24 मार्च, 2009

बचत लैंप योजना

lighting energy efficiency programme in MPPKVVCL under the “Bachat Lamp Yojna” of
Bureau of Energy Efficiency, Ministry of Power, and Government of India.
The Discom East, as a part of the Demand Side Efficiency initiative, intends to
implement the energy efficiency programme for promotion of energy efficiency in
lighting system of the residential household consumers in its area based on the
parameters laid down by Bureau of Energy Efficiency, Govt. of India under “Bachat
Lamp Yojna” (BLY).
BLY seeks replacement of the incandescent bulbs with energy efficient CFLs
at nominal prices as prescribed by the BEE, Ministry of Power. The project shall be
developed as a CDM project as per the UNFCC guidelines and the Program of
Activities designed by BEE in India. The balance cost of the CFLs shall be recovered
from the CER revenues to be generated from the project and Discom shall not bear
any financial liability for the same.
Discom shall provide the database of the entire residential house holds (about
18 Lakhs) consumers in 20 districts of proposed project area under the scheme. It
shall also provide all other information as may be required for development of the
project as per UNFCCC guidelines and the Bachat Lamp Yojana provisions
The proposal for participation is sought from the BEE empanelled parties for
developing this CDM project as per the approved methodology of the UNFCCC &
shall address the complete project activity. It shall include the following:
 Project implementation strategy.
 Time schedule for implementing the project.
 Technical specification of CFLs.
 Percentage of carbon credits sharing with Discom.
 Details of past experience in the field of CDM or of such project
activity, if any.
Prospective CDM project developers empanelled by BEE shall have the
following activities to be undertaken under the project,
 Shall develop the project development of CDM programme
activity design documents,
 Obtain approval from National CDM Authority,
 Supply CFL at the price allowed in the Yojna,
 Complete formalities required for obtaining CERs such as
registration and validation,
 Collect fused CFLs through buy-back scheme and arrange for
their safe disposal,
 Free replacement of CFL during the life of project and safe
keeping of replaced ICB for independent inspection, as per the
guidelines of the BLY of BEE.
The project participants – MPPKVVCL, Project Developer & BEE – shall
have a clear role defined for each of them as per the tripartite agreement to be signed
among these parties. The Discom East will not bear any financial burden for the
development of the project activity and the complete project costs shall be borne by
the project developer only.

23 मार्च, 2009

सौर शहरों का विकास

सौर शहरों का विकास

श्रीमती कल्पना पालकीवाला*

भारत के कई शहरों और कस्बों में विद्युत मांग में 15 प्रतिशत की वृध्दि हो रही है। तेजी से बढती ऌस मांग के परिणामस्वरूप, ज्यादातर शहर और कस्बे भारी विद्युत कटौती का सामना कर रहे हैं। इसलिए, ऊर्जा मांग का प्रबंध करना स्थानीय सरकारों और नगर निगमों के लिए एक प्राथमिक कार्य बन गया है। इसलिए, एक ऐसी कार्य योजना को विकसित किए जाने की आवश्यकता है जिससे ऊर्जा संरक्षण और नवीकरणीय ऊर्जा उपकरण और प्रणाली के माध्यमों को अपनाकर कार्बन उत्सर्जन की अत्यधिक मात्रा में कमी लाने के अतिरिक्त पारंपरिक ऊर्जा खपत में कमी लायी जा सकती है। इसके अनुसार, न्न सौर शहरों का विकास न्न पर एक कार्यक्रम तैयार किया जा चुका है जिसके तहत शहरी क्षेत्रों में नवीकरणीय ऊर्जा के प्रयोग हेतु नगर निगमों को अपने शहरों को सौर शहरों के तौर पर विकसित करने की तैयारी और एक कार्ययोजना के कार्यान्वयन में सहायता प्रदान करना है।

