12 अक्टूबर, 2008

क्या आपका बेटा ,बेटी या कोई परिचित बच्चा क्लास ४ या ५ का छात्र है ? यदि हाँ तो उसे उर्जा संरक्षण चित्रकला प्रतियोगिता में भाग लेने हेतु प्रेरित कीजीये


क्या आपका बेटा ,बेटी या कोई परिचित बच्चा क्लास ४ या ५ का छात्र है ? यदि हाँ तो उसे उर्जा संरक्षण विषयक ब्यूरो ओफ इनर्जी एफिशयेंसी द्वारा आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता में भाग लेने हेतु प्रेरित कीजीये !.विस्तृत विवरण हेतु ..लिंक है http://bee.nic.in/

09 अक्टूबर, 2008

उपकरणों को मुख्य स्वच से बंद करने की आदत ..


उपकरणों को मुख्य स्वच से बंद करने की आदत ..
आज का समय रिमोट और कार्डलैस कंट्रोल की सुविधा के उपकरणों का है . पर क्या आपने कभी सोचा कि इसके चलते मुख्य स्विच बंद करने की हमारी आदत ही छूट गई है . टी वी रात भर भी मुख्य स्विच से बंद नही किया जाता ... कम्प्यूटर स्टैंडबाई मोड में ही बना रहता है , ब्रड बैँड का मोडेम हमेशा चालू रहने के कारण कितना गरम हो जाता है ? और तो और गीजर तक थर्मोस्टैट से ही कट होकर बंद होता है ......इतना अधिक सुविधा भोगी होना ठीक नही ! उर्जा की बचत की दृष्टि से तो बिल्कुल भी नही ! उपकरणों को मुख्य स्वच से बंद करने की आदत डालें और व्यर्थ जाती बिजली बचायें ..
घर से बाहर जाते समय मीटड़ बोर्ड के निकट लगा मेन स्विच बंद कर दुर्घटना की संभावना से बचने की आदत डालें , बिजली भी बचायें .

by-ER.Vivek Ranjan Shrivastava
Certified Energy Manager
Adll.Sup.Engineer , M .P . S . E . BOARD , JABALPUR

08 अक्टूबर, 2008

और बचाई जा सकती है ढ़ेर सी उर्जा ...

कपड़े धोने के लिये ठंडे पानी का प्रयोग व सुखाने हेतु धूप व हवा ...
कपड़े धोने के लिये गरम पानी का उपयोग , व धुले हुये कपड़े सुखाने के लिये वाशिंग मशीन के ड्रायर का उपयोग बहुतायत में किया जा रहा है . इससे कितनी उर्जा व्यर्थ हो रही है ? यही काम सामान्य थोड़ी सी मेहनत व थोड़ा सा ज्यादा समय लगाकर ठंडे पानी से कपड़े धोकर व उन्हें खुली हवा तथा धूप में सुखाकर भी सुगमता से किया जा सकता है ! और बचाई जा सकती है ढ़ेर सी उर्जा ...
by-ER.Vivek Ranjan Shrivastava
Certified Energy Manager
Adll.Sup.Engineer , M .P . S . E . BOARD , JABALPUR
मो. ०९४२५४८४४५२

07 अक्टूबर, 2008

घूम लिये दुर्गा पूजा के पंडाल ?

घूम लिये दुर्गा पूजा के पंडाल ?
घूम लिये दुर्गा पूजा के पंडाल ?
by-ER.Vivek Ranjan Shrivastava
Certified Energy Manager
Adll.Sup.Engineer , M .P . S . E . BOARD , JABALPUR

पिछले नौ दिनों से देश भर में दुर्गा पूजा का सांस्कृतिक महोत्सव चल रहा है . हम सब ने दुर्गा पूजा के पंडाल घूमें हैं . आपने नोटिस किया ? ज्यादातर पंडालों में सजावट के नाम पर बिजली की चकाचौंध ही है . डीजे का शोर है . थर्मो कूल की कलाकारी है . आंकड़े बताते हैं कि हर शहर कस्बे गाँव में ढ़ेरों दुर्गा उत्सव आयोजन समितियां है , खूब बिजली जल रही है , पर इस सजावट के लिये अस्थाई विद्युत कनेक्शन कितने लिये गये हैँ ? मतलब साफ है बिजली चोरी को हम सबने सामाजिक मान्यता दे रखी है ... ? ...?
पुराना समय याद कीजीये , दादा जी या नाना जी से पूछिये .. पहले जब इतनी बिजली की जगमगाहट नही होती थी ..तब भी दुर्गा पूजा तो होती ही थी . तब कैसे सजाये जाते थे पंडाल ? शायद तब पूजा के विधि विधान , श्रद्धा आस्था अधिक थी . आम के पत्तों की तोरण , पतंग के कागज से सजावट होती थी .सांस्कृतिक आयोजन , कविसम्मेलन , नृत्य आदि उत्सव होते थे .
बिजली की कमी को देखते हुये क्या हमें हमारे समाज और सरकार को एक बार फिर दुर्गा पूजा , मोहर्रम , क्रिसमस, न्यूइयर , गणेशोत्सव आदि आयोजनों में बिजली के फिजूल उपयोग पर , तथा आयोजन में सजावट व आयोजन के स्वरूप पर विचार मंथन नहीं करना चाहिये? ???????

प्रिमियम बिजली वितरण प्रणाली विकसित की जावे ?

प्रिमियम बिजली वितरण प्रणाली विकसित की जावे ?
by-ER.Vivek Ranjan Shrivastava
Certified Energy Manager
Adll.Sup.Engineer , M .P . S . E . BOARD , JABALPUR
आज के बिजली वितरण परिदृश्य में अगले १५ ..२०.. . वर्षो तक बिजली की समस्या पूरी तरह हल होती नही दिखती . सुविधा हेतु लोग इनवर्टर , स्वयं के छोटे जनरेटर आदि उपकरण लगाने को मजबूर हैं . बिजली के क्षेत्र में , प्रतियोगित्मक बिजली वितरण हेतु निजिकरण किया जा रहा है . किन्तु जब एकल प्रदाता ही सब जगह नही पहुंच पाया है ,और मांग पर हर एक को तुरत बिजली कनेक्शन व अनवरत बिजली सुलभ नही करवा पा रहा है , तो यह कल्पना करना कि बिजली वितरण का क्षेत्र मोनोपाली एण्ड रिस्ट्रिक्टेड ट्रेड प्रैक्टिस एक्ट के अंतर्गत सच्चे स्वरूप में लाया जा सकेगा , व उपभोक्ता को यह अधिकार होगा कि वह किससे बिजली खरीदे , सैद्धांतिक सोच मात्र लगती है .
आज के परिदृश्य में , बिजली वितरण कंपनियों पर राजनेता प्राफिट कमाने के लिये दबाव बना रहे हैं , एवं बिजली वितरण को को सामाजिक विकास के क्षेत्र की अवधारणा से अलग हटकर व्यवसायिक क्षेत्र व निजीकरण के चश्में से देखा जा रहा है . ऐसे समय में मेरा सुझाव तो यह है कि वितरण कंपनियों को प्रिमियम बिजली वितरण प्रणाली विकसित करना चाहिये . जो ज्यादा पैसा देगा उसे अनवरत बिजली तो मिलेगी . पीकिंग अवर्स में सक्षम लोग इस प्रिमियम बिजली वितरण प्रणाली से बिजली खरीद सकेंगे .इससे बिजली चोरी पर नियंत्रण हो सकेगा .
मैने अपने वर्ष २०००...२००१ के आसपास छपे लेखों में एक साथ किये जा रहे देश व्यापी बिजली के निजीकरण के खतरों के प्रति चेताया था , व लिखा था कि बिजली के दाम बेहिसाब बढ़ेंगे . आज बिजली १६ रु. यूनिट तक पहुंच रही है ..
ऐसे कठिन समय में बिजली वितरण को लेकर मेरे इस सुझाव पर आपकी प्रतिक्रियाओ की अपेक्षा रहेगी ...

