26 जुलाई, 2008

वर्तमान बिजली संकट का एक मात्र समाधान परमाणु बिजली घर


वर्तमान बिजली संकट का एक मात्र समाधान परमाणु बिजली घर :
संदर्भ बरगी जलाषय पर चुटका परियोजना

विवेकरंजन श्रीवास्तव

रामपुर, जबलपुर
मोण्नंण् 9425484452


देष के व्यापी वर्तमान विद्युत संकट से निपटने का एक बड़ा कारगर तरीका परमाणु विद्युत का उत्पादन ही है। यह बिजली अपेक्षाकृत सस्ती होती है, एवं प्रचुर मात्रा में उत्पादित की जा सकती है। थोरियम आधारित, परमाणु बिजलीघर पूरी तरह आत्मनिर्भर टेक्नालॉजी एवं कच्चे माल वाले, बिजलीघर प्रमाणित हो सकते है । ये परमाणु शक्ति के शांतिपूर्ण उपयोग के, रचनात्मक, वैज्ञानिक वरदान बन सकते है। परमाणु बिजलीघरों में केवल प्रारंभिक लागत एवं निर्माण समय ही वह निवेष है, जो हमारे ऊर्जा नेटवर्क में, कोर खपत की बिजली न्यूनतम मेंटेनेंस पीरियड के साथ, निरंतर दे सकता है ।

वर्ष 1984 में केन्द्र शासन ने देष में परमाणु बिजलीघर की स्थापना हेतु वैचारिक स्वीकृति के साथ उपयुक्त स्थल का चयन करने हेतु सर्वेक्षण का कार्य राज्य सरकारों के सहयोग से किया। तब मैं विद्युत मडंल के सर्वेक्षण एवं अनुसंधान संकाय में कार्यरत था। परमाणु बिजलीघर की स्थापना हेतु कम आबादी का, समुचित सुरक्षित ऐसा स्थान आवष्यक था, जिसके निकट प्रचुर मात्रा में पानी हो, क्योंकि हैवी वाटर बनाने, बिजलीघर के टरबाइन को गति देने हेतु, परमाणु ऊर्जा से उत्पन्न उष्मा से वाष्प बनाने के लिये पानी ही वह कच्चा माल है, जो व्यापक रूप से खपत होता है। थोरियम या यूरेनियम आदि परमाणु रिएक्टेर में लगने वाला पदार्थ, जिसके विखण्डन से नाभिकीय ऊर्जा प्राप्त की जाती है, बहुत कम मात्रा में लगता है, एवं वह कहीं भी लाया जा सकता है। परमाणु बिजलीघर की सुरक्षित स्थापना हेतु राकी फाउन्डेषन वाला, खुला क्षेत्र आवष्यक होता है। उत्पादित विद्युत के वितरण हेतु हाईगि्रड पावर सिस्टम, इन दिनों प्रचलित है, जिससे देष के किसी भी भू-भाग पर उत्पादित बिजली, विभिन्न हाई टेंषन लाइन्स एवं सब स्टेषन्स के माध्यम से न्यूनतम संधारण व्यय में कहीं भी पहुंंचाई जा सकती है ।

ग्राउण्ड लेवल पर मेरे साथियों ने एवं मैने हैलीकाप्टर से साइट सेलेक्षन कमेटी के मुम्बई से आये विषेषज्ञों की टीम को, हमारे द्वारा मण्प्रण् में चयनित चार स्थलोंं का निरीक्षण करवाया था। ये स्थल क्रमष: षिवपुरी जिले में राजापुर, होषंगाबाद जिले में तवा बांध के निकट, राजघाट परियोजना के निकट किसलपुरी एवं मण्डला जिले में बरगी बांध के जलाषय के किनारे नारायणगंज के पास, पाठा, चुटका ग्राम में थे। मुझे समरण है, कि आवष्यक भूभाग के बराबर का कागज का टुकड़ा ´´टू द स्केल´´ काटकर, टोपोषीट पर रखकर मैने ही प्रारंभिक स्थल का चयन किया था, फिर उस स्थल का रेकी सर्वे, विस्तृत कंटूर सर्वे, ट्राइल पिट, पानी एवं जमीन की मिट्टी के नमूने, सेंसस के आंकड़े आदि एकत्रित कर अनेक रिपोट्Zस, दिये गये फार्मेट में तैयार की गई थी। चयन समिति की विजिट के समय मुझे उनके साथ भ्रमण करवाने का दायित्व दिया गया था, जिस कारण मैं समझ पाया था कि मण्प्रण् के चारों स्थ्लों मेें से चुटका का प्रस्तावित स्थल जो मण्डला जिले में स्थित है, ही सर्वश्रेष्ठ स्थल था, जो सारे मापदण्ड पूरे करता था।