उद्देश्य

इस कार्यक्रम के उद्देश्यों में शहरी स्थानीय निकायों को शहर स्तर पर ऊर्जा चुनौतियों से निबटने में सक्षम बनाना, निकायों को ढांचागत योजना प्रदान करना और उसमें मदद करना, वर्तमान ऊर्जा स्थिति, भविष्यगत की मांग और कार्य योजनाओं के निर्धारण सहित प्रमुख योजना की तैयारी करना, निकायों की क्षमता को बढाना और नागरिक समाज के सभी वर्गो के बीच जागरूकता जगाना, योजना प्रक्रिया में विभिन्न पणधारकों को शामिल करना और सार्वजनिक-निजी साझेदारी के माध्यम से दीर्घकालीन ऊर्जा विकल्पों के कार्यान्वयन की देखभाल करना शामिल है।

भौतिक लक्ष्य-

11वीं योजनावधि में, कुल 60 शहरों को न्न सौर शहरों न्न के तौर पर विकसित किये जाने का प्रस्ताव है। मंत्रालय द्वारा एक राज्य में कम से कम एक शहर से लेकर अधिकतम पाँच शहरों को मदद प्रदान की जाएगी। इस कार्यक्रम में शामिल शहरों की जनसंख्या 5 लाख से ज्यादा और 50 लाख से कम होगी।

प्रमुख गतिविधियां-

इस कार्यक्रम को मंत्रालय द्वारा स्वीकृत तिथि से एक वर्ष की अवधि के भीतर मुख्य योजना की तैयारी के माध्यम से शहर स्तर पर दीर्घकालीन ऊर्जा को प्रदान करने में सामने आने वाली चुनौतियों को हल करने के आधार पर तैयार किया गया है। मुख्य योजना को संकेतात्मक दिशानिदेर्शो के अनुसार तैयार किया गया है जिससे अगले 10 वर्षो के लिए संपूर्ण और क्षेत्रवार ऊर्जा मांग और आपूर्ति प्रदान की जायेगी। इसके अलावा, यह शहर में ऊर्जा उपयोग और ग्रीन हाऊस गैसों के उत्सर्जन के बारे में एक संपूर्ण क्षेत्रवार आधार व्यवस्था भी प्रदान करेगा। मुख्य योजना में ऊर्जा संरक्षण के वर्षवार लक्ष्य, नवीकरणीय ऊर्जा और ग्रीन हाऊस गैसों की कमी के साथ कार्य योजना के कार्यान्वयन को स्पष्ट रूप से सामने लाया जायेगा। वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र दोनों क्षेत्र के संदर्भ संगठनों से अनुदान के संभावित स्रोतों की पहचान की जाएगी। चयनित प्रतिनिधि, स्थानीय अनुसंधान और शैक्षिक संस्थान, निवासी कल्याण संस्थाएं, औद्योगिक और कॉरपोरेट संगठन, गैर सरकारी संगठन, एसएनए आदि की प्रस्तुति के साथ अंतिम रूप देने से पूर्व, मुख्य योजना पर पणधारक सलाहकार कार्यशाला में विचार विमर्श किया जाएगा। मुख्य योजना में वर्तमान स्तर से 10 प्रतिशत तक की ऊर्जा खपत और कार्बन उत्सर्जन में कमी का न्यूनतम लक्ष्य रखा जाएगा।

इस कार्यक्रम के अंतर्गत शहर परिषद में न्न सौर शहर प्रकोष्ठ न्न का गठन भी शामिल है जिसमें योजना और कार्यान्वयन के लिए वरिष्ठ प्रशासक और शहर अभियंता होगें। नगर निगम निकायों , स्थानीय अनुसंधान, शैक्षिक संस्थान, निवासी कल्याण संस्था, औद्योगिक और कॉरपोरेट संगठन, गैर सरकारी संगठन, राज्य क्षेत्रीय एजेन्सियां और अन्य संबंध्द पणधारकों की प्रस्तुति के साथ सलाहकार सहायता के लिए एक न्न सौर शहर पणधारक समिति का गठन किया जाएगा।

