SABHAR NAIDUNIA
विदेश प्रवास से लौटे पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के एमडी सुखवीर सिंह के मुताबिक बैंकाक के बिजली आपूर्ति तंत्र को बेहतर बनाने में वहां की जनता का भी जबर्दस्त सहयोग है। बैंकाक में बिजली चोरी का आंकड़ा एक प्रतिशत भी नहीं है।
श्री सिंह के अनुसार बैंकाक में बिजली वितरण हानि मात्र ६ प्रतिशत पर है। वहां हानि केवल तकनीकी कारणों से हो रही है, इसमें गैर तकनीकी कारण और बिजली चोरी जिम्मेदार नहीं है। वहां ३३ केवी लाइनों की जगह ६९ केवी लाइनों का नेटवर्क काम कर रहा है। इससे बिजली को २२ केवी लाइन पर लाया जाता है और इसके बाद सीधे निम्नदाब लाइनों का नेटवर्क जुड़ा है। ये तीनों लाइनें सिंगल पोल यानि एक ही खम्बे पर चल रही हैं। सभी बिजली तारों की केबलिंग है।
बैंकाक में कृषि उपभोक्ता न के बराबर है। बिजली आपूर्ति का ७० प्रतिशत हिस्सा औद्योगिक और व्यापारिक क्षेत्र में उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जीआईएस सबस्टेशन और एएमआई की व्यवस्था का उपयोग यहां भी किया जा सकता है। एएमआई में टू वे संवाद की स्थिति है।
यानि बिजली अधिकारियों को जहां सभी की बिजली खपत की जानकारी रिमोट पर मिलती है वहीं उपभोक्ता भी घर बैठे मीटर से जान सकता है कि उसके यहां आ रही बिजली किस समय महंगी और किस समय सस्ती है? इसके कारण वो महंगी बिजली के समय अपना बिजली उपभोग सीमित कर देता है। उन्होंने माना कि बैंकाक में बिजली आपूर्ति तंत्र को चुस्त दुरस्त करने के लिए इन्फास्ट्रक्चर की तीन फीसदी राशि खर्च की जाती है। श्री सिंह के अनुसार सभी अधिकारियों ने दो दिन की क्लास में अपनी उपस्थिति देने के साथ ही मैदानी क्षेत्रों का दौरा किया और वहां के अधिकारियों और आम जनता से भी सीधा संवाद किया। एडीबी के द्वारा आयोजित बैंकाक के टूर पर श्री सुखवीर सिंह के साथ पूर्व क्षेत्र कंपनी के सीई एसके यादव, एई श्रेया शांडिल्य, ट्रांसमिशन कंपनी की एई श्रीमती अंजनी पांडेय सहित पश्चिम और मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के लगभग १५ अधिकारी बैंकाक गए थे। इस दौरे में ऊर्जा मंत्री राजेन्द्र शुक्ल भी अधिकारियों के साथ थे
विदेश प्रवास से लौटे पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के एमडी सुखवीर सिंह के मुताबिक बैंकाक के बिजली आपूर्ति तंत्र को बेहतर बनाने में वहां की जनता का भी जबर्दस्त सहयोग है। बैंकाक में बिजली चोरी का आंकड़ा एक प्रतिशत भी नहीं है।
श्री सिंह के अनुसार बैंकाक में बिजली वितरण हानि मात्र ६ प्रतिशत पर है। वहां हानि केवल तकनीकी कारणों से हो रही है, इसमें गैर तकनीकी कारण और बिजली चोरी जिम्मेदार नहीं है। वहां ३३ केवी लाइनों की जगह ६९ केवी लाइनों का नेटवर्क काम कर रहा है। इससे बिजली को २२ केवी लाइन पर लाया जाता है और इसके बाद सीधे निम्नदाब लाइनों का नेटवर्क जुड़ा है। ये तीनों लाइनें सिंगल पोल यानि एक ही खम्बे पर चल रही हैं। सभी बिजली तारों की केबलिंग है।
बैंकाक में कृषि उपभोक्ता न के बराबर है। बिजली आपूर्ति का ७० प्रतिशत हिस्सा औद्योगिक और व्यापारिक क्षेत्र में उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जीआईएस सबस्टेशन और एएमआई की व्यवस्था का उपयोग यहां भी किया जा सकता है। एएमआई में टू वे संवाद की स्थिति है।
यानि बिजली अधिकारियों को जहां सभी की बिजली खपत की जानकारी रिमोट पर मिलती है वहीं उपभोक्ता भी घर बैठे मीटर से जान सकता है कि उसके यहां आ रही बिजली किस समय महंगी और किस समय सस्ती है? इसके कारण वो महंगी बिजली के समय अपना बिजली उपभोग सीमित कर देता है। उन्होंने माना कि बैंकाक में बिजली आपूर्ति तंत्र को चुस्त दुरस्त करने के लिए इन्फास्ट्रक्चर की तीन फीसदी राशि खर्च की जाती है। श्री सिंह के अनुसार सभी अधिकारियों ने दो दिन की क्लास में अपनी उपस्थिति देने के साथ ही मैदानी क्षेत्रों का दौरा किया और वहां के अधिकारियों और आम जनता से भी सीधा संवाद किया। एडीबी के द्वारा आयोजित बैंकाक के टूर पर श्री सुखवीर सिंह के साथ पूर्व क्षेत्र कंपनी के सीई एसके यादव, एई श्रेया शांडिल्य, ट्रांसमिशन कंपनी की एई श्रीमती अंजनी पांडेय सहित पश्चिम और मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के लगभग १५ अधिकारी बैंकाक गए थे। इस दौरे में ऊर्जा मंत्री राजेन्द्र शुक्ल भी अधिकारियों के साथ थे