16 जनवरी, 2020

Electricity and Gandhi

महात्मा गांधी और बिजली

विवेक रंजन श्रीवास्तव
ए १ , शिला कुंज , विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर , जबलपुर ४८२००८
मो ७०००३७५७९८


भारत में प्रारंभिक व्यवसायिक बिजली उत्पादन कलकत्ता इलेक्ट्रिक सप्लाई कॉरपोरेशन ने 1899 में शुरू किया था, यद्यपि  गांधी जी के जन्म के लगभग दस पंद्रह वर्षो के भीतर ही कोलकाता ही देश का पहला शहर था जहां अंग्रेजो ने शाम के समय बिजली के प्रकाश की व्यवस्थाये कर दिखाईं थी . 20वीं शताब्दी की शुरुआत में १९०५ में दिल्ली में भी बिजली से प्रकाश व्यवस्था का प्रारंभ हुआ .  शुरुआती दौर में डीजल से बिजली बनाई जाती थी। 1911 के तीसरे दिल्ली दरबार के समय जब अंग्रेज राजा ने बुराड़ी के कोरोनेशन पार्क में आयोजित एक समारोह में ब्रिटिश भारत की राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने की घोषणा की, उसी साल यहां पर भाप से  बिजली उत्पादन स्टेशन बनाया गया। अंग्रेजों ने 20वीं सदी के पहले दशक में भारतीय परंपरा की नकल करते हुए दिल्ली में दो दरबार सन 1903 एवं 1911 में  किए, जिनमें बिजली से साज-सजावट की गई। लियो कोल्मैन ने अपनी पुस्तक 'ए मॉरल टेक्नॉलजी, इलेक्ट्रिफिकेशन एज पॉलिटिकल रिचुअल इन न्यू डेल्ही' में भारत की राजधानी के बिजलीकरण के बहाने सांस्कृतिक राजनीति, राजनीतिक सोच को आकार देने में प्रौद्योगिकी की भूमिका को रेखांकित किया है।'दिल्ली, पास्ट एंड प्रेजेन्ट' के लेखक एच सी फांशवा ने पूर्व (यानी भारत) में बिजली की रोशनी की शुरुआत पर चर्चा करते हुए इसे एक फिजूल खर्च के रूप में खारिज कर दिया था। उसने तर्क देते हुए कहा कि दिल्ली में कलकत्ता के विपरीत कारोबार शाम के समय खत्म हो जाता है। ऐसे में मिट्टी के तेल से होने वाली रोशनी ही काफी है।'मैसर्स जॉन फ्लेमिंग' नामक एक अंग्रेज कंपनी ने दिल्ली में 1905 में पहला डीजल पावर स्टेशन बनाया था। इस कंपनी के पास बिजली बनाने और डिस्ट्रीब्यूशन दोनों की जिम्मेदारी थी। विद्युत अधिनियम, 1903 के तहत लाइसेंस लेने के बाद 'जॉन फ्लेमिंग कंपनी' ने पुरानी दिल्ली में लाहौरी गेट पर दो मेगावाट का एक छोटा डीजल स्टेशन बनाया। बाद में इसका नाम 'दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई एंड ट्रैक्शन कंपनी' हो गया। 1911 में, बिजली उत्पादन के लिए स्टीम जनरेशन स्टेशन यानी भाप से बिजली बनाने वाले स्टेशन की शुरुआत हुई। 'दिल्ली गजट, 1912' के अनुसार, बिजली से रोशनी के मामले में दिल्ली किसी भी तरह से दुनियां से पिछड़ी नहीं थी। 1939 में दिल्ली सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी पॉवर अथॉरिटी बनाई गई थी .
यह वर्ष महात्मा गांधी के १५० वें जन्म वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है . महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से १९१५ में पूरी तरह भारत लौटे थे , इस तरह देश में बिजली की प्रकाश के उपयोग हेतु सुलभता तथा महात्मा गांधी का भारत की राजनीति में सक्रिय योगदान लगभग समकालीन ही हैं .