28 सितंबर, 2008

स्वस्थ भी रहिये और उर्जा भी बचाने में अप्रत्यक्ष रूप से अपना बहुमूल्य योगदान दीजीये ....

उर्जा की बचत के लिये प्राकृतिक खाद्य पदार्थो के उपयोग को बढ़ावा
by-ER.Vivek Ranjan Shrivastava
Certified Energy Manager
Adll.Sup.Engineer , M .P . S . E . BOARD , JABALPUR
आजकल हम दब्बाबंद खाद्य पदार्थों के उपयोग में बड़प्पन समझते हैं . यहाँ तक कि पानी भी पाउच या बोतल का ही पीते हैं . फास्टफुड की आदतें पड़ती जा रही हैं . कभी सोचिये , प्राकृतिक रूप से सुलभ फल , व अन्य खाद्य पदार्थों को प्रोसेस्ड करके उपयोग करने में हम जाने कितनी उर्जा का व्यर्थ अपव्यय कर रहे हैं ? फिर वे चाहे आलू के चिप्स हों या डब्बा बंद मांस , या अन्य पदार्थ ! इस तरह हम खाद्य पदार्थ कि पौष्टिकता ही कम नहीं कर डालते वरन उसे मँहगा बना लेते हैं , और सबसे ज्यादा चिंता का विषय है कि इस प्रक्रिया में ढ़ेर सी उर्जा का अपव्यय कर डालते हैं .
अतः आज से अपने परिवार में , अपने मित्रों में इस बात की नियमित चर्चा कीजीये व प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के उपयोग को हतोत्साहित कीजीये . बाटल्ड जूस की जगह , ताजा रस पीजिये .. प्राकृतिक खाद्य सामग्री का यथा संभव सीधा उपयोग बढ़ाइये , स्वस्थ भी रहिये और उर्जा भी बचाने में अप्रत्यक्ष रूप से अपना बहुमूल्य योगदान दीजीये ....

27 सितंबर, 2008

आज फ्रिज की गास्केट चैक करें, कम्प्रैशर की गर्द साफ करें , और एअर कंडीशनर की जाली की सफाई करें ..


TODAY'S Tip..

आज फ्रिज की गास्केट चैक करें, कम्प्रैशर की गर्द साफ करें , और एअर कंडीशनर की जाली की सफाई करें ..

फ्रिज एसा उपकरण है जो २४ घंटे चलता रहता है . लंबे समय में फ्रिज की गास्केट कड़ी हो जाती है व कट या मुड़ जाती है जिससे अधिक बिजली का सतत व्यय तो होता ही है , कम्प्रैसर पर ज्यादा भार पड़ता है और उसका जीवन कम होता है , अतः समय व आवश्यकता के अनुसार गास्केट का नवीकरण आवश्यक है .
कम्प्रैशर पर बेहिसाब गर्द जमा हो जाती है, जिससे वह अतिरिक्त रूप से गरम होने लगता है . एक निश्चित अंतराल पर कम्प्रैशर की सफाई की जाती रहनी चाहिये .
ए.सी . , सबसे अधिक बिजली खपत करने वाला उपकरण है . इसमें कमरे की ही हवा सर्क्युलेट होती है , अतः कमरे को एअर टाइट रखें . जरा ए.सी. के सामने वाली जाली को हटायें , आप देखेंगे कि सामने की प्लास्टिक ग्रिल के पीछे एक महीन प्लास्टिक नेट लगी है , जो लम्बे समय से सफाई के अभाव में चोक है . इस वजह से ए सी को अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ रही है . कृपया इस नेट को बाहर निकाल कर अच्छी तरह धो दें और पुनः यथावत लगा दें . निश्चित ही शीतलन बढ़ जायेगा , बिजली की खपत घट जायेगी .
दरअसल अब तक हमारे यहाँ आफ्टर सेल सर्विस की सुढ़ृड़ प्रणाली विकसित नही हुई है , इस वजह से यह मेंटेनेंस हमें स्वयं करने आवश्यक होते हैं ,जिससे हमारे उपकरण मानक स्थितियों पर चलते रहें .
by-ER.Vivek Ranjan Shrivastava
Certified Energy Manager
Adll.Sup.Engineer , M .P . S . E . BOARD , JABALPUR

26 सितंबर, 2008

पूरे के पूरे बदल डालें ..........

आज पूरे के पूरे बल्ब बदल डालें ........TODAY'S Tip..
by-ER.Vivek Ranjan Shrivastava
Certified Energy Manager
from Bureau of Energy Efficiency, Government of India

बिना किसी सोच विचार के पूरे के पूरे ट्रेडीशनल बल्ब बदल डालें और उनकी जगह सी एफ एल लगा दें . आने वाले दिनो में बिजली बिल में जो बचत होगी उससे सी एफ एल खरीदने में जो अतिरिक्त व्यय आप करेगे वह सहज ही वसूल हो जायेगा . श्वेत , कूल रोशनी मिलेगी , कमरे का तापमान नही बढ़ेगा .सीएफएल बल्ब परंपरागत बल्ब की तुलना में पाँच गुणा प्रकाश देता है।सीएफएल सामान्य बल्ब से आठ गुणा अधिक टिकाउ होते है।
यदि हम 60 वाट के साधारण बल्ब के स्थान पर, 15 वाट का कॉम्पैक्ट फ्लूरेसेन्ट लाइट बल्ब का उपयोग करते हैं तो हम प्रति घंटा 45 वाट ऊर्जा की बचत कर सकते हैं। इस प्रकार, हम प्रति माह 11 यूनिट बिजली की बचत कर सकते हैं .
हाँ एक बात ध्यान रखें ,जब भी सीएफएल खराब हो जाये तो उसे जमीन में बिना काँच तोड़े गड़ा दें , क्योकि इसमें मरकरी होता है जो वातावरण व स्वास्थ्य के लिये दुष्प्रभावी होता है .
इसी तरह ४० वाट की त्यूबलाइट की जगह उसी फिटिंग में ३६ वाट की ट्यूबराड लगा लें ..बूँद बूँद से घट भरे ...

