17 मार्च, 2011

एक स्थान पर केवल एक यूनिट ही बनाई जावे ,


जयपुर के आइल डिपो की भयावह आग याद है आपको ? एक के बाद एक टैंक जलते गये थे और सब बेबस दर्शक मात्र बनकर रह गये थे ...
अभी जापान में भी यही हो रहा है एक के बाद एक रिएक्टर फेल हो रहे हैं ..कोई कुछ नही कर पा रहा ...
क्या ये दुर्घटनायें हमें यह संदेश नही देती कि , अब से एक स्थान पर केवल एक यूनिट ही बनाई जावे , जिससे दुर्घटना होने पर नुकसान सीमित हो . शायद भारत के बिखरे हुये गांवो का मैनेजमेंट सिस्टम हमें यह शिक्षा बहुत पहले से दे रहा था हम ही उसे अनदेखा कर रहे थे .. इस बिखरे बिखरे विकास से जहां ज्यादा क्षेतरो का विकास हो सकेगा वही आतंकवादी या अन्य औद्योगिक दुर्घटना होने पर नुकसान भी सीमित होगा ...

यह है मेरा वैगन आर आइडिया ..सो प्लीज वोट


wagon R  has sponcered  smart ideas contest 2 .. You can also submit your innovative Ideas...
" क्या ही अच्छा हो कि आक्सीजन के छोटे छोटे केन भी मिलने लगें ,बाजार में , जिन्हें अस्थमा के मरीज , ट्रेफिक पाल्यूशन से बचने के लिये या ब्युटी कांशेस महिलायें तथा अन्य रोगी , सहज ही अपने साथ रखना पसंद करेंगे ..... यह है मेरा वैगन आर आइडिया ..सो प्लीज वोट !link is http://wagonrsmartideas.com/index.php?option=com_comprofiler&task=userProfile&user=89812

12 मार्च, 2011

परमाणु ऊर्जा कितनी सुरक्षित?


परमाणु ऊर्जा कितनी सुरक्षित?
बिजली जीवन के लिये अनिवार्य आवश्यकता बन चुकी है . सर्वोत्तम तो यह है कि बिजली का उत्पादन सौर उर्जा से , विंड पावर से , या जल उर्जा से ही हो . किंतु जब तापउर्जा की बात आती है तो कोयले की अपेक्षा परमाणु उर्जा से बनाई गई बिजली अपेक्षाकृत सस्ती तथा नियंत्रित प्रदूषण वाली लगती है . पर जब यह नियंत्रित विकिरण चेरनेविल या जापान जैसे कारणो से अनिंयंत्रित हो तो यह किसी परमानू बम से कम नही है . रिएक्टर और भी सुरक्षित बनाये जाना जरूरी है . जापान में आए भूकंप और उसके बाद सुनामी लहरों के प्रलय में एक परमाणु संयंत्र को ज़बरदस्त नुक़सान हुआ है. इस संयंत्र में भयंकर विस्फोट हुआ है और अधिकारियों ने उसके आसपास साठ किलोमीटर के दायरे को निषिद्ध क्षेत्र घोषित कर दिया है. हालाँकि जापान सरकार इस नाभिकीय दुर्घटना को हलका फुलका बताकर टालने की कोशिश कर रही है, लेकिन अभी तक परमाणु विकिरण के प्रभाव का अंदाज़ा ही नहीं है. इसी तरह अस्सी के दशक में सोवियत संघ के चेर्नोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र में हुई दुर्घटना का ख़ामियाज़ा आज तक वहाँ के लोग भुगत रहे हैं.भारत में हम अभी नई परमाणु बिजली परियोजनाओ पर काम शुरू करने को हैं अतः हमें इससे सीख लेने की बहुत जरूरत है.

08 मार्च, 2011

NEXT GENERATION INDUCTION LAMPS - 60% ENERGY SAVING AND 20 YEARS LONG LIFE


NEXT GENERATION INDUCTION LAMPS - 60% ENERGY SAVING AND 20 YEARS LONG LIFE

For the first time in India the most revolutionary energy efficient and long lasting Lamps called Induction Lamps or electrode-less lamps.  This is the invention of GE-USA and has been commercially available now in INDIA

Principal of New Technology (Induction Lamp)
Electrodeless lamp

In contrast with typical electrical lamps that use electrical connections through the lamp envelope to transfer power to the lamp, in Electrodeless lamps the power needed to generate light is transferred from the outside of the lamp envelope by means of (electro)magnetic fields. There are three advantages of eliminating electrodes:

Ø  Extended lamp life, because the electrodes are usually the limiting factor in lamp life.
Ø  The ability to use high efficiency light-generating substances that would react with metal electrodes in normal lamps.
Ø  Improved collection efficiency because the source can be made very small without shortening life - a problem in electrode lamps

Because of its excellent features, the lamp is a dream come true for the lighting designers, engineers   and the practitioners alike. It is a small wonder then that Induction lamp is rapidly replacing HPSV, HPMV and metal halide lamps all over the world. More than 4 million lamps have been installed spread over 60 countries. It scores even over LED lamps in terms of energy saving, CRI, life, thermal characteristics, light distribution and applications. The leading manufacturers are Shanghai Hongyuan (LVD), Philips, Osram, Amko Solara and Matsushita. In brief the main features are as under:

Ø  Super long life of 20 years at 12 hours /day burning.

Ø  Energy saving of 60% compared to HPSV, HPMV and Metal halide lamps.

Ø  Lumen depreciation < 10% in 40,000 hours.  Other lamps it is 25/30% in 4000 hours.

Ø  Quality of light is close to that of day light i.e. colour rendering index of 80 to 90.

Ø  Power factor of 0.99. For most other lamps it is poorer - 0.60 to 0.80.

Ø  Operates with constant light output between 140 to 270 volts.

Ø  Operates within temp. Limit of 80 deg cent as against 180 to 250 deg of other lamps.

Ø  Total system, inclusive of lamps, has five years free replacement warranty.