मितव्ययी प्रकाश की उजाला योजना उर्जा संरक्षण का ज्वलंत उदाहरण
विवेक रंजन श्रीवास्तव
अधीक्षण अभियंता
ओ बी ११ विद्युत मण्डल कालोनी रामपुर , जबलपुर
मो ९४२५८०६२५२, vivek1959@yahoo.co.in
हमारे जीवन में बिजली का महत्व निर्विवाद है . आज भी सुबह तथा शाम के पीक लोड टाइम में देश बिजली की कमी से जूझ रहा है . मध्यप्रदेश में वर्ष 2018 तक 20 हजार मेगावॉट बिजली बनाने का लक्ष्य है . बिजली का प्राथमिक उपयोग प्रकाश के लिये ही किया जाता है . प्रकाश के लिये पहले टंगस्टन फिलामेंट बल्ब बाजार में आये जिनमें फिलामेंट गरम होकर पीले रंग का प्रकाश देता है , और ढ़ेर सी बिजली उष्मा के रूप में व्यर्थ हो जाती है . इन बल्बों से बिजली की खपत की तुलना में कम ल्युमेन प्रकाश मिलता है .
फिर ट्यूबलाइट प्रकाश के बेहतर यंत्र के रूप में प्रस्तुत हुई , जिसमें सफेद दूधिया आंखो को न चुभने वाला प्रकाश मरक्युरी वेपर के जरिये उत्पन्न किया जाता है . इसी के परिष्कृत रूप में सी एफ एल अर्थात काम्पेक्ट फ्लुरोसेंट लैंप वैज्ञानिको ने बनाये जिनमें अपेक्षाकृत कम बिजली की खपत में अधिक ल्युमेन प्रकाश उत्सर्जित कर पाने में सफलता मिली . सी एफ एल का सबसे दुखद पहलू कीमत के अनुपात में उसकी सीमित आयु है , और उससे भी अधिक दुखद है खराब सीएफएल का निस्तारण अर्थात उसका पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाला पहलू . खराब सीएफएल को यदि यूं ही फेंक दिया जावे तो उसकी कांच टूटने पर जो मरकरी वातावरण में फैलता है वह पर्यावरण के लिये बेहद नुकसानदेह है .
अब वैज्ञानिको ने छोटे छोटे एल ई डी अर्थात लाइट इमिटिंग डायोड को एक साथ संघनित करके रिफ्लैक्टर की मदद से एल ई डी लैम्प विकसित किये हैं ,इन बल्ब का प्रकाश दूधिया , आखों के लिये ठंडक का अहसास लिये हुये है . जिनसे न्यूनतम बिजली की खपत में अधिकतम प्रकाश पाया जा रहा है . चूंकि अभी यह अन्वेषण नया है , स्वाभाविक रूप से इसकी बाजार में कीमत अधिक है , जिसके चलते आम नागरिक इसके उपयोग से कतरा रहे हैं . इस लिये केंद्र सरकार इन एल ई डी लैंप्स के उपयोग को बढ़ावा देने की उजाला योजना लेकर सामने आई है . लागत से भी कम मूल्य पर एल ई डी लैंप नागरिको को सुलभ करवाये जा रहे हैं . इससे उपभोक्ताओं का बिजली बिल ३० से ४० प्रतिशत तक कम हो जायेगा और बिजली वितरण कम्पनी की उस बिजली की खपत कम होगी जो प्रकाश के लिये उपयोग होती है . इससे शाम के पीकिंग अवर्स में उर्जा विभाग को लोड मैनेजमेंट में सुविधा होगी .
उजाला योजना में सभी पुराने बल्बों को बदल कर एल.ई.डी. बल्ब लगाये जायेंगे। पिछले एक वर्ष में देश में 9 करोड़ एल.ई.डी. बल्ब लगाये गये हैं जिससे वर्ष भर में 5,500 करोड़ रुपये की बचत अनुमानित है . वर्ष 2019 तक देश में 77 करोड़ पुराने बल्ब बदलकर एल.ई.डी. बल्ब लगाये जायेंगे, जिससे जनता को बिजली के व्यय में 40 हजार करोड़ रुपये का लाभ अनुमानित है .