25 सितंबर, 2008

आज के लिये ..........बिजली की बचत में फोकस का महत्व

आज के लिये ..........बिजली की बचत में फोकस का महत्व
by-ER.Vivek Ranjan Shrivastava
Certified Energy Manager
from Bureau of Energy Efficiency, Government of India
बहुतायत में बिजली का प्रयोग प्रकाश के लिये होता है , जाने कितनी उर्जा का अपव्यय रात को दिन में बदलने की नाकाम कोशिश में होता है . बड़े बड़े बंगलों के आसपास व्यर्थ ढ़ेर सी लाइट लगाकर जैसे वैभव का प्रदर्शन किया जाता है . बिजली की जगमगाहट को बाजार की रौनक कहा जाता है .
टेबल लैंप का प्रयोग तो आप सब करते ही हैं ,यह फोकस्ड लाइट का छोटा सा उदाहरण है . जहाँ लाइट चाहिये वहीं परावर्तन द्वारा प्रकाश को एकत्रित कर फोकस से हम रोशनी का अपव्यय बचा सकते हैं .
बंगलो , दूकानो में ढ़ेर से बल्ब लगाने की अपेक्षा बंगले की बाउंडरी पर एक आयताकार फोकस लाइट , बंगले की ओर फोकस कर दो अपोजिट कार्नर्स पर , बंगले की उंचाई के बराबर के खंभों पर , भवन की प्लिंथ को फोकस करते हुये लगा दे , आप पायेंगे कि बिना रोशनी में कमी आये , बंगले की दीवारे तक जगमगा रही हैं , पर बिजली बिल में ७५ प्रतिशत तक की कमी हो गई है .
इसी तरह दूकानदार सड़क के दूसरी ओर की दूकान से अपनी दूकान पर , एवं अपनी दूकान से सामने वाले की दूकान पर फोकस लाइट का उपयोग कर बेहिसाब बिजली बचा सकते हैं , एवं इस बचत का लाभ अपने ग्राहकों को दे सकते हैं .
फोकस भी तरह तरह के आकार , प्रकार , एवं परावर्तक , लैंस आदि के साथ मिलते हैं . जिनका समुचित उपयोग कोई विशेषज्ञ सहज ही बता सकता है .
सोलर कुकर , व अन्य सौर उर्जित उपकरणो में भी फोकस का महत्व सर्वविदित तथा स्वयं स्पष्ट है .आवश्यकता बस इतनी है कि हम फोकस के प्रयोग को बढ़ावा देना शुरू तो करें ..........

24 सितंबर, 2008

आज इनर्जी आडीटर के रोल में .....



TIP OF THE DAY... by.. ER.Vivek Ranjan Shrivastava.......for ..ENERGY SAVING...........TIP OF THE DAY...
आज इनर्जी आडीटर के रोल में .....
आमदनी के आय व्यय का आडिट किया ही जाता है .फिजूल खर्चे पर रोक का प्रयास होता है , गलत व्यय पर प्रश्न चिन्ह खड़े किये जाते हैं .
उर्जा भी तो अपरोक्ष रूप से कीमती धन ही है . आज इनर्जी आडीटर के रोल में आइये .....
क्या आपका विद्युत कनेक्शन वैद्य है ?
कभी आपने विद्युत प्रदाता कंपनी से , बिजली कनेक्शन लेते समय किये गये अनुबंध पर ध्यान दिया है ?
कहीं आप हर बार लेट पेमेंट के चलते व्यर्थ रुपये तो नही दे रहे?
बिजली सब्सिडी पर दी जाती है , अलग अलग उपभोक्ता वर्ग हेतु अलग अलग दरें होती है ,क्या आपका कनेक्शन सही वर्ग में है ? अर्थात घरेलू , व्यवसायिक , कृषि, औद्योगिक या अन्य ... जाँच करे !
कहीं आपके कनेक्शन से किसी अन्य को आपने कोई अवैद्य कनेक्शन तो नहीं दिया है ? प्रायः घर के आस पास लोग छोटे अस्थाई दूकानदारों को या किरायेदारों को स्वतः कनेक्शन दे देते हैं , और इसके लिये उनके मन में अज्ञानता के चलते कोई अपराध बोध ही नहीं होता ! आपको बिजली बेचने का अधिकार नही है .
विभिन्न खपत स्लैब हेतु अलग अलग दर होती है , क्या आपका बिल सही आ रहा है ? क्या कुछ खपत कम करके हम बिल में बड़ी बचत कर सकते हैं ?कहीं खराब मीटर के कारण आपकी लगातार एवरेज बिलिंग ही तो नही हो रही ? मीटर रीडिग और बिल में दर्ज खपत में सामंजस्य है ? आपके कनेक्शन पर यूनिट खपत , फ्लैट रेट , माँग आधारित, या अन्य किस तरह की बिलिंग होरही है , उसे जाने समझें .सही आप्शन चुने .
बड़े उपभोक्ता M.D. controler (अधिकतम माँग नियंत्रक)लगा सकते हैं .
तो कुछ होम वर्क करिये ...आज बस इतना ही कल फिर मिलते हैं ...प्रतिक्षा कीजीये ..!
-ER.Vivek Ranjan Shrivastava
Certified Energy Manager
Bureau of Efficiency, Government of India

23 सितंबर, 2008

ENERGY SAVING tip for the day ...by ER.Vivek Ranjan Shrivastava



ENERGY SAVING tip for the day ...by ER.Vivek Ranjan Shrivastava
आज थोड़ा ग्रीस और थोड़ा आइल लेकर तैयार हो जायें , आप कितने ही ऐसे विद्युत उपकरण उपयोग करते हैं जिनमें घूमने वाले , मूविंग पार्ट्स लगे होते हैं . उपर की ओर देखें ...अपने सीलिंग फैन को ही लें . जाने कबसे , उसकी सफाई नही हुई है ! यहाँ तक कि फैन के ब्लेड्स पर नीचे की ओर भी गर्द की परत जमा हो जाती है .पंखा आवाज करके आपको बता भी रहा है कि उसे तेल चाहिये , पर हम कब से उसे अनसुना कर रहे हैं .घर का वाटर पंप जब तक खराब ही न हो जाये हम उसका मेंटेनेंस फिजूल समझते हैं . कृपया अपनी मशीनों को ओवर लोड होने से बचायें . उनमें एक नियमित अंतराल पर ग्रीसिंग , आयलिंग जरूर करें . जिन उपकरणों में बियरिंग लगी हैं , उनकी बियरिंग किसी कुशल मैकेनिक से चैक करवालें व समय रहते उसे अवश्य बदल दें . जिन उपकरणों में कैपेसिटर लगे हैं , उनके कैपेसिटर समुचित क्षमता के ही हों , ISI प्रमाणित हों , व ठीक ढ़ंग से काम कर रहे हों यह देखते रहें . इन छोटी मोटी रखरखाव की आदतों से न केवल आप बिजली बिल में कमी ला सकते हैं वरन समूचे विद्युत तंत्र के सुचारु संचालन में अपना योगदान दे सकते हैं .
तो देर किस बात की है, आज कुछ समय निकालिये ना ,अपने इन आरामदायी उपकरणों के लिये ....

22 सितंबर, 2008

आज आप.......इलेक्ट्रिकल सुपरवाइजर की भूमिका निभायें...........



TIP OF THE DAY.....SAVE ELECTRICITY
आज आप.......
इलेक्ट्रिकल सुपरवाइजर की भूमिका निभायें...........
By .. विवेक रंजन श्रीवास्तव

आज आप इलेक्ट्रिकल सुपरवाइजर की भूमिका निभायें , जरा पूरे घर की बिजली फिटिंग , उपकरणों पर सूक्ष्म नजर डालें . कुछ स्विच , प्लग, होल्डर खराब हो चुके होंगे , कई तारों में जोड़ , कट होंगे , जिन्हें बदलना , सुधारना , कसना जरूरी होगा .स्विच चालू या बंद करते समय स्पार्किंग होना ठीक नहीं है . झूलते तारो का गुच्छा , लूज फिटिंग , बिना पिन प्लग के साकेट में खोंसे गये सीधे तार कभी भी दुर्घटना का कारण बन सकते हैं . नंगे तार, टूटे विद्युत उपकरणो के काम चलाउ उपयोग को धकाते रहने से कभी भी कोई बड़ी अप्रिय घटना घट सकती है . और आपकी लापरवाही , उपेक्षा , या थोड़ी सी बचत बहुत मँहगी पड़ सकती है .आग लग सकती है . करेंट लग सकता है . बिजली से थोड़ा डर कर ही , सुरक्षात्मक तरीके से चलने में ही भलाई है . घर की सारी फिटिंग चैक करिये . जरूरी सुधार करिये .आज बिजली जीवन का इतना आवश्यक अंग बन चुकी है कि बिजली के विषय में घर के सभी सदस्यों को , महिला सदस्यों को भी, प्राथमिक जानकारी होना जरूरी है .
समुचित गुणवत्ता की फिटिंग से न केवल बचत होती है वरन आप व्यर्थ विद्युत व्यवधान की परेशानियों से भी बच सकते हैं .

