07 अगस्त, 2013

बिजली स्वयं व्यवसाय नही यह कृषि , व्यापार , उद्योग , जन सुविधाओ हेतु परम आवश्यक उर्जा है ...


बिजली स्वयं व्यवसाय नही यह कृषि , व्यापार , उद्योग , जन सुविधाओ हेतु परम आवश्यक उर्जा है ...
किसानो को बिजली प्रदाय में राहत व सुविधायें देकर म.प्र. ने देश में गेंहूं उत्पादन में सर्वाधिक वृद्धि दर दर्ज कर कृषि कर्मण अवार्ड पाया ... 

बिजली केवल व्यवसाय नही यह सामूहिक विकास की आधारशिला है !!

गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे लोगो के ३० जून २०१३ की स्थिति में शेष बिजली बिल माफ किये गये ......

बिजली केवल व्यवसाय नही यह सामूहिक विकास की आधारशिला है !!

06 अगस्त, 2013

पुस्तक समीक्षा ....कृति -- ‘बदलता विद्युत परिदृश्य’

पुस्तक समीक्षा
कृति    ‘बदलता विद्युत परिदृश्य’ 
लेखक   विवेक रंजन श्रीवास्तव
अधीक्षण यंत्री और जनसंपर्क अधिकारी
मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र वितरण कम्पनी , जबलपुर
लेखकीय संपर्क ९४२५८०६२५२
पृष्ठ संख्या ११६
मूल्य रु १५०.०० पेपर बैक संस्करण

प्रकाशक वितरक ... जी नाईन पब्लीकेशन्स , स्टेशन रोड , रायपुर
            छत्तीसगढ़
फोन   ०७७१ ४२८१२४०



"साहित्य की दृष्टि से तो हिंदी बहुत समृद्ध भाषा है लेकिन विज्ञान और तकनीक से जुड़े विषयों में हिंदी बहुत समृद्ध नही है. आजादी के बरसो बाद भी तकनीकी विषयो पर हिन्दी में मौलिक सामग्री का व्यापक अभाव परिलक्षित होता है . ज़रूरी है कि विज्ञान और तकनीक के विषयों पर हिंदी में लिखने वालो को प्रोत्साहन की आवश्यकता प्रतीत होती है .जबलपुर में रहने वाले श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ऐसे ही लेखक है जिन्होंने हिंदी को समृद्ध करने की कोशिश की है.हिंदी में विज्ञान साहित्य के नियमित लेखक श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव  की नई पुस्तक "बिजली का बदलता परिदृश्य " का विमोचन समारोह पूर्वक विगत दिवस विद्युत मण्डल मुख्यालय शक्तिभवन जबलपुर में  बिजली पर केंद्रित इस रोचक किताब का लोकार्पण श्रीसुखवीर सिंग आई ए एस ने किया . उल्लेखनीय है कि श्री विवेक की कृति "जल जंगल और जमीन " पर्यावरण विज्ञान पर उनकी पिछली कृति को व्यापक लोकप्रियता मिल चुकी है . मध्य प्रदेश के सभी आकाशवाणी केद्रो से उनके द्वारा लिखित रेडियो रूपक "बिजली बचे तो बात बने "   प्रसारित हो चुका है . बिजली पर ही दैनिक भास्कर के रविवारीय परिशिष्ट रसरंग की कवर स्टोरी भी उन्होने की है . सरल बोधगम्य किन्तु प्रवाहमान भाषा में लिखना विवेक जी की विशेषता है .वे कवितायें , व्यंग , लेख , नाटक  आदि भी लिखते रहते हैं , तथा नो मोर पावर थैफ्ट नामक ब्लाग नियमित रूप से २००५ से हिन्दी में चला रहे हैं . उनके व्यंग संग्रह रामभरोसे तथा कौआ कान ले गया एवं कविता संग्रह आक्रोश , नाटक संग्रह हिंदोस्तां हमारा और नाटक जादू शिक्षा का पूर्व प्रकाशित तथा विभिन्न संस्थाओ से पुरस्कृत हैं . स्वयं विवेक रंजन जी को हिन्दी में सामाजिक लेखन हेतु राज्यपाल भाई महावीर जी रेड एण्ड व्हाइट पुरस्कार से सम्मानित कर चुके हैं . विवेक जी ने अनेक पत्र पत्रिकाओ का संपादन भी किया है . उनकी यही साहित्यिक समृद्धी इस पुस्तक में संग्रहित लेखो में परिलक्षित होती है . जिस भी लेख को पढ़ा जावे उसकी निरंतरता तथा ज्ञान वृद्धि और वर्तमान स्थितियो में विषय की विवेचना के चलते पाठक की रुचि अंत तक बनी रहती है .

