30 नवंबर, 2011

LED Summit 2011

The LED Summit 2011 is an exclusive conference for the LED industry stake holders & end users. It is an endeavour to emphasise & enlighten on the usage of LEDs in various areas & bring forth its energy efficiency, products & technology to end users. In addition to addressing technical issues, standards & standardization.

The summit will include specialised sessions spread over two days by prominent industry players to help maximize your exposure to the entire Industry. It is the definitive platform that brings together the manufacturers, importers, distributors, end users, etc with a focus to discuss, manage and chart the future of this very powerful & growing industry.

As per industry reports, LED Lighting market in India is expected to grow at a CAGR of 41.5% till 2015.Outdoor applications represent the biggest end user segment for LED Lighting. Thus, LED is emerging as the new avatar of the lighting industry & the clean green energy source which is sure to grow by leaps & bounds. All industry stalwarts, market leaders are going to present strategies for tapping & unleashing the power of LEDs.

29 नवंबर, 2011

सूचना प्रौद्योगिकी और विद्युत वितरण

सूचना प्रौद्योगिकी और विद्युत वितरण

विवेक रंजन श्रीवास्तव
अधीक्षण अभियंता एवं जन संपर्क अधिकारी
म. प्र. पूर्वी क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ,
ओ बी ११ , विद्युत मण्डल कालोनी , जबलपुर ४८२००८
मो ९४२५८०६२५२, ई मेल vivek1959@yahoo.co.in



वर्तमान समय सूचना प्रौद्योगिकी का युग कहा जाता है . सूचना प्रौद्योगिकी के महत्व को स्वीकारते हुये ही केंद्र व राज्य सरकारो ने अलग से सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालयो का गठन किया है . वर्ष २००० में हमारे देश में सूचना प्रौद्योगिकी कानून लाया गया , जिससे सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से त्वरित व्यापार , सूचनाओ व पत्रों का आदान प्रदान वैधानिक दर्जा प्राप्त कर सके . सूचना प्रौद्योगिकी के व्यापक विस्तार से पेपरलैस आफिस की परिकल्पना मूर्त रूप ले सकती है . अनेक विभागो ने कागज बचाकर जंगल और पर्यावरण की सुरक्षा हेतु सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से उल्लेखनीय पहल की है . हाल ही भारतीय रेल ने ई टिकिट के पेपर प्रिंट की जगह लैपटाप या मोबाईल पर टिकिट को इलेक्ट्रानिक रुप में लेकर यात्रा करने की महत्वपूर्ण सुविधा प्रदान की है . बिजली के क्षेत्र में भी सूचना प्रौद्योगिकी ने क्रांतिकारी परिवर्तन किये हैं .

क्या है सूचना प्रौद्योगिकी विधेयक ?
भारतीय संसद ने मई २००० में सूचना प्रौद्योगिकी विधेयक पारित किया था . इस विधेयक को अगस्त 2000 में राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त हुई और इसे सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के रूप में मान्यता मिली . इस अधिनियम का उद्देश्य भारत में ई-वाणिज्य के लिए कानूनी बुनियादी ढांचा उपलब्ध करना है, और साइबर कानून का भारत में ई-व्यवसायों और नई अर्थव्यवस्था बड़ा व्यापक प्रभाव हुआ है.

