................................power is key for development, let us save power,
12 अक्टूबर, 2008
क्या आपका बेटा ,बेटी या कोई परिचित बच्चा क्लास ४ या ५ का छात्र है ? यदि हाँ तो उसे उर्जा संरक्षण चित्रकला प्रतियोगिता में भाग लेने हेतु प्रेरित कीजीये
क्या आपका बेटा ,बेटी या कोई परिचित बच्चा क्लास ४ या ५ का छात्र है ? यदि हाँ तो उसे उर्जा संरक्षण विषयक ब्यूरो ओफ इनर्जी एफिशयेंसी द्वारा आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता में भाग लेने हेतु प्रेरित कीजीये !.विस्तृत विवरण हेतु ..लिंक है http://bee.nic.in/
09 अक्टूबर, 2008
उपकरणों को मुख्य स्वच से बंद करने की आदत ..
उपकरणों को मुख्य स्वच से बंद करने की आदत ..
आज का समय रिमोट और कार्डलैस कंट्रोल की सुविधा के उपकरणों का है . पर क्या आपने कभी सोचा कि इसके चलते मुख्य स्विच बंद करने की हमारी आदत ही छूट गई है . टी वी रात भर भी मुख्य स्विच से बंद नही किया जाता ... कम्प्यूटर स्टैंडबाई मोड में ही बना रहता है , ब्रड बैँड का मोडेम हमेशा चालू रहने के कारण कितना गरम हो जाता है ? और तो और गीजर तक थर्मोस्टैट से ही कट होकर बंद होता है ......इतना अधिक सुविधा भोगी होना ठीक नही ! उर्जा की बचत की दृष्टि से तो बिल्कुल भी नही ! उपकरणों को मुख्य स्वच से बंद करने की आदत डालें और व्यर्थ जाती बिजली बचायें ..
घर से बाहर जाते समय मीटड़ बोर्ड के निकट लगा मेन स्विच बंद कर दुर्घटना की संभावना से बचने की आदत डालें , बिजली भी बचायें .
by-ER.Vivek Ranjan Shrivastava
Certified Energy Manager
Adll.Sup.Engineer , M .P . S . E . BOARD , JABALPUR
08 अक्टूबर, 2008
और बचाई जा सकती है ढ़ेर सी उर्जा ...
कपड़े धोने के लिये ठंडे पानी का प्रयोग व सुखाने हेतु धूप व हवा ...
कपड़े धोने के लिये गरम पानी का उपयोग , व धुले हुये कपड़े सुखाने के लिये वाशिंग मशीन के ड्रायर का उपयोग बहुतायत में किया जा रहा है . इससे कितनी उर्जा व्यर्थ हो रही है ? यही काम सामान्य थोड़ी सी मेहनत व थोड़ा सा ज्यादा समय लगाकर ठंडे पानी से कपड़े धोकर व उन्हें खुली हवा तथा धूप में सुखाकर भी सुगमता से किया जा सकता है ! और बचाई जा सकती है ढ़ेर सी उर्जा ...
by-ER.Vivek Ranjan Shrivastava
Certified Energy Manager
Adll.Sup.Engineer , M .P . S . E . BOARD , JABALPUR
मो. ०९४२५४८४४५२
कपड़े धोने के लिये गरम पानी का उपयोग , व धुले हुये कपड़े सुखाने के लिये वाशिंग मशीन के ड्रायर का उपयोग बहुतायत में किया जा रहा है . इससे कितनी उर्जा व्यर्थ हो रही है ? यही काम सामान्य थोड़ी सी मेहनत व थोड़ा सा ज्यादा समय लगाकर ठंडे पानी से कपड़े धोकर व उन्हें खुली हवा तथा धूप में सुखाकर भी सुगमता से किया जा सकता है ! और बचाई जा सकती है ढ़ेर सी उर्जा ...
by-ER.Vivek Ranjan Shrivastava
Certified Energy Manager
Adll.Sup.Engineer , M .P . S . E . BOARD , JABALPUR
मो. ०९४२५४८४४५२
07 अक्टूबर, 2008
घूम लिये दुर्गा पूजा के पंडाल ?
घूम लिये दुर्गा पूजा के पंडाल ?