१८८८ में जब गांधी जी लंदन पढ़ने गये थे तब लंदन में बिजली से प्रकाश व्यवस्था की जा चुकी थी . इसलिये गांधी जी बिजली से बहुत वाकिफ रहे . १८९३ से १९१४ तक वे दक्षिण अफ्रीका में रहे , तब तक दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन आदि शहरो में भी बिजली का उपयोग होने लगा था . टेलीग्राफ , इलेक्ट्रिक मोटर उपकरणो का उपयोग भी धीरे धीरे बढ़ रहा था . टेलीग्राम के उपयोग के दृष्टांत महात्मा गांधी की जीवनी में भी जगह जगह पढ़ने  मिलते हैं . यद्यपि सीधे तौर पर बिजली को लेकर महात्मा गांधी के विचार किसी पुस्तक में मुझे पढ़ने नही मिले पर महात्मा गांधी मशीनीकरण के अंधानुगमन के विरोध में थे . वे स्वायत्त ग्रामीण व्यवस्था के पक्षधर थे , बिजली के संदर्भ में इन विचारो को अधिरोपित करें तो आज बिजली वितरण , उत्पादन की जो क्षेत्रीय कंपनियां बनाई जा रही हैं , किंबहुना यह ढ़ांचा महात्मा गांधी के विकास के स्वशासित अनुपूरक ढ़ांचे का ही विस्तार कहा जा सकता है .
18 मार्च 1922 को गांधी जी को छह साल की सजा सुनाई गई थी। उन्हें गुजरात की साबरमती जेल से विशेष ट्रेन से पुणे की येरवडा जेल स्थानांतरित कर दिया गया था. गांधी जी को अपेंडिसाइटिस की गंभीर समस्या के कारण 12 जनवरी 1924 में पुणे के ससून अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। अंग्रेज सरकार उनके आपरेशन के लिये मुंबई से आने वाले भारतीय चिकित्सकों का इंतजार करना चाहती थी लेकिन आधी रात से पहले ब्रितानी सर्जन कर्नल मैडॉक ने गांधी जी को बताया कि उनका तत्काल ऑपरेशन करना पड़ेगा जिस पर सहमति भी बन गई.
जब ऑपरेशन की तैयारी की जा रही थी, गांधीजी के अनुरोध पर ‘सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी’ के प्रमुख वी एस श्रीनिवास शास्त्री और मित्र डॉ. फटक को भी वहां  बुलाया गया जिससे देश की जनता के सामने अंग्रेज डाक्टर की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह न लगे . एक सावर्जनिक बयान जारी किया जिसमें गांधी जी ने कहा कि उन्होंने ऑपरेशन के लिए सहमति दी है, चिकित्सकों ने उनका भली-प्रकार उपचार किया है और कुछ भी अप्रिय होने पर सरकार विरोधी प्रदर्शन नहीं होने चाहिए।
दरअसल, अस्पताल के अधिकारी और गांधी जी यह भली भांति जानते थे कि यदि ऑपरेशन में कुछ गड़बड़ी हुई तो देश के जन मानस पर इसके अपरोक्ष राजनैतिक  प्रभाव होंगे .  गांधी जी ने जब इस बयान पर हस्ताक्षर के लिए  कलम उठाई, तो उन्होंने कर्नल मैडॉक से मजाकिया अंदाज में कहा, 'देखो, मेरे हाथ कैसे कांप रहे हैं... आपको यह सही से करना होगा।'  जवाब में डा मैडॉक ने कहा कि वह पूरी ताकत लगा लेंगे। इसके बाद गांधी जी को क्लोरोफॉम सुंघा दी गई। जब ऑपरेशन शुरू किया गया, उस समय आंधी और वर्षा हो रही थी। ऑपरेशन के बीच में ही बिजली गुल हो गई ऑपरेशन के लिए टार्च लाइट की मदद ली गई। ऑपरेशन के बीच में इसने भी जवाब दे दिया। आखिरकार, ब्रितानी चिकित्सक ने लालटेन की रोशनी में गांधी जी का सफल ऑपरेशन किया। इस घटना के 95 साल बीत चुके हैं। सरकारी अस्पताल के 400 वर्ग फुट के इस ऑपरेशन थियेटर को एक स्मारक में बदल दिया गया है .महात्मा गांधी के जीवन की इस अहम घटना का साक्षी बने इस कमरे में महात्मा गांधी के ऑपरेशन के लिए इस्तेमाल की गई एक मेज, एक ट्राली और कुछ उपकरण रखे हैं। इस कमरे में एक दुर्लभ पेंटिंग भी है जिसमें बापू के ऑपरेशन का चित्रण है। किंतु आपरेशन के समय अस्पताल की बिजली गुल हो जाने की घटना रोमांचक तो है ही .
आज जाने कितनी बिजली परियोजनाओ का नामकरण महात्मा गांधी के नाम पर किया गया है , जाने कितनी विद्युतीकरण योजनायें उनके नाम पर चलाई जा रही हैं किंतु यदि महात्मा गांधी के सिद्धांतो से बिजली को जोड़ कर देखें तो हम कह सकते हैं कि सबके लिये सदैव बिजली की सौभाग्य योजना के लक्ष्य पा लेने के बाद जब देश के अंतिम व्यक्ति को भी बिजली का लाभ पहुंच सक रहा है तभी महात्मा गांधी और बिजली का वास्तविक सामंजस्य बनता समझ आता है .
विवेक रंजन श्रीवास्तव
जबलपुर