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के कुछ महत्‍वपूर्ण बिंदु
प्रथम अध्याय परिचयात्मक है . अधिनियम का द्वितीय अध्याय विशेष रूप से कहता है कि कोई भी व्यक्ति अपने डिजिटल हस्ताक्षर जोड कर एक इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड प्रमाणित कर सकता है.अधिनियम का तृतीय अध्याय ई गवर्नेंस के बारे में है . अधिनियम का चतुर्थ अध्याय विनियमन के प्रमाण पत्र अधिकारियों को प्रमाण पत्र के लिए एक व्यवस्था देता है. यह अधिनियम प्रमाणपत्र प्राधिकरणों के नियंत्रक की परिकल्पना पूर्ण करता है, जो अधिकारियों की गतिविधियों पर निगरानी रखने का काम करेगा .षष्‍ठम अध्याय डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाण पत्र से संबंधित बातों के विवरण देता है। उपभोक्ताओं के कर्तव्‍य एवं शुल्‍क भी इस अधिनियम में निहित हैं.
अधिनियम का नवम अध्याय पेनल्टीज़/दंड/जुर्माना और विभिन्न अपराधों के लिए अधिनिर्णयन कानून के बारे में विवरण देता है. प्रभावित व्यक्तियों के कंप्यूटर को, कम्प्यूटर प्रणाली आदि के नुकसान के रूप में क्षतिपूर्ति के रूप में अधिकतम 1 करोड रुपये का दंड तय किया गया है. अधिनियम एक निर्णायक अधिकारी की नियुक्ति के बारे में कहता है जिसके अनुसार वह अधिकारी सुनिश्चित करेगा कि किसी व्यक्ति द्वारा सूचना प्राद्योगिकी प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है अथवा नहीं . यह अधिकारी भारत सरकार या राज्य सरकार का समकक्ष अधिकारी होगा जो एक निदेशक के रैंक से नीचे नहीं होगा. इस निर्णायक अधिकारी को इस अधिनियम के द्वारा एक नागरिक न्यायालय का अधिकार दिया गया है.अधिनियम का दशम अध्याय सायबर रेग्‍लुलेशन्‍स अपीलेट ट्रिब्यूनल की स्थापना के बारे में विवरण देता है, जिसमें अपील निर्णायक अधिकारियों द्वारा पारित आदेश के विरूध्‍द अपील की जा सकेगी .
अधिनियम का ग्‍यारहवाँ अध्याय विभिन्न साइबर अपराधों के बारे में विवरण देता है और बताता है कि अपराधों की जाँच एक पुलिस अधिकारी , जो उप पुलिस अधीक्षक के पद नहीं नीचे होगा, उसी के द्वारा की जाएगी. इन अपराधों में कंप्यूटर स्रोत दस्तावेजों के साथ हस्‍तक्षेप , इलेक्ट्रॉनिक स्‍वरूप में अश्लील प्रकाशन, और हैकिंग आदि का समावेश है.यह अधिनियम साइबर विनियम सलाहकार समिति के गठन के लिये भी व्यवस्था देता है, जो सरकार को किसी भी नियम से संबंधित या अधिनियम संबंधी किसी अन्य उद्देश्य के संबंध में सलाह दे सकता है . इस अधिनियम में भारतीय दंड संहिता 1860, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872, द बैंकर्स बुक साक्ष्य अधिनियम, 1891, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट, 1934 को अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप बनाने के लिए उनमें संशोधन करने का प्रस्ताव है.

विद्युत क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी से क्रांति
दसवीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत एक्सिलरेटेड पॉवर डेवलपमेंट ऐंड रिफॉर्म प्रोग्राम (एपीडीआरपी) में वितरण क्षेत्र में 17,500 करोड़ रुपये का निवेश किया गया . इसमें सब स्टेशनों में सुधार के लिए उपकरणों की खरीद के लिए कोष आवंटित किया गया था लेकिन तकनीकी और व्यावसायिक क्षति (एटीऐंडसी)को कम करने के लिए कोई विशेष काम स्पष्ट लक्ष्य न होने से नहीं हो पाया . अतः 11वीं पंचवर्षीय योजना में रीस्ट्रक्चर्ड एक्सिलरेटेड पॉवर डेवलपमेंट ऐंड रिफॉर्म प्रोग्राम (आरएपीडीआरपी) लाया गया. इस योजना के लक्ष्य स्पष्ट थे .इसमें सूचना प्रौद्योगिकी के जरिए घाटे में कमी लाना, वितरण प्रणाली को मजबूत बनाना और विद्युत क्षमता में वृद्धि करना शामिल थे.
10,000 करोड़ रुपये बजट वाला योजना का पहला भाग सूचना एवं संचार तकनीक के जरिए ए टी ऐंड सी क्षति की आधार सीमा तय करता है. दूसरे भाग में 40,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित है और उसका लक्ष्य वितरण प्रणाली का पुनरुद्घार, आधुनिकीकरण और उसे मजबूत बनाना है.पहले भाग में केंद्रीय कोषों के 100 फीसदी हिस्से को ऋण के रूप में इस्तेमाल किया जा सकेगा और एक बार जरूरी देयता तय हो जाने के बाद उसे अनुदान में बदला जा सकेगा. आवंटन के तीन वर्ष के भीतर इसे पूरा करना अनिवार्य है,समय सीमा तय होने से योजना की पूर्णता अवधि को लेकर लक्ष्य निश्चित हैं .
दूसरे भाग के अंतर्गत आने वाली परियोजनाएं तभी आरंभ होंगी जब इन पूर्व निर्धारित विशेष लक्ष्यो को पूरा कर लिया जाएगा . इसमें वही क्षेत्र सहायता राशि के हकदार होंगे जहां ए टी ऐंड सी लासेज 15 फीसदी से अधिक होंगे. इस भाग के अंतर्गत अपनाई गई परियोजनाओं में ऋण को हर साल लक्ष्य प्राप्ति पर अनुदान में बदला जाएगा. स्पष्ट है कि आरएपीडीआरपी का दो चरणों वाला कार्यक्रम यह सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है कि इससे जुड़े तंत्र के प्रदर्शन में सुधार का निरपेक्ष ढंग से आकलन किया जा सके और समय सीमा तथा ए टी ऐंड सी लक्ष्यों के तहत आंतरिक जवाबदेही तय की जा सके . इतने बड़े व्यय के साथ ही आर ए पी डी आर पी घरेलू और अंतरराष्ट्रारीय स्तर पर व्यापक अवसरो तथा संभावनाओ के साथ सूचना प्राद्यौगिकी के माध्यम से बिजली क्षेत्र में युग परिवर्तनकारी योजना के रूप में सामने आई है . सलाहकारों ,प्रसंस्करण, सूचना प्रौद्योगिकी, निगरानी, सत्यापन, प्रशिक्षण , वेंडर्स (ऑटोमेशन, सूचना प्रौद्योगिकी सुविधाएं, मीटरिंग, नेटवर्क और संचार सुविधाएं), सिस्टम इंटीग्रेटर्स और उपकरण निर्माताओं के लिए इस योजना ने असंख्य अवसर उपलब्ध करवाये हैं. देश विदेश की अनेक निजी कंपनियो ने इन अवसरो को पहचानकर बिजली क्षेत्र में काम करने की पहल की है .
प्राथमिक अनुमान बता रहे हैं कि इस योजना से एटीऐंडसी लासेज नियंत्रित हो रहे हैं . केंद्रीकृत कोष आवंटन किया गया है और कड़ी निगरानी के लिए पॉवर फाइनैंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) को नोडल एजेंसी बनाया गया है. इससे यह सुनिश्चित हुआ है कि यह कार्यक्रम व्यापक तौर पर पारदर्शी और प्रभावी ढंग से चल रहा है . वास्तविक आकलन के अनुसार अनेक चुनौतियां सामने आ रही हैं , जिनका समय सापेक्ष निदान सूचना प्राद्योगिकी के उपयोग से अब त्वरित ढ़ंग से संभव हो सका है .

