28 जुलाई, 2011

मण्डला जिले में प्रस्तावित चुटका परमाणु बिजली घर को लेकर आशंकाओं का वैज्ञानिक समाधान

मण्डला जिले में प्रस्तावित  चुटका परमाणु बिजली घर को लेकर चल रही तमाम आशंकाओं का तार्किक  समाधान .
विवेक रंजन श्रीवास्तव

 न्यूक्लियर पावर कार्पोरेशन ऑफ इंडिया के वैज्ञानिको से चर्चा
 ये पहला मौका था जब चुटका परमाणु बिजली घर को लेकर चल रही तमाम आशंकाओं- कुशंकाओं का तार्किक और वैज्ञानिक समाधान न्यूक्लियर पावर कार्पोरेशन ऑफ इंडिया और जबलपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी में किया गया .
विश्व परिदृश्य
तारापुर १९६९ में प्रथम परमाणु बिजली घर बना  था, जो अब तक सुरक्षित चल रहा है , अब और भी बेहतर निर्माण तकनीको के विकास के कारण ज्यादा सुरक्षित बिजली घर बनेगा . वर्तमान में  देश में कुल बिजली उत्पादन का २.७ प्रतिशत शेयर न्यूक्लियर पावर का है।पूरे विश्व में ४४० परमाणु केन्द्र जहां विश्व के कुल विद्युत उत्पादन का लगभग १७ प्रतिशत शेयर परमाणु बिजली का।इस समय विश्व में ६५ परमाणु बिजली घर निर्माणाधीन हैं।फ्रांस में कुल बिजली उत्पादन का ७५ फीसदी हिस्सा न्यूक्लियर पावर का है और जापान में ३० प्रतिशत। ७०० मेगावॉट क्षमता वाली १४ यूनिट पूरे देश में लगाने की अनुमति मिली है।थोरियम के साथ द्वितीय चरण में  बिजली उत्पादन होगा .पहले चरण में यूरेनियम से ही उत्पादन प्रारंभ किया जावेगा . जो आयातित होगा .
प्रस्तावित चुटका बिजली घर से डरें नहीं बल्कि विकास की दिशा में मील का पत्थर बनने वाले इस प्लांट का स्वागत करें .
न्यूक्लियर पावर कार्पोरेशन के अधिकारियों ने कहा कि चुटका का परमाणु बिजली घर चक्रव्यूह के समान सुरक्षित होगा। हमारे दूसरे परमाणु बिजली घरों में भी ऐसी ही सुरक्षा है। ये भूकंप से सुरक्षित होगा। नर्मदा का १२८ क्यूसेक पानी ही लिया जाएगा जो बांध का मात्र तीन प्रतिशत होगा। नर्मदा में किसी तरह का प्रदूषण नहीं होगा। चुटका सहित आसपास के विस्थापितों को उचित मुआवजा मिलेगा। उन्हें रोजगार के अवसर मिलेंगे। स्कूली सहित तकनीकी शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बनाए जाएंगे। आवासीय परिसरों का भी निर्माण होगा। उन्होंने कहा कि दुनिया ने हमें परमाणु मामलों में १९७४ में अलग- थलग कर दिया था। इसके बाद भी हमने नई तकनीक बनाई।
 विदेशों पर निर्भरता
 बताया गया कि अभी हमें विदेश से यूरेनियम चाहिए। परमाणु बिजली घरों से निकले अपशिष्ट के जरिए हम थोरियम को यूरेनियम में बदलने में सक्षम होंगे फिर हमें कोई जरूरत नहीं होगी। घटते कोयला भंडारों के कारण नाभिकीय बिजली जरूरी है। सोलर सहित अन्य रिन्यूवल एनर्जी को सप्लीमेंट के रूप में ही लिया जा सकता है। उन पर निर्भर नहीं हुआ जा सकता। केन्द्र और परमाणु ऊर्जा आयोग की गाइड लाइन पर चुटका का चयन किया गया है। इनके मानकों पर ही निर्माण होगा। इसे वैश्विक संगठन भी देखेगा।
सफलता की कहानियां
राजस्थान के कोटा में चल रही ८ परमाणु बिजली घर यूनिटो की सफलता की चर्चा करते हुये बताया गया कि जिन्हें तकनीक की कुशलता पर संशय हो वे वहां  निरीक्षण कर सकते हैं।  राजस्थान में ही बांसवा़ड़ा में नया प्लांट लगाने राज्य सरकार ने अनुरोध किया है।परमाणु बिजली घरो के निर्माण के समय  पांच स्तरों पर निरीक्षण किया जाता  है ,प्रत्येक माह मॉनीटरिंग मीटिंग होती है। परमाणु आयोग के अधिकारी विजिट करते हैं। हर स्तर पर सेम्पल रिकार्ड में रखे जाते हैं।न्यूक्लियर लायबिल्टी बिल में सभी को जवाबदार बनाया गया है। इस प्लांट से उत्पादित पचास फीसदी बिजली मध्यप्रदेश को दी जाएगी। राज्य सरकार चाहे तो १५ प्रतिशत अतिरिक्त बिजली भी ले सकती है।
भूकंप जनित की आशंकाओ का निदान
चुटका में भूकंप सेंसर लगेंगे जो ऐसी घटना के पहले प्लांट को बंद करने की चेतावनी देंगे।  चुटका परमाणु बिजली घर भूकंप के लिहाज से जोन तीन में है। ये सभी सुरक्षित जोन माने जाते हैं। केवल नरोरा संवेदनशील में है। नई तकनीक में कहीं भी डिजाइन किया जा सकता है। जापान में सभी प्लांट जोन चार, पांच व  छह में हैं। यूएसए में १०४ में से दस जोन पांच में हैं। जापान में भूकंप से रिएक्टर में दुर्घटना नहीं हुई। सुनामी के पानी ने पंप में पानी भर दिया जिससे फ्यूल को ठंडा नहीं किया जा सका।