संभवत: बाद में चेरनेविल परमाणु बिजलीघर, रूस में हुई दुघZटना के चलते, राजनीति के चलते या अन्य कारणो से केन्द्र सरकार के पास यह प्रस्ताव लगातार लबिंत रहा। बीच बीच में स्थानीय विकास की भावना से क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि विधानसभा एवं संसद में इस संबंध में प्रष्न उठाते रहे। अखबारों में बार बार मॉंग उठती रही चुटका परमाणु बिजलीघर के मामले में भी तत्कालीन विधायक दयाल सिंग तुमरांची, मोहन लाल िझकराम, फिर वर्तमान सांसद फंग्गन सिंग कुलस्ते आदि जन प्रतिनिधि व्यापक रूप से आवाज उठाते रहे है। जो नेता, पत्रकार आदि इस परियोजना से मेरे जुड़ाव को जानते थे, वे बार बार मुझसे जानकारी लेने के प्रयास भी करते रहे। किंतु कोई नये डेवलपमेंट नहीं हुये। केन्द्र सरकार के निर्णय हेतु ही प्रस्ताव लंबित रहा।

मण्प्रण् ने छत्तीसगढ़ के विघटन के साथ पावर हाउसों के बंटवारे का जो क्षेत्रीय दर्द, कोरबा पावर हाउस के छत्तीसगढ़ के हिस्से में आने से भोगा है, उसकी पूर्ति असंभव है। संयुक्त निवेष से कोरबा का पावर हाउस बना था, पर छत्तीसगढ़ बनने पर उसकी स्थिति के कारण सारा लाभ केवल छत्तीसगढ़ को मिला। मण्प्रण् विद्युत संकट से जूझने को मजबूर है। मंडला जिले को बरगी जलाषय की डूब के सिवा अब तक, बरगी बांध से कुछ नहीं मिला है। जिले की जनता को आषा थी, कि यदि चुटका परमाणु बिजली घर यहॉं बनता है, तो अरबों रूपयों का निवेष, रेल लाइन, हवाई अड्डा, क्षेत्र का विकास, विद्युत की प्रचुरता से विद्युत आधारित औद्योगिक विकास से पिछड़े हुये मडंला जिले का विकास होगा ।

वर्तमान युग पारदर्षिता के उच्च आदषZ का युग है। जनता से जुड़े ऐसे अहं, मसलो पर जनता को विष्वास में लेना जरूरी है। जनता को यह समझने का अधिकार है कि ´चुटका´ किन बिन्दुओ पर पिछड़ गया है। क्या ये रानैतिक कारण है ? क्या षुद्ध तकनीकी कारण है ? तकनीकी पहलुओं को समझने में मेरी विषेष अभिरूचि है । क्या यह अवसर सुलभ होगा ? भविष्य में क्या चुटका परमाणु बिजली घर भी स्वीकृत होगा ?

जो भी हो परमाणु विद्युत ग्रहो की स्थापना का प्रयास स्वागत योग्य है, क्योंकि देष इस समय अभूतपूर्व बिजली संकट से गुजर रहा है । विदेषी बैंक बिजली प्रणाली के विकास हेतु तो उधार दे रहे है, पर बिजली उत्पादन हेतु मौन है । बिजली विकास के लिये अनिवार्य आवष्यकता है । वर्ष 2012 तक सबके लिये पर्याप्त बिजली का नारा केन्द्र ने दिया है, इसकी पूर्ति तभी संभव है, तब बिजली उत्पादन को बढ़ावा दिया जावेगा । बिजली बनेगी, तो उसके बिकने की गारंटी है । बिजली घरों की स्थापना हेतु किये गये आज के प्रयास 5-10 बरसो बाद परिणाम देगेंं, अत: समय रहते उचित कदम उठाना, समय की आवष्यकता है । हम तकनीकी रूप से सक्षम हैं, केवल दृढ़ राजनैतिक इच्छाषक्ति की आवष्यकता है ।



विवेकरंजन श्रीवास्तव

रामपुर, जबलपुर
मोण्नंण् 9425484452

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