19 अगस्त, 2018

दीप्ति स्वामिनी है बिजली

vivek ranjan shrivastava <vivekranjan.vinamra@gmail.com>





शक्ति स्वरूपा ,चपल चंचला ,दीप्ति स्वामिनी है बिजली ,
निराकार पर सर्व व्याप्त है , आभास दायिनी है बिजली !

मेघ प्रिया की गगन गर्जना , क्षितिज छोर से नभ तक है,
वर्षा ॠतु में प्रबल प्रकाशित , तड़ित प्रवाहिनी है बिजली !

क्षण भर में ही कर उजियारा , अंधकार को विगलित करती ,
हर पल बनती , तिल तिल जलती , तीव्र गामिनी है बिजली !

कभी उजाला, कभी ताप तो, कभी मशीनों का ईंधन बन
रूप बदल , सेवा में तत्पर , हर पल हाजिर है बिजली !

सावधान ! चोरी से इसकी , छूने से भी दुर्घटना घट सकती है ,
मितव्ययिता से सदुपयोग हो , माँग अधिक , कम है बिजली !

गिरे अगर दिल पर दामिनि तो , सचमुच , बचना मुश्किल है,
प्रिये हमारी ! हम घायल, कातिल हो तुम, अदा तुम्हारी है बिजली !

सर्वधर्म समभाव सिखाये , छुआछूत से परे तार से , घर घर जोड़े ,
एक देश है ज्यों शरीर और, तार नसों से, दिल की धड़कन है बिजली !!

- विवेक रंजन श्रीवास्तव

26 सितंबर, 2017

Swagat soubhagya yojna ka

  स्वागत है सौभाग्य योजना का ! 

