मध्य प्रदेश को साल 2011 तक पहला निजी पनबिजली संयंत्र मिल जाएगा। राज्य के रायसेन जिले में बरना सिंचाई परियोजना लगाई जाएगी।
राज्य सरकार ने साल 2006 में ही अपनी छोटी पनबिजली परियोजना नीति की घोषणा की थी। तब से लेकर अभी तक यह पहली परियोजना होगी। सरकारी अधिकारियों ने बताया, 'बरना हाइडिल पावर प्रोजेक्ट लिमिटेड नाम की निजी कंपनी ने राज्य के सिंचाई विभाग के साथ बिजली परियोजना के लिए 10 करोड़ रुपये का करार किया है।'
इस परियोजना के जरिए लगभग 1.9 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा। राज्य में छोटी पनबिजली परियोजनाओं की संभावनाओं को भुनाने के लिए सरकार ने 2006 में इसके लिए निजी निवेशकों को आकर्षित करने की योजना बनाई थी। देश भर में छोटी पनबिजली परियोजनाओं से लगभग 1693 मेगावॉट बिजली का उत्पादन किया जाता है। लेकिन इसमें राज्य की हिस्सेदारी 2.42 फीसदी ही है।
राज्य सरकार की इस नई नीति के तहत 5 मेगावॉट से 25 मेगावॉट क्षमता की परियोजनाओं को छोटी पनबिजली परियोजना ही माना जाएगा। इसके तहत कंपनी अकेले भी परियोजना शुरू कर सकती है और संयुक्त उपक्रम में भी।
परियोजनाओं को 30-40 महीनों में बूट आधार पर विकसित किया जाएगा। राज्य बिजली नियामक आयोग द्वारा तय की गई दरों पर बिजली खरीदने से मना करने का पहला अधिकार राज्य बिजली बोर्ड और उसकी वितरण और विपणन कंपनियों के पास ही होता है। सूत्रों ने बताया, 'छोटी पनबिजली परियोजनाओं के लिए लगभग 6-7 निजी कंपनियों ने आवेदन किया हुआ है।'