विभिन्न पणधारकों जैसे नगर निगम निकायों , नगर निगम अधिकारियों, वास्तुकारोंअभियंताओं, भवननिर्माताओं, वित्तीय संस्थानों,गैर सरकारी संगठनों, तकनीकी संस्थानों, उत्पादक और आपूर्तिकर्ताओं, निवासी कल्याण संस्थाओं आदि के चयनित प्रतिनिधियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम, कार्यशालाएं, व्यापारिक बैठकें, जागरूकता शिविर आदि और भारत में अध्ययन यात्राओं का आयोजन करना।

कार्बन वित्तपोषण के लिए प्रस्ताव तैयार करना तथा प्रिंट इलेक्ट्रोनिक मीडिया के जरिए प्रचार प्रसार एवं जनजागरूकता अभियान चलाना भी इस कार्यक्रम का हिस्सा होगा।

वित्तीय प्रावधान

हर नगर या शहर के लिए 50 लाख रुपये तक का वित्तीय प्रावधान होगा। यह राशि उस शहर की जनसंख्या तथा संबंधित नगर परिषदप्रशासन द्वारा उठाये गये कदमों पर निर्भर करेगी।

· मास्टर प्लान बनाने हेतु एक साल के अंदर 10 लाख रुपये तक का अनुदान

· पांच साल के दौरान क्रियान्वयन की निगरानी के लिए 10 लाख रुपये तक का अनुदान

· सौर सेल की स्थापना तथा पांच वर्षों तक उसकी क्रियाशीलता के लिए 10 लाख रुपये तक का प्रावधान

· शेष पांच लाख रुपये पांच साल के अन्य प्रोत्साहन कार्यों के लिए

इस मंत्रालय की विभिन्न स्कीमों के प्रावधानों के मुताबिक विभिन्न नवीकरणीय ऊर्जा उपकरण लगाने के लिए उपभोक्ता को पूंजीइंटरेस्ट सब्सिडी दी जाएगी। स्कीम प्रावधानों के अनुसार विभिन्न अन्य गतिविधियों के लिए भी सहायता दी जाएगी। सक्षमता वाले शहर के रूप में चिन्हित शहरों को सहायता में प्राथमिकता दी जाएगी। इन शहरों को इस मंत्रालय, आईआरईडीए तथा नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणोंप्रणालियों के इस्तेमाल को बढावा देने में जुटे अन्य संस्थानों द्वारा प्राथमिकता वाले माने जायेंगे। एसएनए भी अपने शहरों में विभिन्न नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणप्रणाली लगाने के लिए मंत्रालय से उनकी विभिन्न स्कीमों के तहत सब्सिडी के जरिए ऊंचे लक्ष्य आवंटित करने का अनुरोध कर सकती है।

शहरों के चयन की कसौटी

इस कार्यक्रम के तहत उच्च स्तर की कटिबध्दता तथा नेतृत्व कौशल वाले शहरों को उत्साहवर्ध्दन किया जाता है। मंत्रालय शहरों को चयन करते वक्त निम्नलिखित बातों पर ध्यान देती है। शहर की जनसंख्या, क्षेत्रीय अवस्था एवं क्षेत्र में महत्त्व, नवीकरणीय ऊर्जाओं को अपनाने में राजनीतिक एवं प्रशासनिक कटिबध्दता (सौर शहर कार्यक्रम में वर्णित गतिविधियां को क्रियान्वित करने के लिए नगर परिषदप्रशासन द्वारा पारित किया जाने वाला प्रस्ताव), ऊर्जा संरक्षण एवं नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने के लिए उठाये गये विनियामक कदम, शहरी गतिविधियों में ऊर्जा संरक्षण तथा नवीकरणीय ऊर्जा अपनाये जाने की क्षमता, नगर परिषदप्रशासननिजी विकार्सकत्ता, उद्योगआमलोगों द्वारा ऊर्जा संरक्षण एवं नवीकरणीय ऊर्जा को बढावा देने के लिए पहले ही उठाये कये गदम, आम लोगों को शामिल करने में तथा हितधारकों के साथ काम करने में शहरी स्थानीय निकाय का अनुभव तथा इस कार्यक्रम के तहत शुरू की गयी गतिविधियों को संसाधन तथा स्थायित्व प्रदान करने का इरादा।