बिजली का एक बटन दबाते ही हमारी दुनिया बदल जाती है. अन्धेरा दूर हो जाता है.ज़रूरत के मुताबिक या तो गर्मी छू मंतर हो जाती है या ठण्ड अपना दामन समेट लेती है.बिजली हमारे जीवन के लिए किसी सौगात से कम नहीं है.लेकिन इस वैज्ञानिक सौगात के बारे में अभी तक हिंदी में बहुत ज़्यादा तकनीकी जानकारी उपलब्ध नहीं थी.जबलपुर स्थित विद्युत  वितरण कंपनी के अधीक्षण यंत्री और जनसंपर्क अधिकारी श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ने ये कमी दूर कर दी है.हाल ही में बिजली के उत्पादन, उपयोग और  बचत जैसे विषयों पर हिन्दी में उनकी यह किताब जी नाईन पब्लीकेशन , रायपुर छत्तीसगढ़ से प्रकाशित हुई है .  बेहद आत्मीयतापूर्ण और अनौपचारिक विमोचन समारोह में श्री सुखवीर सिंह ने   श्री विवेक के इस प्रयास को बेहद महत्वपूर्ण बताया.उन्होंने कहा कि ये किताब तकनीकी क्षेत्र में हिंदी लेखन में एक अहम पड़ाव की तरह है. तकनीकी विषय पर होने के बावजूद लेखक ने इसकी रोचकता बनाए रखी है.
 उल्लेखनीय है कि इस किताब में श्री विवेक जी ने आंकडों की जगह मुद्दों को महत्व दिया है. इनमे से कई लेख पूर्व में सरिता, मुक्ता जैसी राष्ट्रीय पत्रिकाओं एवं कारपोरेट छत्तीसगढ़ , पावर फायनेंस कारपोरेशन व अन्य विद्युत संस्थाओं के जनरल्स में प्रकाशित हो चुके हैं.वे कहते है कि बिजली के क्षेत्र में अनुसंधान की व्यापक संभावनाएं और आवश्यकता है.उनकी ये किताब युवाओं को बिजली के क्षेत्र में अनुसंधान के प्रति रूचि जगाएगी.