विद्युत क्षेत्र में व्यापक सुधार से सूचना प्राद्यौगिकी में प्रगति
विभिन्न क्षेत्रो में सूचना प्राद्यौगिकी का उपयोग तभी बढ़ सकता है जब सबको गुणवत्तापूर्ण बिजली की नियमित आपूर्ति होती रहे , क्योकि सूचना प्राद्यौगिकी के उपकरणो को चलाने के लिये बिजली अनिवार्य आवश्यकता है . राजीव गांधी ग्रामीण विद्युत योजना ने ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली के बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है, धीरे धीरे गांवो में बिजली की आपूर्ति बेहतर होती जा रही है . शहरी-विद्युत वितरण सुधार ने भी उपभोक्ताओ तक निर्बाध बिजली आपूर्ति का स्वरूप सुधारा है. विद्युत उत्पादन , वितरण में निजीकरण,फ्रैंचाइजी की व्यवस्था लागू की गई जा रही है , इस परिदृश्य से परस्पर निर्भर विद्युत क्षेत्र और सूचना प्राद्यौगिकी निरंतर प्रगतिशील हैं .

बिजली क्षेत्र में सूचना प्राद्यौगिकी के विस्तार में बाधायें
सूचना प्राद्यौगिकी एक नया विषय है , इसके जानकारो की औसत आयु २५ से ३० वर्ष मात्र है . जबकि बिजली क्षेत्र में काम करने वालों की औसत उम्र ४५ से ५० वर्ष है , ऐसी स्थिति में नई प्राद्यौगिकी तकनीक को लेकर बिजली क्षेत्र में स्वीकार्यता का स्तर कम है, कौतुहल भरी स्वीकार्यता है भी तो स्वाभाविक रूप से जानकारी का अभाव तथा झिझक के कारण परिवर्तन की गति तेज नही है . इसके अलावा बिजली क्षेत्र में सूचना प्राद्यौगिकी की विशेषज्ञता वाले लोग भी कम ही हैं.
सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के प्रबंधक नयी उम्र के युवा हैं उनके पास अनुभव की कमी है जिसके कारण विद्युत और सूचना प्रौद्योगिकी में तालमेल की समस्या आना स्वाभाविक है . मौजूदा तकनीक से भविष्य की नई तकनीक अपनाने में मानसिक परिवर्तन की आवश्यकता होती है जो सरल नहीं है.सूचना प्रौद्योगिकी के क्रियान्वयन की दृष्टि से नये उपकरणो की व्यवस्था, प्रमाणीकरण, खरीद तथा उनको स्थापित करने की प्रक्रिया धीमी है और क्रियान्वयन की प्रक्रिया पर इसका असर पड़ रहा है. साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तेजी से आते साफ्टवेयर तथा हार्डवेयर बदलाव भी एक बाधा हैं , बिजली क्षेत्र अभी भी बहुतायत में सरकारी है , और नित बदलते नये उपकरणो की लगातार खरीद सरकारी व्यवस्थाओ में बहुत आसान नही होती . डाटा सेंटर और ग्राहक सेवा केंद्रों का बुनियादी ढांचा पूर्व निर्मित नही है .बेहतर वित्तीय प्रबंधन और स्मार्ट ग्रिड्स के बुनियादी ढांचा विकास से आप्टिमम त्वरित विद्युत आपूर्ति , रिमोट मीटरिंग , स्काडा , के चलते सूचना प्राद्योगिकी विद्युत यूटिलिटीज के लिए तो ठीक है ही साथ ही यह निजी क्षेत्र के कारोबारियों के लिए भी बेहतर है क्योंकि यह बड़ा ग्राहक आधार और ग्राहक संतुष्टि की आटोमेटेड समुचित व्यवस्था उपलब्ध कराती है, ई टेंडरिंग से विश्वस्तरीय व्यापारिक भागीदारी संभव हो पाई है . उपभोक्ता की दृष्टि से भी सूचना प्रौद्योगिकी का अधिकाधिक प्रयोग सबके लिये लाभकारी है , ई बिलिंग , ई पेमेंट सुविधायें , ई कम्प्लेंटस प्रभावी हैं. सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से वेबसाइट्स के जरिये उपभोक्ता घर बैठे पारदर्शी तरीके से न केवल बिजली क्षेत्र की सारी जानकारियां जुटा सकता है , वरन् अपने सुझाव प्रबंधन तक पहुंचाकर इस सारे सुधार कार्यक्रम का हिस्सा भी बन सकता है . सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से आने वाले समय में हमें बिजली के क्षेत्र में अद्भुत परिवर्तन देखने को मिलेंगे यह सुनिश्चित है .

(लेखक को सकारात्मक लेखन हेतु अनेक राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं)

12 नवंबर, 2011

इस पद्यानुवाद का हिन्दी जानने वाले किन्तु संस्कृत न समझने वाले पाठक अधिकतम सदुपयोग कर सकें ......

श्रीमद्भगवत गीता विश्व का अप्रतिम ग्रंथ है !
धार्मिक भावना के साथ साथ दिशा दर्शन हेतु सदैव पठनीय है !
जीवन दर्शन का मैनेजमेंट सिखाती है ! पर संस्कृत में है !
हममें से कितने ही हैं जो गीता पढ़ना समझना तो चाहते हैं पर संस्कृत नहीं जानते !
मेरे ८४ वर्षीय पूज्य पिता प्रो सी बी श्रीवास्तव विदग्ध जी संस्कृत व हिन्दी के विद्वान तो हैं ही , बहुत ही अच्छे कवि भी हैं , उन्होने महाकवि कालिदास कृत मेघदूत तथा रघुवंश के श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद किये , वे अनुवाद बहुत सराहे गये हैं . हाल ही उन्होने श्रीमद्भगवत गीता का भी श्लोकशः पद्यानुवाद पूर्ण किया . जिसे वे भगवान की कृपा ही मानते हैं .
उनका यह महान कार्य http://vikasprakashan.blogspot.com/ पर सुलभ है . रसास्वादन करें . व अपने अभिमत से सूचित करें . कृति को पुस्तकाकार प्रकाशित करवाना चाहता हूं जिससे इस पद्यानुवाद का हिन्दी जानने वाले किन्तु संस्कृत न समझने वाले पाठक अधिकतम सदुपयोग कर सकें . नई पीढ़ी तक गीता उसी काव्यगत व भावगत आनन्द के साथ पहुंच सके .
प्रसन्नता होगी यदि इस लिंक का विस्तार आपके वेब पन्ने पर भी करेंगे . यदि कोई प्रकाशक जो कृति को छापना चाहें , इसे देखें तो संपर्क करें ..०९४२५८०६२५२, विवेक रंजन श्रीवास्तव