29 जनवरी, 2011

विद्युत अधिनियम २००३ की धारा १३२ में स्पष्ट प्रावधान है कि बिजली बोर्ड की परिसंपत्तियों को निजी हाथों में बेचे जाने अथवा हस्तांतरित करने से जो भी राजस्व मिलेगा उससे सबसे पहले पेंशन फंड की प्रतिपूर्ति की जाएगी


म.प्र. राज्य विद्युत मण्डल के निजी करण , पुरानी संपत्तियो की बिक्री से जुड़े अनुत्तरित सवाल....

मंडल प्रबंधन से जु़ड़े रहे पूर्व अधिकारी ने कहा कि विद्युत अधिनियम २००३ की धारा १३२ में स्पष्ट प्रावधान है कि बिजली बोर्ड की परिसंपत्तियों को निजी हाथों में बेचे जाने अथवा हस्तांतरित करने से जो भी राजस्व मिलेगा उससे सबसे पहले पेंशन फंड की प्रतिपूर्ति की जाएगी। इस लिहाज से यदि पेंच पावर को अडानी पावर ने ४८ करो़ड़ रुपए में लिया है तो ये ४८ करो़ड़ रुपए की राशि पेंशन फंड में दी जानी थी।

आज पेंच कल कुछ और.... आरोप है कि आज विद्युत मंडल गुपचुप पेंच पावर को बेचने में सहभागी बना है तो कल बिजली कंपनियां भी अपनी परिसंपत्ति बेच देंगी। जब मंडल ने राशि पेंशन फंड में जमा नहीं कराई तो कंपनियां क्यों कर परिसंपत्तियों को बेचे जाने से प्राप्त राशि पेंशन फंड में जमा करेंगी? आज पेंच बेचकर आला अधिकारी किनारे हो गए हैं कल और भी कुछ बिकेगा।

1 टिप्पणी:

  1. बहुत सटीक विचार ...कर्मचारी जगत के हितों को ध्यान में रखते हुए क्यों न ब्लागजगत के माध्यम से इस मामले को सबके सामने रखा जाए ... आभार

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