18 दिसंबर, 2009

प्रेमवती, महिला बिजली मिस्त्री

जब भी हमारे घर पर किसी बिजली के उपकरण में नुक्स आता है तो आम तौर पर हम इलेक्ट्रीशियन यानी बिजली के मिस्त्री को बुलाते हैं. लेकिन हम आपको बताते हैं एक महिला बिजली मिस्त्री के बारे में.
महिला बिजली मिस्त्री सुनने में थोड़ा हैरान तो करता है लेकिन लखनऊ की प्रेमवती सोनकर ये काम पिछले पैंतीस वर्षों से कर रही हैं.

बासठ साल की प्रेमवती को बचपन से बिजली की झालरें और उपकरण आकर्षित करते थे. उनकी भी इच्छा होती थी कि काश वो ये काम सीख पातीं.

नैनीताल की रहने वाली प्रेमवती की शादी हुई लखनऊ के प्यारे लाल से जिन्हें बिजली के काम की अच्छी खासी जानकारी थी. प्यारे लाल लखनऊ में ही जल संस्थान में कर्मचारी थे.

शादी के बाद प्रेमवती दिन भर घर पर खाली बैठी रहती थीं. घर के आर्थिक हालात भी कुछ ठीक नहीं थे. ऐसे में प्रेमवती ने अपने पति को बिजली के उपकरणों की मरम्मत करने का सुझाव दिया.


दुकान पर एक महिला का बैठना किसी को भी पसंद नहीं आता था. लेकिन पति के सहयोग से धीरे-धीरे सब ठीक हो गया




इस तरह उन्होंने एक दुकान खोल ली और प्रेमवती खाली समय में उनका हाथ बंटाने लगीं.

पति के हौसले से प्रेमवती के बचपन का शौक कब हुनर में बदल गया इसका एहसास उन्हें ख़ुद भी न हुआ.

रोटी बेलने वाले हाथ जल्दी ही मोटर की वाइंडिंग और बिजली के दूसरे साज़ो-सामान बनाने लग गए.

अब तो उन्हें बिजली के करंट का झटका और रोटी बेलते वक्त हाथ का जलना एक ही जैसा लगता है.