21 सितंबर, 2008

.TIP OF THE DAY...........खेलें उर्जा बचत का खेल ........

खेलें उर्जा बचत का खेल .........
By .. विवेक रंजन श्रीवास्तव

आपके घर में कितने सदस्य हैं ?...
सप्ताह के प्रत्येक दिन , किसी न किसी सदस्य को बिजली बचाने की जबाबदारी सौंप दें . सुबह ८.०० बजे मीटर की रीडिंग ले कर लिख लीजीये . अब उस दिन जिस सदस्य की बारी है , उसकी जबाबदारी है कि अगले २४ घंटो में कम से कम बिजली जले . पूरे सप्ताह में जिस भी सदस्य की जबाबदारी में सबसे कम यूनिट खपत होगी , उसे पुरस्कृत किया जावेगा , और जिस सदस्य की जिम्मेदारी के दिन सबसे ज्यादा बिजली जलेगी , पैनाल्टी के रूप में उसे परिवार के सभी सदस्यो को सप्ताहांत में ट्रीट देनी पड़ेगी .आप देखेंगे कि इस युक्ति से बचचे व्यर्थ जलते बिजली के उपकरण तुरंत बंद करने हेतु लगातार प्रयत्नशील रहेंगे . धीरे धीरे उनमें बिजली बचत के संस्कार पड़ जायेंगे . निश्चित ही बिजली बिल में आशातीत कमी आयेगी . आपकी श्रीमती जी अपनी बारी आने पर घर के सारे के सारे बल्ब बदल कर सी एफ एल लगवा देंगी . आप अपनी बारी आने पर आई एस आई मार्क उपकरणों से , दिल्ली मेड पुराने उपकरण बदल देंगे . कुल मिलाकर बिजली बचत पर विशद चर्चा ,व उर्जा बचत का समग्र वातावरण बनेगा , जो आपके व समाज के लिये दीर्घगामी रूप से हितकारी ही होगा .

बिजली बचाने के लिये.......TIP OF THE DAY..........


बिजली बचाने के लिये.......TIP OF THE DAY...........
By .. विवेक रंजन श्रीवास्तव
दीवाली आने को है , इस बार घर की दीवारों व सीलिंग की पुताई के साथ ही घर की छत का फर्श भी जरूर पुतवायें .हो सके तो छत पर सफेद ग्लेज्ड टाइल्स लगवा दें. बाहर की दीवारों पर सफेद , हल्का आसमानी या लाइट येलो कलर करवायें , आप पायेंगे कि ए.सी., कूलर व फैन की जरूरत कम पड़ रही है, घर के तापमान में २ से ३ डिग्री की निश्चित कमी परिलक्षित होगी . भीतर का रंग संयोजन भी हल्का रखें .दिन में तो कमरों की खिड़कियाँ खुली रखने पर नैसर्गिक प्रकाश से ही काम चल जायेगा , रात में भी सी एफ एल की रोशनी पर्याप्त होगी .

26 जुलाई, 2008

वर्तमान बिजली संकट का एक मात्र समाधान परमाणु बिजली घर


वर्तमान बिजली संकट का एक मात्र समाधान परमाणु बिजली घर :
संदर्भ बरगी जलाषय पर चुटका परियोजना

विवेकरंजन श्रीवास्तव

रामपुर, जबलपुर
मोण्नंण् 9425484452


देष के व्यापी वर्तमान विद्युत संकट से निपटने का एक बड़ा कारगर तरीका परमाणु विद्युत का उत्पादन ही है। यह बिजली अपेक्षाकृत सस्ती होती है, एवं प्रचुर मात्रा में उत्पादित की जा सकती है। थोरियम आधारित, परमाणु बिजलीघर पूरी तरह आत्मनिर्भर टेक्नालॉजी एवं कच्चे माल वाले, बिजलीघर प्रमाणित हो सकते है । ये परमाणु शक्ति के शांतिपूर्ण उपयोग के, रचनात्मक, वैज्ञानिक वरदान बन सकते है। परमाणु बिजलीघरों में केवल प्रारंभिक लागत एवं निर्माण समय ही वह निवेष है, जो हमारे ऊर्जा नेटवर्क में, कोर खपत की बिजली न्यूनतम मेंटेनेंस पीरियड के साथ, निरंतर दे सकता है ।

वर्ष 1984 में केन्द्र शासन ने देष में परमाणु बिजलीघर की स्थापना हेतु वैचारिक स्वीकृति के साथ उपयुक्त स्थल का चयन करने हेतु सर्वेक्षण का कार्य राज्य सरकारों के सहयोग से किया। तब मैं विद्युत मडंल के सर्वेक्षण एवं अनुसंधान संकाय में कार्यरत था। परमाणु बिजलीघर की स्थापना हेतु कम आबादी का, समुचित सुरक्षित ऐसा स्थान आवष्यक था, जिसके निकट प्रचुर मात्रा में पानी हो, क्योंकि हैवी वाटर बनाने, बिजलीघर के टरबाइन को गति देने हेतु, परमाणु ऊर्जा से उत्पन्न उष्मा से वाष्प बनाने के लिये पानी ही वह कच्चा माल है, जो व्यापक रूप से खपत होता है। थोरियम या यूरेनियम आदि परमाणु रिएक्टेर में लगने वाला पदार्थ, जिसके विखण्डन से नाभिकीय ऊर्जा प्राप्त की जाती है, बहुत कम मात्रा में लगता है, एवं वह कहीं भी लाया जा सकता है। परमाणु बिजलीघर की सुरक्षित स्थापना हेतु राकी फाउन्डेषन वाला, खुला क्षेत्र आवष्यक होता है। उत्पादित विद्युत के वितरण हेतु हाईगि्रड पावर सिस्टम, इन दिनों प्रचलित है, जिससे देष के किसी भी भू-भाग पर उत्पादित बिजली, विभिन्न हाई टेंषन लाइन्स एवं सब स्टेषन्स के माध्यम से न्यूनतम संधारण व्यय में कहीं भी पहुंंचाई जा सकती है ।

