06 अगस्त, 2013

पुस्तक समीक्षा ....कृति -- ‘बदलता विद्युत परिदृश्य’

पुस्तक समीक्षा
कृति    ‘बदलता विद्युत परिदृश्य’ 
लेखक   विवेक रंजन श्रीवास्तव
अधीक्षण यंत्री और जनसंपर्क अधिकारी
मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र वितरण कम्पनी , जबलपुर
लेखकीय संपर्क ९४२५८०६२५२
पृष्ठ संख्या ११६
मूल्य रु १५०.०० पेपर बैक संस्करण

प्रकाशक वितरक ... जी नाईन पब्लीकेशन्स , स्टेशन रोड , रायपुर
            छत्तीसगढ़
फोन   ०७७१ ४२८१२४०



"साहित्य की दृष्टि से तो हिंदी बहुत समृद्ध भाषा है लेकिन विज्ञान और तकनीक से जुड़े विषयों में हिंदी बहुत समृद्ध नही है. आजादी के बरसो बाद भी तकनीकी विषयो पर हिन्दी में मौलिक सामग्री का व्यापक अभाव परिलक्षित होता है . ज़रूरी है कि विज्ञान और तकनीक के विषयों पर हिंदी में लिखने वालो को प्रोत्साहन की आवश्यकता प्रतीत होती है .जबलपुर में रहने वाले श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ऐसे ही लेखक है जिन्होंने हिंदी को समृद्ध करने की कोशिश की है.हिंदी में विज्ञान साहित्य के नियमित लेखक श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव  की नई पुस्तक "बिजली का बदलता परिदृश्य " का विमोचन समारोह पूर्वक विगत दिवस विद्युत मण्डल मुख्यालय शक्तिभवन जबलपुर में  बिजली पर केंद्रित इस रोचक किताब का लोकार्पण श्रीसुखवीर सिंग आई ए एस ने किया . उल्लेखनीय है कि श्री विवेक की कृति "जल जंगल और जमीन " पर्यावरण विज्ञान पर उनकी पिछली कृति को व्यापक लोकप्रियता मिल चुकी है . मध्य प्रदेश के सभी आकाशवाणी केद्रो से उनके द्वारा लिखित रेडियो रूपक "बिजली बचे तो बात बने "   प्रसारित हो चुका है . बिजली पर ही दैनिक भास्कर के रविवारीय परिशिष्ट रसरंग की कवर स्टोरी भी उन्होने की है . सरल बोधगम्य किन्तु प्रवाहमान भाषा में लिखना विवेक जी की विशेषता है .वे कवितायें , व्यंग , लेख , नाटक  आदि भी लिखते रहते हैं , तथा नो मोर पावर थैफ्ट नामक ब्लाग नियमित रूप से २००५ से हिन्दी में चला रहे हैं . उनके व्यंग संग्रह रामभरोसे तथा कौआ कान ले गया एवं कविता संग्रह आक्रोश , नाटक संग्रह हिंदोस्तां हमारा और नाटक जादू शिक्षा का पूर्व प्रकाशित तथा विभिन्न संस्थाओ से पुरस्कृत हैं . स्वयं विवेक रंजन जी को हिन्दी में सामाजिक लेखन हेतु राज्यपाल भाई महावीर जी रेड एण्ड व्हाइट पुरस्कार से सम्मानित कर चुके हैं . विवेक जी ने अनेक पत्र पत्रिकाओ का संपादन भी किया है . उनकी यही साहित्यिक समृद्धी इस पुस्तक में संग्रहित लेखो में परिलक्षित होती है . जिस भी लेख को पढ़ा जावे उसकी निरंतरता तथा ज्ञान वृद्धि और वर्तमान स्थितियो में विषय की विवेचना के चलते पाठक की रुचि अंत तक बनी रहती है .