रेडिएशन से डरें नहीं
वैज्ञानिकों ने बताया कि चुटका में संभावित रेडिएशन को लेकर डरें नहीं। वर्तमान में एयर ट्रेवल, कांक्रीट मकान, मोबाइल फोन, एक्सरे, सब्जियों में सभी में रेडिएशन मिलता है। एक्सरे में २५० माइक्रो सिवर्ट का रेडिएशन लेते हैं। तारापुर में १३ माइक्रो सिवर्ट का रेडिएशन मिलता है। एटॉमिक इनर्जी आयोग ने ३४०० माइक्रो सिवर्ट की अनुमति दी है। इसमें से २४०० नेचुरल मिलता है। अमेरिका की हवाई यात्रा में एक बार में जितना रेडिएशन लेते हैं वो २५ साल तक प्लांट के पास नहीं मिलने वाला।

सिर्फ हमारे यहां अपशिष्ट का प्रबंधन
न्यूक्लियर पावर कार्पोरेशन के अधिकारियों ने कहा कि केवल हमारे देश में ही न्यूक्लियर वेस्ट को यूज कर प्लूटोनियम में बदलते हैं। तमिलनाडु और बाम्बे में ही दो रिप्रोसेसिंग प्लांट हैं। वेस्ट नगण्य मात्रा में बचता है। अमेरिका, फ्रांस में ऐसा नहीं होता।

सस्ती बिजली मिलेगी
चुटका परमाणु बिजली घर से प्रदेश को सस्ती बिजली मिलेगी। वर्तमान में ताप बिजली दो से तीन रुपए में मिल रही है वहीं महाराष्ट्र में हम तारापुर प्लांट से ९४ पैसे में बिजली दे रहे हैं।
अतः उर्जा की जरूरतो और देश को दुनिया में महत्वपूर्ण बनाये रखने के लिये चुटका सहित अन्य स्थलो पर  परमाणू बिजलीघरो की स्थापना करनी ही चाहिये .

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