घूम लिये दुर्गा पूजा के पंडाल ?
by-ER.Vivek Ranjan Shrivastava
Certified Energy Manager
Adll.Sup.Engineer , M .P . S . E . BOARD , JABALPUR
पिछले नौ दिनों से देश भर में दुर्गा पूजा का सांस्कृतिक महोत्सव चल रहा है . हम सब ने दुर्गा पूजा के पंडाल घूमें हैं . आपने नोटिस किया ? ज्यादातर पंडालों में सजावट के नाम पर बिजली की चकाचौंध ही है . डीजे का शोर है . थर्मो कूल की कलाकारी है . आंकड़े बताते हैं कि हर शहर कस्बे गाँव में ढ़ेरों दुर्गा उत्सव आयोजन समितियां है , खूब बिजली जल रही है , पर इस सजावट के लिये अस्थाई विद्युत कनेक्शन कितने लिये गये हैँ ? मतलब साफ है बिजली चोरी को हम सबने सामाजिक मान्यता दे रखी है ... ? ...?
पुराना समय याद कीजीये , दादा जी या नाना जी से पूछिये .. पहले जब इतनी बिजली की जगमगाहट नही होती थी ..तब भी दुर्गा पूजा तो होती ही थी . तब कैसे सजाये जाते थे पंडाल ? शायद तब पूजा के विधि विधान , श्रद्धा आस्था अधिक थी . आम के पत्तों की तोरण , पतंग के कागज से सजावट होती थी .सांस्कृतिक आयोजन , कविसम्मेलन , नृत्य आदि उत्सव होते थे .
बिजली की कमी को देखते हुये क्या हमें हमारे समाज और सरकार को एक बार फिर दुर्गा पूजा , मोहर्रम , क्रिसमस, न्यूइयर , गणेशोत्सव आदि आयोजनों में बिजली के फिजूल उपयोग पर , तथा आयोजन में सजावट व आयोजन के स्वरूप पर विचार मंथन नहीं करना चाहिये? ???????
घूम लिये दुर्गा पूजा के पंडाल ?
by-ER.Vivek Ranjan Shrivastava
Certified Energy Manager
Adll.Sup.Engineer , M .P . S . E . BOARD , JABALPUR
पिछले नौ दिनों से देश भर में दुर्गा पूजा का सांस्कृतिक महोत्सव चल रहा है . हम सब ने दुर्गा पूजा के पंडाल घूमें हैं . आपने नोटिस किया ? ज्यादातर पंडालों में सजावट के नाम पर बिजली की चकाचौंध ही है . डीजे का शोर है . थर्मो कूल की कलाकारी है . आंकड़े बताते हैं कि हर शहर कस्बे गाँव में ढ़ेरों दुर्गा उत्सव आयोजन समितियां है , खूब बिजली जल रही है , पर इस सजावट के लिये अस्थाई विद्युत कनेक्शन कितने लिये गये हैँ ? मतलब साफ है बिजली चोरी को हम सबने सामाजिक मान्यता दे रखी है ... ? ...?
पुराना समय याद कीजीये , दादा जी या नाना जी से पूछिये .. पहले जब इतनी बिजली की जगमगाहट नही होती थी ..तब भी दुर्गा पूजा तो होती ही थी . तब कैसे सजाये जाते थे पंडाल ? शायद तब पूजा के विधि विधान , श्रद्धा आस्था अधिक थी . आम के पत्तों की तोरण , पतंग के कागज से सजावट होती थी .सांस्कृतिक आयोजन , कविसम्मेलन , नृत्य आदि उत्सव होते थे .
बिजली की कमी को देखते हुये क्या हमें हमारे समाज और सरकार को एक बार फिर दुर्गा पूजा , मोहर्रम , क्रिसमस, न्यूइयर , गणेशोत्सव आदि आयोजनों में बिजली के फिजूल उपयोग पर , तथा आयोजन में सजावट व आयोजन के स्वरूप पर विचार मंथन नहीं करना चाहिये? ???????
प्रिमियम बिजली वितरण प्रणाली विकसित की जावे ?
प्रिमियम बिजली वितरण प्रणाली विकसित की जावे ?
by-ER.Vivek Ranjan Shrivastava
Certified Energy Manager
Adll.Sup.Engineer , M .P . S . E . BOARD , JABALPUR
आज के बिजली वितरण परिदृश्य में अगले १५ ..२०.. . वर्षो तक बिजली की समस्या पूरी तरह हल होती नही दिखती . सुविधा हेतु लोग इनवर्टर , स्वयं के छोटे जनरेटर आदि उपकरण लगाने को मजबूर हैं . बिजली के क्षेत्र में , प्रतियोगित्मक बिजली वितरण हेतु निजिकरण किया जा रहा है . किन्तु जब एकल प्रदाता ही सब जगह नही पहुंच पाया है ,और मांग पर हर एक को तुरत बिजली कनेक्शन व अनवरत बिजली सुलभ नही करवा पा रहा है , तो यह कल्पना करना कि बिजली वितरण का क्षेत्र मोनोपाली एण्ड रिस्ट्रिक्टेड ट्रेड प्रैक्टिस एक्ट के अंतर्गत सच्चे स्वरूप में लाया जा सकेगा , व उपभोक्ता को यह अधिकार होगा कि वह किससे बिजली खरीदे , सैद्धांतिक सोच मात्र लगती है .
