साभार रेडियो डायचेवेली
स्पेन में लहरों से बनी बिजली
शनिवार, 24 सितंबर 2011
समुद्र की लहरों से स्पेन में बिजली बनाई जा रही है। हालांकि यह प्रक्रिया थोड़ी महंगी है, लेकिन कंपनी का कहना है कि तटीय इलाकों के लिए यह तकनीक अच्छी है। 600 लोगों को बिजली मिल रही है।
इस साल गर्मियों में दक्षिणी स्पेन में दुनिया के पहले वाणिज्यिक लहर ऊर्जा संयंत्र की शुरुआत हो गई। भारी लागत होने के बावजूद इस संयंत्र से दक्षिणी स्पेन के एक शहर को बिजली की सप्लाई भी हो रही है। यह प्लांट अन्य तटीय इलाकों के लिए एक मॉडल साबित हो सकता है।
स्पेन के छोटे से तटीय शहर मुत्रिको को देखकर यह कहना मुश्किल है कि इस शहर में हाईटेक पावर प्लांट भी लग सकता है। लेकिन सैन सेबास्टियन से 30 किलोमीटर दूर बास्के शहर के 600 लोगों को समुद्र की लहरों से बनने वाली बिजली मिल रही है। समुद्री लहरों से बिजली बनाने वाला संयंत्र इसी जुलाई में शुरू हुआ।
वाह क्या तकनीक है : बास्के शहर के संयंत्र में काम करने वाले ऊर्जा इंजीनियर खोजे इगनाशियो होर्माएचे कहते हैं, 'जब लहरों से ऊर्जा बनाने की बात आएगी तो लोग मुत्रिको का हवाला देंगे।' वह कहते हैं कि लहरों से ऊर्जा बनाने का यह पहला वाणिज्यिक ऑपरेशन है जिससे ग्राहकों को बिजली मिलती है।
यह संयंत्र बंदरगाह की दीवार से टकराने वाली लहरों से ऊर्जा बनाती है। बिजली बनाने वाली कंपनी एंटे वास्को दे ला एनर्जिया (ईवीई) ने बंदरगाह और समुद्र के बीच बनी दीवार में 16 गड्ढे बनाए हैं। जब लहरें इन गड्ढों में पानी लेकर आती हैं तो टरबाइन से हवा को धक्का दिया जाता है और बिजली पैदा होती है।
600 लोगों को बिजली : इसी तरह की तकनीक पर पिछले 10 सालों से स्कॉटलैंड में भी शोध और सुधार हो रहा है, लेकिन अब तक इसे वाणिज्यिक परिपक्वता नहीं मिल पाई है। दुनिया भर में लहरों से बनने वाली ऊर्जा के 60 प्रोजेक्ट चल रहे हैं। कुछ पानी के नीचे स्पिन ब्लेड का इस्तेमाल कर बिजली बनाते हैं तो कुछ लोग अन्य तकनीक का इस्तेमाल करते हैं।
लेकिन लिस्बन के लहर ऊर्जा केंद्र के शोधकर्ता फ्रैंक न्यूमैन के मुताबिक मुत्रिको का प्लांट आर्थिक रूप से निकट भविष्य में सफल रहेगा। इस प्लांट में 300 किलोवॉट बिजली बनती है जिससे शहर की 10 फीसदी जरूरत पूरी होती है।
ऐसे होगी बिजली की मांग पूरी : इस प्लांट को बनाने में 70 लाख यूरो की लागत आई है। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के अंतर सरकारी पैनल का अनुमान है कि लहरों से बनने वाली बिजली विश्व की 30 फीसदी ऊर्जा मांग को पूरा कर सकती है। लेकिन अक्षय ऊर्जा के और स्थापित तकनीक के मुकाबले में लहरों से बनने वाली बिजली की तकनीक प्रारंभिक अवस्था में है।
मुत्रिको का संयंत्र दो साल की देरी से तैयार हुआ है। आलोचकों का कहना है प्लांट पर हुए निवेश के मुकाबले में उत्पादन कहीं कम है। लेकिन संयंत्र चलाने वाली कंपनी को विश्वास है कि इस तरह से नई तकनीक बनेगी और नए बाजार खुलेंगे।
रिपोर्ट : गिरो रॉयटर/आमिर अंसारी
संपादन : महेश झा
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