........बिजली चोरी के विरूद्ध ....Blog by ER.Vivek Ranjan Shrivastava

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30 जून, 2008

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प्रस्तुतकर्ता Vivek Ranjan Shrivastava पर सोमवार, जून 30, 2008 कोई टिप्पणी नहीं:
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रघुवंशम् हिन्दी काव्यानुवाद

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हम खुद क्या कहें अपने बारे में ... पढ़िये वे क्या कहते हैं ... मेरे बारे में .

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भगवत गीता हिन्दी , अंग्रेजी व काव्यानुवाद

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e book ...BHAGWAT GEETA HINDI POETIC TRANSLATION BY PROF . C .B . SHRIVASTAVA
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सहज सुलभ हमारी हिन्दी पुस्तकें

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प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव
O B 11 , MPEB Colony , RAMPUR JABALPUR M P 482008 India
phone 0761 2662052 Email vivek1959@yahoo.co.in

१. महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम् का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव
मूल्य भारतीय रूपये ३५.०० , यू.एस.डालर ४

मूल संस्कृत श्लोक
कस्यात्यन्तं सुखमुपगतं दुःखमेकान्ततोवा
नीचैर्गच्छिति उपरिचदशा चक्रमिक्रमेण ॥
हिन्दी अनुवाद

किसको मिला सुख सदा या भला दुःख
दिवस रात इनके चरण चूमते हैं
सदा चक्र की परिधि की भाँति क्रमशः
जगत में ये दोनों रहे घूमते हैं
...................मेघदूतम् हिन्दी पद्यानुवाद से अंश

२ मुक्तक मंजूषा द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव

मूल्य भारतीय रूपये ३५.०० , यू.एस.डालर ४

धर्म तो प्रेम का दूसरा नाम है , प्रेम को कोई बंधन नहीं चाहिये
सच्ची पूजा तो होती है मन से जिसे आरती धूप चंदन नहीं चाहिये

.................मुक्तक मंजूषा से

३. वतन को नमन हिन्दी छंदबद्ध १०८ देश प्रेम के गेय गीत द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव
मूल्य भारतीय रूपये १५०.०० ,यू.एस.डालर १५.००

हिमगिरि शोभित सागर सेवित
सुखदा गुणमय गरिमा वाली
सस्य श्यामला शांति दायिनी
परम विशाला वैभवशाली ॥

............... वतन को नमन से अंश

४. अनुगुंजन हिन्दी छंदबद्ध पद्य विविध गेय गीत द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव
मूल्य भारतीय रूपये १५०.०० ,यू.एस.डालर १५.००

हो रहा आचरण का निरंतर पतन , राम जाने कि क्यों राम आते नहीं
है सिसकती अयोध्या दुखी नागरिक देके उनको देके शरण क्यों बचाते नहीं ?

..................अनुगुंजन से

५. ईशाराधन हिन्दी छंदबद्ध पद्य ५१ ईश्वरीय प्रार्थनायें द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव
मूल्य भारतीय रूपये २५.०० ,यू.एस.डालर ३.००

शुभवस्त्रे हंस वाहिनी वीण वादिनी शारदे ,
डूबते संसार को अवलंब दे आधार दे !
हो रही घर घर निरंतर आज धन की साधना ,
स्वार्थ के चंदन अगरु से अर्चना आराधना !
आत्म वंचित मन सशंकित विश्व बहुत उदास है ,
चेतना जग की जगा मां वीण की झंकार दे !
............................. ईशाराधन से

६ . नैतिक कथायें द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव
मूल्य भारतीय रूपये १५०.०० ,यू.एस.डालर १५.००

बाल कथाओं का संग्रह

७. आक्रोश हिन्दी नई कविताओं का संग्रह द्वारा इं. विवेक रंजन श्रीवास्तव
मूल्य भारतीय रूपये ३५.०० ,यू.एस.डालर ४.००

जानता हूँ मैं कि तुम्हें ,
अच्छा नहीं लगता
मेरा लिखना खरा खरा
माना कि क्रांति नहीं होगी
मेरे लिखने भर से
पर मेरे न लिखने से
यथार्थ
सुनहले सपनों सा सुंदर
तो नहीं हो जायेगा ?
सपनों को बनाने के लिये यथार्थ
विवशता है
अभिव्यक्ति आक्रोश की !
......................आक्रोश से अंश


८. राम भरोसे हिन्दी व्यंग संग्रह द्वारा इं. विवेक रंजन श्रीवास्तव
मूल्य भारतीय रूपये ८०.०० ,यू.एस.डालर ८.००

रामभरोसे मेरे संप्रभुता सम्पन्न लोकतांत्रिक गणराज्य की प्राथमिक इकाई है , उसने हाल ही १८ की उमर पार की है, संविधान उसे मताधिकार दे गया है । इसी के साथ मुंआ महत्वपूर्ण वोटर बन गया है ।.................
.....................इन्हीं अनुभवों से मेरी ढ़ृड आस्था बन गई है कि हमारा लोकतंत्र रामभरोसे की सूझबूझ पर ही जिंदा है, राम करे कि रामभरोसे की सूझबूझ ऐसी ही बनी रहे और हर बार नये सिरे से उल्लू बनने के लिये रामभरोसे के द्वारा ,रामभरोसे के मालिकों के लिये ,रामभरोसे के नेताओं का शासन यूं ही चलता रहे।.................

........................रामभरोसे व्यंग संग्रह से अंश

९. जादू शिक्षा का हिन्दी नुक्कड नाटक द्वारा इं. विवेक रंजन श्रीवास्तव
मूल्य भारतीय रूपये १०.०० ,यू.एस.डालर १.००

जादूगर ॰ इन किताबों में रोजगार छिपा है ।
जम्हूरा ॰ ऐसा क्या उस्ताद ?
जादूगर ॰ जिसने किताबों को पढ़ , समझ लिया वह आम से खास बन गया ।

जादू शिक्षा का से अंश...................
.
१० कौआ कान ले गया व्यंग संग्रह द्वारा इं. विवेक रंजन श्रीवास्तव

मूल्य भारतीय रूपये ६०.०० ,यू.एस.डालर ६.००


प्रकाशक चाहिये महाकवि कालीदास कृत रघुवंशम् का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव
समस्त २१ सर्ग लगभग ४०० पृष्ठ
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मेरे बारे में.....

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Vivek Ranjan Shrivastava
Jabalpur, M.P., India
सामाजिक लेखन हेतु ११ वें रेड एण्ड व्हाईट पुरस्कार से सम्मानित . "रामभरोसे", "कौआ कान ले गया" व्यंग संग्रहों ," आक्रोश" काव्य संग्रह ,"हिंदोस्तां हमारा " , "जादू शिक्षा का " नाटकों के माध्यम से अपने भीतर के रचनाकार की विवश अभिव्यक्ति को व्यक्त करने का दुस्साहस ..हम तो बोलेंगे ही कोई सुने न सुने . यह लेखन वैचारिक अंतर्द्वंद है ,मेरे जैसे लेखकों का जो अपना श्रम, समय व धन लगाकर भी सच को "सच" कहने का साहस तो कर रहे हैं ..इस युग में . लेखकीय शोषण , व पाठकहीनता की स्थितियां हम सबसे छिपी नहीं है , पर समय रचनाकारो के इस सारस्वत यज्ञ की आहुतियों का मूल्यांकन करेगा इसी आशा और विश्वास के साथ ..
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  • बिजली चोरी के खिलाफ..
  • बिजली पर हिन्द युग्म का काव्य पल्लवन
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