स्वीडन फिर बनाएगा परमाणु बिजली
फिर सक्रिय होंगे परमाणु रिएक्टर यूरोपीय संघ के कई सदस्यों ने स्वीडन के फिर से परमाणु बिजली बनाने के फ़ैसले पर एतराज़ जताया है. स्वीडन ने 30 साल की पाबंदी के बाद परमाणु रिएक्टर फिर खोलने की बात कही है.
यूरोपीय देशों को चिंता इस बात की लगी है कि स्वीडन के फ़ैसले से पूरे महाद्वीप में एक ग़लत संदेश जा सकता है. जहां एक तरफ़ परमाणु रिएक्टरों को बंद करने की बात चल रही है, वहीं दूसरी तरफ़ स्वीडन तीस साल बाद परमाणु बिजली पर लगी पाबंदी हटा रहा है. यूरोपीय संघ में ग्रीन पार्टी की सांसद जर्मनी की रेबेका हार्म्स इसे स्कैंडल बता रही हैं.
यूरोपीय संघ के सदस्य स्वीडन में जनमत संग्रह के बाद 1980 में ही तय किया गया कि वहां परमाणु रिएक्टर बंद होंगे और परमाणु बिजली की पैदावार भी धीरे धीरे ख़त्म हो जाएगी. हालांकि लगभग 30 साल बाद भी आधी से ज़्यादा बिजली परमाणु रिएक्टरों में ही पैदा की जाती है. सरकार ने दस रिएक्टरों को बदल देने का फ़ैसला किया है. ख़ुद स्वीडन की विपक्षी पार्टियां भी इसका विरोध कर रही हैं.
लेकिन स्वीडन सरकार का कहना है कि आर्थिक मंदी के इस दौर में उसके फ़ैसले से रोज़गार बढ़ेगा और निवेश को भी बढ़ावा दिया जा सकेगा. प्रधानमंत्री फ़्रेडरिक राइनफ़ेल्ड्ट का मानना है कि कुछ ख़तरों के बावजूद लोग परमाणु बिजली में भरोसा रखते हैं और इस दिशा में सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाएगा.
परमाणु बिजली से जुड़ा सबसे ख़तरनाक हादसा पूर्व सोवियत संघ के चेरोनबिल में हुआ था, जहां से ज़हरीली गैस लीक होने से कई लोगों की मौत हो गई थी और उसका असर अब तक देखा जाता है. इसके बाद से ही दुनिया भर में परमाणु रिएक्टरों को बंद करने की मुहिम चली थी. जर्मनी में भी दो हज़ार बीस तक इसे बंद करने का प्रस्ताव है. स्वीडन के इस फ़ैसले के बाद परमाणु
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