बिजली के उत्पादन, उपयोग एवं बचत जैसे विविध विषयों पर हिन्दी में तकनीकी आलेखों का संग्रह कृति ‘बदलता विद्युत परिदृश्य में श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव द्वारा किया गया है । उल्लेखनीय है कि बिजली से संबंधित विषयों को समझने में छात्रों एवं विद्युत उपभोक्ताओं की गहन रूचि होती है, किन्तु हिन्दी में ये जानकारियां उपलब्ध न होने के कारण आम आदमी की जिज्ञासा शान्त नही हो पाती .  इस दृष्टि से यह पुस्तक सभी हिन्दी पाठको के लिए उपयोगी है । वर्तमान में गूढ़ अंग्रेजी भाषा में पेंचीदी तकनीकी शैली में जो जानकारियां बिजली तंत्र के विषय में सुलभ होती है उसे समझना जन सामान्य के बस की बात नही होती .
पुस्तक की प्रस्तावना में म.प्र.पू.क्षे.वि.वि.कं. के प्रबंध संचालक श्री सुखवीर सिंह आई.ए.एस. ने लिखा है कि वर्तमान में बिजली जीवन की अनिवार्य आवश्यकता है , हिन्दी में तकनीकी लेखन कम ही हो रहा है अतः विवेक रंजन श्रीवास्तव के इस प्रयास को उन्होने जन सामान्य ,  उपभोक्ताओ , व छात्रो हेतु  बेहद महत्वपूर्ण बताया है . लेखक ने अपनी बात में कहा है कि बिजली के क्षेत्र में अनुसंधान की व्यापक संभावनायें एवं आवश्यकता है . नव युवाओ में बिजली में अनुसंधान के प्रति अभिरुचि पैदा करने में इस कृति की व्यापक उपयोगिता होगी  । पुस्तक में संग्रहित लेखो में विवेक जी ने आंकडों की जगह मुद्वों को महत्व दिया है  . लेखक ने लिखा है कि वर्तमान विश्व बढ़ती आबादी के दबाव में बहुतायत में बिजली की कमी से जूझ रहा है . बिजली की समस्या का सुखद अंत सुनिश्चित है , क्योकि वितरण प्रणाली का सुढ़ृड़ीकरण प्रगति पर है तथा बिजली उत्पादन बढ़ाने के हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं . पर वर्तमान समस्या से हमारी पीढ़ी को ही निपटना है , और इसके लिये बिजली का बुद्धिमत्ता पूर्वक मितव्ययी उपयोग व बचत जरूरी है .  पुस्तक में परमाणु विद्युत, जल विद्युत, बिजली चोरी, बिजली की बचत , बिजली के क्षेत्र में नये प्रयोग , सूचना प्राद्योगिकी का उपयोग , विदेशो में विद्युत प्रणाली , विद्युत अधिनियम २००३ , बिजली कंपनियो की फीडर विभक्तीकरण  योजना आदि विषयों पर लेखों का संग्रह है । बिजली से संबंधित इन विषयो पर अधिकांशतः हिन्दी में मौलिक लेखन की कमी है , यह पुस्तक इस दिशा में किया गया महत्वपूर्ण प्रयास है .बिजली पर एक बेहद वैचारिक गीत भी विवेक जी ने इस पुस्तक में प्रस्तुत किया है .जिसमें वे लिखते हैं कि " सर्व धर्म सम भाव सिखाये , छुआ छूत से परे तार से घर घर जोड़े , एक देश है ज्यो शरीर और तार नसों से , रक्त वाहिनी है बिजली " . समग्र रूप से कहा जा सकता है कि पुस्तक न केवल  पठनीय वरन संग्रहणीय है .


Looking Forward to 6th India Power Awards 2013 ........

18 मई, 2013

कृति ‘बदलता विद्युत परिदृश्य’ विमोचित


विवेक रंजन श्रीवास्तव की कृति ‘बदलता विद्युत परिदृश्य’  विमोचित


जबलपुर,  बिजली के उत्पादन, उपयोग एवं बचत जैसे विविध विषयों पर हिन्दी में तकनीकी आलेखों का संग्रह कृति ‘बदलता विद्युत परिदृश्य में श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव द्वारा किया गया है । जी नाईन पब्लिकेशन्स रायपुर से म.प्र.पू.क्षे.वि.वि.कम्पनी में जनसंपर्क अधिकारी एवं अधीक्षण इंजीनियर के रूप में कार्यरत श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव की यह पुस्तक हाल ही प्रकाशित हुई है । उल्लेखनीय है कि बिजली से संबंधित विषयों को समझने में छात्रों एवं विद्युत उपभोक्ताओं की गहन रूचि होती है, किन्तु हिन्दी में ये जानकारियां उपलब्ध न होने के कारण आम आदमी की जिज्ञासा सान्त नही हो पाती .  इस दृष्टि से यह पुस्तक सभी हिन्दी पाठको के लिए उपयोगी है । गूढ़ अंग्रेजी भाषा में पेंचीदी तकनीकी शैली में जो जानकारियां बिजली तंत्र पर सुलभ होती है उसे समझना जन सामान्य के बस की बात नही होती .
पुस्तक की प्रस्तावना में म.प्र.पू.क्षे.वि.वि.कं. के प्रबंध संचालक श्री सुखवीर सिंह आई.ए.एस. ने लिखा है कि हिन्दी में तकनीकी लेखन कम ही हो रहा है अतः विवेक रंजन श्रीवास्तव के इस प्रयास को उन्होने बेहद महत्वपूर्ण बताया है, लेखक ने अपनी बात में कहा है कि बिजली के क्षेत्र में अनुसंधान की व्यापक संभावनायें एवं आवश्यकता है . नव युवाओ में बिजली में अनुसंधान के प्रति अभिरुचि पैदा करने में इस कृति की व्यापक उपयोगिता होगी  । उन्होंने आंकडों की जगह मुद्वों को महत्व दिया है । पुस्तक में परमाणु विद्युत, जल विद्युत, बिजली चोरी, बिजली की बचत आदि विषयों पर लेखों का संग्रह है । अनेक लेख सरिता, मुक्ता जैसी राष्ट्रीय पत्रिकाओं एवं कारपोरेट छत्तीसगढ़ , पावर फायनेंस कारपोरेशन व अन्य विद्युत संस्थाओं के जनरल्स में प्रकाशित हो चुके हैं ।
श्री सुखवीर सिंह प्रबंध संचालक म.प्र.पू.क्षे.वि.वि.कं. एवं कारपोरेट कार्यालय के  कंपनी के मुख्य अभियंताओं तथा मैदानी अधिकारियों की उपस्थिति में बैक्वेट हाल में उक्त पुस्तक विगत दिवस विमोचित की गई