मध्य प्रदेश में ऍनर्जी एफीशियेंसी सर्विसेज लिमिटेड ये एल ई डी बल्ब वितरित करने हेतु अधिकृत हैं . जो जगह जगह काउंटर लगाकर इन बल्ब का वितरण सब्सिडाइज्ड दरो पर कर रहे हैं . मात्र ८५ रुपयो में ९ वाट खपत वाला एल ई डी बल्ब दिया जा रहा है जिसकी बाजार में कीमत अलग अलग कम्पनियो की अलग अलग है पर फिर भी कम से कम लगभग ३०० रुपये है . यह बल्ब ९०० ल्यूमेन का प्रकाश देता है . वितरित किये जा रहे बल्ब के ३ वर्ष के जीवन की गारंटी है .प्रत्येक उपभोक्ता को बिजली बिल दिखाने पर अधिकतम २५ बल्ब प्रति बल्ब ८५ रुपयो की कीमत पर सुलभ किये जा रहे हैं .
केंद्रीय उर्जा विभाग द्वारा एक मोबाइल एप बनाया गया है जिसमें अब तक लगाये गये एल.ई.डी. बल्ब की देश-प्रदेश और शहरवार जानकारी मिलती है।
मध्यप्रदेश में उजाला योजना के तहत तीन करोड़ एल.ई.डी. बल्ब बाँटे जाने का लक्ष्य है , इससे 2,500 करोड़ रुपये की बचत बिजली बिलों में होगी. एलईडी लैंप उर्जा संरक्षण का अनोखा उदाहरण हैं . यदि हम बाजार भाव पर भी खरीदकर सारे घर में प्रकाश के लिये केवल एल.ई.डी. बल्ब ही प्रयुक्त करें तो कुछ महीनो में ही हमारे बिजली बिल में कमी से जो बचत होती है उससे इन बल्बों पर किया गया हमारा व्यय वसूल हो जाता है , फिर यदि उजाला योजना के अंतर्गत हमें सीमित मूल्य पर ये एल.ई.डी. बल्ब उपलब्ध हो रहे हैं तब तो बिना किसी विलंब के हमें यह कार्य कर ही लेना चाहिये , इससे न केवल हम स्वयं का बिजली बिल नियंत्रित कर सकते हैं वरन इस तरह बचाई गई बिजली का उपयोग देश के उद्योगो हेतु होगा और इस तरह हम देश के विकास में भी भागीदारी कर सकते हैं .
विवेक रंजन श्रीवास्तव
विवेक रंजन श्रीवास्तव
अधीक्षण अभियंता
ओ बी ११ विद्युत मण्डल कालोनी रामपुर , जबलपुर
मो ९४२५८०६२५२, vivek1959@yahoo.co.in
हमारे जीवन में बिजली का महत्व निर्विवाद है . आज भी सुबह तथा शाम के पीक लोड टाइम में देश बिजली की कमी से जूझ रहा है . मध्यप्रदेश में वर्ष 2018 तक 20 हजार मेगावॉट बिजली बनाने का लक्ष्य है . बिजली का प्राथमिक उपयोग प्रकाश के लिये ही किया जाता है . प्रकाश के लिये पहले टंगस्टन फिलामेंट बल्ब बाजार में आये जिनमें फिलामेंट गरम होकर पीले रंग का प्रकाश देता है , और ढ़ेर सी बिजली उष्मा के रूप में व्यर्थ हो जाती है . इन बल्बों से बिजली की खपत की तुलना में कम ल्युमेन प्रकाश मिलता है .
फिर ट्यूबलाइट प्रकाश के बेहतर यंत्र के रूप में प्रस्तुत हुई , जिसमें सफेद दूधिया आंखो को न चुभने वाला प्रकाश मरक्युरी वेपर के जरिये उत्पन्न किया जाता है . इसी के परिष्कृत रूप में सी एफ एल अर्थात काम्पेक्ट फ्लुरोसेंट लैंप वैज्ञानिको ने बनाये जिनमें अपेक्षाकृत कम बिजली की खपत में अधिक ल्युमेन प्रकाश उत्सर्जित कर पाने में सफलता मिली . सी एफ एल का सबसे दुखद पहलू कीमत के अनुपात में उसकी सीमित आयु है , और उससे भी अधिक दुखद है खराब सीएफएल का निस्तारण अर्थात उसका पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाला पहलू . खराब सीएफएल को यदि यूं ही फेंक दिया जावे तो उसकी कांच टूटने पर जो मरकरी वातावरण में फैलता है वह पर्यावरण के लिये बेहद नुकसानदेह है .
