सीएफ़एल की जगह एलईडी बत्तियाँ
बत्ती निर्मता और शोधकर्ता इस समय और भी बेहतर विकल्पों की तलाश में हैं. संक्षेप में LED यानी Light Emitting Bildunterschrift: Großansicht des Bildes mit der Bildunterschrift: प्रकाश उत्सर्जी डायोड वाली LED बत्तीDiode कहालाने वाले प्रकाश उत्सर्जी डायोड एक ऐसा ही विकल्प हो सकते हैं. अमेरिका में सैंटा बार्बरा विश्वविद्यालय के भौतिकशास्त्री शूजी नाकामूरा का कहना है कि LED वाली बत्तियां इस समय की बिजली बचतकारी बत्तियों की अपेक्षा दुगुनी कार्यकुशल हैं:
"प्रकाश उत्सर्जक डायोड की ऊर्जा-कार्यकुशलता बहुत ऊंची है--क़रीब 50 प्रतिशत. इसका मतलब है कि यह डायोड इस्तेमाल हुई बिजली की आधी मात्रा को प्रकाश में बदल देता है. LED बत्तियों की सहायता से हम कहीं ज़्यादा बिजली बचा सकते हैं."
एलईडी इलेक्ट्रॉनिक चिप है
प्रकाश उत्सर्जी डायोड अपने आप में एक छोटा-सा इलेक्ट्रॉनिक चिप है. चिप में से बिजली गुज़रते ही उसके इलेक्ट्रॉन पहले तो आवेशित हो जाते हैं और फिर, लगभग तुरंत ही, अपने आवेश वाली ऊर्जा को प्रकाश के रूप में उत्सर्जित कर देते हैं. इस तरह वे विद्युत ऊर्जा को प्रकाश ऊर्जा में बदलते हैं. स्टीरियो सिस्टम में हम जो छोटी-छोटी लाल-पीली़-हरी बत्तियां टिमटिमाते देखते हैं, वे प्रकाश उत्सर्जक डॉयोड ही हैं. शूजी नाकामूरा ने ही 1990 वाले दशक में सफ़ेद रोशनी देने वाले Bildunterschrift: Großansicht des Bildes mit der Bildunterschrift: LED चिपप्रकाश उत्सर्जी डायोड के निर्माण की आधारशिला रखी. यही डायोड अब घरों और सड़कों को भी जगमग करेगाः
"प्रकाश उत्सर्जी डायोड लगभग अमर होते हैं, क़रीब एक लाख घंटे का उनका जीवनकाल होता है. एक साधारण बल्ब औसतन केवल एक हज़ार घंटे तक ही चल पाता है. लाइट डायोड उतने गरम भी नहीं होते, जितना एक बल्ब गरम हो जाता है. उनमें कोई पारा या कोई दूसरी विषैली चीज़ भी नहीं होती."
इधर कुछ वर्षों से बाज़ार में प्रकाश उत्सर्जी डायोड वाली LED हाथबत्तियां और साइकल की बत्तियां भी मिल रही हैं. लेकिन, ब्रेमेन के भौतिक वैज्ञानिक डेटलेफ़ होमल का कहना है कि वे अभी इतना तेज प्रकाश नहीं दे पातीं कि कारों या घरों में भी इस्तेमाल हो सकें:
"LED से कारों की हेडलाइट बनाने के लिए आख़िरी सीमा तक जाना पड़ेगा. यहाँ भौतिक विज्ञान की अभी कई चुनौतियाँ हमारे सामने हैं."
प्लास्टिक करेगा घरों को जगमग
प्रकाश उत्सर्जी डायोड वाली LED बत्तियाँ अभी बहुत मंहगी भी हैं. व्यापक इस्तेमाल लायक बनने के लिए उन्हें सस्ता होना पड़ेगा. इस बीच उनका भी एक विकल्प प्रयोगशालाओं में तैयार हो रहा है-- ऐसे प्रकाश उत्सर्जी प्लास्टिक अणु, जिन्हें Organic Light Emitting Diodes --OLED या केवल ओलेड भी कहते हैं. उनकी सहायता से बिल्कुल नये प्रकार की बत्तियाँ और लैंप बनाये जा Bildunterschrift: Großansicht des Bildes mit der Bildunterschrift: प्लास्टिक का बना प्रकाश उत्सर्जी डायोड OLEDसकते हैं, जैसाकि कार्ल्सरूहे विश्वविद्यालय के भौतिक वैज्ञानिक ऊली लेमर बताते हैं:
"उनसे काफ़ी लंबे-चौड़े और मनचाहे आकार वाले ऐसे प्रकाश-स्रोत बन सकते हैं, जिन्हें घर की बनावट के साथ एकाकार किया जासके. उदाहरण के लिए, वे पूरी दीवार या पूरी छत तक फैले हो सकते हैं."
लेकिन, इस जगमगाहट के आने में अभी समय है हालाँकि ओलेड स्क्रीन वाले टेलीविज़न सेट बाज़ार में आ गये हैं:
"एक सबसे बड़ा सवाल है कि ओलेड वाले प्रकाश-स्रोत कितनी कम बिजली खा कर कितना अधिक प्रकाश देंगे और कितने टिकाऊ होंगे. उनका उत्पादन इतना सरल नहीं है कि उन्हें सस्ता कहा जा सके. उनका मुकाबला टॉमस एडीसन के उस बल्ब से है, जिसे एक सदी से अधिक समय से परिष्कृत और परिमार्जित किया जाता रहा है और जिसे अरबों की संख्या में बेहद सस्ते दाम पर बनाया जा सकता है."
दूसरे शब्दों में, जगमग करते प्लास्टिक वाली बत्तियां बाज़ार में आने में अभी एक-आध दशक लग जायेंगे.
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