इंजी विवेक रंजन श्रीवास्तव
vivek1959@yahoo.co.in
7000375798
    प्रधानमंत्री मोदी जी की सोच व्यापक राष्ट्र हितकारी है .सौभाग्य योजना के जरिये सुदूर क्षेत्रो में जहां बिोजली नही पहुंची हो वहां भी सोलर लाइट , फैन , की सुविधा वे बिजली विहीन लोगो को देना चाहते हैं . जहां बिजली है वहां तो बिजली कंपनियो की जबाबदारी होगी कि वे बिजली विहीन लोगो को घर पहुंचकर आवश्यक कार्यवाही पूर्ण कर बिजली कनेक्शन दें.  सबको , विशेष रूप से गरीबो को न्यूनतम बिजली मिलनी ही चाहिये . बिजली पर हर किसी का अधिकार होगा तभी एक सुखी नागरिको के संपन्न  देश की परिकल्पना पूरी की जा सकती है . बिजली के कंधो पर सवार सरकारो ने कई चुनावो में इसे अपना अस्त्र बनाया , म. प्र. में अर्जुन सिंग ने सबसे पहले नब्बे के दशक में ५ हार्स पावर तक के पम्पो को मुफ्त बिजली देकर इस सैक्टर के उदारीकरण की अराजक शुरुवात की थी . बिजली के मुद्ददे की यह शार्ट कट विकास यात्रा केजरीवाल की दिल्ली में जीत का एक बड़ा कारण बनी  , उ. प्र. , दक्षिण के अनेक राज्यो और अब लगता है राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी भुमिका निभाने जा रही है . हर सरकार , हर चुनाव में बिजली महत्वपूर्ण मुद्दा होता जा रहा है . किसानो के , गरीबो के बिल माफ करने की नीति से देश का बिजली सैक्टर इन दिनो बड़ी अजीब मनः स्थिति में है . बिजली क्षेत्र का कम्पनीकरण पूर्ण हो चुका है .जहाँ बिजली कर्मचारियो को कमर्शियली वायबल बनाने के लिये भरपूर दबाव बनाया जाता है वही पल भर में बिल माफी की घोषणा से उपभोक्ता बिल देने की अपनी आदत ही भूलते दिखते हैं . बिजली कर्मचारियो को समुचित वेतनमान तक के लिये संघर्ष करना पड़ रहा है . प्रदेश में ही अब तक पिछले वेतन पुनरीक्षण के फ्रिंज बेनिफिट बिजली कंपनियो को नही मिल पाये हैं . सातवें वेतनमान की मांग करते कर्मचारी अपने कठिन बिजली उत्पादन , पारेषण और वितरण की दुरूह परिस्थितियो , वसूली के लक्ष्य , बिजली चोरी के प्रकरणो के बीच सामंजस्य बनाते निर्वाह करने पर मजबूर हैं . उनकी विषम परिस्थितियो की नौकरी को कोई विशेष दर्जा प्राप्त नही है .उनके वेतन की तुलना सामान्य कार्यालयीन कार्यो वाले विभागो से की जाती है .  स्थाई पेंशन फंड तक नही बनाया जा सका है , और न ही सरकारो ने पेंशन की गारंटी की जिम्मेदारी ली है . रोटी ,कपडा व मकान जिस तरह जीवन के लिये आधारभूत आवश्यकतायें हैं , उसी तरह बिजली , पानी व संचार अर्थात सडक व कम्युनिकेशन देश के औद्योगिक विकास की मूलभूत इंफ्रास्ट्रक्चरल जरूरतें है . इन तीनों में भी बिजली की उपलब्धता आज सबसे महत्व पूर्ण है . प्रति व्यक्ति बिजली की खपत देश के विकास का पैमाना बनाने का आदरणीय प्रधान मंत्री जी का सपना तभी सच हो सकता है जब बिजली के क्षेत्र में व्यापक सुधार कार्यक्रम के साथ ही इस सैक्टर के कर्मचारियो में आत्मसंतोष का वातावरण हो .

आत्मा और उर्जा में अद्भुत आध्यात्मिक वैज्ञानिक साम्य

            विज्ञान के अनुसार ऊर्जा अविनाशी है .आध्यात्म के अनुसार  आत्मा भी अविनाशी है . किसी भी मशीन के संचालन के लिये ऊर्जा एक अनिवार्य आवश्यकता  है . ऊर्जा रूप बदल सकती है . ठीक इसी तरह किसी भी शरीर में चेतना के लिये आत्मा जरूरी है . भारतीय आध्यात्मिक दर्शन के अनुसार शरीर से जीवन के अंत के बाद आत्मा नया शरीर ग्रहण कर लेती है . जिस तरह आत्मा के बिना कोई भी शरीर निर्जीव हो जाता है , उसी तरह ऊर्जा के संचार के बगैर हर यंत्र बेकार हो जाता है . अर्थात आत्मा , जीवन ऊर्जा है . आत्मा अदृश्य होती है , उसे केवल अनुभव किया जा सकता है , इसी तरह ऊर्जा को भी देखा नही जा सकता , इसे केवल अनुभव ही किया जा सकता है .
हमारे वैदिक ग्रंथो में से बृहदारण्यक के पांचवे अध्याय के छठवें ब्राम्हण में श्लोक है ...

"विद्युद्ब्रम्हेत्याहुविर्दानाद्विध्युद्विध्यतेनम् पाप्मानो य एवं वेद विद्युतब्रम्हेति वद्युद्धयेव ब्रम्ह "
"विद्युतब्रम्हेति"  अर्थात हमारे ॠषि मुनियो ने विद्युत को ब्रम्ह का स्वरूप निरूपित किया है .

    यदि परमाणु संरचना के वैज्ञानिक आधार की विवेचना करें तो प्रत्येक तत्व की सूक्षमतम इकाई उसका परमाणु  है , और परमाणु भी प्रोटान , न्यूट्रान व इलेक्ट्रान से निर्मित है . इलेक्ट्रान एक ऊर्जा के कारण ही परमाणु के केंद्र के चारों और घूम रहे हैं . अर्थात आध्यात्मिक विवेचना करें तो जो हमारी मान्यता है कि यह ब्रम्हाण्ड क्षिति , जल , पावक , पवन , समीर  पंच तत्वो से बना हुआ है , उसमें छठा अदृश्य तत्व जो इस समूचे ब्रम्हाण्ड को संचालित कर रहा है वह ऊर्जा ही है .