ग्राउण्ड लेवल पर मेरे साथियों ने एवं मैने हैलीकाप्टर से साइट सेलेक्षन कमेटी के मुम्बई से आये विषेषज्ञों की टीम को, हमारे द्वारा मण्प्रण् में चयनित चार स्थलोंं का निरीक्षण करवाया था। ये स्थल क्रमष: षिवपुरी जिले में राजापुर, होषंगाबाद जिले में तवा बांध के निकट, राजघाट परियोजना के निकट किसलपुरी एवं मण्डला जिले में बरगी बांध के जलाषय के किनारे नारायणगंज के पास, पाठा, चुटका ग्राम में थे। मुझे समरण है, कि आवष्यक भूभाग के बराबर का कागज का टुकड़ा ´´टू द स्केल´´ काटकर, टोपोषीट पर रखकर मैने ही प्रारंभिक स्थल का चयन किया था, फिर उस स्थल का रेकी सर्वे, विस्तृत कंटूर सर्वे, ट्राइल पिट, पानी एवं जमीन की मिट्टी के नमूने, सेंसस के आंकड़े आदि एकत्रित कर अनेक रिपोट्Zस, दिये गये फार्मेट में तैयार की गई थी। चयन समिति की विजिट के समय मुझे उनके साथ भ्रमण करवाने का दायित्व दिया गया था, जिस कारण मैं समझ पाया था कि मण्प्रण् के चारों स्थ्लों मेें से चुटका का प्रस्तावित स्थल जो मण्डला जिले में स्थित है, ही सर्वश्रेष्ठ स्थल था, जो सारे मापदण्ड पूरे करता था।

संभवत: बाद में चेरनेविल परमाणु बिजलीघर, रूस में हुई दुघZटना के चलते, राजनीति के चलते या अन्य कारणो से केन्द्र सरकार के पास यह प्रस्ताव लगातार लबिंत रहा। बीच बीच में स्थानीय विकास की भावना से क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि विधानसभा एवं संसद में इस संबंध में प्रष्न उठाते रहे। अखबारों में बार बार मॉंग उठती रही चुटका परमाणु बिजलीघर के मामले में भी तत्कालीन विधायक दयाल सिंग तुमरांची, मोहन लाल िझकराम, फिर वर्तमान सांसद फंग्गन सिंग कुलस्ते आदि जन प्रतिनिधि व्यापक रूप से आवाज उठाते रहे है। जो नेता, पत्रकार आदि इस परियोजना से मेरे जुड़ाव को जानते थे, वे बार बार मुझसे जानकारी लेने के प्रयास भी करते रहे। किंतु कोई नये डेवलपमेंट नहीं हुये। केन्द्र सरकार के निर्णय हेतु ही प्रस्ताव लंबित रहा।

मण्प्रण् ने छत्तीसगढ़ के विघटन के साथ पावर हाउसों के बंटवारे का जो क्षेत्रीय दर्द, कोरबा पावर हाउस के छत्तीसगढ़ के हिस्से में आने से भोगा है, उसकी पूर्ति असंभव है। संयुक्त निवेष से कोरबा का पावर हाउस बना था, पर छत्तीसगढ़ बनने पर उसकी स्थिति के कारण सारा लाभ केवल छत्तीसगढ़ को मिला। मण्प्रण् विद्युत संकट से जूझने को मजबूर है। मंडला जिले को बरगी जलाषय की डूब के सिवा अब तक, बरगी बांध से कुछ नहीं मिला है। जिले की जनता को आषा थी, कि यदि चुटका परमाणु बिजली घर यहॉं बनता है, तो अरबों रूपयों का निवेष, रेल लाइन, हवाई अड्डा, क्षेत्र का विकास, विद्युत की प्रचुरता से विद्युत आधारित औद्योगिक विकास से पिछड़े हुये मडंला जिले का विकास होगा ।

वर्तमान युग पारदर्षिता के उच्च आदषZ का युग है। जनता से जुड़े ऐसे अहं, मसलो पर जनता को विष्वास में लेना जरूरी है। जनता को यह समझने का अधिकार है कि ´चुटका´ किन बिन्दुओ पर पिछड़ गया है। क्या ये रानैतिक कारण है ? क्या षुद्ध तकनीकी कारण है ? तकनीकी पहलुओं को समझने में मेरी विषेष अभिरूचि है । क्या यह अवसर सुलभ होगा ? भविष्य में क्या चुटका परमाणु बिजली घर भी स्वीकृत होगा ?

जो भी हो परमाणु विद्युत ग्रहो की स्थापना का प्रयास स्वागत योग्य है, क्योंकि देष इस समय अभूतपूर्व बिजली संकट से गुजर रहा है । विदेषी बैंक बिजली प्रणाली के विकास हेतु तो उधार दे रहे है, पर बिजली उत्पादन हेतु मौन है । बिजली विकास के लिये अनिवार्य आवष्यकता है । वर्ष 2012 तक सबके लिये पर्याप्त बिजली का नारा केन्द्र ने दिया है, इसकी पूर्ति तभी संभव है, तब बिजली उत्पादन को बढ़ावा दिया जावेगा । बिजली बनेगी, तो उसके बिकने की गारंटी है । बिजली घरों की स्थापना हेतु किये गये आज के प्रयास 5-10 बरसो बाद परिणाम देगेंं, अत: समय रहते उचित कदम उठाना, समय की आवष्यकता है । हम तकनीकी रूप से सक्षम हैं, केवल दृढ़ राजनैतिक इच्छाषक्ति की आवष्यकता है ।



विवेकरंजन श्रीवास्तव

रामपुर, जबलपुर
मोण्नंण् 9425484452

इस्लामिक कानून में चोरी की सजा हाथ काट देना है


इस्लामिक कानून में चोरी की सजा हाथ काट देना है , बिजली की चोरी करने वालों को क्या सजा दी जानी चाहिये ,बिजली चोरी रोकने में सहयोग कीजिये । टॉल ्रफी नंबर 12660 ण्पर विुत चोरी की सूचना दीजिये । हम सब एक hai. बिजली प्रगति चक्र की धुरी है .विुत तंत्र को मजबूत बनाने में सहभागी बनिये । बिजली सेवाओं को ` सेल्फ सर्विस - बुफे डिनर ` सा न समझें । विुत तंत्र में स्वयं सेवा दुघZटना को आमंत्रण है । नियमानुसार पारंगत, प्रमाणित इलेक्ट्रीषियन से फिटिंग करवायें एवं विधिवत कनेक्षन प्राप्त करें । समय से पूरा बिजली बिल चुकायें एवं बिजली सेवाओं में सुधार के भागीदार बनें । विुत चोरी की सूचना दीजिये । क्या आप चोरी का भोजन करते हैं ? क्या आप चोरी के वस्त्र पहनते हैं ? तो फिर , चोरी की बिजली का उपयोग क्यों ? ईमानदारी से, अपने बिजली बिल का समय पर पूरा भुगतान करें । विुत तंत्र राश्ट्र के सुदृड विकास हेतु अनिवार्य है । आइये इसके विकास में सहयोगी बनें । विुत चोरी की सूचना दीजिये । क्या आप अपने मोबाईल का, टेलीफोन का बिल जमा नहीं करते ? क्या आप नल के पानी का बिल जमा नहीं करते ? क्या आपको केबिल टीण्वीण् का बिल नहीं भरना पडता ? तो फिर बिजली का बिल भरने में कोताही क्यों ? ईमानदारी से अपना बिजली बिल समय पर जमा कीजिये । विुत विकास की आधार भूत उर्जा है । विुत तंत्र के सषक्तिकरण में हिस्सेदार बनिये। विुत चोरी की सूचना दीजिये । बिजली की चोरी करने वालों को क्या सजा दी जानी चाहिये , विुत चोरी की सूचना दीजिये । बनिये बिजली सेवाओं को ` सेल्फ सर्विस - बुफे डिनर ` सा न समझें । विुत तंत्र में स्वयं सेवा दुघZटना को आमंत्रण है । नियमानुसार पारंगत, प्रमाणित इलेक्ट्रीषियन से फिटिंग करवायें एवं विधिवत कनेक्षन प्राप्त करें । समय से पूरा बिजली बिल चुकायें एवं बिजली सेवाओं में सुधार के भागीदार बनें । विुत चोरी की सूचना दीजिये । क्या आप चोरी का भोजन करते हैं ? क्या आप चोरी के वस्त्र पहनते हैं ? तो फिर , चोरी की बिजली का उपयोग क्यों ? ईमानदारी से, अपने बिजली बिल का समय पर पूरा भुगतान करें । विुत तंत्र राश्ट्र के सुदृड विकास हेतु अनिवार्य है । आइये इसके विकास में सहयोगी बनें । विुत चोरी की सूचना दीजिये । क्या आप अपने मोबाईल का, टेलीफोन का बिल जमा नहीं करते ? क्या आप नल के पानी का बिल जमा नहीं करते ? क्या आपको केबिल टीण्वीण् का बिल नहीं भरना पडता ? तो फिर बिजली का बिल भरने में कोताही क्यों ? ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण् ईमानदारी से अपना बिजली बिल समय पर जमा कीजिये । विुत विकास की आधार भूत उर्जा है । विुत तंत्र के सषक्तिकरण में हिस्सेदार बनिये। विुत चोरी की सूचना दीजिये ।