आज के परिदृश्य में , बिजली वितरण कंपनियों पर राजनेता प्राफिट कमाने के लिये दबाव बना रहे हैं , एवं बिजली वितरण को को सामाजिक विकास के क्षेत्र की अवधारणा से अलग हटकर व्यवसायिक क्षेत्र व निजीकरण के चश्में से देखा जा रहा है . ऐसे समय में मेरा सुझाव तो यह है कि वितरण कंपनियों को प्रिमियम बिजली वितरण प्रणाली विकसित करना चाहिये . जो ज्यादा पैसा देगा उसे अनवरत बिजली तो मिलेगी . पीकिंग अवर्स में सक्षम लोग इस प्रिमियम बिजली वितरण प्रणाली से बिजली खरीद सकेंगे .इससे बिजली चोरी पर नियंत्रण हो सकेगा .
मैने अपने वर्ष २०००...२००१ के आसपास छपे लेखों में एक साथ किये जा रहे देश व्यापी बिजली के निजीकरण के खतरों के प्रति चेताया था , व लिखा था कि बिजली के दाम बेहिसाब बढ़ेंगे . आज बिजली १६ रु. यूनिट तक पहुंच रही है ..
ऐसे कठिन समय में बिजली वितरण को लेकर मेरे इस सुझाव पर आपकी प्रतिक्रियाओ की अपेक्षा रहेगी ...
by-ER.Vivek Ranjan Shrivastava
Certified Energy Manager
Adll.Sup.Engineer , M .P . S . E . BOARD , JABALPUR
आज के बिजली वितरण परिदृश्य में अगले १५ ..२०.. . वर्षो तक बिजली की समस्या पूरी तरह हल होती नही दिखती . सुविधा हेतु लोग इनवर्टर , स्वयं के छोटे जनरेटर आदि उपकरण लगाने को मजबूर हैं . बिजली के क्षेत्र में , प्रतियोगित्मक बिजली वितरण हेतु निजिकरण किया जा रहा है . किन्तु जब एकल प्रदाता ही सब जगह नही पहुंच पाया है ,और मांग पर हर एक को तुरत बिजली कनेक्शन व अनवरत बिजली सुलभ नही करवा पा रहा है , तो यह कल्पना करना कि बिजली वितरण का क्षेत्र मोनोपाली एण्ड रिस्ट्रिक्टेड ट्रेड प्रैक्टिस एक्ट के अंतर्गत सच्चे स्वरूप में लाया जा सकेगा , व उपभोक्ता को यह अधिकार होगा कि वह किससे बिजली खरीदे , सैद्धांतिक सोच मात्र लगती है .
आज के परिदृश्य में , बिजली वितरण कंपनियों पर राजनेता प्राफिट कमाने के लिये दबाव बना रहे हैं , एवं बिजली वितरण को को सामाजिक विकास के क्षेत्र की अवधारणा से अलग हटकर व्यवसायिक क्षेत्र व निजीकरण के चश्में से देखा जा रहा है . ऐसे समय में मेरा सुझाव तो यह है कि वितरण कंपनियों को प्रिमियम बिजली वितरण प्रणाली विकसित करना चाहिये . जो ज्यादा पैसा देगा उसे अनवरत बिजली तो मिलेगी . पीकिंग अवर्स में सक्षम लोग इस प्रिमियम बिजली वितरण प्रणाली से बिजली खरीद सकेंगे .इससे बिजली चोरी पर नियंत्रण हो सकेगा .
मैने अपने वर्ष २०००...२००१ के आसपास छपे लेखों में एक साथ किये जा रहे देश व्यापी बिजली के निजीकरण के खतरों के प्रति चेताया था , व लिखा था कि बिजली के दाम बेहिसाब बढ़ेंगे . आज बिजली १६ रु. यूनिट तक पहुंच रही है ..
ऐसे कठिन समय में बिजली वितरण को लेकर मेरे इस सुझाव पर आपकी प्रतिक्रियाओ की अपेक्षा रहेगी ...
सदस्यता लें
संदेश (Atom)