04 जनवरी, 2013

Sustainable Energy for All Photo Contest and Exhibition,


24th National Photo Contest and Exhibition, 2012
Theme:  Sustainable Energy for All
  • 1st Prize Rs 25,000
  • 2nd Prize Rs 20,000
  • 3rd Prize  Rs 15,000
  • Commendation Prize (10 each section) Rs 5,000 each
The Entries should be superscripted with the word : "Entries for the 24th National Photo Contest" to be addressed to the
Director, Photo Division, Ministry of Information and Broadcasting, Room no. 723, 7th Floor, Soochana Bhawan, C.G.O. Complex, Lodhi Road, New Delhi-110003
Last Date of receipt of Entries: 31st January, 2013

28 अगस्त, 2012

SABHAR NAIDUNIA
विदेश प्रवास से लौटे पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के एमडी सुखवीर सिंह के मुताबिक बैंकाक के बिजली आपूर्ति तंत्र को बेहतर बनाने में वहां की जनता का भी जबर्दस्त सहयोग है। बैंकाक में बिजली चोरी का आंकड़ा एक प्रतिशत भी नहीं है।

श्री सिंह के अनुसार बैंकाक में बिजली वितरण हानि मात्र ६ प्रतिशत पर है। वहां हानि केवल तकनीकी कारणों से हो रही है, इसमें गैर तकनीकी कारण और बिजली चोरी जिम्मेदार नहीं है। वहां ३३ केवी लाइनों की जगह ६९ केवी लाइनों का नेटवर्क काम कर रहा है। इससे बिजली को २२ केवी लाइन पर लाया जाता है और इसके बाद सीधे निम्नदाब लाइनों का नेटवर्क जुड़ा है। ये तीनों लाइनें सिंगल पोल यानि एक ही खम्बे पर चल रही हैं। सभी बिजली तारों की केबलिंग है।

बैंकाक में कृषि उपभोक्ता न के बराबर है। बिजली आपूर्ति का ७० प्रतिशत हिस्सा औद्योगिक और व्यापारिक क्षेत्र में उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जीआईएस सबस्टेशन और एएमआई की व्यवस्था का उपयोग यहां भी किया जा सकता है। एएमआई में टू वे संवाद की स्थिति है।

यानि बिजली अधिकारियों को जहां सभी की बिजली खपत की जानकारी रिमोट पर मिलती है वहीं उपभोक्ता भी घर बैठे मीटर से जान सकता है कि उसके यहां आ रही बिजली किस समय महंगी और किस समय सस्ती है? इसके कारण वो महंगी बिजली के समय अपना बिजली उपभोग सीमित कर देता है। उन्होंने माना कि बैंकाक में बिजली आपूर्ति तंत्र को चुस्त दुरस्त करने के लिए इन्फास्ट्रक्चर की तीन फीसदी राशि खर्च की जाती है। श्री सिंह के अनुसार सभी अधिकारियों ने दो दिन की क्लास में अपनी उपस्थिति देने के साथ ही मैदानी क्षेत्रों का दौरा किया और वहां के अधिकारियों और आम जनता से भी सीधा संवाद किया। एडीबी के द्वारा आयोजित बैंकाक के टूर पर श्री सुखवीर सिंह के साथ पूर्व क्षेत्र कंपनी के सीई एसके यादव, एई श्रेया शांडिल्य, ट्रांसमिशन कंपनी की एई श्रीमती अंजनी पांडेय सहित पश्चिम और मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के लगभग १५ अधिकारी बैंकाक गए थे। इस दौरे में ऊर्जा मंत्री राजेन्द्र शुक्ल भी अधिकारियों के साथ थे

