19 जनवरी, 2011

गोबर की बिजली जल्द

देश का पहला संयंत्र, बायो गैस विद्युत प्लांट का पहला चरण शुरू
अगले माह से उत्पादन होगा प्रारंभ, डाइजेस्टर में गोबर डालने की प्रक्रिया का पहला दिन

jabalpur परियट क्षेत्र में स्थित गोबर से बिजली बनाने वाले संयंत्र की प्रक्रिया शुरू हुई

गोबर की बिजली जल्द

अगले माह से उत्पादन होगा प्रारंभ, डाइजेस्टर में गोबर डालने की प्रक्रिया का पहला दिन ङ"ख१८ऋ

 गोबर गैस से विद्युत उत्पादन करने वाले देश के पहले संयंत्र का पहला चरण बुधवार से प्रारंभ किया गया। अगले माह से विद्युत उत्पादन की शुरुआत होगी। जिसके बाद परियट इलाके में गोबर से फैलने वाले प्रदूषण से मुक्ति मिल सकेगी। बुधवार को पहली दफा संयंत्र में गोबर डालने की प्रक्रिया शुरू की गई। खास बात यह है कि इस विद्युत उत्पादन संयंत्र की स्थापना राज्य सरकार और ऊर्जा विकास निगम के सहयोग से की गई है।

विदेशी तकनीक का इस्तेमाल

प्लांट के बारे में कम्पनी के सीईओ मलिन्दर सिंह ने बताया कि प्लांट हालैण्ड की विकसित की गई तकनीक के आधार पर ही तैयार किया गया है। २० एक़ड़ के इलाके में फैले इस प्लांट को तैयार होने में लगभग १६ करो़ड़ की लागत आ रही है। जिसमें तीन डाइजेस्टर टैंक के जरिए बायो गैस से विद्युत उत्पादन किया जाएगा। हरेक टैंक में ४० लाख लीटर गोबर से १.२ मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा। फिलहाल ४ जेनसेट के जरिए १.२ मेगावाट यानी ३७६ किलो वाट बिजली मिलेगी। इसके बाद २ जेनसेट भी लगाए जाना बाकी हैं। मध्य प्रदेश राज्य विद्युत मण्डल के जरिए हुए करार में संयंत्र से होने वाले विद्युत उत्पादन में प्रति यूनिट बिजली की दर ३ रुपए ३३ पैसे तय की गई है। प्लांट को तैयार करने विदेशी इंजीनियरों का सहारा भी लिया जा रहा है।

रोजाना खपेगा गोबर

संयंत्र में लगे एक डाइजेस्टर टैंक को भरने में ही एक माह का समय लगना बताया जा रहा है। ऐसे तीन टैंक भरे जाने हैं जिसके लिए रोजाना गोबर भरा जाएगा। परियट इलाके के दूध उत्पादन करने वाले डेयरी मालिकों से यह गोबर प्राप्त किया जा रहा है जिसके लिए उनकी डेयरी से गोबर उठाकर संयंत्र तक लाने के लिए डेयरी मालिकों को एक ट्रॉली गोबर के लिए १२५ से १५० रुपए दिए जाना तय किया गया है।

अपशिष्ट से बनेगी खाद

खास बात यह है कि प्रदूषण को रोकने के लिए गोबर का उपयोग कर लेने के बाद उससे निकले अपशिष्ट का भी उपयोग किया जाएगा। इसके लिए भी प्लांट में गोबर की खाद तैयार करने के उपाय किए गए हैं। यह खाद किसानों को सस्ते दामों पर मुहैया कराई जाएगी। साथ ही मछली पालन और पौधरोपण भी किया जाएगा। गोबर के चलते होने वाली गदंगी से अब परियट नदी सहित पूरे इलाके को निजात मिल सकेगी। वहीं डेयरी मालिकों को गोबर पर राशि दी जाएगी।

पहला चरण शुरू

विद्युत उत्पादन के लिए बुधवार की दोपहर डेयरी मालिकों से गोबर संयंत्र में डाले जाने का पहला चरण शुरू किया गया। इस दौरान कम्पनी के अधिकारी और डेयरी मालिक मौजूद रहे।

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