विद्युत सुरक्षा हेतु सावधानियॉं


विद्युत सुरक्षा हेतु सावधानियॉं
विवेकरंजन श्रीवास्तव

रामपुर, जबलपुर
मोण्नंण् 9425484452

बिजली आज लक्जरी नहीं वरन् अनिवार्य आवष्यकता बन चुकी है । विद्युत लाइनों, विद्युत उत्पादन, पारेषण या वितरण कम्पनियों के सार्वजनिक उपकरणों, बिजली के खम्बों से छेड़छाड़ करना भारतीय विद्युत अधिनियम के अंतर्गत दण्डनीय अपराध हेै । बिजली लाईनों, से छोटी सी छेड़खानी आपके एवं आपके परिवेष के लिये मृत्यु जैसी बड़ी दुघZटनाओं का कारण बन सकती है । चूंकि बिजली गांव गांव तक पहुंंचाई जा चुकी है, बिजली कर्मचारियों की कमी है, अत: लोगों का बिजली के प्रति डर हट गया है, और नासमझी से या अपने स्वाथोZ हेतु, बिना ध्ौर्य के लोग बिजली का मन माफिक, बिना उचित मापदण्डों के उपयोग करने लगे हैं, और आगजनी, करेंट लगने, लाइट गुल होने, ट्रांस्फारमर फेल होने, लाईन शार्ट होने, जैसी अनेक दुघZटनाओं को खुला आमंत्रण दे रहे है । विद्युत दुघZटनाओं को रोकने हेतु निम्न प्रयास अति आवष्यक हैं । विषेष रूप से गांवो में -

 बिजली के खंबो, स्टे वायर से अपने जानवर न बांधे ।

 बिजली के खंबो पर तार बांधकर कपड़े न सुखायें ।

 पतंग आदि फंस जाने पर बच्चों को खम्बे पर चढ़कर पतंग निकालने से रोकें ।

 बिजली के तारो पर लंगर आदि न डाले ।

 अनेक बार ग्रामीण जन अपनी बिड़ी सुलगाने तक के लिये बिजली की उच्च दाब लाइनों पर सूखी लकड़ी, साइकिल की चेन आदि फेंककर आग उत्पन्न करने से नहीं चूकते, यह गंभीर अपराध है ।

 अनेक ग्रामीण अपनी बाड़ी की सुरक्षा हेतु नंगे तारो में करेंट प्रवाहित कर देते है, जो दण्डनीय अपराध एवं जन-धन हानि को स्पष्ट निमंत्रण है ।

 बिजली लाइनो के नीचे होलिका दहन न करें ।

 बिजली लाइनों के नीचे खलिहान या सूखा पेैरा आदि न एकत्रित करें ।

 लंगर या हुकिंग करके बिजली कनेक्षन न लेवें । इस तरह आपके विद्युत उपकरण तो फ्लक्चुएटिंग वोल्टेज से खराब होगें ही, आप समूचे विद्युत तंत्र को गंभीर नुकसान पहुंंचायेगंंें । बिजली चोरी दण्डनीय अपराध है ।

 मकान बनाते समय बिजली लाइनों से हटकर निर्माण करें ।

 यदि आंधी तूफान से कोई बिजली का खम्बा, लाइन गिर जावे तो तार को छूने से बचें । तुरंत इसकी सूचना अपने बिजली बिल में छपे अधिकारी के फोन पर देवें ।

 मछली मारने के लिये कभी पोखर या तालाब में बिजली का इस्तेमाल न करें ।

 ट्रांस्फारमर के निकट लगे फ्यूज उड़ जाने पर स्वंय सेवा कर खुद हीे कट आउट खोलकर मन माफिक मोटे तार लगाकर विद्युत प्रवाह शुरू न करें । लाइनमैन निर्धारित मापदण्डों का फ्यूज नायर लगायेगा, उससे ही लाइन सुधरवायें ।

 अनेक दुघZटनाये केवल इसलिये हुई है, कि ग्रामीण क्षेत्रों में जहां बिजली कर्मचारी कम हैं, लाइनमैन एण्बीण्स्विच काटकर, आगे लाइन पर काम कर रहा होता है, पर विद्युत व्यवधान के समाधान हेतु कोई अर्धज्ञानी नवयुवक बिना पूछे ताछें उस एण्बीण्स्विच को चालू कर देता है । विद्युत तंत्र से छेड़छाड़ किसी की जान का सौदा है ।

 पैसो की बचत के लिये ग्रामीण जन कटे-जोड़ वाले तारों से अपने थ्रेषर, पंप चलाते पाये जाते हैं । ये गलत है ।

 लोग लंबे सर्विस तार के व्यय से बचने के लिये फेज तो विद्युत लाइन से ले लेते हैं, और अर्थ स्वंय सब्बल गाड़कर बना लेते हैं, यह मौत का सामान है ।


विद्युत तंत्र हमारी सुख सुविधा का साधन है, उसका विवेकपूर्ण इस्तेमाल जरूरी हैं । उसे घर की खेती न बनावे । नियमों का पालन जरूरी हैं, क्योंकि यह सार्वजनिक हित का साझा संसाधन है ।