बिजली का एक बटन दबाते ही हमारी दुनिया बदल जाती है. अन्धेरा दूर हो जाता है.ज़रूरत के मुताबिक या तो गर्मी छू मंतर हो जाती है या ठण्ड अपना दामन समेट लेती है.बिजली हमारे जीवन के लिए किसी सौगात से कम नहीं है.लेकिन इस वैज्ञानिक सौगात के बारे में अभी तक हिंदी में बहुत ज़्यादा तकनीकी जानकारी उपलब्ध नहीं थी.जबलपुर स्थित विद्युत  वितरण कंपनी के अधीक्षण यंत्री और जनसंपर्क अधिकारी श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ने ये कमी दूर कर दी है.हाल ही में बिजली के उत्पादन, उपयोग और  बचत जैसे विषयों पर हिन्दी में उनकी यह किताब जी नाईन पब्लीकेशन , रायपुर छत्तीसगढ़ से प्रकाशित हुई है .  बेहद आत्मीयतापूर्ण और अनौपचारिक विमोचन समारोह में श्री सुखवीर सिंह ने   श्री विवेक के इस प्रयास को बेहद महत्वपूर्ण बताया.उन्होंने कहा कि ये किताब तकनीकी क्षेत्र में हिंदी लेखन में एक अहम पड़ाव की तरह है. तकनीकी विषय पर होने के बावजूद लेखक ने इसकी रोचकता बनाए रखी है.
 उल्लेखनीय है कि इस किताब में श्री विवेक जी ने आंकडों की जगह मुद्दों को महत्व दिया है. इनमे से कई लेख पूर्व में सरिता, मुक्ता जैसी राष्ट्रीय पत्रिकाओं एवं कारपोरेट छत्तीसगढ़ , पावर फायनेंस कारपोरेशन व अन्य विद्युत संस्थाओं के जनरल्स में प्रकाशित हो चुके हैं.वे कहते है कि बिजली के क्षेत्र में अनुसंधान की व्यापक संभावनाएं और आवश्यकता है.उनकी ये किताब युवाओं को बिजली के क्षेत्र में अनुसंधान के प्रति रूचि जगाएगी.

बिजली के उत्पादन, उपयोग एवं बचत जैसे विविध विषयों पर हिन्दी में तकनीकी आलेखों का संग्रह कृति ‘बदलता विद्युत परिदृश्य में श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव द्वारा किया गया है । उल्लेखनीय है कि बिजली से संबंधित विषयों को समझने में छात्रों एवं विद्युत उपभोक्ताओं की गहन रूचि होती है, किन्तु हिन्दी में ये जानकारियां उपलब्ध न होने के कारण आम आदमी की जिज्ञासा शान्त नही हो पाती .  इस दृष्टि से यह पुस्तक सभी हिन्दी पाठको के लिए उपयोगी है । वर्तमान में गूढ़ अंग्रेजी भाषा में पेंचीदी तकनीकी शैली में जो जानकारियां बिजली तंत्र के विषय में सुलभ होती है उसे समझना जन सामान्य के बस की बात नही होती .
पुस्तक की प्रस्तावना में म.प्र.पू.क्षे.वि.वि.कं. के प्रबंध संचालक श्री सुखवीर सिंह आई.ए.एस. ने लिखा है कि वर्तमान में बिजली जीवन की अनिवार्य आवश्यकता है , हिन्दी में तकनीकी लेखन कम ही हो रहा है अतः विवेक रंजन श्रीवास्तव के इस प्रयास को उन्होने जन सामान्य ,  उपभोक्ताओ , व छात्रो हेतु  बेहद महत्वपूर्ण बताया है . लेखक ने अपनी बात में कहा है कि बिजली के क्षेत्र में अनुसंधान की व्यापक संभावनायें एवं आवश्यकता है . नव युवाओ में बिजली में अनुसंधान के प्रति अभिरुचि पैदा करने में इस कृति की व्यापक उपयोगिता होगी  । पुस्तक में संग्रहित लेखो में विवेक जी ने आंकडों की जगह मुद्वों को महत्व दिया है  . लेखक ने लिखा है कि वर्तमान विश्व बढ़ती आबादी के दबाव में बहुतायत में बिजली की कमी से जूझ रहा है . बिजली की समस्या का सुखद अंत सुनिश्चित है , क्योकि वितरण प्रणाली का सुढ़ृड़ीकरण प्रगति पर है तथा बिजली उत्पादन बढ़ाने के हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं . पर वर्तमान समस्या से हमारी पीढ़ी को ही निपटना है , और इसके लिये बिजली का बुद्धिमत्ता पूर्वक मितव्ययी उपयोग व बचत जरूरी है .  पुस्तक में परमाणु विद्युत, जल विद्युत, बिजली चोरी, बिजली की बचत , बिजली के क्षेत्र में नये प्रयोग , सूचना प्राद्योगिकी का उपयोग , विदेशो में विद्युत प्रणाली , विद्युत अधिनियम २००३ , बिजली कंपनियो की फीडर विभक्तीकरण  योजना आदि विषयों पर लेखों का संग्रह है । बिजली से संबंधित इन विषयो पर अधिकांशतः हिन्दी में मौलिक लेखन की कमी है , यह पुस्तक इस दिशा में किया गया महत्वपूर्ण प्रयास है .बिजली पर एक बेहद वैचारिक गीत भी विवेक जी ने इस पुस्तक में प्रस्तुत किया है .जिसमें वे लिखते हैं कि " सर्व धर्म सम भाव सिखाये , छुआ छूत से परे तार से घर घर जोड़े , एक देश है ज्यो शरीर और तार नसों से , रक्त वाहिनी है बिजली " . समग्र रूप से कहा जा सकता है कि पुस्तक न केवल  पठनीय वरन संग्रहणीय है .


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

स्वागत है आपकी प्रतिक्रिया का.....