01 अगस्त, 2012

ब्लैक आउट....पावर ग्रिड फेल


 ब्लैक आउट....पावर ग्रिड फेल

एक साथ  तीन ग्रिड फेल, २१ राज्यों की बिजली गुल ......

विवेक रंजन श्रीवास्तव
पावर इंजीनियर व जनसंपर्क अधिकारी
म. प्र.पूर्वी क्षेत्र  विद्युत वितरण कंपनी , जबलपुर
मो ०९४२५८०६२५२

उत्तरी ग्रिड फेल होने के बाद इसे दुरुस्त हुए २४ घंटे भी नहीं बीते कि देश में फिर एक बार बिजली आपूर्ति की अभूतपूर्व समस्या पैदा हो गई। मंगलवार दोपहर करीब एक बजे एक साथ उत्तरी, उत्तर-पूर्वी तथा पूर्वी ग्रिड में खराबी आ गई। दुनिया के इस सबसे बड़ा ब्लैक आऊट में देश ६७ करोड़ लोग प्रभावित हुए। इससे पहले २००२ में पश्चिमी ग्रिड में ऐसे ही ओवर ड्रा के कारण म. प्र. व अन्य राज्यो में बिजली गुल हुई थी , पर तब से अनुशासित बिजली ड्र के चलते इस बार पस्चिमी ग्रिड इस अभूतपूर्व संकट से बचा रहा . देश में बिजली पारेषण के लिए कुल पाँच - उत्तरी, पूर्वी, उत्तर-पूर्वी, दक्षिणी तथा पश्चिमी ग्रिड हैं। इनमें से दक्षिणी ग्रिड को छोड़कर सभी आपस में जुड़े हैं। इन सभी ग्रिडों का संचालन पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन करता है। इसके पास ९५,००० सर्किट किमी की पारेषण लाइन है।

कैसे होता है पावर ग्रिड फेल ?

बिजली का व्यवसायिक संग्रहण अब तक अनुसंधान का विषय है , केमिकल इनर्जी के रूप में केवल सैल , बैटरी आदि में ही कुछ बिजली संग्रहित की जा सकती है . बड़े पैमाने पर बिजली  उत्पादित होती है , परिवहन की जाती है और तुरंत उसकी खपत भी हो जाती है .इलेक्ट्रानिक  इंस्ट्रूमेंटेशन तथा मंहगे पावर व्हीलिंग उपकरणो को अधिक वोल्टेज के कारण जलने से बचाने के लिये पावर ग्रिड में आटो ट्रिपिंग की व्यवस्था की गई हैं . हमारा विद्युत सिस्टम ४९.२ से ५०.२ हर्टज की बिजली  के लिये डिजाइन किया गया है . इन सीमाओ से कम या ज्यादा फ्रीक्वेंसी होने पर सेंसेटिव इलेक्ट्रानिक उपकरण आटो ट्रिपिंग के जरिये विद्युत प्रवाह बाधित कर देते हैं .समूचा पावर ग्रिड परस्पर जुड़ा हुआ है . सातो दिन २४ घंटे लोड वितरण केंद्रो पर तैनात इंजीनियर विद्युत प्रवाह पर नजर रखते हैं तथा खपत व उत्पादन में सामंजस्य बनाये रखकर प्रवाहित हो रही विद्युत फ्रीक्वेंसी को परमिसिबल लिमिट में बनाये रखते हैं . यदि अचानक उत्पादन से मांग बढ़ जावे तो फ्रीक्वेंसी कम हो जाती है तथा यदि अचानक उत्पादन बढ़ जावे और साथ ही मांग न बढ़े तो फ्रीक्वेंसी अधिक हो जाती है . दोनो ही स्थितियो में सिस्टम फेल होने की परिस्थिती बनती है . अचानक आई तकनीकी या विद्युत उपकरण की खराबी भी इसके लिये जिम्मेदार हो सकती है , किन्तु उसकी संभावना इसलिये नगण्य होती है क्योकि दुनियां भर में मशहूर हमारे इंजीनियर निर्धारित मापदण्डो के अनुरूप  रखरखाव में कोई कोताही नही बरतते .
दूसरी ओर इस समय हर राज्य में बिजली की समस्या राजनैतिक अस्त्र बन चुकी है .मांग अधिक है उपलब्धता कम . नतीजा यह होता है कि राज्यो को ओवरड्रा करना पड़ता है . ओवर ड्रा हेतु निर्धारित पैनाल्टी , निजी विद्युत संयंत्रो से खरीदी जाने वाली बिजली की कीमत से कम है , अतः स्वाभाविक रूप से सस्ते विकल्प की ओर बढ़कर राज्यो की विद्युत वितरण इकाईयां  आपूर्ति करती दिखती हैं . इसमें अनुशासन बहुत जरूरी है .