अब वैज्ञानिको ने छोटे छोटे एल ई डी अर्थात लाइट इमिटिंग डायोड को एक साथ संघनित करके रिफ्लैक्टर की मदद से एल ई डी लैम्प विकसित किये हैं ,इन बल्ब का प्रकाश दूधिया , आखों के लिये ठंडक का अहसास लिये हुये है . जिनसे न्यूनतम बिजली की खपत में अधिकतम प्रकाश पाया जा रहा है . चूंकि अभी यह अन्वेषण नया है , स्वाभाविक रूप से इसकी बाजार में कीमत अधिक है , जिसके चलते आम नागरिक इसके उपयोग से कतरा रहे हैं . इस लिये केंद्र सरकार इन एल ई डी लैंप्स के उपयोग को बढ़ावा देने की उजाला योजना लेकर सामने आई है . लागत से भी कम मूल्य पर एल ई डी लैंप नागरिको को सुलभ करवाये जा रहे हैं . इससे उपभोक्ताओं का बिजली बिल ३० से ४० प्रतिशत तक कम हो जायेगा और बिजली वितरण कम्पनी की उस बिजली की खपत कम होगी जो प्रकाश के लिये उपयोग होती है . इससे शाम के पीकिंग अवर्स में उर्जा विभाग को लोड मैनेजमेंट में सुविधा होगी .
उजाला योजना में सभी पुराने बल्बों को बदल कर एल.ई.डी. बल्ब लगाये जायेंगे। पिछले एक वर्ष में देश में 9 करोड़ एल.ई.डी. बल्ब लगाये गये हैं जिससे वर्ष भर में 5,500 करोड़ रुपये की बचत अनुमानित है . वर्ष 2019 तक देश में 77 करोड़ पुराने बल्ब बदलकर एल.ई.डी. बल्ब लगाये जायेंगे, जिससे जनता को बिजली के व्यय में 40 हजार करोड़ रुपये का लाभ अनुमानित है .
मध्य प्रदेश में ऍनर्जी एफीशियेंसी सर्विसेज लिमिटेड ये एल ई डी बल्ब वितरित करने हेतु अधिकृत हैं . जो जगह जगह काउंटर लगाकर इन बल्ब का वितरण सब्सिडाइज्ड दरो पर कर रहे हैं . मात्र ८५ रुपयो में ९ वाट खपत वाला एल ई डी बल्ब दिया जा रहा है जिसकी बाजार में कीमत अलग अलग कम्पनियो की अलग अलग है पर फिर भी कम से कम लगभग ३०० रुपये है . यह बल्ब ९०० ल्यूमेन का प्रकाश देता है . वितरित किये जा रहे बल्ब के ३ वर्ष के जीवन की गारंटी है .प्रत्येक उपभोक्ता को बिजली बिल दिखाने पर अधिकतम २५ बल्ब प्रति बल्ब ८५ रुपयो की कीमत पर सुलभ किये जा रहे हैं .
केंद्रीय उर्जा विभाग द्वारा एक मोबाइल एप बनाया गया है जिसमें अब तक लगाये गये एल.ई.डी. बल्ब की देश-प्रदेश और शहरवार जानकारी मिलती है।
मध्यप्रदेश में उजाला योजना के तहत तीन करोड़ एल.ई.डी. बल्ब बाँटे जाने का लक्ष्य है , इससे 2,500 करोड़ रुपये की बचत बिजली बिलों में होगी. एलईडी लैंप उर्जा संरक्षण का अनोखा उदाहरण हैं . यदि हम बाजार भाव पर भी खरीदकर सारे घर में प्रकाश के लिये केवल एल.ई.डी. बल्ब ही प्रयुक्त करें तो कुछ महीनो में ही हमारे बिजली बिल में कमी से जो बचत होती है उससे इन बल्बों पर किया गया हमारा व्यय वसूल हो जाता है , फिर यदि उजाला योजना के अंतर्गत हमें सीमित मूल्य पर ये एल.ई.डी. बल्ब उपलब्ध हो रहे हैं तब तो बिना किसी विलंब के हमें यह कार्य कर ही लेना चाहिये , इससे न केवल हम स्वयं का बिजली बिल नियंत्रित कर सकते हैं वरन इस तरह बचाई गई बिजली का उपयोग देश के उद्योगो हेतु होगा और इस तरह हम देश के विकास में भी भागीदारी कर सकते हैं .
विवेक रंजन श्रीवास्तव