums.in/home.htm
05 दिसंबर, 2010
टाइम आफ द डे टैरिफ ..लागू होने को है !
टाइम आफ द डे टैरिफ ..लागू होने को है !यानी पीकिंग अवर में बिजली की दरें अधिक और देर रात में कम ...
इसका मतलब यह है कि यदि आपको बिजली के बिल में बचत करनी है तो आदत डालिये कि घर की ओवरहैड पानी की टंकी देर रात में भरें और अपने गीजर में थर्मोस्टेट ठिक रखें जिससे कि जब रात में वाशरूम जाने उठें तो गीजर चालू करके पानी गरम कर लेवें ..स्विच आफ होने की जबाबदारी थर्मोस्टेट पर छोड़ दें . वाशिंग मशीन ऐसी हो जो शोर न करे तो उसे भी आटोमेटिक मोड पर देर रात चलाकर बिजली बिल मे बचत कर सकेंगे ...
इसका मतलब यह है कि यदि आपको बिजली के बिल में बचत करनी है तो आदत डालिये कि घर की ओवरहैड पानी की टंकी देर रात में भरें और अपने गीजर में थर्मोस्टेट ठिक रखें जिससे कि जब रात में वाशरूम जाने उठें तो गीजर चालू करके पानी गरम कर लेवें ..स्विच आफ होने की जबाबदारी थर्मोस्टेट पर छोड़ दें . वाशिंग मशीन ऐसी हो जो शोर न करे तो उसे भी आटोमेटिक मोड पर देर रात चलाकर बिजली बिल मे बचत कर सकेंगे ...
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ (Atom)