गुजरात के वडोदरा जिले के छोटाउदयपुर क्षेत्र के 24 जनजातीय गांवों में एक अनोखा प्रयोग चल रहा है, जिसके अंतर्गत बैलों की शक्ति को बिजली में बदला जा रहा है।
बिजली निर्माण की यह नई तकनीक श्री कांतिभाई श्रोफ के दिमाग की उपज है और इसे श्रोफ प्रतिष्ठान का वित्तीय समर्थन प्राप्त है। श्री कांतिभाई एक सफल उद्योगपति एवं वैज्ञानिक हैं।
इस खोज से एक नया नवीकरणीय उर्जा स्रोत प्रकट हुआ है। इस विधि में बैल एक अक्ष के चारों ओर एक दंड को घुमाते हैं। यह दंड एक गियर-बक्स के जरिए जनित्र के साथ जुड़ा होता है। इस विधि से बनी बिजली की प्रति इकाई लागत लगभग चार रुपया है जबकि धूप-पैनलों से बनी बिजली की प्रित इकाई लागत हजार रुपया होता है और पवन चक्कियों से बनी बिजली का चालीस रुपया होता है। अभी गियर बक्से का खर्चा लगभग 40,000 रुपया आता है, पर इसे घटाकर लगभग 1500 रुपया तक लाने की काफी गुंजाइश है, जो इस विधि के व्यापक पैमाने पर अपनाए जाने पर संभव होगा।
बारी-बारी से काम करते हुए यदि चार बैल प्रतिदिन 50 इकाई बिजली पैदा करें, तो साल भर में 15,000 इकाई बिजली उत्पन्न हो सकती है। इस दर से देश के सभी बैल मिलकर 20,000 मेगावाट बिजली पैदा कर सकते हैं, और इससे देश में बिजली की किल्लत बीते दिनों की बात हो जाएगी।
बैलों से बिजली निर्माण की पहली परियोजना गुजरात के कलाली गांव में चल रही है। बैलों से निर्मित बिजली से यहां चारा काटने की एक मशीन, धान कूटने की एक मशीन और भूजल को ऊपर खींचने का एक पंप चल रहा है।
कृषि में साधारणतः बैलों की जरूरत साल भर में केवल 90 दिनों के लिए ही होती है। बाकी दिनों उन्हें यों ही खिलाना पड़ता है। यदि इन दिनों उन्हें बिजली उत्पादन में लगाया जाए तो उनकी खाली शक्ति से बिजली बनाकर अतिरिक्त मुनाफा कमाया जा सकता है।
बैलों से बिजली निर्माण में मुख्य समस्या यह आती है कि इस बिजली को संचित करने का कोई कारगर उपाय नहीं है। यदि अनुसंधान को इस ओर केंद्रित करके इस कमी को दूर किया जा सके, तो स्वायत्त गांवों का गांधी जी का सपना साकार हो सकता है, और आयातित तेल पर देश की निर्भरता कुछ कम हो सकती है। पर्यावरण पर भी इसका अच्छा प्रभाव पड़ेगा।
बहुत बढ़िया जानकारी दी है खैर आने वाले समय में इसके उपकरणों में सुधार हो सकेगा ...इसके साथ ही साथ भविष्य में यदि सौर उर्जा और पवन उर्जा के श्रोतो का अधिकाधिक उपयोग किया जाए तो काफी हद तक बिजली की समस्या से निजात पाया जा सकता हैं ... आभार
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