बिजली के क्षेत्र में विश्व स्तर पर नये अनुसंधान बहुत आवश्यक हैं

.भारत में विद्युत का इतिहास १९ वीं सदी से ही है , हमारे देश में  कलकत्ता में पहली बार बिजली का सार्वजनिक उपयोग किया गया था .
यद्यपि चपला , चंचला ,द्रुतगामिनी , बिजली से हमारा साक्षात्कार तो सृष्टि के प्रारंभ से ही आकाश में चमकती और तड़ित के रूप में धरती पर कहर ढ़ाती बिजली के रूप में होता रहा है .  बिजली का अनुसंधान ज्यादा पुराना नहीं है , सन् १८०० ई.  में इटली के वैज्ञानिक वोल्टा ने सर्वप्रथम धारा विद्युत का उत्पादन रासायनिक विधि से किया . वर्ष १८३१ में माइकल फैराडे नामक वैज्ञानिक ने विद्युत चुम्बकीय प्रेरण का वह आधारभूत सिद्धांत प्रतिपादित किया जिससे आज भी जनरेटर व डायनमो के द्वारा बिजली का उत्पादन हो रहा है . बिजली के क्षेत्र में विश्व स्तर पर नये अनुसंधान बहुत आवश्यक हैं , और इस पर दुनिया को अपना व्यय बढ़ाना पड़ेगा .

वर्तमान उपभोक्ता प्रधान युग में अभी भी यदि कुछ मोनोपाली सप्लाई मार्केट में है तो वह भी बिजली ही है . आज दुनिया की आबादी  लगभग ७८ मिलियन  प्रति वर्ष की दर से बढ़ रही है , पिछले ५० सालों में दुनिया की आबादी दुगनी हो गई है . एक अनुमान के अनुसार आज  भी दुनिया की  चौथाई आबादी तक  बिजली  की पहुंच बाकी है .न केवल भारत में वरन वैश्विक परिदृश्य में भी बिजली की कमी है . बिजली के साथ एक बहुत बड़ी समस्या यह है कि इसे  व्यवसायिक स्तर पर भण्डारण करके नहीं रखा जा सकता .जो कुछ थोड़ा सा विद्युत भंडारण संभव है वह रासायनिक उर्जा के रूप में विद्युत सैल या बैटरी के रूप में ही संभव है . बिजली का व्यवसायिक उत्पादन व उपभोग साथ साथ ही होता है .
विकसित देशों में किसी क्षेत्र के विकास को तथा वहां के लोगों के जीवन स्तर को समझने के लिये उस क्षेत्र में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत को पैमाने के रूप में उपयोग किया जाता है .१००० वाट का कोई उपकरण यदि १ घण्टे तक लगातार बिजली का उपयोग करे तो जितनी बिजली व्यय होगी उसे  "किलोवाट अवर" kwh  या १ यूनिट बिजली कहा जाता है .आंकड़ों के अनुसार अमेरिका में प्रति व्यक्ति विद्युत की खपत १४५३१ यूनिट प्रति वर्ष से ज्यादा है , जबकि यही आंकड़ा जापान में ८६२८ यूनिट प्रति व्यक्ति , चीन में १९१० प्रति व्यक्ति है किन्तु हमारे देश में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत मात्र ६३१ यूनिट प्रति व्यक्ति है .दुनिया में जितनी बिजली बन रही है  उसका केवल ४ प्रतिशत ही हमारे देश में उपयोग हो रहा है . अतः हमारे देश में बिजली की कमी और इस क्षेत्र में व्यापक विकास की संभावनाये स्वतः ही समझी जा सकती हैं . बिजली की कमी से तो हम धीरे धीरे बाहर आ रहे हैं , पर उपभोक्ताओ से बिजली के मूल्य की वसूली एक बड़ी समस्या है . क्या यह नही हो सकता कि प्रत्येक उपभोक्ता वस्तु पर एक बिजली शुल्क लगाकर अप्रगट रूप से बिजली का मूल्य वसूल किया जावे ?
आने वाले वर्षो में मैं हर छत पर सोलर पैनल की कल्पना करता हूं , क्या यह सच नही किया जा सकता ?

