05 अक्टूबर, 2010

सिर्फ सीएफएल लैंप

कर्नाटक में जलेंगे सिर्फ सीएफएल लैंप



ऊर्जा बचाने के लिए भारत के दक्षिणी राज्य कर्नाटक में प्रतिबंध का कदम उठाया गया. प्रतिबंध लगेगा ऊर्जा खाने वाले बल्ब पर. इसकी जगह पर आएंगे सीएफएल लैंप. कर्नाटक में भारी ऊर्जा संकट है.



कर्नाटक सरकार ने फैसला लिया है कि वह बिजली खाने वाले बल्ब पर पूरे राज्य में पहली जनवरी से प्रतिबंध लगा देगी और इसकी जगह सिर्फ सीएफएल लैंप इस्तेमाल करने की अनुमति होगी.



आईटी हब कहे जाने वाले कर्नाटक में कई दूसरी बड़ी औद्योगिक इकाइयां भी हैं और भारी बिजली की खपत के कारण राज्य में ऊर्जा संकट पैदा हो गया है. ऊर्जा बचाने के लिए अब सीएफएल लैंप का रास्ता अपनाने की सोची गई है. बल्ब की तुलना में सीएफएल लैंपों को बहुत कम ऊर्जा की जरूरत होती है और रोशनी में कोई कमी भी नहीं होती.





राज्य में बिजली की भारी कमी है. सरकारी आकड़ों के मुताबिक राज्य को जरूरत को साढ़े बारह करोड़ यूनिट बिजली की है लेकिन उसे मिलती सिर्फ 9 करोड़ 90 लाख यूनिट ही है.



हर घर में सीएफएल के इस्तेमाल से रोजाना कम से कम 400 मेगावाट बिजली की बचत होगी. योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए जनवरी से सीएफएल लैंप अनिवार्य कर दिए जाएंगे.



राज्य की ऊर्जा मंत्री शोभा करंदलजे ने कहा कि सभी सरकारी कार्यालयों, स्थानीय ऑफिस और अस्पतालों में तीन महीने के भीतर सिर्फ सीएफएल बल्ब लगाए जाएं.



सोमवार को मुख्यमंत्री गुलबर्गा के गरीब इलाके में बेलाकू अभियान लॉन्च करेंगे. राज्य के ऊर्जा विभाग ने तय किया है कि वह मार्च तक ऊर्जा की खपत और उत्पादन में अंतर दो फीसदी कम कर देगा.



रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

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