प्रस्तावों की सुपुर्दगी तथा धनराशि जारी

नगर परिषद द्वारा निर्धारित प्रपत्र में प्रस्ताव राज्य नोडल एजेंसी के जरिए जमा किये जायेंगे। प्रस्तावों की मंत्रालय में जांच की जायेगी और इसके आधार पर, योजना के क्रियान्वयन पर सलाह मशविरा के लिए गठित स्वतंत्र पैनल द्वारा अनुशंसित सीएफए का 50 प्रतिशत मंजूर परियोजनाओं के लिए जारी किया जाएगा तथा बाकी राशि काम के निष्पादन तथा धनराशि के इस्तेमाल के आधार पर जारी की जाएगी।

पुरस्कार व्यवस्था

चिन्हित सौर शहरों को वार्षिक पुरस्कार स्वरूप वैजयंतीप्रमाणपत्र प्रदान किये जाते हैं। नगर परिषदप्रशासन शहर को सौर शहर के रूप में विकसित करने के लिए उठाये गये कदमों की जानकारी प्रदान करता है और इसी आधार पर पुरस्कार दिये जाते हैं।

माडल सौर शहर

अन्य शहरों को सौर शहर के रूप में विकसित होने के लिए मंत्रालय उनके सम्मुख उदाहरण के तौर पर दो शहरों को सौर शहर के रूप में विकसित करेगा। इन मॉडल सौर शहरों में हरेक को इस स्कीम के तहत तैयार मास्टर प्लान कार्यान्वित करने के लिए मंत्रालय से अधिकतम साढे 9 क़रोड़ रुपये की वित्तीय मदद दी जाएगी। मंत्रालय तथा संबंधित नगर निगमनगर प्रशासनराज्य सरकार व्यय का आधा-आधा हिस्सा वहन करेगी। धनराशि तब जारी की जायेगी जब मॉडल सौर शहर के रूप में विकसित किये जाने के लिए चिन्हित शहर अपना मास्टर प्लान जमा करेगा, इसके लिए उपरोक्त नियमानुसार अलग से मदद दी जायेगी। यदि शहर को माडल सौर शहर के रूप में विकसित करने के लिए 19 करोड़ रुपये की धनराशि मंत्रालय से साढे 9 क़रोड़ रुपये तथा संबंधित नगर निगमनगर प्रशासनराज्य सरकार से भी साढे 9 क़रोड़ रुपये) प्रर्याप्त नहीं होती है तो उक्त शहर इस धनराशि के अलावा नवीकरणीय ऊर्जा प्रणाली लगाने के लिए मंत्रालय की अन्य मौजूदा योजनाओं से मदद ले सकता है जहां नवीकरणीय ऊर्जा प्रणाली उपकरण की संख्याक्षमता पर मौजूदा सीमा लागू नहीं है।

