वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत एवं उनकी आवश्यकता
;डॉ. चेतनसिंह सोलंकी
एक देश की ऊर्जा आवश्यकता को प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष उपयोग की गई ऊर्जा की मात्रा में दर्शाया जा सकता है। सामान्यतः उपयोग की गई ऊर्जा की इकाई किलो-वॉट-घंटा है एवं इसीलिए एक देश की ऊर्जा आवश्यकता को किलो-वॉट-घंटा/व्यक्ति/वर्ष में दशर्ााया जाता है। भारत एवं पूरे विश्व की ऊर्जा आवश्यकता वर्ष-दर-वर्ष बढ़ती ही जा रही है। बढ़ती हुई ऊर्जा आवश्यकता के दो मुख्य कारण हैं, एक है जनसंख्या की वृद्धि और दूसरा है आर्थिक स्थिति में सुधार। इन दोनों ही मापदंड, जनसंख्या वृद्धि व आर्थिक सुधार, अत्यधिक ऊर्जा की खपत की माँग करते हैं। यूनाइटेड नेशन के आंकलन के अनुसार, विश्व की जनसंख्या २०५०-६० तक बढ़ती ही जाएगी, एवं यह ८ से ९ अरब तक पहुँच सकती है और दुनिया में अनेक ऐसे लोग हैं, जिनके उपयोग के लिए उपलब्ध ऊर्जा उनकी आधारभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आवश्यक ऊर्जा से कहीं अधिक कम है।
यहाँ प्रश्न यह है कि हमारी भविष्य की ऊर्जा आवश्यकताओं, जो कि तेजी से बढ़ती ही जा रही है, को पूरा करने के लिए कौनसे ऊर्जा स्रोत उपलब्ध हैं। यह ज्ञात तथ्य है कि जीवाश्म ईंधन आधारित स्रोत जैसे कोयला, तेल व गैस की खपत की दर उस दर से कहीं अधिक है, जिस दर से वे प्राकृतिक रूप से निर्मित हो रहे हैं। इसका तात्पर्य है कि जीवाश्म ईंधन आधारित स्रोत जो हमें उपलब्ध हैं, वे तेजी से नष्ट हो रहे हैं और जल्द ही दुनिया से ये स्रोत खत्म हो जाएँगे। यदि ऊर्जा आपूर्ति के रूप में हम सुरक्षित भविष्य चाहते हैं, तो हम केवल जीवाश्म आधारित स्रोतों पर निर्भर नहीं रह सकते हैं। अतः हमें ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की आवश्यकता है।
हमें कौनसे वैकल्पिक स्रोत उपलब्ध हैं? इन स्रोतों का उद्गम क्या है? और हमें उपलब्ध ये वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत हमारी वर्तमान व भविष्य की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं या नहीं? वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की सूची में शाामिल हैं सौर ऊर्जा, वायु ऊर्जा, जीवद्रव्य ऊर्जा, समुद्रीय तापीय ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, तरंग ऊर्जा।
सौर ऊर्जा स्रोत, वायु ऊर्जा एवं जीवद्रव्य ऊर्जा का उद्गम सूर्य है। पृथ्वी पर गिरने वाले सौर विकिरण ऊर्जा का एक रूप हैं एवं उन्हें हमारी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपयोग किया जा सकता है। सौर विकिरण तापीय व विद्युतीय ऊर्जा में रूपांतरित किए जा सकते हैं। सूर्य प्रकाश पृथ्वी के सभी स्थानों पर एक समान मात्रा में नहीं गिरता है, जिससे कि वातावरण में वायु में असमान तपन होता है, फलस्वरूप वायु का प्रवाह होता है। वायु प्रवाह गतिज ऊर्जा का एक रूप है एवं इसे उपयोगी ऊर्जा जैसे विद्युत में रूपांतरित किया जा सकता है। पेड़ एवं पौधों के लिए सामान्यतः उपयोग किया जाने वाला शब्द है जीवद्रव्य। पेड़-पौधों की पत्तियाँ सूर्य प्रकाश का उपयोग बढ़ने के लिए करती हैं और ऐसा करके वे सूर्य प्रकाश की ऊर्जा को जीवद्रव्य ऊर्जा में रूपांतरित करती हैं। जीवद्रव्य ऊर्जा को भी हमारी ऊर्जा आवश्यकताओं में से कुछ को पूरा करने के लिए उपयोग किया जा सकता है। समुद्रीय तापीय ऊर्जा समुद्र में पानी की सतह पर व पानी की गहराई में तापमान के अंतर का परिणाम है। ज्वारीय ऊर्जा पृथ्वी व चंद्रमा के बीच गुरुत्वाकर्षण का परिणाम है जो कि ज्वार के रूप में उत्पन्ना होती है। ज्वार में पानी की बहुत अधिक मात्रा का बहाव होता है और बहते हुए पानी की ऊर्जा को हमारी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में उपयोग किया जा सकता है। तरंग ऊर्जा समुद्र की तरंगों की गतिज ऊर्जा है, जो कि उपयोगी ऊर्जा में रूपांतरित की जा सकती है। भूतापीय ऊर्जा पृथ्वी की सतह के नीचे पिघली हुई धातुओं में विद्यमान ऊर्जा है।पिघली हुई धातुओं में तापीय ऊर्जा विद्यमान होती है, जो कि हमारे उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उपयोग की जा सकती है।
़(लेखक आईआईटी, मुंबई में एसोसिएट प्रोफेसर हैं और सौर ऊर्जा पर शोध कर रहे हैं)
श्रीमान, आपकी सोच भविष्य के बिल्कुल निकट है। क्या बिना तार(wireless)के ऊर्जा प्रवाहित की जा सकती? यदि ऐसा संभव हो सकता है तो तार के लिए व्यर्थ में धन की होने वाली बर्बादी को रोका जा सकता है।
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