१२वीं पंचवर्षीय योजना के बारे में सरकार का नजरिया
वितरण कंपनियों का बेहतर संचालन कुछ ऐसी चुनौतियाँ हैं जिसका समाधान किया जाना जरूरी है...बिजली सचिव
बिजली क्षेत्र में ४०० अरब डॉलर निवेश की जरूरत
बिजली क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी की जरूरत पर बल देते हुए सरकार ने आज कहा कि देश में सबको वाजिब दाम पर समुचित बिजली की आपूर्ति की व्यवस्था करने के लिए १२वीं योजना (२०१२-१७) में इस क्षेत्र में ३०० से ४०० अरब डॉलर ( १३,५००-१८,००० अरब रुपये) के निवेश की जरूरत होगी।
सरकार ने तीव्र आर्थिक वृद्घि के लिए बुनियादी ढाँचा क्षेत्र में १२वीं योजना के दौरान १,००० अरब डॉलर के निवेश का लक्ष्य रखा है। उद्योग मंडल फिक्की द्वारा "भारतीय बिजली क्षेत्र : समन्वित योजना और क्रियान्वयन-१२वीं योजना और उसके बाद" विषय पर आयोजित सम्मेलन में बिजली सचिव पी उमाशंकर ने कहा कि समाज के सभी तबकों को वाजिब दाम पर बिजली आपूर्ति करने के लिए १२वीं योजना में इस क्षेत्र में ३०० से ४०० अरब डॉलर की जरूरत होगी।
इतना बड़ा निवेश करना अकेले सार्वजनिक क्षेत्र के वश में नहीं है। ऐसे में निजी क्षेत्र को इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में अहम भूमिका निभानी होगी।
कंपनियों को आकर्षित करेंगेः उमाशंकर ने कहा कि सरकार ने निजी घरेलू और विदेशी कंपनियों को इस क्षेत्र में धन लगाने के लिए आकर्षित करने के लिए अनुकूल कानूनी और विनियामकीय नीतिगत व्यवस्था की है। बिजली क्षेत्र में निजी क्षेत्र का योगदान वर्ष २०१० में १९ फीसद हो गया है जो १९९० में ४ फीसद था। ११वीं योजना के अंत में निजी क्षेत्र का योगदान ३० फीसद के करीब पहुँचने की उम्मीद है। निजी क्षेत्र में मित्सुबिसी, अल्सतोम, सीमेंस जैसी अग्रणी कंपनियाँ बिजली क्षेत्र में निवेश कर रही हैं।
मौजूदा पंचवर्षीय योजना (२००७-१२) में संशोधित ६२,३७४ मेगावॉट बिजली उत्पादन लक्ष्य में से २९,३०० मेगावॉट हासिल कर लिया गया है। हालाँकि उन्होंने कहा कि पनबिजली परियोजना के क्रियान्वयन में देरी से हमारा कुल उत्पादन ४,००० मेगावॉट तक कम हो सकता है। उमाशंकर ने कहा कि समय बिजली उपकरणों की आपूर्ति, ईंधन उपलब्धता, पर्यावरण एवं वन संबंधी मंजूरी में देरी और वितरण कंपनियों का बेहतर संचालन कुछ ऐसी चुनौतियाँ हैं जिसका समाधान किया जाना जरूरी है और सरकार इस दिशा में कदम उठा रही है।
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