३१ जुलाई २०१२ का बिजली संकट ...ओवरड्रॉ

पंजाब सरकार का कहना है कि जब ग्रिड फेल हुई उस समय राज्य स्वीकृत लोड से महज १.२ फीसद ज्यादा बिजली ले रहा था, जबकि हरियाणा में २२.४ फीसद और उप्र में ६.४ फीसद ओवरड्रॉ हो रही थी। हालाँकि उप्र का कहना है कि मानकों के आधार पर ऐसा मानने का कोई कारण नहीं है कि उसकी गतिविधियों की वजह से ग्रिड फेल हुई।
कुल २० राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में बिजली गुल हो गई। रेल, मेट्रो तथा अन्य आवश्यक सेवाएँ बाधित हो गईं। दस राज्यों में रेलवे के सात जोन में ३०० ट्रेनों का परिचालन बाधित हुआ। पश्चिम बंगाल में तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सरकारी दफ्तरों में छुट्टी घोषित कर दी। बाद में तीन बजे तक करीब साठ फीसद आपूर्ति बहाल होने का दावा किया गया, जिससे दिल्ली मेट्रो समेत कुछ रूटों पर रेल सेवाएँ चालू हो सकीं। आधिकारिक सूत्रों ने स्थिति सामान्य होने में ८ से १२ घंटे का समय लगने की बात कही है। बिजली मंत्रालय के अधीन कार्यरत नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर (एनएलडीसी) ने एक अपडेट में कहा है- ग्रिड में करीब एक बजे खराबी आई, जिसका असर उत्तरी, पूर्वी तथा उत्तर-पूर्वी ग्रिड पर हुआ। शेष-पेज ९ इस बिजली संकट से संप्रग सरकार ने देश के ६० करोड़ लोगों को अंधेरे में धकेला है।

पश्चिमी ग्रिड का अनुशासन काम आया

तीन ग्रिड बंद होने के बाद वेस्टर्न ग्रिड से जुड़े मध्यप्रदेश में भी बिजली आपूर्ति ठप होने का खतरा बढ़ गया था। लोड डिस्पैच सेंटर के अधिकारियों की तत्परता ने न केवल प्रदेश को बचाया बल्कि पूरे वेस्टर्न ग्रिड को फेल होने से भी बचा लिया। सूत्रों के मुताबिक तीनों ग्रिड बंद होने के साथ प्रदेश में बिजली की फ्रीक्वेंसी ५१.४५ हर्ट्ज तक पहुंच गई थी जबकि सामान्य बिजली की फ्रीक्वेंसी ५० हर्ट्ज रहती है। बदले हालात से निपटने के लिए अधिकारियों ने इंदिरा सागर, ओंकारेश्वर, बरगी, बिरसिंहपुर हाइडल प्लांट, टोंस का एक तिहाई बिजली उत्पादन बंद करा दिया था। इससे लगभग ३५० मेगावॉट बिजली उत्पादन ग्रिड में नहीं पहुंचा। दूसरी ओर तीनों विद्युत वितरण कंपनियों के प्रबंधन से तत्काल हर गांव के लिए बिजली फीडर खुलवा दिए। जानकारों का कहना था कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि ग्रिड पर बिजली ज्यादा आ गई थी और मांग कम थी।वेस्टर्न ग्रिड बचने के पीछे बिजली की मांग कम होने के साथ इससे जुड़े राज्यों में बिजली का अनुशासित उपयोग किया जाना मुख्य कारण था। सिस्टम को उन्नत बनाने में मध्यप्रदेश में पिछले दस सालों में जो रिकार्ड काम हुए उसका भी महत्वपूर्ण स्थान रहा।