विवेकरंजन श्रीवास्तव

रामपुर, जबलपुर

24 जुलाई, 2008

ऊर्जा की बचत और हमारा दायित्व


ऊर्जा की बचत और हमारा दायित्व

विवेकरंजन श्रीवास्तव

रामपुर, जबलपुर
मो 9425484452

हवा, पानी और ऊर्जा जीवन की प्राथमिक अनिवार्य आवष्यकतायें है । प्रागैतिहासिक युग में जब घर्षण के द्वारा अग्नि उत्पन्न हुई और आदि मानव ने ताप ऊर्जा का उपयोग प्रारंभ किया, तो इस ऊष्मा ने मानवीय सभ्यता की ओर पहला सोपान स्थापित किया । मनुष्य भोजन को पकाकर खाने लगा । प्रकाष के लिये और ठंड से बचने के लिये वह ताप ऊर्जा का उपयोग करने लगा । ऊर्जा अविनाषी है । उसे एक से दूसरे रूप में बदला जा सकता है । यही ऊर्जा की खपत और बचत के प्रष्न उठ खड़े होते है । पिछली दो सदियों में ही, विज्ञान ने चमत्कारिक रूप से यांत्रिक सुविधायें सुलभ कराकर ऊर्जा की खपत में सतत् वृिद्ध की है । प्रकृति ने हमें पेट्रोलियम पदार्थ के भूगभीZय
भंडार व खनिज कोयला, ऊर्जा के स्तोत्र के रूप में उपहार स्वरूप प्रदान किये है । इन्ही मूल स्तोत्रों से आज हमारे करोड़ो एंजिन चल रहे है और पेट्रोलियमफ्यूल व फासिल्स फ्यूल के ये भंडार दिन पर दिन खाली हो रहे है । कोयले से ही ताप विद्युत को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करके हमने प्रचुर मात्रा में विद्युत उत्पादन संयंत्र स्थापित किये है । अक्षय ऊर्जा स्तोत्र के रूप में प्रकृति ने हमें सौर ऊर्जा की ऊष्मा और प्रकाष का वरदान दिया है । ऊंचाई से नीचे की ओर जल का निरन्तर प्रवाह, स्थितिज ऊर्जा का गतिज ऊर्जा में परिवर्तन करता है । प्ृथ्वी की इसी गुरूत्वाकर्षण शक्ति का उपयोग कर हम जल विद्युत का प्रचुर उत्पादन कर रहे है । वैकल्पिक ऊर्जा के नवीनतम स्त्रोतों के अन्तर्गत पवन ऊर्जा एवं समुद्र की लहरों से भी विद्युत उत्पादन के संयंत्र लगाये जा रहे है ।

विद्युत ऊर्जा ही, ऊर्जा का सबसे सुगम स्वरूप है जो त्वरित क्रियाषील होकर हमारे उपकरण क्रियािन्वत कर देता है, यही कारण है कि विद्युत उपकरणों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है । कल-कारखानों में बिजली की खपत बढ़ रही है । प्रकाष, मनोरंजन, ताप, ध्वनि, शीतलीकरण जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विद्युत का महत्व लगातार बढ़ रहा है । बिजली की मांग और आपूर्ति में व्यापक अंतर आ गया है, और ऊर्जा सरंक्षण की आवष्यकता अनुभव की जा रही है ।

सामान्य रूप से जब हम ऊर्जा की बचत की बात करते हैं, तो हमारा अभिप्राय मूलत: बिजली, पेट्रोलियम पदाथोZ एवं खनिज कोयले की बचत से ही होता है । भू-गभीZय पेट्रोलियम पदार्थ एवं कोयला, करोड़ो वर्षो की नैसगिZक प्रक्रिया से बने है । इनके भंडार सीमित है । भावी पीढ़ी के प्रति हमारा दायित्व है कि हम निहित वर्तमान के स्वार्थ हेतु, प्रकृति के इन अनमोल भंंडारो का हृास न कर डालें । ये प्राकृतिक वरदान भविष्य के लिये संरक्षित रखना भी हमारा दायित्व है । ऐसा तभी संभव है, जब हम बहुत मितव्ययिता से, आवष्यकता के अनुरूप, ऊर्जा का उपयोग करें । ऊर्जा का अपव्यय अपने पैरों पर ही कुल्हाड़ी मारने जैसा मूर्खतापूर्ण कार्य है। माचिस की एक तीली, तेल के कुंए में आग लगा सकती है । ज्वलनषील प्राकृतिक गैस के भंडार, ऊर्जा के प्रति हमारे दायित्व बोध के अभाव में, बेकार हो सकते, एवं प्रदूषण का कारण बन सकते है, जबकि इनके न्यायिक उपयोग हेतु धरती मां ने अब तक इन भंडारों को हमारे लिये, करोड़ों वर्षो से कई किलोमीटर नीचे अपने गर्भ में बड़े जतन से संजो कर रखा है ।

पेट्रोलियम पदार्थ की, विद्युत की बढ़ती कीमतों के बाद भी इनकी मांग बढ़ती जा रही है, उसका कारण यही है कि आज ऊर्जा के ये संसाधन जीवन की प्राथमिक अनिवार्यता बन चुके है, किंतु केवल इनका मूल्य भर चुका देने से, हम इनके दुरूपयोग के अधिकारी नहीं बन जाते, क्योंकि ये प्रकृति प्रदत्त उपहार भविष्य की धरोहर है । भारतीय परिवेष में तो इन ऊर्जा स्त्रोतों पर शासन बड़ी मात्रा में सिब्सडी भी दे रहा है, अथाZत् बिजली, पेट्रोल, गैस का जो मूल्य हम चुकाते हैं, उसका वास्तविक मूल्य उससे कहीं ज्यादा है ।

ऊर्जा की बचत करके न केवल हम अपने बिलों में कमी करके आर्थिक बचत कर सकते है, वरन् बिजली की कमी पूरी करने में भी अपना सामाजिक दायित्व निभा सकते है । इसी चेतना को जगाने के लिये प्रतिवर्ष 14 दिसम्बर को ऊर्जा संरक्षण दिवस के रूप में मनाया जाता है । सुबह और शाम जब लगभग एक साथ ही सारे कारखाने, कार्यालय आदि प्रारंभ होते हैं, एंव शाम को सारे प्रकाष स्त्रोत एक साथ जलाये जाते हैं, बिजली की मांग एकाएक अपने शीर्ष पर पहुंच जाती है । इस समय में मांग एवं आपूर्ति में अधिकतम अन्तर होता है । इससे निपटने के लिये जल विद्युत उत्पादन का सहारा लिया जाता हैं, क्योंकि उससे ही त्वरित रूप से विद्युत उत्पादन बढ़ाया या घटाया जा सकता है । आम नागरिक का दायित्व है कि हम सब जिनके पास इन्वर्टर, जनरेटर आदि विद्युत उत्पादक उपकरण है, हम उनका उपयोग, पीकिंग आवर्स में अवष्य करें, इससे हमारे ये उपकरण रोज चलते रहने से, चार्ज-डिस्चार्ज होते रहने से, खराब भी नहीं होगें और ऊर्जा समस्या के समाधान यज्ञ में हम भी अपनी एक आहूति डाल कर ऊर्जा योग कर सकेगें । बूंद-बूंद से ही घट भरता है । पीकिंग अवर्स में हम सब का कत्र्तव्य है कि हम बिजली का कम से कम उपयोग करें । केवल अति आवष्यक उपकरण ही चलायें । हम सबके सामूहिक सहयोग से ही ऊर्जा समस्या का निदान संभव है ।

भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय ने वर्ष 2012 तक सबके लिये पर्याप्त बिजली आपूर्ति का लक्ष्य रखा है । इसके लिये नये विद्युत अनुप्रसारण केन्द्र बनाये जा रहे हैं । बिना पारेषण हानि के विद्युत के सुचारू संचरण के लिये उच्च दाव की लाइनों का जाल बिछाया जा रहा है । विद्युत उत्पादन हेतु नई परियोजनायें स्थापित की जा रही हैं । तर्कसंगत बिलिंग के लिये नये मीटर लगाये जा रहे है । विद्युत संस्थानों के द्वारा विद्युत नियामक आयोग के निर्देषों के अनुरूप विद्युत आपूर्ति की समूची व्यवस्था की समीक्षा की जा रही है । पर इन सारे प्रयासों के परिणाम परिलक्षित होने में समय लगेगा । तब तक ऊर्जा संरक्षण के हमारे प्रयास ही कुछ राहत पहुंचा सकते है । ब्यूरो आफ इनजीZ एफीषियेंसी नामक संस्था का गठन किया गया है जो बड़े उपभोक्ताओं का इनजीZ आडिट करने हेतु इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रही है । इनजीZ आडिट एवं मैनेजमेंट से बिजली के दुरूपयोग पर अंकुष लगेगा । किंतु न्याय संगत तो यही है कि क्यों न हम स्वत: ही अपना दायित्व समझते हुए पंप आदि बड़े उपकरणों के साथ कैपेसिटरर्स स्वंय ही लगायें, जिससे इन उपकरणों के चलाने पर वोल्टेज हानि न हो । मषीनों के मैकेनिकल हिस्सों पर तेल, ग्रीज आदि का नियमित उपयोग करें जिससे घर्षण से ऊर्जा की हानि न हो । घरेलू उपयोग में हमारा दायित्व है कि हम कमरे की दीवारे हल्के रंगो से पुताई करावें जिससे प्रकाष हेतु इनजीZ एफीषियेंट कम खपत वाले उपकरणों का उपयोग किया जा सकें । दिन में प्राकृतिक प्रकाष का उपयोग किया जावे । परिवार के प्रत्येक सदस्य की आदत डालें कि कमरे से बाहर जाते समय सारे सिवच बंद करके ही निकलें । वाषिंग मषीन का उपयोग उसकी क्षमतानुसार पर्याप्त कपड़े एकत्रित होने के बाद ही करें । बिजली के सारे उपकरण आईएसआई मार्क ही उपयोग करें, यह सुरक्षा की दृष्टि से भी आवष्यक है । इसी तरह पेट्रोलियम पदाथोZ के मामले में एक ही ओर आने जाने हेतु वाहन पूल करें । टायरों में समुचित एयर प्रेषर रखें । एंजिन ट्यून करावें । आइल गं्रीज का उपयोग करें, तो ऊर्जा की पर्याप्त बचत संभव है। पेट्रोलियम गैस खाना बनाने हेतु उपयोग की जाती है । गेैस बर्नर की समुचित सफाई, तांबे की तली वाले, चपटे सतह के बर्तन उपयोग से ऊर्जा बचती है । प्रेषर कुकर में भोजन कम समय एवं कम ऊर्जा में पक जाता है ।

इस तरह ये छोटी छोटी बातें ऊर्जा की बचत हेतु हमारा दायित्व बोध कराती हैं । सौर ऊर्जा एवं वैकल्पिक ऊर्जा का अधिकाधिक उपयोग किया जाना चाहिये । सोलर कुकर एवं सोलर वाटर हीटर हम सबके लिये सुलभ है । यदि हम ऊर्जा क्षेत्र में अपने दायित्वों को समझकर उनका निर्वहन करें तो ऊर्जा समस्या का निदान कर सकते है ।


विवेकरंजन श्रीवास्तव

रामपुर, जबलपुर
मो 9425484452

09 मई, 2008

एक कविता मेरी भी बिजली पर


बिजली

विवेक रंजन श्रीवास्तव
c-6 , M.P.S.E.B. Colony Rampur ,
Jabalpur (M.P.) 482008

00९४२५४८४४५२
ई मेल vivekranjan.vinamra@gmailcom


शक्ति स्वरूपा ,चपल चंचला ,दीप्ति स्वामिनी है बिजली ,
निराकार पर सर्व व्याप्त है , आभास दायिनी है बिजली !

मेघ प्रिया की गगन गर्जना , क्षितिज छोर से नभ तक है,
वर्षा ॠतु में प्रबल प्रकाशित , तड़ित प्रवाहिनी है बिजली !

पल भर में ही कर उजियारा , अंधकार को विगलित करती ,
हर पल बनती , तिल तिल जलती , तीव्र गामिनी है बिजली !

कभी उजाला, कभी ताप तो, कभी मशीनी ईंधन बन कर आती है,
सदा सुलभ , सेवा तत्पर है , रूप बदलती, हरदम हाजिर है बिजली !

सावधान ! चोरी से इसकी , छूने से विद्युत , दुर्घटना घट सकती है ,
मितव्ययिता से सदुपयोग हो , माँग अधिक पर , कम है बिजली !

गिरे अगर दिल पर दामिनि तो , है सचमुच , बचना मुश्किल है,
प्रिये हमारी, हम घायल हैं , रूप दमकता, अदा तुम्हारी है बिजली !

सर्वधर्म समभाव जताये , छुआछूत से हट ,घर घर तारों से जोड़े ,
एक देश है ज्यों शरीर , और नाड़ी में , रक्त वाहिनी सी बिजली !!

बिजली


बिजली

प्रो सी बी श्रीवास्तव
c-6 , M.P.S.E.B. Colony Rampur ,
Jabalpur (M.P.) 482008

00९४२५४८४४५२
ई मेल vivekranjan.vinamra@gmailcom


अग्नि , वायु , जल गगन, पवन ये जीवन का आधाr है
इनके किसी एक के बिन भी , सृष्टि सकल निष्प्राण है !

अग्नि , ताप , ऊर्जा प्रकाश का एक अनुपम समवाय है
बिजली उसी अग्नि तत्व का , आविष्कृत पर्याय है !

बिजली है तो ही इस जग की, हर गतिविधि आसान है
जीना खाना , हँसना गाना , वैभव , सुख , सम्मान है !

बिजली बिन है बड़ी उदासी , अँधियारा संसार है ,
खो जाता हरेक क्रिया का , सहज सुगम आधार है !

हाथ पैर ठंडे हो जाते , मन होता निष्चेष्ट है ,
यह समझाता विद्युत का उपयोग महान यथेष्ट है !


यह देती प्रकाश , गति , बल , विस्तार हरेक निर्माण को
घर , कृषि , कार्यालय, बाजारों को भी ,तथा शमशान को !


बिजली ने ही किया , समूची दुनियाँ का श्रंगार है ,
सुविधा संवर्धक यह , इससे बनी गले का हार है !


मानव जीवन को दुनियाँ में , बिजली एक वरदान है
वर्तमान युग में बिजली ही, इस जग का भगवान है !


कण कण में परिव्याप्त , जगत में विद्युत का आवेश है
विद्युत ही जग में , ईश्वर का , लगता रूप विशेष है !!

03 जनवरी, 2008

संघे शक्ति कलियुगे "

संघे शक्ति कलियुगे " मुझे विश्वास है कि सामूहिक प्रयासों से हम बिजली की समस्या से मुक्ति पासकते हैं .........



.........पंकज अग्रवाल I.A.S.
C.M.D. , M.P.P.K.V.V.Co. Jabalpur

बिजली चोरी का अपराध

बिजली चोरी का अपराध
राष्ट्र द्रोह कहलाय !!

संतोष शर्मा


बिजली चोरी ना करो

राखो अपना मान

क्षुद्र स्वार्थ में राष्ट्र का

क्यों करते नुकसान !!



पकड़ गये तो जुर्माना

और सजा हो सकती है

गये ना पकड़े तो भी

दुर्घटना घट सकती है !!



जागो जागो माता बहनो

जागो सब इंसान

भारत की चहुँमुखी प्रगती में

बिजली है वरदान !!



खुद भी चोरी ना करो

और करे ना कोय

बिजली चोरी का अपराध

राष्ट्र द्रोह कहलाय !!