 संविधान में बिजली सहित ऊर्जा को केवल केंद्र का विषय बनाने की आवश्यकता

    बिजली ,  रेल तथा  दूर संचार की ही तरह राष्ट्र को  एक सूत्र में पिरोने वाली ऊर्जा है. राज्य व केंद्र का संयुक्त विषय होने के कारण बिजली पर व्यापक राजनीति हो रही है . प्रत्येक राज्य ने बिजली उत्पादन , पारेषण एवं वितरण की  कई कई कंपनियां बनाकर बिजली पर होने वाले निवेश के बड़े हिस्से को  स्थापना व्यय में व्यर्थ कर रही हैं . अलग अलग राज्यो में बिजली की दरें , बिजली की उपलब्धता भिन्न भिन्न है .पैट्रोल ,डीजल ,गैस, मिट्टी के तेल  पर सारे देश में समान सब्सिडी का लाभ जनता को मिलता है , किन्तु बिजली के संयुक्त विषय होने के कारण यह राजनीति का विषय बनकर रह गया है . बिजली का उत्पादन कोयले से अर्थात ताप विद्युत के रूप में , जल विद्युत मतलब बड़ी पनबिजली बांध परियोजनाओ के द्वारा, परमाणु बिजली के रूप में नाभिकीय विखण्डन से अथवा प्राकृतिक गैस के द्वारा बनाई जाती है . कोयला ,प्राकृतिक गैस तथा  परमाणु उर्जा  हमारी संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार केंद्र के विषय हैं .जबकि नदियो का पानी और बिजली केंद्र व राज्य की संयुक्त व्यवस्था का विषय है .विद्युत प्रदाय अधिनियम १९१० व १९४८ को एकीकृत कर संशोधित करते हुये वर्ष २००३ में एक नया कानून विद्युत अधिनियम के रूप में लागू किया गया है . इसके पीछे आधार भूत सोच बिजली कम्पनियों को ज्यादा जबाबदेह , उपभोक्ता उन्मुखी , स्पर्धात्मक बनाकर , वैश्विक वित्त संस्थाओं से ॠण लेकर बिजली के क्षेत्र में निवेश बढ़ाना है .बिजली के मुद्दे पर कई चुनाव लड़े और जीते गये हैं . इससे बिजली विकास की वास्तविक उर्जा बनने के बजाय प्रयोग धर्मिता की शिकार हो रही है .   अब समय की मांग है कि  बिजली को केंद्र व राज्य की संयुक्त सूची से हटाकर केवल केंद्र का विषय बना दिया जावे , जिससे सारे देश में बिजली संकट  एक साथ हल करके विकास के नये प्रतिमान रचे जा सकें .


इंजी विवेक रंजन श्रीवास्तव

विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर , जबलपुर ४८२००८
मो ०७०००३७५७९८
vivek1959@yahoo.co.in
vivek ranjan shrivastava

18 जुलाई, 2017

धन्यवाद सुधीर चौधरी , जी टी वी

दिल्ली में बिजली चोरी पकड़ने गए इंजीनियर की हादसे में दुखद मृत्यु के बाद

 https://youtu.be/Xp1QMV-4yhA  

पहली बार किसी राष्ट्रीय चैनल ने यह महत्व पूर्ण मुद्दा उठाया , यद्यपि कटियाबाज जैसी फ़िल्म इस समस्या पर बन चुकी है ।
मैं बहुत पहले से इस विषय पर लिखता रहा हूं , 2007 से ब्लाग

 http://nomorepowertheft.blogspot.com

भी बनाया हुआ है

03 दिसंबर, 2016

it is our natural right to know the results immediate after counting of Votes



Dear  Friends
Greetings
I was motivated by friends to contest election of national council member of Institution of Engineers  so that I get a proper platform to act for betterment of the Institution and Engineers . I was in your touch during electoral process ,you all liked my views as per  the feedback I got . 17th November was the day declared for counting of Votes . Surprisingly since then , even after contacting concerns result was not informed .I have come to know from  few fellow contestants that my name is not in winning list .
Friends you Voted in election , I contested election so it is our natural right to know the results immediate after  counting of Votes . Not declaration of results misleads to intentions . Electoral process needs reforms and transparency.
Please drop a mail to chairman Board of scrutiny Er Berry  hcsberry@rediffmail.com and sdg@ieindia.in with a copy to me  to inform the election results .