फेल होने वाली तीनों ग्रिडें ५०,००० मेगावाट बिजली का पारेषण करती हैं। ग्रिड फेल हो जाने के कारण मंगलवार को पश्चिम बंगाल और झारखंड की कई कोयला खदानों में अफरातफरी मच गई। ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ईसीएल) की बंगाल स्थित खानों में दो सौ से ज्यादा मजदूर भूमिगत खदानों में फँस गए। इसी प्रकार झारखंड की सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) के अंतर्गत आने वाली आधा दर्जन खदानों में भी ६५ से ज्यादा मजदूर फँस गए। कुछ घंटों की मशक्कत के बाद इन मजदूरों को सुरक्षित निकाला जा सका।

ऐसे राष्ट्रीय संकट के समय भी राजनीति और खुद का बचाव दुखद

इस अभूतपूर्व संकट के समय नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री गुजरात ने बयान दिया कि कमजोर आर्थिक प्रबंधन से संप्रग ने आम लोगों की जेबें खाली कीं, महँगाई के कारण भूखे पेट रखा और आज उन्हें अंधेरे में धकेल दिया। प्रधानमंत्री जी ६० करोड़ लोग तथा १९ राज्य अंधेरे में हैं। देश जानना चाहता है कि क्या आप यहाँ भी गठबंधन धर्म का पालन कर रहे हैं। तो शिंदे जी जो केंद्रीय उर्जा मंत्री के रूप  में कह रहे थे कि उन्हें सुबह ही इस ओवर ड्रा की रिपोर्ट दे दी गई थी "आज सुबह ही मुझे बताया गया कि पूर्वी ग्रिड से ३,००० मेगावाट ज्यादा बिजली खींची गई है। हमने निर्देश दिया है कि इसे रोका जाए या फिर उनके (ज्यादा बिजली लेने वाले राज्यों) के खिलाफ कार्रवाई की जाए। "  समझ से परे है कि दोपहर तक उस पर निर्णायक कार्यवाही क्यो नही की गई ?
यू पी के अनिल कुमार गुप्ताजो  प्रधान बिजली सचिव, हैं का बयान पढ़ने को मिला कि "जिस समय ग्रिड फेल की घटना हुई, उस समय मानकों के आधार पर उप्र में ऐसा कोई बिजली ऑपरेशन नहीं हुआ जिससे कि ऐसा हो। संदेह है कि पारेषण लाइन में गड़बड़ी के कारण यह घटना हुई। इसमें आगे जाँच की जरूरत है ताकि इसकी असली वजह का पता चल सके।" मतलब हर कोई अपनी जिम्मेदारी से बचने की ही कसरत में लगा है किसी को राष्ट्र हित और आम आदमी की तकलीफ से सीधा सरोकार नही . आम नागरिक के नाम पर यह राजनीतिक बिसात दुखद है .


भविष्य में क्या हो बचाव के उपाय ?
इस फेल्योर से दुनिया में देश की जो जग हंसाई हुई , वह दोबारा न हो , किसी आतंकी संकट की अवस्था न बने इसके लिये बहुत जरुरी है कि ऊर्जा के क्षेत्र विशेष रूप से बिजली के विषय में अनुसंधान पर जोर दिया जावे , राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक मद आबंटन हो . बिजली सुधारो के नाम पर राज्य के बिजली बोर्डो का  जो अंधाधुंध विखण्डन किया गया है , उस पर पुनर्विचार हो
बिजली , रेल और दूरदर्शन या आकाशवाणी की ही तरह राष्ट्रीय सेवा है जो समुचे देश को एक सूत्र में पिरोये रखने के लिये जरुरी है , यदि वह केवल केंद्र के अधीन हो तो इस तरह की राज्यो की अनुशासन हीनता की समस्या उत्पन्न ही न हो .