हमेशा बिजली को लेकर ही लिखता रहता हूँ , विचार आया वाहनो के पंजियन पर तो उसे भी बाँट लूँ आप सब से .अपने माननीय मुख्य मंत्री जी ने http://www.ideasforcm.in/ नाम से एक बहुत ही बढ़िया शुरुवात की है , सो उन्हें भी यह विचार जमा कर रहा हूँ .
अपराधों के नियंत्रण हेतु गाड़ियों की नम्बर प्लेट अलग न होने वाली हों..अपराध नियंत्रण में वाहनो के रजिस्ट्रेशन नम्बर की भूमिका स्वस्पष्ट है .
ज्यादातर आतंकवादी गतिविधियाँ , हिट एण्ड रन एक्सीडेंटंल अपराध , वाहनों की चोरी , डकैती , कार में बलात्कार आदि आपराधों के अनुसंधान में प्रयुक्त वाहनों के रजिस्ट्रेशन नम्बर से पोलिस को बड़ी मदद मिलती है . वर्तमान में यह रजिस्ट्रेशन नम्बर एक दो या तीन स्क्रू से कसी हुई नम्बर प्लेट पर लिखा होता है . जिसे अपराधी बड़ी सरलता से निकाल फेंकता है या नम्बर प्लेट बदलकर चोरी की गाड़ी से अपराध को अंजाम देता है . मेरा सुझाव है कि इस पर नियंत्रण हेतु वाहन की चेसिस व बाडी पर ही निर्माता कम्पनी द्वारा फैक्टरी में ही रजिस्ट्रेशन नम्बर एम्बोसिंग द्वारा अंकित करने की व्यवस्था सरकारे तय करें . उस नम्बर का वाहन किस व्यक्ति द्वारा खरीदा गया यह विक्रय के बाद रजिस्ट्रेशन अथारिटी अपने कम्प्यूटर पर दर्ज कर रजिस्ट्रेशन शुल्क आदि लेकर दर्ज कर ले . इससे अपराधी सुगमता से वाहन का नम्बर नहीं बदल पायेंगे .सरकार को गाड़ी निर्माताओं को उनके उत्पादन के अनुरूप रजिस्ट्रेशन नम्बर पहले ही अलाट करने होंगे . इससे नये खरीदे गये अनरजिस्टर्ड वाहनों से घटित अपराधों पर भी नियंत्रण हो सकेगा .सरकारो के द्वारा वर्षो पुराने वाहन रजिस्ट्रेशन कानून में सामयिक बदलाव की इस पहल से गाड़ियों की चोरी में कमी के आंकड़े , अपराधों मे वाहनो के उपयोग में कमी के आंकड़े अपराध , आतंकवाद में कमी होगी, आम नागरिक , पोलिस व अन्य अपराध नियंत्रण संस्थायें राहत अनुभव करेंगी .
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