Friends, I am committed to act for welfare of engineers community and  for betterment of Institution as a Fellow member , Please remain in touch and always feel free to contact me in this regard .

Er Vivek  Ranjan Shrivastava
FIE

आपने वोट किया है अतः आप परिणाम जानने के अधिकारी हैं

आदरणीय दोस्तो
विवेक के अभिवादन
    आप जानते हैं कि  इंस्टीट्यूशन आफ इंजीनियर्स के काउंसिल मेम्बर के चुनाव में  मै मित्रो के आग्रह पर आप सब के सहयोग से इस उद्देश्य से खड़ा हुआ था कि एक नई उर्जा का संचार संस्था में किया जावे तथा समाज में इंजीनियर्स को प्रतिष्ठित महत्वपूर्ण स्थान मिले तथा इंस्टीट्यूशन की गतिविधियो को समाजोन्मुख बनाया जावे . मैने पूरे इलेक्शन के निर्धारित समय काल में बार बार आप सब से ई संपर्क किया , आपके प्रत्युत्तरो से लगा कि ज्यादातर सदस्य मेरे प्रस्ताव से सहमत हैं .
    दिनांक १७ नवम्बर २०१६  को मतो की गणना की गई , मैने तब से मेल व फोन से बार बार चुनाव परिणाम जानने के लिये कलकत्ता मुख्यालय मे संबंधितो से संपर्क किया किन्तु वेबसाइट व मोबाइल के इस समय में भी इंजीनियर्स की शीर्ष संस्था जिसने देश में सर्वप्रथम ई वोटिंग की प्रक्रिया अपनाई है , ने अब तक चुनाव परिणाम गुप्त रखे हैं यह आश्चर्यकारी है , व इंगित करता है कि चुनाव प्रक्रिया में संशोधन तथा पारदर्शिता की जरूरत है . मुझे अब तक इंस्टीट्यूशन से चुनाव परिणाम के संबंध में कोई सूचना नही दी गई है . अन्य जो उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे थे उनमें से किसी से ज्ञात हुआ कि मेरा नाम विजयी सदस्यो में शामिल नहीं है .
        मैं हृदय से उन दोस्तो का आभार व्यक्त करना चाहता हूं जिन्होने मुझ पर विश्वास व्यक्त किया .मैं प्रतिबद्धता व्यक्त करना चाहता हूं कि फैलो सदस्य के रूप में मैं संस्था  व इंजीनियर्स की प्रतिष्ठा हेतु निरंतर कार्य करता रहूंगा , आप से निवेदन है कि इस दिशा में निसंकोच मेरे संपर्क में रहें .
यदि उचित समझें तो hcsberry@rediffmail.com अध्यक्ष बोर्ड आफ स्क्रुटिनर को लेख करते हुये प्रतिलिपि मुझे व sdg@ieindia.in को चुनावो में पारदर्शिता व गणना के तुरंत बाद चुनाव परिणाम घोषित करने व इस बार के चुनाव परिणाम जानने हेतु मेल करने का कष्ट करें .
मित्रो आपने वोट किया है अतः आप परिणाम जानने के अधिकारी हैं , मै चुनाव में उम्मीदवार था अतः मुझे कितने वोट मिले यह जानना मेरा नैसर्गिक अधिकार है . हमारी संस्था क्यो हमारे इन सहज अधिकारो का हनन कर रही है यह संदिग्ध है .

विवेक रंजन श्रीवास्तव


19 अक्टूबर, 2016

अपनो से अपनी बात

अपनो से अपनी बात

आदरणीय ,

दीपावली का वार्षिक प्रकाशोत्सव देश दुनिया और हम सब के व्यक्तिगत जीवन में भी लिये मंगलकारी उल्लास ले कर आये इस शुभकामना के साथ विवेक के अभिवादन !