# उप निदेशक, पसूका, नई दिल्ली

21 मार्च, 2009

पुलिस पर बिजली चोरी का आरोप है।

मुंबई पुलिस अपराधियों को पकड़ने के साथ खुद भी चोरी का काम शुरू कर चुकी है। पुलिस पर बिजली चोरी का आरोप है। यह नायाब तरीका मुंबई में करीब 88 पुलिस चौकियों में वर्षों से आजमाया जा रहा है। एक चौकी तो ऐसी है कि 2001 से अब तक सिर्फ सात यूनिट ही खर्च कर पाई है।मुंबई पुलिस के मरीन ड्राइव ट्रैफिक पुलिस चौकी पर एक विज्ञापन बोर्ड 2001 से लगा है। इसमें 2001 से इलेक्ट्रिक सप्लाई दी जा रही है लेकिन तब से अब तक यह मीटर मात्र सात यूनिट ही बता रहा है। आई के चौगानी ने इस विज्ञापन बोर्ड को लेकर एक अपील बंबई हाईकोर्ट में डाली है। अपील में उन्होने कहा है कि करीब तीन-चार सप्ताह से मैं मरीन ड्राईव चौकी के मीटर को देख रहा हूं वह सात यूनिट ही है। जबकि यहां पर विज्ञापन बोर्ड दिन-रात रौशन रहता है। इसलिए मुझे शक है कि बिजली की यहां चोरी की जा रही है। चौगानी ने मुंबई के अन्य पुलिस चौकियों पर भी आरोप लगाया है कि शहर में कई पुलिस चौकियां अवैध रूप से स्ट्रीट लाइट और ट्रैफिक सिग्नल से बिजली की चोरी कर इस्तेमाल कर रही है।इस अपील के जवाब में बेस्ट के सहायक जेनरल मैनेजर अशोक वासुदेव ने कहा कि वह मीटर एक आउटडोर कंपनी के नाम पर लगाया गया था लेकिन इस अपील के बाद हमने मीटर बदल दिया है और पुराने मीटर को जांच के लिए भेज दिया गया है। यहीं नहीं इसमें 88 पुलिस चौकियों की लंबी फेहरिस्त है जो कि बिजली की चोरी करते हैं। इनमें से 42 चौकियों के खिलाफ कदम उठाये गए हैं, इन चौकियों में अवैध रूप से बिजली का उपयोग किया जा रहा था और 16 चौकियां ऐसी थी जो कि बिना मीटर के बिजली का उपयोग रहीं थीं।

09 मार्च, 2009

स्वीडन फिर बनाएगा परमाणु बिजली

स्वीडन फिर बनाएगा परमाणु बिजली

फिर सक्रिय होंगे परमाणु रिएक्टर यूरोपीय संघ के कई सदस्यों ने स्वीडन के फिर से परमाणु बिजली बनाने के फ़ैसले पर एतराज़ जताया है. स्वीडन ने 30 साल की पाबंदी के बाद परमाणु रिएक्टर फिर खोलने की बात कही है.

यूरोपीय देशों को चिंता इस बात की लगी है कि स्वीडन के फ़ैसले से पूरे महाद्वीप में एक ग़लत संदेश जा सकता है. जहां एक तरफ़ परमाणु रिएक्टरों को बंद करने की बात चल रही है, वहीं दूसरी तरफ़ स्वीडन तीस साल बाद परमाणु बिजली पर लगी पाबंदी हटा रहा है. यूरोपीय संघ में ग्रीन पार्टी की सांसद जर्मनी की रेबेका हार्म्स इसे स्कैंडल बता रही हैं.

यूरोपीय संघ के सदस्य स्वीडन में जनमत संग्रह के बाद 1980 में ही तय किया गया कि वहां परमाणु रिएक्टर बंद होंगे और परमाणु बिजली की पैदावार भी धीरे धीरे ख़त्म हो जाएगी. हालांकि लगभग 30 साल बाद भी आधी से ज़्यादा बिजली परमाणु रिएक्टरों में ही पैदा की जाती है. सरकार ने दस रिएक्टरों को बदल देने का फ़ैसला किया है. ख़ुद स्वीडन की विपक्षी पार्टियां भी इसका विरोध कर रही हैं.

लेकिन स्वीडन सरकार का कहना है कि आर्थिक मंदी के इस दौर में उसके फ़ैसले से रोज़गार बढ़ेगा और निवेश को भी बढ़ावा दिया जा सकेगा. प्रधानमंत्री फ़्रेडरिक राइनफ़ेल्ड्ट का मानना है कि कुछ ख़तरों के बावजूद लोग परमाणु बिजली में भरोसा रखते हैं और इस दिशा में सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाएगा.

परमाणु बिजली से जुड़ा सबसे ख़तरनाक हादसा पूर्व सोवियत संघ के चेरोनबिल में हुआ था, जहां से ज़हरीली गैस लीक होने से कई लोगों की मौत हो गई थी और उसका असर अब तक देखा जाता है. इसके बाद से ही दुनिया भर में परमाणु रिएक्टरों को बंद करने की मुहिम चली थी. जर्मनी में भी दो हज़ार बीस तक इसे बंद करने का प्रस्ताव है. स्वीडन के इस फ़ैसले के बाद परमाणु