इंस्टीट्यूशन आफ इंजीनियर्स के नेशनल काउंसिल इलेक्शन सिविल सदस्य चुनने की वोटिंग की प्रक्रिया के संदर्भ में आप सब से पिछले कुछ समय से एस एम एस , तथा ईमेल के जरिये संपर्क में हूं . आशा करता हूं कि  घड़ी की सुइयों और नम्बरों के इर्द गिर्द घूमती अपनी व्यस्त दिनचर्या में से कुछ समय निकाल कर मेरे ब्लाग http://nomorepowertheft.blogspot.com पर आपने सर्फिंग की होगी .मुझे खुशी होगी यदि मुझे ब्लाग पर फालो करेंगे , जिससे बाद में भी हम लगातार संपर्क में रहें आवें . इस बार चुने गये सदस्यो के कार्यकाल में ही इंस्टीट्यूशन का शताब्दि वर्ष २०२० मनाया जाना है .
5 सदस्यो के चयन हेतु 41 उम्मीदवारो ने नामांकन प्रस्तुत किये हैं . सभी के बायोडाटा तो एक दूसरे से बढ़चढ़ कर हैं . अतः आपको बहुत सूक्ष्म अध्ययन करके बड़ी जिम्मेदारी से वोट करने की जरूरत है . आपको ही तय करना है कि  चुना गया सदस्य आपके सतत संपर्क में रहने वाला , सहज सुलभ और कुछ नया करने की उर्जा से ओतप्रोत हो . काउंसिल मात्र वैसी ही औपचारिक फोरम बनकर न रह जावे जैसी विगत कुछ लम्बे समय से बनकर रह गई है . केवल अपने बायोडाटा को आकर्षक बनाने हेतु ही चुने गये सदस्य इस सदस्यता का उपयोग न करें यह आपके कीमती वोट से ही तय होना है .
इलेक्ट्रानिक वोटिंग करने के बाद भी यदि आप हार्ड कापी बैलेट से वोट करते हैं तो प्रावधानो के अनुसार हार्ड कापी से किया गया वोट मान्य होगा . आप अधिकतम 5 सदस्य चुन सकते हैं . हार्ड कापी से वोट करें तो चुने गये उम्मीदवार के सम्मुख चौकोर बाक्स को पूरा काला या नीला करें तथा दिये गये निर्देशो के अनुसार हस्ताक्षरित काउंटर स्लिप व फोटो आई डी भी सफेद लिफाफे में रखकर ही पोस्ट करें .
मेरा पुनः निवेदन है कि अपना वोट अपने विवेक के अनुसार स्वयं प्रयोग करें मित्रो को भी अपना बैलेट यूं ही न दे देंवे .
मैं इस सदस्यता के जरिये राष्ट्रीय स्तर पर आप सब की आकांक्षाओ के अनुरूप कुछ अभिनव करना चाहता हूं और इसीलिये बार बार आपसे मुझे वोट करने का आग्रह कर रहा हूं . आशा करता हूं कि यदि अब तक आपने मुझे वोट नही किया होगा तो अवश्य ही वोट करेंगे .
इंजीनियर्स समाज की बौद्धिक इकाई हैं उन्हें वह सम्मान दिलवाने हेतु प्रतिबद्ध हूं .
सदैव आपका स्वागत है ,
आपका अपना
विवेक रंजन श्रीवास्तव
मो ०९४२५८०६२५२
फेसबुक https://www.facebook.com/vivek1959?ref=bookmarks
 

28 सितंबर, 2016

Now its your TURN to elect Sir/Mam ! Humble request to please VOTE FOR ER VIVEK RANJAN SHRIVASTAVA FIE as council member Civil in Institution of Engineers India

 Humble request to please VOTE FOR ER VIVEK RANJAN SHRIVASTAVA FIE as council member Civil in Institution of Engineers India

  Dear Sir /Madam ,
Greetings
So the election for national council member civil is start now .
Out of 41 candidates many might have approached you . 
 I have approached yourself with my manifesto earlier .
I am surprised to see that  few contestants are reaching making self elected groups which is totally non ethical as IEI has invited nominations of individuals to be elected by respected corporate members  , few are not afraid even  asking signed ballots along with ids  in whatsapp groups & through emails too .Some office bearers of local centers have used there office to convince on there behalf .  looking all this, I request  Please not  to handover your ballot  to any one .
We members of Institution should proud that we have Electronic Voting system .I suggest to please Vote electronically and destroy physical ballot which will come to you by post .
 You might have received the login id & Voting password , Please Vote at www.ieindia.org .
I request ,Let Your unbiased VOTE  with wisdom should decide the individual contestants as elected MEMBERS it is for next 5 years of the Council . 
 I shall be thankful for your Vote, My name is at Serial number 30 . 
I assure my commitments  to bring positive changes .
Hope I shall be given the chance to come to you in my next post with vote of thanks for your kind support .
Regards ,
Er Vivek ranjan shrivastava 
FIE